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भाजपा की सूची आ जाएगी पहले कांग्रेस में अभी दावेदारों के हो रहे आवेदन जमा जमा
दुर्ग। शौर्यपथ। संगठन में कार्य किस तरह होता है यह अब कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी से सीखनी ही चाहिए नगरी निकाय चुनाव का आगाज हो चुका है नामांकन फार्म जमा करने की अंतिम तिथि 28 जनवरी है ऐसे में जहां दुर्ग में भाजपा प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी होने में चंद घंटे ही शेष होने की खबर आ रही है वहीं कांग्रेस में प्रत्याशियों के आवेदन फार्म भी अभी तक संगठन में पूरी तरह नहीं पहुंचे वही ऐसी भी जानकारी मिल रही है कि कई वार्ड में वार्ड प्रभारी भी नियुक्त नहीं हुए हैं संगठन में आपसी तालमेल की कमी कितनी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुर्ग नगर निगम चुनाव के प्रभारी विकास उपाध्याय जब दुर्ग आते हैं तो मात्र घंटे 2 घंटे में बैठक कर घंटे दो घंटे भोजन पानी में विताकर वापस चले जाते हैं परंतु वही दावेदारों की सूची अभी तक कांग्रेस में तैयार नही हुई और ना ही कई वार्ड में वार्ड प्रभारी की नियुक्ति हुई . ऐसे में कांग्रेस का भारतीय जनता पार्टी पर सुशासन विरोधी बात करना कहीं से भी नीति संगत प्रतीत नहीं होता .जिस कांग्रेस में स्वयं के संगठन में नीतियां सिर्फ दस्तावेजों में रह गई हैं ऐसे संगठन में कार्यकर्ताओं के भविष्य की क्या स्थिति होगी कह पाना मुश्किल है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस में इस बात पर बहस छिड़ी हुई है कि पूर्व विधायक वोरा कितनी टिकट बाटेंगे और निर्वृतमान महापौर धीरज बकरीवाल कितनी टिकट अपने समर्थकों को दिलाएंगे प्रेस विज्ञप्तियों में एकजुटता की बात करने वाली दुर्ग कांग्रेस अपने बदहाली के इस पायदान पर खड़ी है कि सालों से ब्लॉक अध्यक्ष सहित निष्क्रियता की छाप लिए अध्यक्ष भी नहीं बदल पाई जबकि हाल ही में हुए लोकसभा और विधानसभा और चुनाव में कांग्रेस की हार को किसी दुर्गति से कम नहीं आंका जा सकता . विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस लगभग 50000 वोटो से हरी वहीं लोकसभा में इसका आंकड़ा 70000 के ऊपर पहुंच गया ऐसे में संगठन में बैठे बड़े पदाधिकारी का उद्देश्य मात्र संगठन में पद लाभ ही निमित्त मात्र रह गया।
ऐसा नहीं कि कांग्रेस संगठन और पार्टी पर कार्यकर्ताओं का भरोसा नहीं आज भी दुर्ग शहर में ऐसे कई कार्यकर्ता है जो कांग्रेस के लिए समर्पित है परंतु जिस प्रकार से संगठन में निष्क्रियता और संगठन के प्रमुख पदों पर मात्र चंद लोगों के सालों साल जमे रहने पर एवं कुछ पदों पर चाटुकारों का कब्जा आज दुर्ग कांग्रेस की बदहाली का आलम कह रहा है एक ओर प्रदेश संगठन और प्रदेश अध्यक्ष कह रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी के कुशासन का जवाब जनता देगी और कांग्रेस पार्टी पूरे जोश के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी और जीत दर्ज करेगी परंतु प्रेस विज्ञप्तियों में प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज की बातें जरूर सुहानी लगती है किंतु जमीनी हकीकत इसके बिलकुल विपरीत है दुर्ग कांग्रेस का हाल इसका साक्षात उदाहरण है जहां आज भी हारे हुए प्रत्याशी अरुण वोरा की मर्जी के बिना प्रत्याशी चयन नहीं होने की बात कही जा रही है आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस प्रत्याशी की शहर में बड़ी हार हुई अब वही एक बार फिर शहर के कांग्रेसियों की उम्मीद बने हुए हैं वहीं दूसरी ओर भाजपा की बात करे तो भाजपा सदा ही अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को मौका देती है एवं महत्वपूर्ण पदों पर शोभित कर संगठन को आगे बढ़ने का कार्य कर रही है जीवत उदाहरण एक छोटे से गांव से आए हुए भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा ,जमीनी कार्यकर्ता ललित चंद्राकर ,नए जिला अध्यक्ष सुरेंद्र कौशिकजिसे कई चेहरे है जो भाजपा के कार्यकर्ताओं को एक उम्मीद जगाती है कि उनके राजनीतिक करियर में भाजपा में उत्थान होगा और अच्छा काम करने पर आगे बढ़ने की उम्मीद रहेगी जो कि कांग्रेस में कहीं भी नजर नहीं आती .
जिस रफ़्तार से कांग्रेस चुनाव की तैयारी कर रही उसे देख ऐसा कही भी नहीं लगता कि दुर्ग कांग्रेस के जिम्मेदार पदाधिकारी चुनावी जीत की तरफ बढ़ रहे है अपितु यह अच्छी बात हुई कि विधान सभा से भी ज्यादा मतों से लोकसभा में हुई हार के बाद इस चुनावी सीजन में एक बार फिर कार्यकर्ता पूर्व विधायक को घेरे नजर आ रहे है जो कही ना कही पूर्व विधायक के चेहरे की मुस्कान से झलकती है किन्तु वही यह भी याद आता है कि स्व. मोतीलाल वोरा ने कहा था " पद आते जाते रहते है किन्तु व्यक्ति को हमेशा नम्र रहना चाहिए " स्व. वोरा जी की यह बात सिर्फ दीवारों पर ही लिखी मिलती है दिलो में नहीं वरना आज दुर्ग कांग्रेस का वह हाल ना होता जो है .
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