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दुर्ग / शौर्यपथ / निकाय चुनाव का कभी भी आगाज हो सकता है साय सरकार ने भी कह दिया है कि चुनाव जल्द होंगे इन्हें टाला नहीं जाएगा ऐसे में आरक्षण प्रक्रिया पुरी होने के बाद स्थिति भी साफ़ हो गई है किस वार्ड से कौन से वर्ग में टिकिट वितरण करनी है महापौर आरक्षण होने के बाद नारी शक्ति को सत्ता की कमान मिलेगी . कांग्रेस संगठन की बात करे तो दुर्ग में टिकिट वितरण में एक बार फिर पूर्व विधायक एवं वरिष्ठ कांग्रेसी अरुण वोरा की भूमिका अहम् रहेगी . गत विधान सभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी वोरा के खिलाफ कई कांग्रेसियों ने भीतरीघात किया तो कई ने खुलकर पार्टी विरोधी कार्य किया हालांकि यह चर्चा फैलाई गई कि उनका विरोध पार्टी प्रत्याशी के विरुद्ध है किन्तु सत्य यही है कि दुर्ग शहर में कांग्रेस प्रत्याशी की बड़ी हार हुई , प्रदेश से कांग्रेस की छुट्टी हुई अब एक बार फिर कांग्रेस अपने आप को स्थापित करने में लगी है ऐसे में यह चर्चा जोरो पर है कि क्या प्रदेश संगठन दुर्ग में वरिष्ठ नेता अरुण वोरा की राय को दरकिनार कर उन लोगो को भी टिकिट देगी जो बंद कमरे और खुले में कांग्रेस प्रत्याशी के विरोध में कार्य किये है .
पूर्व सभापति कक्ष बना विरोधी गुट का केन्द्र बिंदु ....
सालो के वनवास के बाद सक्रीय राजनीती में कदम रखने वाले राजेश यादव अंतिम क्षणों में निर्दलीय पार्षद सुश्री नीता जैन के मत से सभापति की खुर्सी तक पहुंचे थे परन्तु पांच सालो के कार्यकाल में सभापति के कक्ष से तात्कालिक विधायक के विरोध के स्वर को यही से बल मिलता रहा और यह स्वर धीरे धीरे इतना बुलंद हुआ कि विधान सभा चुनाव में इसका परिणाम कांग्रेस की बड़ी हार रहा . अब एक बार फिर विधान सभा से बड़ी हार लोकसभा में होने के कारण टिकिट वितरण में वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरुण वोरा की भूमिका को अहम् माना जा रहा है अगर संगठन पूर्व की गतिविधियों को गंभीरता से संज्ञान लेता है तो कांग्रेस से राजेश यादव , मदन जैन , ऋषभ जैन , मनदीप भाटिया , बिजेंद्र भारद्वाज राजकुमार नारायणी की टिकिट कटना तय है .
दुर्ग कांग्रेस में एक बार फिर नेतृत्तव की कमान वोरा के हाथ में है संगठन में वर्तमान समय में पांच सालो के कार्यकाल में सभापति के रूप में राजेश यादव ने निगम में अपनी कोई छाप नहीं छोड़ी विधान सभा चुनाव के बाद महापौर एवं विधायक के साथ कार्यक्रमों में ज़रूर नजर आये किन्तु प्रदेश के मुखिया से करीबी होने के बावजूद भी दुर्ग में कांग्रेस संगठन के लिए कोई बड़ा कार्य किया हो कही नजर नहीं आया और पुरे पांच साल विधायक विरोधी गुट की बैठक का केन्द्र बिंदु सभापति कक्ष ही रहा कांग्रेस की गुटीय राजनीती को बढ़ावा यही से मिला जिस पर रोक लगाने में पूर्व सभापति यादव असफल रहे . ऐसे में आने वाले चुनाव में संगठन अपनी पूर्व की गलतियों से सबक लेता है या नहीं आने वाले समय में सामने आएगा कि संगठन पूर्व विधायक के राय को कितना महत्तव देता है . वर्तमान विधायक के एक साल के कार्यकाल में शहर की जनता जिस तरह से विधायक से दूर हो रही है और कमीशनखोरी , अवैध अतिक्रमण , घोटालो के खिलाफ जंग में वर्तमान सरकार असफल हुई उससे कही ना कही कांग्रेस को फायदा हो सकता है किन्तु कांग्रेस मे चाटूकारिता के स्थान को अगर महत्तव दिया तो कोई बड़ी बात नहीं कि इस बार कांग्रेस की निगम में वार्ड पार्षदों की संख्या में भी कमी आ जाएगी . जो कि आने वाले समय में साफ़ हो जाएगा ..
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