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दुर्ग /शौर्यपथ /
नगर निगम के भाजपा के पूर्व एल्डरमैन डॉ.प्रतीक उमरे ने छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए पहल करने का आग्रह मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से किया है।डॉ. प्रतीक उमरे ने छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु पुरजोर वकालत करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा छत्तीसगढ़ राज्य के लोगों के सम्मान और पहचान का विषय है।छत्तीसगढ़ी भाषा का समृद्ध एवं गौरवशाली इतिहास रहा है।छत्तीसगढ़ी भाषा में कविताएं,नाटक,निबंध,शोध ग्रंथ आदि सब कुछ लिखे गये हैं।उन्होंने कहा कि 1885 में छत्तीसगढ़ व्याकरण में श्री हीरालाल काव्योपाध्याय द्वारा लिखा गया जिसका अंग्रेजी अनुवाद प्रतिष्ठित जनरल ऑफ एसियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल में 1890 में प्रकाशित हुआ।छत्तीसगढ़ी की महत्ता केवल आंचलिक दृष्टि से नहीं बल्कि एक अत्यंत प्राचीन संस्कृति के इतिहास की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।रामचरित मानस में भी छत्तीसगढ़ी के शब्द मिलते हैं जैसे बाल काण्ड में माखी,सोवत,जरहि,बिकार किष्किन्धाकाण्ड में पखवारा,लराई,बरसा सुन्दरकाण्ड में सोरह,आंगी,मुंदरी आदि छत्तीसगढ़ी शब्द हैं।वर्तमान में भी बहुत से शब्द छत्तीसगढ़ी और हिंदी भाषा में समान रूप से उपयोग किये जाते हैं।छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने से निश्चित तौर पर हिंदी भाषा और समृद्ध होगी और उसके विकास में सहयोग मिलेगा।
छत्तीसगढ़ सरकार को इस विषय पर पहल करना चाहिए।डॉ.प्रतीक उमरे ने बताया कि 28 नवम्बर 2007 को छत्तीसगढ़ की विधान सभा में सर्वसम्मति से छत्तीसगढ़ राजभाषा (संशोधन) विधेयक 2007 पारित कर छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिया गया।छत्तीसगढ़ी को संवैधानिक मान्यता मिलने से छत्तीसगढ़ वासियों को अनेक लाभ मिलेंगे।इससे संविधान के अनुच्छेद 344 (1) एवं 351 के अंतर्गत हिंदी भाषा को समृद्ध बनाने के लिए गठन की जाने वाली समिति में छत्तीसगढ़ी भाषा से प्रतिनिधित्व संभव हो पाएगा।
*छत्तीसगढ़ी भाषा की लिपि देवनागरी है*
डॉ.प्रतीक उमरे ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा की लिपि देवनागरी है। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग ने अंग्रेजी से छत्तीसगढ़ी और हिंदी से छत्तीसगढ़ी में प्रशासनिक शब्दकोष प्रकाशित किए हैं जिससे राजकाज उपयोग में सुविधा रहे।उन्होंने कहा,छत्तीसगढ़ी को बोलने और समझने वालों की संख्या आठवीं अनुसूची में शामिल कई भाषाओं को बोलने वालों से ज्यादा है।इसके बावजूद इसे आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं करना समझ से परे है।कई राज्यों का क्षेत्रफल छत्तीसगढ़ से कम है,लेकिन उनकी भाषाएं आठवीं अनुसूची में शामिल है जैसे केरल (मलयालम),गोवा (कोंकणी),मणिपुर (मणिपुरी) आदि।इसलिए छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने राज्य सरकार को पहल करना चाहिए।
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