
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
जगदलपुर, शौर्यपथ। राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा 2025 के अंतर्गत संपूर्ण बस्तर जिले में चलाए जा रहे यातायात जागरूकता अभियान के तहत मंगलवार को दंतेश्वरी फ़ार्मेसी कॉलेज, बोरपदर (जगदलपुर) में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम पुलिस अधीक्षक बस्तर शलभ सिन्हा के मार्गदर्शन एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेश्वर नाग के पर्यवेक्षण में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम के दौरान उप पुलिस अधीक्षक (यातायात) जगदलपुर संतोष जैन, यातायात प्रभारी मधुसूदन नाग एवं प्रकाश देवांगन ने कॉलेज के लगभग 100 छात्र-छात्राओं, अध्यापक एवं स्टाफ को सड़क सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं। इनमें ट्रैफिक नियमों का पालन, सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण, रोकथाम के उपाय, गुड सेमेरिटन लॉ तथा बस्तर क्षेत्र में पूर्व में हुई दुर्घटनाओं के उदाहरण शामिल थे।
छात्रों एवं स्टाफ ने गम्भीरता से जानकारी को सुना तथा भविष्य में यातायात नियमों का पालन करने का संकल्प व्यक्त किया।
कॉलेज प्राचार्य ने भी सभी छात्रों से दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट अनिवार्य रूप से पहनने की अपील की और स्पष्ट कहा कि बिना हेलमेट किसी भी विद्यार्थी को कॉलेज गेट से प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। प्राचार्य की इस पहल पर सभी छात्रों ने सहमति जताई।
कार्यक्रम में कॉलेज के अध्यापक, स्टाफ तथा यातायात विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।
सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में यह कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुआ।
राशन दुकान व आंगनबाड़ी तक पहुंचा कचरे का कहर, प्रशासन की नाक के नीचे चल रहा गंदगी का कारोबार!
By - नरेश देवांगन
जगदलपुर, शौर्यपथ । शहर में स्वच्छता का नारा बुलंद करने वाले अधिकारी और जनप्रतिनिधि अगर सच्चाई देखना चाहते हैं तो एक बार सिविल लाइन वार्ड क्रमांक 07 लालबाग स्थित SLRM सेंटर का हाल जरूर देखें। यहां शहर भर का कचरा लाकर डंप किया जाता है, जिसे महिला समूह के माध्यम से छांटा जाता है, लेकिन सफाई के नाम पर यह केंद्र अब दुर्गंध, मक्खियों और बीमारी का गढ़ बन चुका है।
बदबू से त्रस्त जनता, और वहीं पास में चल रहा राशन दुकान व बच्चों की आंगनबाड़ी केंद्र, दोनों ही इस कचरे के दुष्प्रभाव झेल रहे हैं। बच्चों को पोषण देने के बजाय यहां संक्रमण और प्रदूषण का ज़हर परोसा जा रहा है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि सेंटर से उठने वाली सड़ी दुर्गंध पूरे इलाके में फैल चुकी है। “सुबह से शाम तक बदबू से सांस लेना मुश्किल हो जाता है। बच्चों को बाहर खेलना तो दूर, आंगनबाड़ी भेजना भी खतरे से खाली नहीं,” लोगों ने नाराज़गी जताई।
शिकायतों के बावजूद नगर निगम और स्वच्छता मिशन अधिकारी बेखबर हैं, जैसे किसी को जनता की सेहत की कोई परवाह ही नहीं। हर साल “स्वच्छता रैंकिंग” में नंबर बढ़ाने की होड़ में लगे अधिकारी, ज़मीनी गंदगी और जनता की परेशानी को पूरी तरह अनदेखा कर रहे हैं।
स्वच्छ भारत मिशन का असली चेहरा लालबाग में साफ दिखाई दे रहा है — जहां मिशन सिर्फ पोस्टर और भाषणों तक सीमित रह गया है, जबकि हकीकत में नागरिक बदबू, मच्छर और बीमारी के बीच जीने को मजबूर हैं।
वार्डवासियों ने मांग की है कि प्रशासन तत्काल कार्रवाई करे या तो SLRM सेंटर को आबादी से दूर हटाया जाए, या फिर वहां दुर्गंध नियंत्रण, कीटाणुनाशक छिड़काव और सफाई की स्थायी व्यवस्था की जाए। अन्यथा वार्ड के लोग आंदोलन के लिए मजबूर होंगे, क्योंकि अब यह मामला सिर्फ बदबू का नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य और प्रशासनिक लापरवाही का बन चुका है।
जगदलपुर में पत्रकारों के बीच पहला शो—बस्तर की वास्तविकता, दर्द और उम्मीद का संजीव चित्रण
By- नरेश देवांगन
जगदलपुर, शौर्यपथ। बहुप्रतीक्षित छत्तीसगढ़ी फिल्म “माटी” शुक्रवार को पूरे प्रदेश में रिलीज होते ही चर्चा का केंद्र बन गई। बस्तर में लंबे समय से प्रतीक्षित यह फिल्म अपने पहले ही दिन जगदलपुर के स्थानीय बिनाका मॉल स्थित मल्टीप्लेक्स में बस्तर जिला पत्रकार संघ के सदस्यों के लिए विशेष शो के रूप में प्रदर्शित की गई। बड़ी संख्या में पहुंचे पत्रकारों ने फिल्म देखकर बस्तर की वास्तविकताओं से रूबरू होने का अनुभव साझा किया।
फिल्म माटी न सिर्फ मनोरंजन करती है, बल्कि बस्तर की मिट्टी, संस्कृति, लोकजीवन और संघर्ष को पहली बार इतने सजीव, भावनात्मक और संवेदनशील रूप में बड़े पर्दे पर सामने लाती है। घने जंगलों, घाटियों, झरनों और दूरस्थ गांवों की प्राकृतिक सुंदरता को कैमरे ने एक ऐसी दृष्टि दी है, जिसने दर्शकों को अपनी ही मिट्टी से नए सिरे से जोड़ दिया।
फिल्म की कहानी नक्सलवाद की छाया में जी रहे बस्तरवासियों की पीड़ा, भय, प्रशासनिक तंत्र की जटिलताओं और आम लोगों के संघर्ष को बिना किसी आडंबर के पेश करती है। हिंसा और अनिश्चितता के बीच पनपती एक शांत, सच्ची और मासूम प्रेम कहानी इस फिल्म की भावनात्मक धड़कन बनकर उभरती है, जो अंधेरे परिस्थितियों में भी उम्मीद और जिंदगी की किरण दिखाती है।
फिल्म की खासियत यह है कि इसमें बस्तर के स्थानीय कलाकारों ने बड़ी संख्या में अभिनय किया है। उनका बोली-बानी, हावभाव और जीवनशैली कहानी को वास्तविक और भरोसेमंद आयाम देती है। निर्देशक ने कलाकारों को सिर्फ अभिनय नहीं कराया, बल्कि उन्हें अपनी ही कहानी को जीने का अवसर दिया है।
चन्द्रिका फिल्म प्रोडक्शन के बैनर तले निर्मित फिल्म के निर्माता व कथाकार सम्पत झा ने कहा कि “माटी सिर्फ एक फिल्म नहीं, यह बस्तर की पहचान और हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। यहां की खुशबू, दर्द और उम्मीद को दुनिया के सामने लाना ही मकसद था।” उन्होंने बताया कि शुरुआती दिनों में नक्सलवाद के डर के कारण स्थानीय लोग शामिल होने से हिचकिचा रहे थे, लेकिन बाद में वे खुद इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनकर गर्व महसूस करने लगे।
फिल्म में 1000 से अधिक स्थानीय लोगों ने छोटी-बड़ी भूमिकाओं में काम किया है, जिससे इसका प्रत्येक दृश्य बस्तर की सच्चाई के और करीब नजर आता है।
फिल्म के निर्देशक अविनाश प्रसाद, जिन्होंने वर्षों तक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कार्य किया है, ने बस्तर के सामाजिक ताने-बाने को बेहद जीवंत निर्देशन के साथ परदे पर उतारा है।
छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लोकप्रिय संगीतकार अमित प्रधान ने बैकग्राउंड स्कोर से फिल्म को गहराई दी है, वहीं मनोज पांडेय के लिखे गीत कहानी के संवेदनशील पहलुओं को और प्रभावी बनाते हैं।
फिल्म की संपूर्ण शूटिंग बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों, नदी-घाटियों, पहाड़ों, जंगलों और दुर्गम गांवों में की गई है। इन प्राकृतिक दृश्यों की मौलिक सुंदरता ने फिल्म को दृश्यात्मक रूप से और भी आकर्षक बना दिया है।
मुख्य कलाकारों में महेन्द्र ठाकुर (भीमा), भूमिका साहा (उर्मिला) सहित भूमिका निषाद, राजेश मोहंती, आशुतोष तिवारी, दीपक नाथन, संतोष दानी, निर्मल सिंह राजपूत, जितेन्द्र ठाकुर, नीलिमा, लावण्या मानिकपुरी, पूर्णिमा सरोज, श्रीधर राव, बादशाह खान और कई स्थानीय कलाकारों ने दमदार अभिनय कर दर्शकों का दिल जीता है।
By- नरेश देवांगन
जगदलपुर, शौर्यपथ। कलेक्टर कार्यालय के नए भवन की लाखों रुपये की लिफ्ट अब शोपीस बन चुकी है। कुछ ही दिन चलने के बाद से यह बंद पड़ी है, और महीनों बीत जाने के बावजूद प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। जनता और कर्मचारी रोज़ाना इस लापरवाही की सज़ा भुगत रहे हैं।
कार्यालय में रोज़ सैकड़ों लोग अपने कार्यों से आते हैं — जिनमें महिलाएं, बुजुर्ग और दिव्यांग नागरिक भी शामिल हैं। लेकिन लिफ्ट बंद होने से सबको मजबूरी में ऊँची मंज़िलों तक सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ रही हैं। सबसे ज़्यादा परेशानी उन कर्मचारियों को हो रही है जिनका रोज़ का काम ऊपर की मंज़िलों पर है।
लोगों का कहना है कि जब प्रशासन ने करोड़ों खर्च कर शानदार भवन बनवाया, तो उसकी सुविधा भी टिकाऊ होनी चाहिए थी। परंतु हकीकत यह है कि दिखावे की चमक के पीछे रखरखाव की जिम्मेदारी कहीं गुम हो गई है।
जनता अब सवाल उठा रही है — “क्या कलेक्टर कार्यालय की यह लिफ्ट जनता की सुविधा के लिए थी या सिर्फ़ उद्घाटन के दिन फोटो खिंचवाने के लिए?”
अगर जल्द ही मरम्मत नहीं कराई गई, तो यह ‘लिफ्ट’ नहीं, प्रशासन की लापरवाही का प्रतीक बन जाएगी?
नगरनार पुलिस की सटीक योजना से पकड़ा गया 56 किलो गांजा, स्कार्पियो वाहन में ‘POLICE’ लिखकर कर रहे थे तस्करी
जगदलपुर, शौर्यपथ। नगरनार पुलिस ने अपनी सजगता और त्वरित कार्रवाई से एक बार फिर यह साबित कर दिया कि अपराध कितना भी शातिर क्यों न हो, क़ानून की पकड़ से बचना नामुमकिन है। उड़ीसा से छत्तीसगढ़ की ओर आ रहे तस्करों की स्कार्पियो वाहन से 56.605 किलोग्राम अवैध गांजा जब्त किया गया है। पुलिस की इस बड़ी सफलता से पूरे क्षेत्र में सराहना हो रही है।
मुखबिर की सूचना पर ग्राम धनपुंजी फॉरेस्ट नाका (NH-63) में पुलिस ने देर रात नाकाबंदी की थी। इसी दौरान सफेद रंग की स्कार्पियो (क्रमांक CG-04-PW-8248) तेज रफ़्तार में आती दिखी, लेकिन पुलिस को देखकर चालक और उसका साथी वाहन छोड़कर अंधेरे में भाग निकले। वाहन की तलाशी लेने पर 11 पैकेट गांजा, कुल कीमत ₹5.66 लाख, और वाहन कीमत ₹5 लाख सहित कुल ₹10.66 लाख का माल जब्त किया गया।
तस्करों ने पुलिस को भ्रमित करने के लिए वाहन में ‘POLICE’ लिखी प्लेट, लाल-नीली बत्ती और सायरन लगाया हुआ था, ताकि वाहन पुलिस पेट्रोलिंग जैसा प्रतीत हो। लेकिन पुलिस की सतर्कता और ठोस रणनीति के आगे उनकी सारी चालाकी धरी की धरी रह गई।
यह कार्रवाई पुलिस अधीक्षक शलभ कुमार सिन्हा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेश्वर नाग, और नगर पुलिस अधीक्षक सुमीत कुमार डी. धोत्रे के निर्देशन में की गई। टीम में निरीक्षक संतोष सिंह, स.उ.नि. महेन्द्र ठाकुर, महिला प्रधान आरक्षक पीलेश्वरी साहू, आरक्षक दशरू नाग, चंद्रकुमार कंवर, डीएसएफ आर. विरेन्द्र ठाकुर, तथा सैनिक जगन्नाथ नाग की प्रमुख भूमिका रही।
पुलिस ने फरार आरोपियों के विरुद्ध धारा 20 (ख) ii (ग) एनडीपीएस एक्ट के तहत अपराध दर्ज कर लिया है। आरोपियों की तलाश के लिए टीम लगातार छापेमारी कर रही है।
नगरनार पुलिस की इस सटीक और साहसिक कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जब पुलिस दृढ़ संकल्प और ईमानदारी से काम करे, तो अपराध की कोई सीमा नहीं टिकती।
जगदलपुर, शौर्यपथ। बस्तर संभाग के सबसे बड़े और सक्रिय पत्रकार संगठन बस्तर जिला पत्रकार संघ के भवन का शुक्रवार को भव्य उद्घाटन किया गया। सन् 1980 में स्थापित यह ऐतिहासिक भवन अब 45 वर्ष पूरे कर चुका है। लंबी यात्रा के बाद इस भवन को आधुनिक स्वरूप में पुनर्निर्मित किया गया है, जिसमें अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त सभागार, बैठक कक्ष एवं तकनीकी उपकरणों को शामिल किया गया है।
कार्यक्रम की शुरुआत भगवान गणेश, मां दंतेश्वरी, मां लक्ष्मी एवं मां सरस्वती की पूजा-अर्चना तथा हवन पूजन के साथ हुई। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूरे परिसर में आध्यात्मिक और उल्लासपूर्ण वातावरण बना रहा। इस अवसर पर बस्तर जिला पत्रकार संघ के सदस्यों ने नए भवन के लिए मंगलकामनाएं व्यक्त कीं।
पूजा अर्चना उपरांत भवन का शुभारंभ संघ के अध्यक्ष मनीष गुप्ता,सचिव धर्मेंद्र महापात्र, कोषाध्यक्ष सुब्बा राव, उपाध्यक्ष शिव प्रकाश सीजी, निरंजन दास, सह सचिव प्रदीप गुहा एवं बादशाह खान ने संयुक्त रूप से सभी सदस्यों की मौजूदगी मेँ फीता काटकर किया।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में पत्रकार साथी उपस्थित रहे। सभी ने भवन के नए स्वरूप की खुलकर सराहना की और कहा कि यह भवन सिर्फ ईंट-पत्थरों का ढांचा नहीं, बल्कि बस्तर की पत्रकारिता की अस्मिता, संघर्ष और एकता का प्रतीक है।
वरिष्ठ पत्रकारों ने कहा कि बस्तर जिला पत्रकार संघ ने सदैव सामाजिक सरोकारों और निष्पक्ष पत्रकारिता को प्राथमिकता दी है। आधुनिक तकनीकी सुविधाओं से लैस यह भवन पत्रकारों के लिए एक नई ऊर्जा का स्रोत बनेगा।
कार्यक्रम के दौरान वर्तमान पदाधिकारियों ने संघ के दिवंगत संस्थापक सदस्यों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके अमूल्य योगदान को याद किया। कहा गया कि उन्हीं की दूरदृष्टि और परिश्रम के कारण आज यह भवन बस्तर की पत्रकारिता का गौरव बना है।
अंत में संघ केअध्यक्ष मनीष गुप्ता,सचिव धर्मेंद्र महापात्र एवं पदाधिकारियों ने आगंतुकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह भवन आने वाले समय में पत्रकारिता के प्रशिक्षण, संवाद, विमर्श और रचनात्मक गतिविधियों का केंद्र बनेगा।
जगदलपुर, शौर्यपथ। राज्य शासन की व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति और शांति, संवाद एवं विकास पर केंद्रित सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप बस्तर संभाग में आज नक्सल विरोधी मुहिम को ऐतिहासिक सफलता मिली है। ‘पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’ कार्यक्रम के अंतर्गत दण्डकारण्य क्षेत्र के 210 माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग त्यागकर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है।
यह आत्मसमर्पण विश्वास, सुरक्षा और विकास की दिशा में बस्तर की नई सुबह का संकेत है। लंबे समय से नक्सली गतिविधियों से प्रभावित अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर क्षेत्र में यह ऐतिहासिक घटनाक्रम नक्सल उन्मूलन अभियान के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ के रूप में दर्ज होगा।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य शासन द्वारा अपनाई गई व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति ने क्षेत्र में स्थायी शांति की मजबूत नींव रखी है। पुलिस, सुरक्षा बलों, स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संगठनों और सजग नागरिकों के समन्वित प्रयासों से हिंसा की संस्कृति को संवाद और विकास की संस्कृति में परिवर्तित किया जा सका है।
यह पहली बार है जब नक्सल विरोधी अभियान के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में वरिष्ठ माओवादी कैडरों ने एक साथ आत्मसमर्पण किया है। आत्मसमर्पण करने वालों में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार डीकेएसजेडसी सदस्य, 21 डिविजनल कमेटी सदस्य सहित अनेक वरिष्ठ माओवादी नेता शामिल हैं। इन कैडरों ने कुल 153 अत्याधुनिक हथियार—जिनमें AK-47, SLR, INSAS रायफल और LMG शामिल हैं—समर्पित किए हैं। यह केवल हथियारों का समर्पण नहीं, बल्कि हिंसा और भय के युग का प्रतीकात्मक अंत है—एक ऐसी घोषणा, जो बस्तर में शांति और भरोसे के युग की शुरुआत का संकेत देती है।
मुख्यधारा में लौटने वाले प्रमुख माओवादी नेताओं में सीसीएम रूपेश उर्फ सतीश, डीकेएसजेडसी सदस्य भास्कर उर्फ राजमन मांडवी, रनीता, राजू सलाम, धन्नू वेत्ती उर्फ संतू, आरसीएम रतन एलम सहित कई वांछित और इनामी कैडर शामिल हैं। इन सभी ने संविधान पर आस्था व्यक्त करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया।
यह ऐतिहासिक आयोजन जगदलपुर पुलिस लाइन परिसर में हुआ, जहाँ आत्मसमर्पित कैडरों का स्वागत पारंपरिक मांझी-चालकी विधि से किया गया। उन्हें संविधान की प्रति और शांति, प्रेम एवं नए जीवन का प्रतीक लाल गुलाब भेंट कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अरुण देव गौतम ने कहा कि “पूना मारगेम केवल नक्सलवाद से दूरी बनाने का प्रयास नहीं, बल्कि जीवन को नई दिशा देने का अवसर है। जो आज लौटे हैं, वे बस्तर में शांति, विकास और विश्वास के दूत बनेंगे।” उन्होंने आत्मसमर्पित कैडरों से समाज निर्माण में अपनी ऊर्जा लगाने का आह्वान किया।
इस अवसर पर एडीजी (नक्सल ऑपरेशन्स) विवेकानंद सिन्हा, सीआरपीएफ बस्तर रेंज प्रभारी, कमिश्नर डोमन सिंह, बस्तर रेंज आईजी सुंदरराज पी., कलेक्टर हरिस एस., बस्तर संभाग के सभी पुलिस अधीक्षक, वरिष्ठ अधिकारी और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
कार्यक्रम के दौरान पुलिस विभाग द्वारा आत्मसमर्पित माओवादियों को पुनर्वास सहायता राशि, आवास और आजीविका योजनाओं की जानकारी दी गई। राज्य शासन इन युवाओं को स्वरोजगार, कौशल विकास और शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि वे आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन जी सकें।
मांझी-चालकी प्रतिनिधियों ने कहा कि बस्तर की परंपरा सदैव प्रेम, सहअस्तित्व और शांति का संदेश देती रही है। जो साथी अब लौटे हैं, वे इस परंपरा को नई शक्ति देंगे और समाज में विश्वास की नींव को और मजबूत करेंगे।
कार्यक्रम के अंत में सभी आत्मसमर्पित कैडरों ने संविधान की शपथ लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की। उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि वे अब हिंसा के बजाय विकास और राष्ट्रनिर्माण की दिशा में योगदान देंगे।
‘वंदे मातरम्’ की गूंज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। यह क्षण केवल 210 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण का नहीं, बल्कि बस्तर में विश्वास, विकास और शांति के नए युग की शुरुआत का प्रतीक बन गया।
हर घर पहुंचा शुद्ध जल, 1495 लोगों ने पाया पानी का सुख
By - नरेश देवांगन
जगदलपुर, शौर्यपथ। बस्तर जिले के जगदलपुर ब्लॉक का बुरुंदवाड़ा सेमरा गांव जल जीवन मिशन की बदौलत अब हर घर जल वाला गांव घोषित हो गया है। इस गांव के 1495 निवासियों को अब नल के माध्यम से घर बैठे शुद्ध पेयजल मिल रहा है।
समस्या से मुक्ति, जीवन में खुशी
बुरुंदवाड़ा सेमरा में पहले लोगों को पानी के लिए बोरिंग पर निर्भर रहना पड़ता था, जिससे पानी लाने में बहुत समय और मेहनत बर्बाद होती थी। गांव की सरपंच श्रीमती बुधरी बघेल और सचिव श्रीमती राधा नाग ने बताया कि पानी की जद्दोजहद के कारण लोग अक्सर थके रहते थे और बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते थे। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन योजना के तहत गांव के सभी 209 घरों में नल कनेक्शन दिए गए हैं। इसके लिए गांव में 50 किलोलीटर क्षमता की टंकी और पाइपलाइन बिछाई गई। पानी पहुंचते ही गांव वालों की खुशी दुगुनी हुई है।
बढ़े स्वास्थ्य और शिक्षा
पानी की समस्या दूर होने से लोगों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है, और सबसे बड़ी बात यह है कि अब स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है। अब महिलाओं का समय पानी लाने में बर्बाद नहीं होता, जिससे वे अपने और बच्चों पर अधिक ध्यान दे पा रही हैं। साथ ही घर-परिवार के कार्य सहित खेती-किसानी के कार्य को भी आसानी के साथ कर रही हैं।
पानी का सही उपयोग
सरपंच और सचिव ने मिलकर गांव में जागरूकता फैलाई है। वे लोगों को समझा रहे हैं कि पानी का उपयोग उतनी ही मात्रा में करें जितनी जरूरत है, ताकि जलस्रोत का स्तर बना रहे। साथ ही भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए हर घर और सार्वजनिक स्थानों पर सोख्ता गड्ढा (भूजल रिचार्ज पिट) बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जल बढ़ेगा स्तर, तब बढ़ेगा जीवन स्तर के संकल्प के साथ बुरुंदवाड़ा सेमरा गांव एक मिसाल बन गया है कि सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन से कैसे एक समुदाय की तकदीर बदल सकती है।
By - नरेश देवांगन
जगदलपुर, शौयपथ। हमने पूर्व में राजमहल परिसर में लगे मीना बाजार की सुरक्षा नियमों की अनदेखी और अव्यवस्थाओं पर समाचार प्रकाशित किया था, लेकिन विभाग के जिम्मेदारों ने आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। शहर के मीना बाजार में सुरक्षा नियमों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। "शौर्यपथ" ने बिना सेफ्टी बेल्ट, बिना जूते-हेलमेट के मजदूरों से ऊँचाई पर झूले लगवाए, झूले की अनुमति व फिटनेस जाँच , कटे तार ,मौत के कुएँ में 30 साल से अधिक पुरानी गाड़ियाँ बिना फिटनेस जाँच के चलवाई गईं। प्रवेश टिकट दरों पर न तो जीएसटी का उल्लेख है, न ही कोई अधिकृत दर सूची प्रदर्शित की गई और महिलाओं के लिए शौचालय की कोई सुसज्जित व्यवस्था भी नहीं की गई।
हम लगातार जिम्मेदारों को समाचार के माध्यम से अवगत कराते रहे, फिर भी कार्रवाई नहीं हुई। विभागीय आदेशों में स्पष्ट लिखा है कि किसी भी दुर्घटना की स्थिति में संचालक जिम्मेदार होगा, फिर भी झूला संचालकों ने खुलेआम पोस्टर चिपकाकर लिखा — “दुर्घटना होने पर कंपनी जिम्मेदार नहीं।” यह सीधे-सीधे विभागीय आदेशों की अवहेलना है और जनता की सुरक्षा के साथ खिलवाड़।
अब नया मोड़:
समाचार प्रकाशित होने के बाद RTO विभाग ने जांच के नाम पर महज़ खानापूर्ति की। जांच का उद्देश्य यह होना चाहिए था कि मौत के कुएँ के संचालन की अनुमति दी गई है या नहीं, और यदि दी गई है, तो किस नियम के तहत। लेकिन विभाग ने उस मुख्य सवाल से बचते हुए सिर्फ इतना बताया कि सभी गाड़ियों के दस्तावेज वैध हैं। प्रश्न यह उठता है कि क्या वैध दस्तावेज ही मौत के कुएँ में दौड़ने की अनुमति दे देते हैं? क्या विभाग ने यह परखा कि ये गाड़ियाँ तकनीकी रूप से ऐसे खतरनाक खेल के लिए फिट हैं या नहीं? क्या वाहन चालकों के द्वारा सुरक्षा नियमों का पालन किया जा रहा है यां नहीं? और तो और, जिस अधिकारी को जिले के बड़े अधिकारी ने इसकी जाँच के लिए कहा था , उनके बारे में चर्चा है कि उन्हें मीना बाजार की व्यवस्था से ज़्यादा वहाँ के जीने और खाने की चिंता रहती है। ऐसे में निष्पक्ष जांच की उम्मीद करना जनता के साथ मज़ाक है।
बाबा साहेब ने कहा था — “संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो, अगर उसे चलाने वाले बुरे हैं तो वह बुरा साबित होगा।” आज यही सच मैदान में दिख रहा है। कानून है, आदेश हैं, लेकिन उन्हें लागू करने वाले जिम्मेदारों की नीयत सो चुकी है। अब सवाल यह नहीं कि नियम क्या हैं, बल्कि यह है कि नियमों को तोड़ने वाले और आँख बंद करने वाले कौन हैं?
जनता के जीवन से खेलने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं —
यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि प्रशासनिक बेईमानी और संवेदनहीनता की चरम सीमा है।
अब सवाल सीधा है —
क्या विभाग जनता की सुरक्षा करेगा, या मीना बाजार की मौज में डूबे अधिकारी?
जगदलपुर, शौर्यपथ। नगरपालिक निगम जगदलपुर ने दीपावली पर्व के दौरान शहर की यातायात व्यवस्था सुचारू बनाए रखने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। हर साल की तरह इस बार भी दीपावली के अवसर पर शहर में लाई, बताशा, दिया, फल-फूल और पूजा सामग्री बेचने वाले चिल्हर विक्रेताओं की भीड़ सड़कों पर देखने को मिलती थी, जिससे जाम की स्थिति उत्पन्न होती थी और लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता था।
इस समस्या को देखते हुए नगर निगम प्रशासन ने इस वर्ष सभी चिल्हर विक्रेताओं के लिए “हाता ग्राउंड” को निर्धारित विक्रय स्थल के रूप में चयनित किया है। निगम आयुक्त ने सभी विक्रेताओं से अपील की है कि वे दीपावली पर्व से संबंधित सामग्री का विक्रय हाता ग्राउंड में ही करें।
नगर निगम का कहना है कि इस निर्णय से एक ओर जहां शहर में यातायात व्यवस्था दुरुस्त रहेगी, वहीं दूसरी ओर विक्रेताओं को भी एक व्यवस्थित स्थान पर अपने सामान की बिक्री का अवसर मिलेगा। निगम ने यह भी स्पष्ट किया है कि मुख्य सड़कों, चौक-चौराहों या बाजार क्षेत्र में अतिक्रमण कर बिक्री करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
निगम प्रशासन ने आम नागरिकों से भी सहयोग की अपील की है ताकि शहर में दीपावली का पर्व शांति, सौहार्द और स्वच्छ वातावरण में मनाया जा सके।
Feb 09, 2021 Rate: 4.00
