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फाइलेरिया रोधी दवा खाकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मीरा बघेल ने मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम का शुभारंभ किया। यह कार्यक्रम 24 जुलाई तक चलेगा । जिसमें DEC ( Diethylcarbamazine ) की टेबलेट और अल्बेंडाजोल की टेबलेट खिलाई जाएगी। इसके तहत लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा नि:शुल्क खिलाई जाएगी। इस अवसर पर जिला मलेरिया अधिकारी डॉ.विमल किशोर राय के साथ मलेरिया विभाग के स्टाफ भी मौजूद रहे ।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मीरा बघेल ने बताया, ‘‘यह कार्यक्रम 24 जुलाई तक चलेगा। इस दौरान पूरे जिले में दो वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं और गंभीर रूप से बीमार को छोड़कर सभी को यह दवा दी जाएगी। मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ( MDA) में दवा खाकर हाथी पांव बीमारी से आसानी से बचा जा सकता है ।’’
जिला मलेरिया अधिकारी डॉक्टर विमल किशोर राय ने बताया “सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर आज से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA)का शुभारंभ किया गया। साथ ही सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में भी दवा खिलाई गई है । हाथी पांव बीमारी से सुरक्षित करने के लिए सभी लोगों दवा खाकर अपना बचाव करना चाहिए । मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मीरा बघेल ने खुद फाइलेरिया रोधी दवा खाई और शुभारंभ अवसर पर मौजूद समस्त लोगों ने भी फाइलेरिया रोधी दवा खाई । सभी लोगों को उम्र के अनुसार फाइलेरिया रोधी दवा की खुराक प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा खिलाई जाएगी। इस एमडीए कार्यक्रम में रायपुर ज़िले में लगभग 24.2 लाख लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए 8,124 टीम बनाई गयी है”।
फाइलेरिया के कारण
फाइलेरिया मच्छरों द्वारा फैलता है, खासकर परजीवी क्यूलेक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के जरिए। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं। ज्यादातर संक्रमण अज्ञात के रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है। इसलिए इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है।
फाइलेरिया के लक्षण
खास कर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते, लेकिन बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द और सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके साथ ही पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। इस बीमारी में हाथ और पैर हाथी के पांव की तरह सूज जाते हैं। इस कारण बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। वैसे तो फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
फाइलेरिया से बचाव
फाइलेरिया चूंकि मच्छर के काटने से फैलता है, इसलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए। इसके लिए घर के आस-पास और अंदर साफ-सफाई रखें। पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें। पूरी आस्तीन के कपड़े पहने । हाथ या पैर में कहीं चोट लगी हो या घाव हो तो फिर उसे साफ रखें। साबुन से धोएं और फिर पानी सुखाकर दवाई लगा लें।
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