February 06, 2025
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संगठन में जिला अध्यक्ष बनाने विजय-सरोज में गुटीय संघर्ष तेज Featured

भिलाई में भसीन या शंकरलाल देवांगन तो दुर्ग में दिनेश देवांगन या देवेन्द्र चंदेल के नामों पर लग सकती है मुहर या अरुण सिंह पर संगठन खेलेगा दाव

दुर्ग / शौर्यपथ / भाजपा संगठन में भिलाई-दुर्ग के भाजपा का जिलाध्यक्ष बनाने को लेकर राजनीति में उबाल आ गया है। इसके लिए लोकसभा सांसद विजय बघेल और राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय अपने-अपने समर्थकों के माध्यम से आमने-सामने आ गए हैं। करीबी की ताजपोशी के लिए दोनों नेताओं के बीच गुटीय संघर्ष के हालातों पर जिले भर की राजनीतिक निगाहें टिकी हुई है।
प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय के भिलाई व दुर्ग जिला संगठन के अध्यक्षों की नियुक्ति 15 दिसंबर से पहले कर दिए जाने का संकेत देने के बाद भाजपा की स्थानीय राजनीति में मौसम की ठंडकता के बावजूद गरमाहट भर आई है। अब तक जो सियासी चर्चा सरगर्म है उसके मुताबिक संगठन में अपने समर्थक को जिला अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाने लोकसभा सांसद विजय बघेल और राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। इसके साथ ही दोनों नेताओं के समर्थकों की निगाह प्रदेश भाजपा कार्यालय से होने वाली अधिकृत घोषणा पर टिकी हुई है। हालांकि इस बार के हालात के अनुसार वैशाली नगर विधायक विद्यारतन भसीन को भिलाई भाजपा की कमान मिल सकती है। राजनीति के जानकारों की मानें तो पिछले निगम चुनाव में जिस तरह से भसीन को महापौर प्रत्याशी बनाकर भाजपा के प्रदेश संगठन ने स्थानीय नताओं के गुटीय संघर्ष पर विराम लगाया था। वैसा ही निणय भिलाई जिलाध्यक्ष बनाने में भी लिया जा सकता है। वैसे देखा जाये तो बसीं के लिए जिलाध्यक्ष की खुर्सी इतनी आसान ही नहीं है निष्क्रियता का आरोप हमेशा से भसीन पर लगता रहा है जबकि भाजपा को इस समय ऐसे जिलाध्यक्ष की जरुरत है जो सक्रीय रहे और जमीनी स्तर से कार्यकर्ताओ के साथ समन्वय बना कर चले किन्तु भसीन के जिलाध्यक्ष बन्ने से जमीनी कार्यकर्ताओ में कही ना कही हताशा हो सकती है किन्तु किस्मत के धनी माने जाने वाले भसीन पर भी संगठन अपना दाव लगा सकती है . वैसे अभी तक भिलाई भाजपा जिलाध्यक्ष के लिए सरोज गुट से खिलावन सिंह साहू और विजय खेमे से शंकरलाल देवांगन की दावेदारी चर्चे में है। इसी तरह दुर्ग जिला अध्यक्ष के लिए सरोज खेमा दिनेश देवांगन के नाम को सहमति दिलाने का प्रयास कर रहा है। जबकि विजय बघेल की ओर से देवेन्द्र सिंह चंदेल का नाम आगे किए जाने की चर्चा है। इस बीच यह भी चर्चा सरगर्म है कि प्रदेश संगठन भाजपा के दोनों दिग्गजों के बीच एक-एक जिला अध्यक्ष का बंटवारा कर सकता है। ऐसी स्थिति में भिलाई संगठन विजय बघेल को देकर दुर्ग में सरोज पांडेय की पसंद पर अध्यक्ष बनाए जाने की संभावनाओं को लेकर चर्चा सरगर्म है।
वही दुर्ग जिलाध्यक्ष के लिए भाजपा के कई कार्यकर्ता वार्ड न. 21 के पार्षद अरुण सिंह को भी देखना चाहते है वैसे तो अरुण सिंह निर्दलीय पार्षद के रूप में विजयी हुए है कीनू वर्तमान समय में भी भाजपा के सक्रीय कार्यकत्र्ता है और विजय गुट से सम्बन्ध रखते है . युवाओं में अरुण सिंह को ज्यादा पसंद किया जाता है हिन्दू युवा मंच के द्वारा कई मौको पर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर चुके अरुण सिंह धमधा टोल नाका के आन्दोलन के लिए जाने जाते है संगठन चलाने की कला में माहिर अरुण सिंह युवा जोश से भरपूर है और युवाओं की बहुत बड़ी फौज उनके साथ है वर्तमान समय में दुर्ग जिला भाजपा को जिस तरह का तेज तर्रार अध्यक्ष चाहिए उसके लिए अरुण सिंह से बेहतर कोई नहीं किन्तु दुर्ग में सरोज पाण्डेय के चुने हुए प्रत्याशी ( निगम चुनाव ) संजय सिंह के सामने निर्दलीय मैदान में उतर कर और रिकार्ड मतों से जीत दर्ज कर पार्षद बने अरुण सिंह के लिए इस अध्यक्ष की खुर्सी के लिए सबसे बड़ी दीवार सरोज पाण्डेय के रूप में है अगर अरुण सिंह को सरोज पाण्डेय का समर्थन मिल गया तो दुर्ग जिला अध्यक्ष बनने के सभी रस्ते अरुण सिंह के लिए आसान हो जायेंगे और दुर्ग भाजपा एक बार फिर नए रूप में विपक्ष की मजबूत भूमिका में नजर आएगी किन्तु राजनीती में ये बदलाव आसान नहीं है वही यह भी कह सकते है कि राजनीती में सब संभव है जहां सारी अटकले धराशायी हो जाती है वही एक निष्क्रिय या नया चेहरा भी मैदान में नजर आ जाता है . देखना यह है कि संगठन किस नजरिये से जिलाध्यक्ष के चुनाव में सफलता हांसिल करता है क्योकि गुटीय राजनीती से उबरना वर्तमान समय में प्रदेश की और दुर्ग की राजनीती के लिए संगठन की सबसे बड़ी चुनौती है .
गौरतलब रहे कि तकरीबन डेढ़ साल से भाजपा के संगठन जिला भिलाई और दुर्ग के नये अध्यक्ष चयन का मामला लंबित है। इसके लिए बड़े नेताओं की अपने करीबी समर्थकों की राजपोशी सुनिश्चित कराने के लिए मची खींचतान को काफी हद तक जिम्मेदार माना जा सकता है। मौजूदा राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पाडेंय के वर्ष 2009 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने के साथ ही भिलाई व दुर्ग के भाजपा संगठन में उनका वर्चस्व कायम रहा है। इस बार भी सरोज समर्थक दोनों संगठन जिलों में अपना अध्यक्ष बनाने कोई कसर छोड़ते नहीं दिख रहे हैं। लेकिन इस बार समीकरण काफी बदल सा गया है। सरोज गुट को लोकसभा सांसद विजय बघेल समर्थकों से कड़ी चुनौती मिलती दिख रही है।
यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि संगठन चुनाव के तहत बूथ और मंडल अध्यक्षों की चयन सूची सार्वजनिक होते ही लोकसभा सांसद विजय बघेल ने खुलकर विरोध जताया था। विजय बघेल को पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय, श्रीमती रमशीला साहू, विधायक विद्यारतन भसीन और पूर्व विधायक डोमनलाल कोर्सेवाड़ा के साथ-साथ उनके समर्थकों का स्वस्फूर्त समर्थन मिला। विजय बघेल ने सदस्यता अभियान और बूथ व मंडल अध्यक्षों के चयन प्रक्रिया को फर्जी करार देते हुए प्रदेश व राष्ट्रीय संगठन तक शिकायतें की। जिसके बाद भिलाई व दुर्ग जिलाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया को टाल दिया गया। लगभग डेढ़ साल से भिलाई और दुर्ग जिला संगठन अपने कार्यकाल खत्म कर चुके अध्यक्षों के नेतृत्व में ही सांगठनिक गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।
अब जब 15 दिसंबर तक नये जिलाध्यक्षों की घोषणा हो जाने की चर्चा है तो भाजपा की स्थानीय गुटबाजी को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि आम सहमति बनाना राजधानी के बड़े नेताओं के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।

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