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टाइम पास अध्यक्ष के सहारे दुर्ग कांग्रेस का मेयर चुनाव कही प्रत्याशी को ना पड़ जाए भारी ...
दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग कांग्रेस संगठन के जिलाध्यक्ष गया पटेल की लापरवाही और बंगले के आका की मनमानी का आरोप लगातार लगता आ रहा है . संगठन के कार्यो की सूझ बुझ कितनी है दुर्ग कांग्रेस जिलाध्यक्ष को ये सभी पिछले कार्यो से ही आंकलन कर सकते है . वही बड़ी बात यह है कि कांग्रेस के जिलाध्यक्ष के लिए पूर्व विधायक वोरा कितने पक्षधर है यह भी किसी से छुपा नहीं है . सेनापति ही विवादों को जन्म दे तो सेना किस हौसले से जंग लड़ेगी किन्तु यहाँ कमजोर सेनापति का समर्थन जिस तरह से दुर्ग कांग्रेस के सर्वेसर्वा बने अरुण वोरा द्वारा किया जा रहा है उससे यही प्रतीत होता है कि कांग्रेस को पूरी तरह गर्त में पहुँचाने के बाद ही शायद पूर्व विधायक को चैन मिलेगा . ऐसे कई वाकया देखने को मिले जिसमे कांग्रेसियों के आपसी जंग के सूत्रधार अरुण वोरा ही नजर आये ऐसे में लगातार विवाद को जन्म देने के बाद भी प्रदेश कांग्रेस संगठन का मौन रहना कही ना कही प्रदेश अध्यक्ष की निष्क्रियता की तरफ भी सवालिया निशाँ लगा रहा है . प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज अपने एसी कार्यालय में बैठकर कांग्रेस को पूर्ण बहुमत से जिताने की बात कर रहे है जबकि विधान सभा में बुरी हार के बाद लोकसभा चुनाव में उससे ज्यादा दुर्गति हुई अब बस नगरीय निकाय चुनाव ही बांकी रह गया यह चुनाव भी कांग्रेस प्रत्याशियों के कारण नहीं वरण कमजोर संगठन के कारण हार की कगार पर नजर आ रहा है . जमीनी स्तर के नेताओ में आज भी जोश है किन्तु संगठन की निष्क्रियता आज समर्पित कार्यकर्ताओ की आशाओ पर पानी फेर रहा है . जिस तरह से हालत नजर आ रहे है उससे यही प्रतीत हो रहा है कि कांग्रेस नेता अरुण वोरा के रिमोट कंट्रोल अध्यक्ष के रूप में गया पटेल भी अपना अस्तित्व ना खो दे वही अब शहर की जनता के साथ कार्यकर्ताओ में भी यह चर्चा होने लगी कि पूर्व विधायक वोरा जिस तरह से 48 हजार वोट से हारने की कगार पर थे तब आधे मतगणना के बीच वापस आ गए किन्तु लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की बड़ी हार आधे राउंड पर ही स्पष्ट हो गयी तब जब सभी कांग्रेसी वापस आने लगे किन्तु वोरा जी पुरे समय मुस्कुराते हुए बड़ी हार के साथ आये तब कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र साहू दुर्ग विधान सभा से लगभग 74 हजार मतों से हारे अब यह चर्चा जोरो पर है कि इस बार क्या वोरा जी का टारगेट और बड़ी हार की ओर है ताकि वही दुर्ग में ऐसे नेता बने जो सबसे कम मतों से हारे हुए माने जाए और आने वाले समय में फिर अपनी दावेदारी पेश करे. चुनावी चर्चाये लगातार कई रूप ले रही है वही आपसी कलह पर राजीव भवन में पूर्व सीएम ने भी पूर्व विधायक और भीतरी घात वाले कांग्रेसियों को इशारो ही इशारो में कड़ी बात कह दी .
एक बार फिर कांग्रेस में खेला हो गया। गंजपारा वार्ड 36 की कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सुरेश गुप्ता को आखिर कांग्रेस का चुनाव चिन्ह नहीं मिल सका। इसकी वजह बी फार्म मे जानबूझकर की गई गड़बड़ी को बताया जा रहा है। शहर कांग्रेस अध्यक्ष गया पटेल ने जो बी फार्म जमा किया उसमें प्रतिभा की जगह प्रीतिमा गुप्ता नाम अंकित किया गया, और न उसमे पति का नाम दिया गया और न पिता का। गंजपारा के कांग्रेसियों का आरोप है कि कतिपय कांग्रेस नेताओं के इशारे पर जान बूझकर प्रतिभा गुप्ता के नाम से छेड़छाड़ किया गया है। अब उन्हें काँग्रेस के हाथ की जगह सिलाई मशीन चुनाव चिन्ह मिला है।
शहर कांग्रेस की इस हरकत से गंजपारा क्षेत्र के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में आक्रोश व्याप्त हो गया है। अब कांग्रेस नेताओं द्वारा कहा जा रहा है कि प्रतिभा गुप्ता का प्रचार प्रसार में उन्हें कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी होने का उल्लेख करो। मगर प्रतिभा गुप्ता के पक्ष का कहना है कि वे पूरे दमखम के साथ निर्दलीय ही चुनाव में उतरेंगे।
गंजपारा वार्ड 36 में अब सिर्फ दो ही प्रत्याशी मैदान में रह गए है। नामांकन के काफी पहले प्रतिभा गुप्ता के समर्थक जनसंपर्क में जुट गए थे। उन्हें आमजनों के बीच बेहतर प्रतिसाद भी मिल रहा था। मगर स्थानीय कांग्रेस के नेताओ को यह मंजूर नहीं था, और सबने मिलकर खेला कर दिया। महापौर चुनाव में भी पार्टी के प्रत्याशी को इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है।
इस चुनाव में कांग्रेस नेताओ ने अपने समर्पित दावेदारों को खूब सताया है। वार्ड 45 में भी आयुष शर्मा को टिकट देने के बाद वापस ले लिया गया। प्रकाश गीते जैसे परंपरागत कार्यकर्ताओ को निर्दलीय उतरना पड़ा। असंतुष्ट कांग्रेस कार्यकर्ताओ के यह समन्वित आक्रोश पार्टी को नुकसान पहुंचाएगा।
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