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प्रधानमंत्री के हाथों 13 दिसंबर को इसके लोकार्पण का कार्यक्रम तय हो चुका है. इसके मुआयने के लिए खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार आ चुके हैं. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण पर पूरे जिले में आम लोगों की मदद से उत्सव का माहौल बनाया जाएगा.
नई दिल्ली /शौर्यपथ/
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे. वह वाराणसी पहुंच गए हैं, और उन्होंने प्राचीन कालभैरव मंदिर में पूजा-अर्चना की. इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं फेसबुक पर काशी विश्वनाथ धाम की तस्वीरें साझा कीं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई हस्तियां भी वाराणसी पहुंच चुकी हैं. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण को लेकर पूरे जिले में उत्सव का माहौल है. कॉरिडोर के उद्घाटन के साथ पीएम मोदी कई अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. उनका बीजेपी के पदाधिकारियों से भी मिलने का कार्यक्रम है.
इसमें 13 और 14 दिसंबर को गंगा घाटों के साथ शहर की प्रमुख इमारतों की विशेष रूप से सजावट होगी और रोशनियां की जाएंगी. यही नहीं लोग अपने घरों में दीपक जलाएंगे और काशी के तमाम परिवारों के साथ संवाद स्थापित किया जाएगा.विश्वनाथ कॉरिडोर पहुंचाने पर आपका स्वागत सबसे पहले एक बड़ा दरवाजा करेगा. यह दरवाजा उस विश्वनाथ कॉरिडोर का द्वार खोलता है जिसकी परिकल्पना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. इस दरवाजे के आर पार लगभग 50000 वर्ग मीटर में इस इस भव्य कॉरिडोर का निर्माण किया गया. जिसका काम अब अंतिम चरण में है और इसके लोकार्पण की तैयारी जोरों पर है.
वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल बताते हैं कि "माननीय प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा के अनुसार काशी विश्वनाथ धाम का भव्य उद्घाटन 13 तारीख को प्रस्तावित है. चूंकि यह पूरा का पूरा इतिहास में एक नया पन्ना जोड़ने जा रहा है और करीब ढाई सौ साल के पश्चात काशी विश्वनाथ का पूरा जीर्णोद्धार प्रधानमंत्री के विजन के अनुसार किया गया है. जन सहभागिता के साथ कार्य कराया जाएगा, साथ ही काशी में हमारे जितने सार्वजनिक स्थान है, साज सज्जा लाइटिंग जन सहभागिता से 12, 13, 14 को दीप प्रज्वलन का कार्यक्रम किया जाएगा जिससे कि पूरे काशी में एक उत्सव सा माहौल हो."
विश्वनाथ कॉरिडोर को दो भागों में बांटा गया है. मंदिर के मुख्य परिसर को लाल बलुआ पत्थर के द्वारा निर्मित किया गया है. इसमें 4 बड़े बड़े गेट लगाए गए हैं. इसके चारों तरफ एक प्रदक्षिणा पथ बनाया गया है. उस प्रदक्षिणा पथ पर 22 संगमरमर के शिलालेख लगाए गए हैं जिनमें काशी की महिमा का वर्णन होगा. काशी विद्वत परिषद् के महामंत्री मुख्य मंदिर परिसर के इस भाग के बारे में तफ्सील से बताते हैं कि "इसमें 22 शिलालेख ऐसे लगाए जा रहे हैं जिसमें भगवान विश्वनाथ से संबंधित स्तुतियां हैं और आद्य शंकराचार्य ने जिन स्तुतियों का गान किया है वो हैं. अन्नपूर्णा स्त्रोत है और जिन स्तुतियों को भगवान शंकर ने गान किया है, उन स्त्रोतों को लगाया जा रहा है. बाकी भगवान शिव ने यहां पर 56 विनायक भेजा, द्वादश आदित्य भेजा. उनके संदर्भ में कैसे है काशी में पंचनद है, काशी में पंचतीर्थ है, काशी में भगवान शिव की बारात कैसे निकलती है, भगवान विश्वनाथ काशी में पहली बार कब आए, भगवान शिव पार्वती का विवाह का उल्लेख है, ऐसे 24 पैनल बन रहे हैं.
कॉरिडोर का दूसरा भाग
मंदिर के द्वार की दूसरी तरफ 24 भवनों का एक बड़ा कैम्पस बन रहा है जिसका मुख्य दरवाजा गंगा की तरफ ललिता घाट से आयेगा. इस परिसर में वाराणसी गैलरी काफी महत्वपूर्ण है. विश्वनाथ धाम के विस्तारीकरण और विकास के दौरान कुछ घरों से निकली मूर्तियां, पुराने घरों से निकले नक़्क़ाशीदार दरवाजे, खिड़कियों को भी धरोहर के रूप में वाराणसी गैलरी में प्रदर्शित करने की योजना है. काशी की आध्यात्मिक परंपरा को भी गैलरी में प्रदर्शित किया जाएगा.
इसके अलावा यात्रियों के सुविधा के भवन होंगे काशी विश्वनाथ मंदिर के कार्यपालक सुनील वर्मा के मुताबिक़, "काशी विश्वनाथ धाम का काम लगभग पूर्णता की ओर है. पूरे धाम में लगभग 50000 वर्ग मीटर में 24 भवन बनाए जा रहे हैं जिसमें मुख्य मंदिर परिसर, मंदिर चौक, मुमुक्षु भवन, सिटी गैलरी, जलपान के मल्टीपरपज हॉल, यात्री सुविधा केंद्र, इत्यादि भवन जो यहां के बड़े खूबसूरती साथ ही साथ गंगा स्थित गंगा व्यू कैफे, गंगा व्यू गैलरी बनाई जा रही है जिससे मां गंगा की सुंदर छटा दिखाई देगी. इस प्रोजेक्ट को बनाने का पूरा उद्देश्य एकमात्र यह था कि काशी के अध्यात्म, काशी की वास्तु कला को उठाते हुए पूरे प्रोजेक्ट में एक दिव्य अनुभूति कराते हुए श्रद्धालुओं को धार्मिक भाव जगाने का काम.''
कॉरिडोर की बुनियाद में
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जिस बुनियाद पर साकार हो रहा है उसमें तकरीबन 400 मकान और सैकड़ों मंदिर और लगभग 1400 लोगों को पुनर्वासित करना पड़ा है. इसके बारे में काशी विश्वनाथ मंदिर के कार्यपालक सुनील वर्मा खुद कहते है कि, "जब परियोजना शुरू की गई थी तो काफी चुनौतियां थी. यह जो मंदिर है वह काफी घनी आबादी में बसा हुआ था.
हम लोगों ने लगभग 400 परिसंपत्ति क्रय की, लगभग 1400 लोगों का पुनर्वास किया जिसमें विभिन्न प्रकार के दुकानदार, मकान मालिक शामिल रहे. साथ ही साथ इस प्रोजेक्ट को बनाने में यह भी चुनौती थी कि जितने संभावित रास्ते हैं उनको यथावत रखते हुए जो परिसंपत्ति मंदिर प्राप्त हुए उनको यथावत रखते हुए इस प्रोजेक्ट को बनाया जाए.
हम लोग तय समय में इसे बनाने में कामयाब रहे. प्राचीन मंदिरों का भी हम लोग जीर्णोद्धार करा रहे हैं. यहां यह भी है कि काशी खंड उतने ही वर्णित मंदिर से नहीं मिल रहे थे, उनको भी हम लोग स्थापित करा रहे हैं. कुछ भी घरों से प्राप्त हुए थे उनको भी हम लोग स्थापित करा रहे हैं. ऐसे 27 मंदिरों की स्थापना करा रहे हैं. इस पूरे का उद्देश्य है कि बाबा अपने पूरे देवकुल के साथ पूरे धाम में विराजमान जो भी श्रद्धालु और भक्त आ रहे हैं वह अपने पूरे धार्मिक क्रियाकलाप कर सकें.''
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कॉरिडोर का दूसरा चरण
कॉरिडोर निर्माण में जिन 400 मकानों को अधिग्रहित किया था उसमें प्रशासन के मुताबिक़ काशी खण्डोक्त 27 मंदिर मिले थे जबकि लगभग 127 अन्य मंदिर प्राप्त हुए थे जो प्रसिद्ध मंदिर थे. उन मंदिरों का भी संरक्षण किया जा रहा है जो काशी खंडोकता मंदिर हैं. उनको उसी तरह से जीर्णोद्धार करके संरक्षित करने का मंदिर प्रशासन पूरा प्रयास कर रहा है. इसके लिये पूर्व के सरस्वती द्वार के पास एक 27 मंदिरों की मणिमाला बनाई जाएगी जिसमें उन प्राप्त मंदिरों को स्थापित करने की योजना है. इस पर काम चल रहा है और ये दूसरे चरण में होगा
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