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- कलेक्टर अंकित आनंद भी स्टेशन पर मौजूद रहे, स्वास्थ्य टीम ने परीक्षण किया,
बसों से किया गया घर रवाना - लिंगमपल्ली,
हैदराबाद से आ रही ट्रेन में दुर्ग के 14, बेमेतरा के 75 और बालोद के 34 ग्रामीण आए
दुर्ग / शौर्यपथ / पहली श्रमिक एक्सप्रेस हैदराबाद के लिंगमपल्ली से निकलकर सुबह दस बजे दुर्ग स्टेशन पर पहुंची। ट्रेन से तेलंगाना में निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों की घर वापसी हो सकी। स्टेशन पर पूरी तरह से सोशल डिस्टेंसिंग का और सैनिटाइजेशन का ध्यान रखा गया था। स्वास्थ्य विभाग की चार टीमें स्टेशन में लगाई गई थीं। सभी यात्री एसिम्पमैटिक पाए गए। स्टेशन में सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने के लिए रेलवे पुलिस के साथ ही स्थानीय पुलिस और प्रशासन के लोग थे। इस मौके पर कलेक्टर श्री अंकित आनंद ने स्वयं मौजूद रहकर व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। ट्रेन से बेमेतरा से 75, बालोद से 34 और दुर्ग से 14 ग्रामीण पहुंचे। इन सभी को बस में गृह ग्राम भेज दिया गया।
पूरी प्रक्रिया में एसओपी (स्टैंडर्ड आपरेटिव प्रोसिजर) का पालन किया गया। श्रमिकों को नाश्ते कराकर गंतव्य स्थल के लिए रवाना किया गया। इस संबंध में जानकारी देते हुए सहायक श्रमायुक्त श्री रमेश प्रधान ने बताया कि हैदराबाद में रह रहे इन श्रमिकों से जिला प्रशासन सतत संपर्क में था। यह सभी निर्माण कार्य में लगे हुए थे। दुर्ग जिले में पहुंचने वाले सभी श्रमिक भिलाई 3 और पाटन ब्लाक के हैं। श्रमिकों ने बताया कि घर पहुंचकर बहुत अच्छा लग रहा है। लाकडाउन में फंस जाने के बाद यहां आने को लेकर चिंता थी।
जिला प्रशासन के अधिकारी हमसे निरंतर संपर्क में थे और हमें भरोसा देते रहे थे कि जब भी ट्रेन आरंभ होगी, वे हमें यहां से निकालकर सुरक्षित अपने गांव तक पहुंचा देंगे। हमें यहां भोजन भी उपलब्ध करा दिया गया है और बसें भी हमारी खड़ी हैं। अब हम 14 दिन अपने गांव के क्वारंटीन सेंटर में रहेंगे। अपने घर आने का सुख सबसे बड़ा सुख है। हमारे साथ छोटे-छोटे बच्चे भी थे जिनको लेकर भी हमें चिंता थी। उल्लेखनीय है कि आने वाले दिनों में भी इसी तरह विभिन्न रूट्स से श्रमिकों को लाए जाने की व्यवस्था की जा रही है। उल्लेखनीय है कि सड़क मार्ग से आ रहे श्रमिकों को सहायता पहुंचाने श्रमिक सहायता केंद्रों की स्थापना की गई है। इन केंद्रों में पहुंचने वाले श्रमिकों को सूखा नाश्ता कराया जा रहा है तथा राह के लिए सूखा नाश्ता पैक कर भी दिया जा रहा है। जो मजदूर साधन विहीन हैं उन्हें घर पहुंचाने की व्यवस्था भी की जा रही है।
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