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कोण्डागांव / शौर्यपथ / कोसारटेंडा मध्यम सिंचाई परियोजना से विस्थापित परिवारों को भूमि प्रदाय करने मांग को लेकर कमेलावासियों के द्वारा कलेक्टर कार्यालय कोण्डागांव में पहुंचकर एक लिखित आवेदन पत्र/ज्ञापन मंगलवार को आयोजित होने वाले जन चैपाल में दिया गया है। 72 से अधिक विस्थापित कमेलावासियों के द्वारा कलेक्टर को सौंपे गए पत्र में लेख है कि भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत बस्तर जिले के बस्तर विकास खण्ड व कोण्डागांव जिले के कोण्डागांव विकास खण्ड की सीमा पर राष्टीय राजमार्ग 30 जगदलपुर से रायपुर के 38 वें किमी पर स्थित ग्राम फरसागुड़ा से 16 कि.मी.दुरी पर कोसारटेंडा मध्यम सिंचाई परियोजना के तहत बांध का निर्माण किया गया है, इस परियोजना में आदिवासी व अन्य पिछडा वर्ग के किसानों के 1276.455 हेक्टेयर भूमि डूबान में आ गई है। परियोजना प्रभावितों को पुनर्वास नीति के तहत जो सुविधाएं प्रदान किए जाने का पूर्व में आश्वासन दिया गया था, आज तक वे सुविधाएं बांध प्रभावितों को प्रदान नहीं की गयी है। कोसारटेंडा मध्यम सिंचाई परियोजना के तहत निर्मित बांध में कोण्डागांव जिले के अंतर्गत आने वाला ग्राम कमेला भी पूरी तरह डुबान प्रभावित ग्राम है। छत्तीसगढ विधान सभा द्वारा निर्मित नियमावली आदर्श पुनर्वास नीति 2005 तथा राष्टीय पुनर्वास नीति 2007 में स्पष्ट प्रावधान है, कि किसी भी योजना के पूरा होने के एक वर्ष पूर्व विस्थापितों को विस्थापन नीति के अनुरूप विस्थापित किया जाएगा, परन्तु कोसारटेडा मध्यम सिंचाई परियोजना के विस्थापितों की मांगों पर शासन-प्रशासन द्वारा लगभग 12-13 वर्ष व्यतित हो जाने के बाद भी कोई उचित कार्यवाही नहीं की गई है। राष्टीय पुनर्वास नीति 2007 व छ.ग. विधान सभा द्वारा निर्मित नियमावली आदर्श पुनर्वास नीति 2005 में यह स्पष्ट प्रावधान है कि प्रत्येक प्रभावित परिवार जिनकी कृषि भूमि अर्जित की गई है, उन परिवारों को उपरोक्त नीतियों के अनुसार वास्तविक क्षति के बराबर कृषि भूमि परियोजना के कमाण्ड क्षेत्र में प्रदान की जाये व भूमि के बदले दी गयी भूमि के विकास हेतु नई नीति के अनुसार सहायता राशि प्रदान की जावे। उक्त नीति के अनुसार ही कोसारटेण्डा बांध से प्रभावित समस्त परिवारों को भूमि प्रदाय की जाय। भूमि प्रदाय नहीं किये जाने की स्थिति में कोसारटेंडा बांध से प्रभावित किसान मजबूर होकर वन भूमि पर अतिक्रमण करने के लिये बाध्य हो जाएंगें जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की हेागी।
अंत में मांग किया गया है कि आवेदकगणों के आवेदन पर तत्काल कार्यवाही कर राष्टीय पुनर्वास नीति 2007 व छ.ग.विधान सभा द्वारा निर्मित नियमावली आदर्श पुनर्वास नीति 2005 के प्रावधानों के तहत् तत्काल भूमि प्रदाय किया जाय।
अब देखने वाली बात यह होगी कि कोण्डागांव कलेक्टर ग्राम कमेलावासियों के द्वारा दिए गए आवेदन पत्र पर कब तक और कैसी कार्यवाही कर पाते हैं ?
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