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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
शौर्यपथ लेख / मैं देख रहा हूं की आज युवा बहुत बुझा बुझा सा नजर आ रहा है। ये हताशा ठीक नहीं आक्रमकता जरुरी है। उस आक्रमकता की दिशा राजनीतिक नहीं बल्कि स्वयं से जुड़े मुद्दों के लिए होना चाहिए। आक्रमकता का हमें अपने हितों व समस्याओं के ध्यानाकर्षण के लिये उपयोग करना चाहिए।
यह आक्रामकता हम में तभी आ पाएगी जब हम उस अवसर वादियों के संदेश वाहक की भूमिका को छोड़ देंगे। और अपने जीवन की खुशियों का आधार रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोटी, कपड़ा और मकान जैसी है जरूरी बातों के संदेश वाहक बन जाऐंगे। आपको अब जनसंवाद के हर प्लेटफार्म से सिर्फ अपनी और अपनों की बात करने का संकल्प लेना होगा। राजनैतिक, नफरत फैलाती, एक दूसरे को छोटा आंकती व गैर जरुरी बातों का कैरियर बनना बंद करना होगा। अगर आपने यह बंद नहीं किया तो अततः सिर्फ हताशा हाथ लगेगी। युवाओं में हताशा अर्थात एक पूरी पीढ़ी का हार जाना होता है। जबकि युवा प्रतीक होता है प्रतिकूल परिस्थितियों से नौका को बाहर निकाल कर लाने का। तूफान के सामने चट्टान बन खड़े हो जाने का। इस भावना को जीवित रखियेगा। संपूर्ण समाज आपको बहुत आशा भरी नजरों से देख रहा है।
चुनौती हमेशा प्रसन्नचित्त स्फूर्तिवान युवा ही दे सकता है। हताश युवा कभी भी चुनौती नहीं बन सकता। अवसरवादी यही चाहते हैं कि उनके सामने कोई चुनौती ना हो। इसलिए वह कभी नहीं चाहेंगे कि आप हताशा से बाहर आयें। इतिहास गवाह है कि नफरत की भट्ठी के ईंधन हमेशा युवा ही रहे हैं। अवसर वादियों के एजेंडे का बोझ हमाल बनकर सदा युवा ही उठाते रहे हैं। वक्त आ गया है कि जवाबदारों को यह बात समझा दी जाये कि उनने अगर आपके जीवन को सच्चा व अच्छा करने के लिये ठोस कदम नहीं उठाये तो आपकी नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।
जिस दिन आप व्यवस्था के जवाबदारों को यह संदेश देने में सफल हो जायेंगे की आप अब उसी के साथ खड़े होंगे जो आपकी बातों के प्रति गंभीर है। तो यकीन मानिये नफरत, दूसरे को नीचा दिखाने, भारत पाकिस्तान चीन का तुलनात्मक अध्ययन करने जैसे मुद्दों को आगे कर आपका ध्यान बांटने, आपका समर्थन लेने की उनकी रणनीति में भी सार्थक परिवर्तन आ जायेगा। अब वे रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी जरुरी बातें करने लगेंगे। हमें जवाबदारों को मजबूर करना होगा है कि वे आपके लिये रोजगार, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था करें। उस दिशा में गंभीरता से सोचना शुरू करें। अगर ये तीन बातें पूरी हो गयी तो रोटी कपड़ा और मकान की व्यवस्था करने में आप स्वयं ही सक्षम हो जायेंगे। स्वामी विवेकानंद जी का यह संदेश "उठो जागो और जब तक आप अपने अंतिम ध्येय तक नहीं पहुंच जाते हो तब तक चैन मत लो" आज हर युवा को आत्म सात करने की जरुरत है। इससे निरंतर आगे बढ़ने की व परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति मिलेगी।
व्यवस्थाएं हम से ही बनती हैं। हमारे कारण ही बिगड़ती हैं। हम ही उसके बिगड़े स्वरूप सुधार सकते हैं। इस बात को गांठ बांध लीजिए।
जय हिंद ....
राजेश बिस्सा की कलम से (लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक )
विनोद रायसागर की रिपोर्ट ..
मुंगेली / शौर्यपथ / देश में कोरोना संकट के कारण साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखा जा रहा है एवं सोशल डिस्टेंस और सुरक्षा की बात पर हर कोई पहल कर रहा है किन्तु इन सबके बीच मुंगेली के नमकीन पदार्थ निर्माता राम तलेजा के लघु उद्योग नमकीन निर्माण फेक्ट्री में जिस तरह से खाने के सामान के निर्माण में अनियमितता और गंदगी बरती जा रही है उससे तो ऐसा प्रतीत होता है कि व्यापारी को किसी के जान से कोई मतलब नहीं स्वास्थ्य से मतलब नहीं मतलब है तो सिर्फ रूपये कमाने से . रुपया कमाने की ऐसी प्रवित्ति वाले व्यापारी पर जिला प्रशासन ने कार्यवाही तो कर दी किन्तु क्या सिर्फ कार्यवाही ही ऐसे व्यापारी की सजा है जिसे संकट में भी सिर्फ कमाई की चिंता है वो भी आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करके .
मामला है नया बस स्टैंड मुंगेली के नमकीन व्यापारी राम तलेजा के सलौनी नमकीन फैक्टरी मे छापेमारी की कार्रवाई की गई. छापेमारी के दौरान फैक्टरी मे सलौनी निर्माण हेतु उनके कर्मचारी द्वारा बिना मास्क लगाये एवं पैर से मैदा को मिलाया जा रहा था और सलौनी तला जा रहा था . फैक्टरी मे साफ-सफाई का भी अभाव था. सलौनी के पैकिंग मे न ही निर्माण कम्पनी का नाम और न ही निर्माण तिथि, वैधता तिथि और न ही दर का उल्लेख किया गया था. इनके विरूद्ध भी प्रकरण पंजीबद्ध कर वैधानिक कार्रवाई की गयी.
मुंगेली की आम जनता में चर्चा है कि ऐसे व्यापारी का लाइसेंस निरस्त कर देना चाहिए जो संक्रमण के दौर में भी ऐसी लापरवाही बार्ट रहा है . शासन अपने नियम अनुसार कार्यवाही कर रही है पर जनता को उम्मीद है कि शासन इस मामले पर ऐसी कार्यवाही करेगी जो आने वाले समय में मिसाल के रूप में कायम होगी .
कार्यवाही sdm चार्ली ठाकुर , तहसीलदार अमित सिन्हा , जिला खाद्य अधिकारी विमल दुबे एवं निगम अमले के कर्मचारियों की उपस्थिति में हुई .
नई दिल्ली / शौर्यपथ /
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को 50 क्षेत्रीय पत्रकारों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की। इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि देश में आर्थिक तूफान अभी आया नहीं है, आने वाला है। राहुल गांधी ने कहा कि आज हमारे गरीब लोगों को पैसे की जरूरत है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध कर रहा हूं कि उन्हें इस पैकेज पर पुनर्विचार करना चाहिए। उने सीधे बैंक ट्रांसफर पर सोचना चाहिए। मनरेगा के तहत 200 दिन का रोजगार दिया जाए।
राहुल गांधी ने आगे कहा कि जब बच्चों को चोट लगती है तो मां बच्चे को कर्ज नहीं देती है, वो एकदम मदद करती है। भारत माता को अपने बच्चों के लिए साहूकार का काम नहीं करना चाहिए। उसे बच्चों को एकदम पैसा देना चाहिए। जो प्रवासी मजदूर सड़क पर चल रहा है उसे कर्ज की नहीं जेब में पैसे की जरूरत है।
आगे कहा कि मैंने सुना है कि पैसे न देने का कारण रेटिंग है,अगर आज हमने थोड़ा घाटा बढ़ा दिया तो बाहर की एजेंसियां भारत की रेटिंग कम कर देंगी और हमारा नुकसान होगा। मैं पीएम से कहना चाहता हूं कि हमारी रेटिंग किसान, मजदूर बनाते हैं। आज उन्हें हमारी जरूरत है,रेटिंग के बारे में मत सोचिए।
नई दिल्ली/ शौर्यपथ / सीएए के विरोध में दिल्ली के यमुना पार में हुए दंगों में पाकिस्तान कनेक्शन की जानकारी मिली है। आईबी और एनआईए को यह जानकारी दी गई है। दिल्ली पुलिस के दावों के मुताबिक फरवरी में जो दंगे हुए थे वो एकाएक नहीं बल्कि एक साजिश के तहत किये गए थे। जांच में सामने आया है कि दंगे में खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक- ए- इंसाफ की बड़ी भूमिका थी। इसके कहने पर ये साजिश रची गयी थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस एक सप्लीमेंट्री चार्ज शीट देगी।
पाकिस्तान तहरीक- ए- इंसाफ की स्टूडेंट विंग ने भारत की छवि को विश्व में खराब करने के लिए सोशल मीडिया पर दंगा कराने की बड़ी साजिश रची थी। इसी के तहत जफराबाद मेट्रो स्टेशन पर महिलाओं का धरना सहित मस्जिद की तोडफ़ोड़ के वीडियो सोशल मीडिया पर भेजे गए थे जिसके बाद ये दंगे भड़के।
अब तक कि जांच के तहत इंसाफ स्टूडेंट विंग ने भारत में दंगे भड़काने के मकसद से दंगे के वक्त महज 16 दिन में तीन हजार से अधिक नए ट्वीटर हैंडल्स बनाए और उसके जरिये हजारों की संख्या में भारत के खिलाफ पोस्ट शेयर किए थे।
ताहिर को बनाया मोहरा
आम आदमी पार्टी से निलंबित हो चुके पार्षद ताहिर हुसैन को सोशल मीडिया के जरिये जोड़ा गया था। दिल्ली पुलिस इस मामले में अब ताहिर हुसैन के खिलाफ देशद्रोह की धारा लगाकर जांच करेगी।
3562 ट्वीटर एकाउंट सहित फेसबुक पर 372 वीडियो थे बने
दंगों के दौरान 16 दिनों में ही इंसाफ स्टूडेंट विंग ने 3582 नए ट्वीटर अकाउंट बनाए और अलग-अलग फर्जी हैशटैग के जरिये दुनियाभर में भड़काऊ पोस्ट करने शुरू कर दिए। इसके अलावा 372 भड़काऊ वीडियो भी बनाये गए थे। जिसमें ये संदेश देने की कोशिश की गई कि भारत में मुसलमान सुरक्षित नहीं हैं। इस साजिश के जरिये अंतराष्ट्रीय स्तर पर हिंदुस्तान की छवि को खराब करने की कोशिश की।
शौर्यपथ / कोरोना का संक्रमण पूरी दुनिया में आतक फैला रखा है . कोरोना इलाज का कोई वेक्सिन अभी तक तैयार नहीं हुआ है . दुनिया भर के वैज्ञानिक कोशिश में लगे हुए है . कोरोना से दुनिया के ताकतवर देश अमेरिका की स्थिति बिगड़ चुकी है लगातार मौते और संकर्मित व्यक्तियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है . कोरोना से बचने का इलाज सफाई और सोशल डिस्टेंस ही है . हो सकता है कि दुनिया को अब कोरोना के साथ ही जीना पड़ सकता है .
मानव जाति परेशानियों का सामना करते हुए जिन्दगी जीने के उपाय खोज ही लेती है और यही हो रहा है वर्तमान में .
भारत जैसा विशाल देश १३० करोड़ की जनसँख्या वाले देश में वर्तमान में कोरोना मरीजो की संख्या ८० हजार के पार तो पहुँच गयी किन्तु इन विकत परिस्थिति में भी भारत जीने के तरीके निकाल ही लेता है . कोरोना के संकट से आर्थिक हानि तो हुई ही है और बेरोजगारी का आलम भी उच्च स्तर पर है किन्तु इतने नकारात्मक स्थिति में अगर सकारात्मक दृष्टी से देखा जाए तो ऐसे कई बाते हुई है संकट के इस काल में जो एक स्वप्न की तरह प्रतीत होता था किन्तु अब यतार्थ हो गया है .
क्या कभी ऐसा सोंचा गया था कि रात की जगमगाहट और रंगीन दुनिया के बैगर कई उच्च वर्ग रह सकता है किन्तु ये सत्य हो गया लोच्ज्क डाउन के लगभग दो माह हो गए पर ऐसा कोई भी मामला सामना नहीं आया जो ये कहे कि रात की रंगीनी का आनंद नहीं लेने से जिन्दगी नरक बन गयी . बिना पिज्जा के , बिना माल जाए , बिना नाईट पार्टी किये , बिना लॉन्ग ड्राइव का आनंद लिए , बिना ग्रुप पार्टी किये , बिना सन्डे पार्टी किये भी जिन्दगी चल रही है और बहुत अच्छी चल रही है . हालाँकि कोरोना संकट में भारत की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गयी किन्तु आत्म निर्भर योजना के तहत केंद्र सरकार के लाखो हजारो करोड़ के पैकेज से जिन्दगी की पटरी पर लाने की कोशिश केंद्र सरकार राज्य सरकारों की मदद से कर रही है . जिन्दगी फिर सामान्य स्थिति पर आ जाएगी .
इस कोरोना संकट में भारत की नदिया शुद्ध और साफ़ हो गयी , प्रदूषित शहरो से प्रदुषण की मानक कम हो गयी , भारतीय संस्कृति के परिचायक राम राम ( एक दुसरे का अभिवादन ) का प्रचालन फ़ैल गया , रात्री के समय होने वाले जुर्म कम हो गए , साफ़ सफाई के विशेष ध्यान से छोटी मोटी बीमारियों में कमी आ गयी , व्यक्ति अपने परिवार को समय देने लगा , घर में स्वर्ग सार्थक होने लगा , पड़ोसियों से सम्बन्ध में नजदीकिय आयी , सुबह का वातावरण स्वकक्ष लगने लगा , इंसान अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने लगा .
सोंचिये कोरोना संकट के समय कार्य की और व्यापार की जो समय सीमा तय हुई है उस तय सीमा को अगर सर्वकालिक लागू कर दिया जाए तो भारतीय संस्कृति जो दुनिया की सबसे पुराणी संस्कृति है एक बार फिर आचरण में आ जाएगी और जीवन कितना सरल हो जाएगा ...
धमतरी/नगरी शौर्यपथ
धमतरी/नगरी शौर्यपथ*
गुरुवार 14 मई के दिन, ग्राम गोरेगांव निवासी कृष्ण कुमार मण्डावी की कृषि ऋण पुस्तिका गुम हो जाने की शिकायत नगरी थाने में की गई है ।
कृष्ण कुमार मंडावी कृषि संबंधी अवश्यक कार्य से नगरी तहसील कार्यालय पहुंचकर, बाईक में रखा थैला को खोला तो उनकी तीनों ऋण पुस्तिका गायब थी।
नगरी में जिन स्थानों पर गए थे वहाँ खोजबीन करने के पश्चात। नगरी थाना में शिकायत दर्ज कराई*
तेंदूपत्ता संग्रहण केंद्रों में सोशल डिस्टेंसींग नही रखा जा रहा है ध्यान
धमतरी/नगरी शौर्य पथ
दीपेश निषाद की रिपेर्ट
तेंदूपत्ता संग्रहण केंद्रों में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रखा जा रहा है । मास्क का प्रयोग भी नही कर रहे हैं।
ग्राम पंचायत अमाली के तेंदूपत्ता संग्रहण केंद्र में बड़ी लापरवाही देखी गई।
अमाली सेंटर में तेंदूपत्ता लेकर आये ग्रामीण न तो सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रख रहे हैं, न ही मास्क का प्रयोग कर रहे हैं ।
हद तो तब हो गई जब केंद्र के प्रबंधक भी इन नियमों की नियमों का पालन नही कर रहें है।
प्रबंधक ने स्वयं मास्क लगाना जरूरी नहीं समझा ।
ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी लोग कोरोना महामारी की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं ।
Covid 19 pandemic के खतरे के प्रति जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है।
रायपुर / शौर्यपथ लेख / डॉ रमन सिंह छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री जिन्होंने १५ साल छत्तीसगढ़ पर राज किया . छत्तीसगढ़ में चाउर वाले बाबा से लेकर दारु वाले बाबा तक का सफ़र किया . छत्तीसगढ़ में खनिज का अकूत भण्डार है , छत्तीसगढ़ देश के पिछड़े राज्यों की गिनती में आने का श्री अगर डॉ सिंह को दे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी १५ साल सत्ता में रहने के बाद भी डॉ साहब ने छत्तीसगढ़ में रोजगार के कोई बड़े कार्य किये हो ऐसा प्रतीत नहीं होता . अगर छत्तीसगढ़ में बड़े स्तर पर रोजगार होता तो छत्तीसगढ़ राज्य से इतने मजदुर पलायन नहीं करते . छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ के मूल निवासी अपनी बोली को खुले रूप में कहने पर भी शर्म करते थे डॉ रमन के राज में छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी , धान के बोनस का वादा , स्तरहीन मोबाइल वितरण , टेबलेट वितरण , नान घोटाला जैसे कई घोटाले उजागर हुए . प्रदेश में असली मायने में देखा जाए तो छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों का राज २०१८ के बाद आया जब छत्तीसगढ़ी बोली बड़े शान से कही जाने लगी .
वर्तमान में कोरोना संकट सिर्फ छत्तीसगढ़ पर ही नहीं पुरे विश्व पर आया हुआ है और प्रदेश के साथ देश के मुखिया भी इस संकट से निपटने के लिए प्रयासरत है . प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली का ही असर है कि छत्तीसगढ़ में लॉक डाउन के लगभग ५० दिनों बाद जिन्दगी पत्री पर दौड़ने लगी है छोटे बड़े सरे व्यापार खुल रहे है बाहर से आने वालो पर कड़ी नजर राखी जा रही है संदेह की स्थिति में तुरंत इलाज मुहैय्या कराई जा रही है अधिकारी कर्मचारी लगातार क्षेत्र पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है प्रदेश में ऐसी कोई दुर्घटना नहीं हुई जो चर्चा का विषय बने भूख से छत्तीसगढ़ में किसी की मौत हुई हो वर्तमान संकट में ऐसा भी नहीं हुआ , संक्रमण से किसी की मौत हुई हो ऐसा भी नहीं हुआ , प्रवासी राज्यों के परिवारों को भी कोई तकलीफ हुई हो ऐसा भी कही नहीं दिखा . प्रदेश सरकार की निरंतर कोशिश है कि प्रदेश के मूल निवासी ही नहीं अन्य राज्यों के निवासी जो छत्तीसगढ़ में है उनकी भी फ़िक्र है छत्तीसगढ़ से पलायन करने वाले कम ही नजर आ रहे है एवं छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों से आने वाले निरंतर आ रहे है . प्रदेश सर्कार अन्य प्रदेशो में फसे हुए श्रमिको को लाने का निरंतर प्रयास कर रही है जो लगातार सफल भी हो रही है साथ ही छत्तीसगढ़ से गुजरने वालो श्रमिको के लिए भी भोजन की व्यवस्था जगह जगह की जा रही है इसके लिए राजमार्ग पर विभिन्न स्थानों में केम्प लगाए गए है .
देश में छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य है जहा कोरोना के मरीज की संख्या ५९ है और स्वस्थ होने वालो की संख्या ५५ एवं कुल मौते की संख्या नगण्य . छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों से आने वाले श्रमिको के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है ऐसे में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री को संकट के समय छत्तीसगढ़ के श्रमिक जो अन्य राज्यों में फसे है उन्हें लागे की पहल करनी चाहिए और केंद्र की भाजपा सरकार से निवेदन करना चाहिए कि गुजरात , उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में लाखो की संख्या में फसे श्रमिको का ख्याल रखे व उन्हें सकुशल छत्तीसगढ़ जल्द से जल्द भेजने की व्यवस्था करे . ऐसा करके डॉ सिंह छत्तीसगढ़ के श्रमिको का हित करते हुए एक नेक कार्य करने के लिए पहचाने जा सकते है . वर्तमान स्थिति में छत्तीसगढ़ के हर जनप्रतिनिधि का कर्तव्य है कि छत्तीसगढ़ में संकट से जंग लड़ना और जीतना इसमें सभी के सहयोग की ही अपेक्षा है ना कि राजनीती करण की .
नई दिल्ली / एजेंसी / वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अपनी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत दूसरी किश्त के बारे में जानकारी दी. उन्होंने प्रवासी मज़दूरों के लिए अगले दो महीने तक मुफ़्त राशन की घोषणा की और बताया कि अपने राज्यों में लौटे मज़दूरों के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को 11 हज़ार करोड़ रुपये की राशि दी है. इस किश्त में प्रवासी मज़दूरों, रेहड़ी-पटरी पर सामान बेचने वालों, छोटे किसानों और ख़ुद का रोज़गार करने वालों को प्रमुखता दी गई.
नौ चरणों में किए गए इन ऐलानों में से तीन प्रवासी मज़दूरों, एक रेहड़ी-पटरी विक्रेताएं और अपना रोज़गार करने वाले लोगों और दो छोटे किसानों और एक हाउसिंग सेक्टर के लिए थे.
प्रवासी मज़दूरों के लिए मुख्य ऐलान
अगले दो महीनों तक सभी प्रवासी मज़दूरों को मुफ़्त अनाज दिया जाएगा. इस योजना का लाभ उन मज़दूरों को भी मिलेगा जो खाद्य सुरक्षा क़ानून के दायरे में नहीं आते और जिनके पास राशन कार्ड नहीं है. ऐसे आठ करोड़ प्रवासी मज़दूरों के लिए 3500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
अगले दो महीनों तक हर प्रवासी मज़दूर परिवार को पांच-पांच किलो गेहूं या चावल और एक किलो चना मिलेगा. इस योजना को लागू कराने की ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों की है.
'वन नेशन, वन राशन कार्ड' योजना के तहत मज़दूर चाहे देश के किसी भी कोने में हों, वहां के राशन डिपो से अपने हिस्से का अनाज ले सकते हैं. इसका फ़ायदा उन सभी प्रवासी मज़दूरों को मिल पाएगा जो रोज़गार के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं.
जो प्रवासी मज़दूर अपने राज्यों में वापस गए हैं, उनकी मदद करने के लिए 10 हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च किए जा चुके हैं.
प्रवासी मज़दूरों और शहरी ग़रीबों को कम कीमत पर किराए के मकान मिल सके, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इसका इंतज़ाम किया जाएगा. राज्य सरकारें और उद्योगपति भी इसमें अपना योगदान करेंगे. इसके लिए सरकार ने मार्च 2021 तक का लक्ष्य रखा है. यह व्यवस्था पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के तहत की जाएगी.
असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले सिर्फ़ 30 फ़ीसदी मज़दूर ही न्यूनतम वेतन का फ़ायदा उठा पाते हैं. पूरे देश में एक जैसा न्यूनतम वेतन लागू किया जाएगा ताकि क्षेत्रीय असमानता दूर हो. इसे क़ानूनी रूप दिया जाएगा.
मज़दूरों को अपॉइंटमेंट लेटर (नियुक्ति पत्र) दिया जाएगा. साल में एक बार उनका हेल्थ चेकअप अनिवार्य होगा और ख़तरनाक परिस्थितियों में काम करने वाले मज़दूरों का सामाजिक सुरक्षा स्कीमों के ज़रिए ध्यान दिया जाएगा.
मज़दूरों की दिहाड़ी 182 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 202 रुपये प्रतिदिन कर दी गई है. नाबार्ड (नेशनल बैंक फ़ॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलेपमेंट) ने ग्रामीण और सहकारी बैंकों को 29,500 करोड़ रुपये की मदद दी है. 25 लाख किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं. तीन करोड़ किसानों तक मदद पहुंचाई गई है. सरकार लॉकडाउन में भी लगातार काम कर रही है.
रेहड़ी-पटरी वालों और किसानों के लिए मुख्य ऐलान
रेहड़ी-पटरी वालों और घरों में काम करने वालों के लिए पांच हज़ार करोड़ रुपये की सहयोग राशि का ऐलान. इससे हर व्यक्ति को 10 हज़ार रुपये तक का कर्ज़ मिल सकेगा. सरकार इस योजना को एक महीने के भीतर लॉन्च कर देगी. लगभग 50 लाख लोगों को इसका फ़ायदा मिलेगा.आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार पैदा करने के लिए 6,000 करोड़ रुपये के कैंपा फ़ंड का ऐलान. इस योजना को अर्ध शहरी इलाकों में भी लागू किया जा सकता है. तीन करोड़ के लगभग छोटे और सीमांत किसानों के लिए 30 हज़ार करोड़ रुपये की अतिरिक्त सुविधा का ऐलान. ये धनराशि नाबार्ड द्वारा दिए जाने वाले 90 हज़ार करोड़ रुपये से अलग है. क्षेत्रीय और सहकारी बैंक ये मदद किसानों तक पहुंचाएंगे. किसानों के लिए 30 हज़ार एडिशनल इमर्जेंसी वर्किंग कैपिटल फ़ंड बनाए जा रहे हैं. दो लाख करोड़ रुपये की राशि किसानों, पशुपालन और मछली के व्यवसाय में लगे लोगों को रियायती दर पर कर्ज़ देने के लिए निर्धारित की गई है.
हाउसिंग और मध्य वर्ग के लिए मुख्य ऐलान
मुद्रा शिशु ऋण श्रेणी में आने वालों के लिए 1 लाख 62 हज़ार करोड़ रुपये अब तक ख़र्च किए गए हैं. इससे लगभग तीन करोड़ लोगों को 1500 करोड़ रुपये का फ़ायदा मिलेगा. उनके ब्याज़ में दो फ़ीसदी का ख़र्च केंद्र सरकार उठाएगी.
हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए मध्यम आय वर्ग को 70 हज़ार करोड़ का बढ़ावा देने वाली योजना का ऐलान किया जाता है. इस योजना को 31 मार्च, 2021 तक के लिए बढ़ा दिया गया है. लगभग ढाई लाख लोगों को इसका फ़ायदा मिलेगा.
ब्रीफ़िंग की कुछ अन्य प्रमुख बातें
पिछले दो महीनों में कृषि क्षेत्र के लिए 86,000 करोड़ के बराबर राशि के 63 लाख लोन मंज़ूर किए गए. मार्च-अप्रैल का महीना खेती और अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, इसलिए सरकार ने ये फ़ैसला लिया.
तीन करोड़ के लगभग किसानों ने कम दरों पर दिए जाने वाले लोन का फ़ायदा उठाया है.
केंद्र सरकार अपने ख़र्चे पर शहरों में रहने वाले बेघर लोगों को तीन वक़्त का खाना दे रही है. 2.33 करोड़ प्रवासी मज़दूरों को पंचायतों में काम मिला है.
कोरोना संकट के दौरान 12 हज़ार स्वयंसेवी समूहों ने तीन करोड़ से ज़्यादा मास्क और 1.2 लाख लीटर सैनिटाइज़र बनाया. पिछले दो महीनों में शहरी ग़रीबों की मदद के लिए 7,200 नए स्वयंसेवी समूह बनाए गए.
इससे पहले बुधवार को हुई प्रेस कॉन्फ़्रेंस में निर्मला सीतारमण ने छह लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था. इसके तहत लघु उद्योगों को तीन लाख करोड़ रुपये लोन बिना गारंटी देने की बात कही गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को देश के नाम सम्बोधन में देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और अलग-अलग वर्गों के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया था.