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दुर्ग। शौर्यपथ। प्रदेश में हुए 2023 के विधानसभा चुनाव में दुर्ग विधानसभा क्षेत्र से दुर्ग की जनता ने और कई कांग्रेसियों ने विधायक अरुण वोरा को सिरे से नकार दिया एवं भाजपा के प्रत्याशी के रूप में नए चेहरे गजेंद्र यादव के पक्ष में खुलकर मतदान किया. पिछले कई सालों से दुर्ग कांग्रेस का संगठन निष्क्रिय रहा कुछ नेताओं की मनमानी के चलते संगठन के सक्रिय कार्यकर्ता निष्क्रिय होते गए और उनका मनोबल लगातार टूटता रहा. विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में हुई हार के बाद भी वर्तमान में हो रहे नगरी निकाय चुनाव में एक बार फिर पूर्व विधायक के द्वारा इसी पक्षपात का नजारा देखने को नजर आ रहा है ऐसे कई वार्ड है जहां से कांग्रेस प्रत्याशी जीत का सेहरा बांध सकते थे उन वार्डों में भी मनमानी की कैंची अपना काम कर रही है वार्ड 42 से कांग्रेस को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले प्रकाश गीते का इस बार पत्ता काट दिया गया और शिवाकांत तिवारी को चुनाव मैदान में उतार अपनी जीती हुई सीट गवाने की कगार पर खड़ा कर दिया गया.
वहीं अपने खुद के किए हुए वादे से मुकरने का आरोप राजेश शर्मा को एल्डरमैन बनाकर पूर्व विधायक ने किया उन्हें एक बार फिर से वार्ड नंबर 45 से टिकट देकर पूर्व विधायक ने यह साबित कर दिया कि उनके लिए कांग्रेस से बड़ा संबंध है कांग्रेस दूसरे नंबर पर आता है. जबकि युवा चेहरे और कम उम्र में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले पूर्व महापौर शंकर लाल ताम्रकार के पोते एवं सालों से सक्रिय राजनीति करने वाले सौरभ ताम्रकार को मौका ना देकर कांग्रेस ने यह सीट भी हेलीकाप्टर प्रत्याशी उतार कर गवाने की कगार पर खड़ी कर दी है.
वही पिछले बार हुए राजनीतिक समझौते की बात की पूरी जानकारी होने के बावजूद भी वार्ड नंबर 6 से मनीष यादव का पत्ता साफ हो गया और एक बार फिर निष्क्रिय पार्षद की छवि के रूप में वार्ड में चर्चित राजेश यादव को प्रत्याशी घोषित किया गया. वहीं वार्ड नंबर 38 से मनोज सिन्हा को प्रत्याशी घोषित कर यह वार्ड भी भाजपा के खाते में सजाकर देने का कार्य आने वाले समय में कांग्रेस को सिर्फ नुकसान पहुंचाएगा। लगातार कई आरोप वार्ड नंबर 8 के पार्षद अब्दुल गनी पर लगाते आ रहे हैं जो सच भी साबित हो रहे हैं पहले फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे पार्षद बनना फिर बिजली के खंबे की हेरा फेरी के वीडियो प्रमाण होने के बावजूद भी इस बार से अब्दुल गनी को टिकट देना कांग्रेस का आत्मघाती कदम साबित हो सकता है. परंतु दुर्ग में कांग्रेस संगठन का अस्तित्व शून्य है और पूर्व विधायक अरुण वोरा जो आम जनता के लाडले विधायक का दावा करते थे उन्हें जनता ने पिछले विधानसभा चुनाव में आइना दिखा दिया बावजूद उसके वर्तमान समय में टिकट वितरण में जिस तरह से प्रत्याशियों की घोषणा हुई कहीं नहीं कहीं कांग्रेस को ही नुकसान होगा परंतु संबंध बड़ा कांग्रेस छोटा यही नजर आ रहा दुर्ग विधानसभा क्षेत्र में आखिर संगठन दुर्ग विधानसभा क्षेत्र को एक बार फिर भूल गया ऐसा प्रतीत प्रत्याशियों की घोषणा के बाद नजर आ रहा है.
राजनीति में उठापटक और बदलती स्थिति कोई नई बात नहीं है ऐसे में देखना यह होगा कि आने वाले चुनाव में कांग्रेस किस पायदान पर पहुंचती है और संबंधों का क्या महत्व रह जाता है?
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