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*नरेश देवांगन की खास रिपोर्ट*
जगदलपुर, शौर्यपथ । शौर्यपथ अखबार ने वन विभाग में चल रही मनमानी को लेकर खबर प्रकाशित की थी कि वनमंडल कार्यालय में किस प्रकार से एक बाबू व डिप्टीरेंजर व्यय शाखा में शाखा प्रभारी व सहायक के रूप में नियम के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं, खबर लगने के बाद श्री देशमुख को व्यय शाखा से हटा कर कार्यालय वन संरक्षक कार्यआयोजना जगदलपुर भेज दिया गया। वही डिप्टी रेंजर दीपक कुमार भट्ट जो नियम के विरुद्ध व्यय शाखा में सहायक के रूप में कई वर्षो से कार्य कर रहे थे जिनकी मुल कार्य स्थल सर्गीपाल डिपो था उन्हें वर्तमान में सर्गीपाल डिपो ना भेज वन परिक्षेत्र जगदलपुर में भेजा गया हैं। इस खबर के सात ही पूर्व में हमने नियम के विरुद्ध विभाग में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को प्रतिपूर्ति राशि के नाम से लाखो की राशि जारी कर शासकीय राशि का दुरूपयोग कर बंदरबाट करने की खबर भी प्रकाशित की थी। इस खबर पर विभाग के प्रमुख अधिकारी की तारीफ की जानी चाहिए जिन्होंने इस पर बस्तर वन मण्डल को जाँच के लिए 9 जुलाई को आदेश किया हैं की 15 दिन में जाँच प्रतिवेदन प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय को भेजे। लेकिन आदेश किये आज लगभग एक माह से अधिक होने को हैं, लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा की बस्तर वनमण्डल के अधिकारी अपने विभाग के प्रमुख अधिकारी के आदेश को गंभीरत से नहीं ले रहे हैं। इस मामले पर पूर्व में ही बस्तर वनमंडलाधिकारी को जब शिकायत मिली तब मामले को संज्ञान में लेकर गंभीरता से जाँच कर कार्यवाही कर सकते थे। लेकिन ऐसा लग रहा हैं जैसे विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस मामले पे कुछ करना ही नहीं चाहते? मानो कार्यवाही करने से उनके ऊपर भी बात बन सकती हैं? अब देखने वाली बात हैं की प्रधान मुख्य वन संरक्षक के आदेश की अवहेलना करने पर सम्बंधित अधिकारी के ऊपर क्या कार्यवाही होती हैं?
इस मामले में बस्तर वनमंडलाधिकारी श्री गुप्ता का कहना हैं की जाँच के लिए तीन सदस्य टीम का गठन किया गया हैं उनको लेख किया गया हैं की समय सीमा में जाँच कर रिपोर्ट प्रेषित करे जैसे ही जाँच हो के आती हैं कार्यवाही करेंगे।
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