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नई दिल्ली / एजेंसी / वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अपनी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत दूसरी किश्त के बारे में जानकारी दी. उन्होंने प्रवासी मज़दूरों के लिए अगले दो महीने तक मुफ़्त राशन की घोषणा की और बताया कि अपने राज्यों में लौटे मज़दूरों के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को 11 हज़ार करोड़ रुपये की राशि दी है. इस किश्त में प्रवासी मज़दूरों, रेहड़ी-पटरी पर सामान बेचने वालों, छोटे किसानों और ख़ुद का रोज़गार करने वालों को प्रमुखता दी गई.
नौ चरणों में किए गए इन ऐलानों में से तीन प्रवासी मज़दूरों, एक रेहड़ी-पटरी विक्रेताएं और अपना रोज़गार करने वाले लोगों और दो छोटे किसानों और एक हाउसिंग सेक्टर के लिए थे.
प्रवासी मज़दूरों के लिए मुख्य ऐलान
अगले दो महीनों तक सभी प्रवासी मज़दूरों को मुफ़्त अनाज दिया जाएगा. इस योजना का लाभ उन मज़दूरों को भी मिलेगा जो खाद्य सुरक्षा क़ानून के दायरे में नहीं आते और जिनके पास राशन कार्ड नहीं है. ऐसे आठ करोड़ प्रवासी मज़दूरों के लिए 3500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
अगले दो महीनों तक हर प्रवासी मज़दूर परिवार को पांच-पांच किलो गेहूं या चावल और एक किलो चना मिलेगा. इस योजना को लागू कराने की ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों की है.
'वन नेशन, वन राशन कार्ड' योजना के तहत मज़दूर चाहे देश के किसी भी कोने में हों, वहां के राशन डिपो से अपने हिस्से का अनाज ले सकते हैं. इसका फ़ायदा उन सभी प्रवासी मज़दूरों को मिल पाएगा जो रोज़गार के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं.
जो प्रवासी मज़दूर अपने राज्यों में वापस गए हैं, उनकी मदद करने के लिए 10 हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च किए जा चुके हैं.
प्रवासी मज़दूरों और शहरी ग़रीबों को कम कीमत पर किराए के मकान मिल सके, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इसका इंतज़ाम किया जाएगा. राज्य सरकारें और उद्योगपति भी इसमें अपना योगदान करेंगे. इसके लिए सरकार ने मार्च 2021 तक का लक्ष्य रखा है. यह व्यवस्था पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के तहत की जाएगी.
असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले सिर्फ़ 30 फ़ीसदी मज़दूर ही न्यूनतम वेतन का फ़ायदा उठा पाते हैं. पूरे देश में एक जैसा न्यूनतम वेतन लागू किया जाएगा ताकि क्षेत्रीय असमानता दूर हो. इसे क़ानूनी रूप दिया जाएगा.
मज़दूरों को अपॉइंटमेंट लेटर (नियुक्ति पत्र) दिया जाएगा. साल में एक बार उनका हेल्थ चेकअप अनिवार्य होगा और ख़तरनाक परिस्थितियों में काम करने वाले मज़दूरों का सामाजिक सुरक्षा स्कीमों के ज़रिए ध्यान दिया जाएगा.
मज़दूरों की दिहाड़ी 182 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 202 रुपये प्रतिदिन कर दी गई है. नाबार्ड (नेशनल बैंक फ़ॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलेपमेंट) ने ग्रामीण और सहकारी बैंकों को 29,500 करोड़ रुपये की मदद दी है. 25 लाख किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं. तीन करोड़ किसानों तक मदद पहुंचाई गई है. सरकार लॉकडाउन में भी लगातार काम कर रही है.
रेहड़ी-पटरी वालों और किसानों के लिए मुख्य ऐलान
रेहड़ी-पटरी वालों और घरों में काम करने वालों के लिए पांच हज़ार करोड़ रुपये की सहयोग राशि का ऐलान. इससे हर व्यक्ति को 10 हज़ार रुपये तक का कर्ज़ मिल सकेगा. सरकार इस योजना को एक महीने के भीतर लॉन्च कर देगी. लगभग 50 लाख लोगों को इसका फ़ायदा मिलेगा.आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार पैदा करने के लिए 6,000 करोड़ रुपये के कैंपा फ़ंड का ऐलान. इस योजना को अर्ध शहरी इलाकों में भी लागू किया जा सकता है. तीन करोड़ के लगभग छोटे और सीमांत किसानों के लिए 30 हज़ार करोड़ रुपये की अतिरिक्त सुविधा का ऐलान. ये धनराशि नाबार्ड द्वारा दिए जाने वाले 90 हज़ार करोड़ रुपये से अलग है. क्षेत्रीय और सहकारी बैंक ये मदद किसानों तक पहुंचाएंगे. किसानों के लिए 30 हज़ार एडिशनल इमर्जेंसी वर्किंग कैपिटल फ़ंड बनाए जा रहे हैं. दो लाख करोड़ रुपये की राशि किसानों, पशुपालन और मछली के व्यवसाय में लगे लोगों को रियायती दर पर कर्ज़ देने के लिए निर्धारित की गई है.
हाउसिंग और मध्य वर्ग के लिए मुख्य ऐलान
मुद्रा शिशु ऋण श्रेणी में आने वालों के लिए 1 लाख 62 हज़ार करोड़ रुपये अब तक ख़र्च किए गए हैं. इससे लगभग तीन करोड़ लोगों को 1500 करोड़ रुपये का फ़ायदा मिलेगा. उनके ब्याज़ में दो फ़ीसदी का ख़र्च केंद्र सरकार उठाएगी.
हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए मध्यम आय वर्ग को 70 हज़ार करोड़ का बढ़ावा देने वाली योजना का ऐलान किया जाता है. इस योजना को 31 मार्च, 2021 तक के लिए बढ़ा दिया गया है. लगभग ढाई लाख लोगों को इसका फ़ायदा मिलेगा.
ब्रीफ़िंग की कुछ अन्य प्रमुख बातें
पिछले दो महीनों में कृषि क्षेत्र के लिए 86,000 करोड़ के बराबर राशि के 63 लाख लोन मंज़ूर किए गए. मार्च-अप्रैल का महीना खेती और अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, इसलिए सरकार ने ये फ़ैसला लिया.
तीन करोड़ के लगभग किसानों ने कम दरों पर दिए जाने वाले लोन का फ़ायदा उठाया है.
केंद्र सरकार अपने ख़र्चे पर शहरों में रहने वाले बेघर लोगों को तीन वक़्त का खाना दे रही है. 2.33 करोड़ प्रवासी मज़दूरों को पंचायतों में काम मिला है.
कोरोना संकट के दौरान 12 हज़ार स्वयंसेवी समूहों ने तीन करोड़ से ज़्यादा मास्क और 1.2 लाख लीटर सैनिटाइज़र बनाया. पिछले दो महीनों में शहरी ग़रीबों की मदद के लिए 7,200 नए स्वयंसेवी समूह बनाए गए.
इससे पहले बुधवार को हुई प्रेस कॉन्फ़्रेंस में निर्मला सीतारमण ने छह लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था. इसके तहत लघु उद्योगों को तीन लाख करोड़ रुपये लोन बिना गारंटी देने की बात कही गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को देश के नाम सम्बोधन में देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और अलग-अलग वर्गों के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया था.
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