CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
रायपुर /शौर्यपथ/
एनीमिया यानि रक्ताल्पता से एक बड़ी आबादी जिसमें महिलाओं से लेकर बच्चे शामिल हैं, लगातार पीड़ित हैं। आम बोलचाल की भाषा में एनीमिया का मतलब खून यानि हीमोग्लोबिन की कमी है। किसी व्यक्ति में एनीमिया तब होता है जब रक्त में लाल रूधिर कण यानि आरबीसी के नष्ट होने की दर उसके निर्माण के दर से अधिक हो। एनीमिया को गंभीरता से नहीं लेने पर आगे चलकर यह गंभीर रुप धारण कर लेता है। इसलिए इसके प्रति जागरूकता बहुत जरूरी है। महिलाओं में मासिक धर्म और गर्भावस्था में यदि एनीमिया का समुचित उपचार नहीं किया गया तो यह अनेक रोगों का कारण भी बनता है। एनीमिया की गंभीरता को देखते हुए सरकार द्वारा इसके बचाव और नियंत्रण के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
शासकीय आयुर्वेद कॉलेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि एनीमिया के अनेक प्रकार हैं। लेकिन सभी तरह की एनीमिया में त्वचा, जीभ, नाखूनों और पलकों के अंदर सफेद दिखाई देना, कमजोरी एवं बहुत अधिक थकावट, लेटकर या बैठकर खड़े होने पर चक्कर आना, सांस फूलना, हृदय गति का तेज होना, बेहोशी आना, चेहरे व पैरों पर सूजन आना, बालों का झड़ना जैसे मुख्य लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे ही किसी व्यक्ति में यह लक्षण दिखाई दें उन्हें तत्काल सरकारी स्वास्थ्य केंद्र या चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
बच्चों में एनीमिया पौष्टिक आहार की कमी और कृमि के कारण होता है। महिलाओं में एनीमिया का प्रमुख कारण मासिक धर्म के समय अत्यधिक रक्तस्राव और गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार के सेवन का अभाव है। साथ ही हमारी सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियां जिसमें महिलाओं का परिवार में आखिर में बचा भोजन ग्रहण करने की परंपरा भी इसके लिए जिम्मेदार है। इसके चलते महिलाओं को सुपोषण नहीं मिल पाता। महिलाओं और बच्चों में एनीमिया के लिए कुपोषण की भी प्रमुख भूमिका है। सरकार द्वारा शिशु और महिला सुपोषण अभियान सतत रूप से चलाया जा रहा है। इन अभियानों में और अधिक जन-जागरूकता की आवश्यकता है।
डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आयुर्वेद में एनीमिया को पांडुरोग कहा जाता है जो पित्त दोष की विषमता से होता है। सिकलसेल एनीमिया, रक्त कैंसर, अल्सर से रक्तस्राव, अत्यधिक रक्तस्राव सहित अन्य गंभीर बीमारियों के कारण होने वाले एनीमिया का उपचार चिकित्सा परामर्श, दवाओं एवं विभिन्न थैरेपी द्वारा विशेषज्ञ करते हैं। सामान्य तौर पर पौष्टिक आहार और जागरूकता से एनीमिया से बचाव संभव है। एनीमिया से बचाव के लिए नियमित रूप से प्रोटीन, आयरन, विटामिन-सी से परिपूर्ण आहार जैसे रोटी, दाल, हरी पत्तेदार सब्जियां, पालक, लालभाजी, मुनगा यानि सहजन, कद्दू, केला, शकरकंद, चुकंदर, अनार, आंवला, नींबू, संतरा, केला, सेब, अमरूद, अंडा, दूध, दही, अंजीर, किशमिश, खजूर, गुड़-चना, हल्दी मिला दूध, तिल, मेथी व अजवाइन को शामिल करते हुए नियमित व्यायाम और योग को शामिल करना चाहिए। साथ ही चाय, कॉफी, कोल्ड-ड्रिंक्स, शराब और धूम्रपान का परहेज करना चाहिए।
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.