October 31, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ


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जेम पोर्टल में भ्रष्टाचार का केन्द्र बना, प्रदेश के बाहर के सप्लायरो से ज्यादा खरीदी हो रही
आठ लाख की रोटी खरीदी मामले की लीपापोती की जा रही है  

    रायपुर / शौर्यपथ / जेम पोर्टल भ्रष्टाचार का केन्द्र बन चुका है। पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि जेम पोर्टल से की गई सभी खरीदी की जांच होनी चाहिए ।  कांग्रेस सरकार के समय सीएसआईडीसी के माध्यम से हो रही खरीदी को भाजपा सरकार बनने के बाद इसी लिए बंद किया गया था ताकि भ्रष्टाचार किया जा सके और राज्य के बाहर के सप्लायरों से कमीशन ले कर खरीदी की जाय।जेम पोर्टल के माध्यम से अब तक 87873 करोड़ की खरीदी की गई है। इस पूरी खरीदी की जांच की जानी चाहिये। जेम पोर्टल की खरीदी में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। स्थानीय व्यापारियों की अनदेखी हुई है, पोर्टल से हुई अधिकांश खरीदी राज्य के बाहर के सप्लायरों से हुई है। इसी जेम पोर्टल से 300 का जग 32000 में खरीदा गया है। 1 लाख की टी.वी 10 लाख में, 60 हजार की रोटी मेकर मशीन 8 लाख में खरीदी गयी। 1539 का ट्रेक सूट 2499 में खरीदा गया। यह है जेम पोर्टल का कमाल सरकार में बैठे हुये लोग जेम पोर्टल के माध्यम से राज्य के खजाने पर डाका डाल रहे है। आठ लाख की रोटी खरीदी मामले में लीपापोती करने में पूरी सरकार जुटी है जबकि इस मामले में अभी तक एफआईआर हो जाना था ।
 पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि जेम पोर्टल के माध्यम से की गई अभी तक की सभी खरीददारी का सोशल ऑडिट करवाया जाय तो पूरा सिस्टम नंगा हो जाएगा ।सरकार में सह है तो सभी खरीदारी की गई सामांग्री और उसके भाव सार्वजनिक कर दे ।अभी तक जितनी भी खरीदी की गई साफ हो जाएगा कि सारा सामान बाजार भाव से दस से सौ गुना से भी  अधिक भाव पर खरीदी हुई है।
 दीपक बैज ने कहा जेम पोर्टल से खरीदी में जो भ्रष्टाचार हुआ है उसमें नीचे से ऊपर तक लोग शामिल है इसीलिए सरकार किसी भी घोटाले का जांच नहीं करवा रही ।जांच की मांग करने वाले घोटाले के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की जाती है बलौदाबाजार रायपुर में यही हुआ है ।

रायपुर / शौर्यपथ।
   इस्पात गोदावरी हादसे से पूरे प्रदेश में शोक की लहर है। मृतकों के परिजनों और घायलों से संवेदना व्यक्त करने आज पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने मुलाकात की। दोनों नेताओं ने नारायणा हॉस्पिटल पहुंचकर घायलों का हालचाल जाना और उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की।

घटना को गंभीर लापरवाही बताते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि प्रथम दृष्टया इंडस्ट्रियल सेफ्टी एक्ट का पालन नहीं किया गया था। कंपनी प्रबंधन की स्पष्ट लापरवाही सामने आ रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब उद्योग विभाग और श्रम विभाग मौजूद हैं, तो औद्योगिक सुरक्षा की अनदेखी कैसे हो रही है?

बैज ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की मांग करती है।
? मृतकों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए।
? घायलों को 50 लाख रुपये और पूर्ण इलाज की व्यवस्था मिले।
? घटना की निष्पक्ष जांच कर कंपनी प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज की जाए।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इस तरह की घटनाएं औद्योगिक क्षेत्रों में प्रबंधन की बेलगाम कार्यशैली और सरकारी उदासीनता का परिणाम हैं। उन्होंने पीड़ित परिवारों को भरोसा दिलाया कि कांग्रेस पार्टी उनके साथ खड़ी है और न्याय दिलाने तक संघर्ष जारी रहेगा।

यह हादसा न केवल सुरक्षा मानकों पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि प्रदेश में उद्योगों के संचालन पर निगरानी कितनी ढीली है। पीड़ित परिवार अब सरकार और प्रशासन से न्यायपूर्ण कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

  दुर्ग/लखोली / शौर्यपथ /
37 सीजी बटालियन एनसीसी दुर्ग द्वारा लखोली में 10 दिवसीय संयुक्त वार्षिक प्रशिक्षण शिविर (CATC-150) का आयोजन 26 सितम्बर से 05 अक्टूबर तक किया जा रहा है। इस शिविर में विभिन्न कॉलेजों एवं स्कूलों से कुल 401 कैडेट्स भाग ले रहे हैं।
  शिविर का शुभारंभ कैंप कमांडेंट कर्नल निलेश चतुर्वेदी के उद्घाटन भाषण से हुआ। उन्होंने एनसीसी के आदर्श वाक्य “एकता और अनुशासन” पर प्रकाश डालते हुए कैडेट्स को देशप्रेम, सेवा-भाव और सशस्त्र सेनाओं में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। साथ ही जल संरक्षण, जल की बर्बादी रोकने तथा अनुशासन में रहकर लक्ष्यों को हासिल करने का आह्वान किया।
  कर्नल चतुर्वेदी ने शिविर की गतिविधियों की जानकारी देते हुए बताया कि इसमें गणतंत्र दिवस परेड दिल्ली की तैयारी, थल सेना कैंप, एसएसबी चयन हेतु विशेष कक्षाएं, व्यक्तित्व विकास, नेतृत्व क्षमता, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता पर व्याख्यान, ड्रिल, खेलकूद और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं। शिविर की रूपरेखा सैन्य वातावरण पर आधारित है, ताकि कैडेट्स सेना जैसी दिनचर्या से परिचित हो सकें।
  शिविर के दूसरे दिन विशेष सत्र में रायपुर ट्रैफिक पुलिस के डीएसपी गुरजीत सिंह एवं उनकी टीम ने सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यातायात नियमों का पालन केवल जुर्माने से बचने के लिए नहीं, बल्कि जीवन सुरक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी के लिए आवश्यक है। कैडेट्स को हेलमेट और सीटबेल्ट के अनिवार्य उपयोग, वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग न करने, ओवरस्पीडिंग से बचने, पैदल यात्रियों को प्राथमिकता देने और ट्रैफिक सिग्नलों का पालन करने जैसे बिंदुओं पर जागरूक किया गया। उन्होंने कैडेट्स को समाज में “रोल मॉडल” बनकर नागरिकों को प्रेरित करने का संदेश दिया।
  इस शिविर में उप शिविर सेनानी कर्नल प्रेमजीत, सूबेदार मेजर थानेश्वर गुरुंग, तथा विभिन्न संस्थानों से आए एनसीसी अधिकारी — कैंप एजुटेंट ऑफिसर लेफ्टिनेंट संतोष यादव, लेफ्टिनेंट प्रशांत दुबे, फर्स्ट ऑफिसर पूनम सोंधी, फर्स्ट ऑफिसर सचिन शर्मा, फर्स्ट ऑफिसर के.के. कोशिमा, थर्ड ऑफिसर पूनम बघेल एवं पीआई स्टाफ उपस्थित रहे। सभी अधिकारियों ने कैडेट्स को अनुशासन, नेतृत्व एवं कौशल विकास की दिशा में सक्रिय रूप से प्रेरित किया।
  यह शिविर न केवल कैडेट्स को सैन्य जीवन का अनुभव करा रहा है, बल्कि उनमें सामाजिक दायित्व, राष्ट्रप्रेम और जिम्मेदार नागरिक बनने की भावना भी प्रबल कर रहा है।

दुर्ग/कोपीडीह / शौर्यपथ /
श्री जी योग समिति दुर्ग (पंजीकृत संस्था), जो पिछले तीन वर्षों से योग प्रशिक्षण के क्षेत्र में सक्रिय है, ने नवरात्रि पर्व के अवसर पर आस्था और समर्पण का अद्वितीय परिचय दिया। समिति द्वारा डोंगरगढ़ जाने वाले पद यात्रियों के लिए ग्राम कोपीडीह में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया।
  भक्ति और उल्लास से भरे इस आयोजन में समिति के सभी सदस्यों ने तन, मन, धन से योगदान देते हुए देवी गीत, नृत्य और हर्षोल्लास के साथ यात्रियों और ग्रामीणों को भोजन परोसा। व्रतधारियों के लिए विशेष फलाहार की व्यवस्था की गई, जिससे श्रद्धालुओं में अपार हर्ष देखा गया।
  समिति का यह आयोजन ग्रामवासियों के लिए भी विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। गांव में भक्तिभाव और सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बना। समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष सहित सभी पदाधिकारी एवं सदस्य – पंकज शर्मा, देवाशीष कर्मकार, अमरेश भौमिक, बबीता गुप्ता, वंदना सोनी, संदीप अग्रवाल, शरद गुप्ता, शोभा कर्मकार, कमल शर्मा, ब्यूटी भौमिक, कविता चौधरी, इंदु वडेरा, पूजा विश्वकर्मा, प्राची विश्वकर्मा, सूर्य राजपूत, भावना साहू एवं नितेश साहू अपने बच्चों सहित, रविशंकर सोनी, दीनदयाल साहू, मनीष दरयानी, कुशल उजाला–गंगा उजाला अपने बच्चों सहित, डॉली साहू, शोभ सुनील खंडेलवाल, मनीष साहू, ममता गणेश अग्रवाल, निक्की अग्रवाल, अर्चना भौमिक, डॉ. अनुराधा बक्शी, सौम्या सिंघानिया अपनी माता सहित, मूलचंद भैया, गौरव बजाज, पलक, पूनम चावड़ा, हार्दिक चावड़ा, कार्तिक, प्रीति अग्रवाल और अन्य अनेक सदस्य पूरे उत्साह के साथ उपस्थित रहे।
  माता रानी की पूजा-अर्चना हेतु समिति द्वारा दान भी अर्पित किया गया। इस अवसर पर ग्राम सरपंच का सहयोग भी सराहनीय रहा। कार्यक्रम के अंत में समिति ने सभी ग्रामवासियों के सहयोग और सहभागिता के लिए आभार प्रकट किया।
? “मां बंधन भी है और मुक्ति भी, मां साधन भी है और साध्य भी” – इसी भाव के साथ यह आयोजन नवरात्रि में श्रद्धा, सेवा और समर्पण का प्रेरणादायी उदाहरण बन गया।

दुर्ग। शौर्यपथ।

वैशाली नगर में गरबा महोत्सव के नाम पर आस्था को शर्मसार करते हुए अश्लीलता का नंगा नाच हुआ और इस आयोजन में क्षेत्र के विधायक श्री रिकेश सेन भी मौजुद रहे। धार्मिक आयोजनों को राजनीति और पाखंड का साधन बनाने की यह सोच नई नहीं है, लेकिन समाज के सामने जब ऐसे दृश्य आते हैं, तो जनता का विश्वास टूट जाता है।

विधायक की मौन उपस्थिति या मौन स्वीकृति?

    गंगा जल जितनी पावन पार्टी और संस्कृति के स्वयंभू रक्षक जब अश्लील डांस का आनंद लेते दिखें, तो फिर जनता किससे उम्मीद रखे? यही वजह है कि सोशल मीडिया पर लोग विधायक से सवाल पूछ रहे हैं – क्या यह वही संस्कृति और आदर्श हैं, जिनका हवाला हर मंच से दिया जाता है? धार्मिक श्रद्धा और सुचिता का दावा करने वाले इस तरह आस्था के मंच को उपहास का केंद्र बना रहे हैं।

आस्था के मंच पर अश्लीलता – चिंतन का विषय

   यह कोई पहला मौका नहीं है जब असे आयोजनों पर सवाल उठे हैं, लेकिन एक जनप्रतिनिधि की उपस्थिति में ऐसे दृश्य सामने आना, समाज के नैतिक मूल्यों को बट्टा लगाने जैसा है। जनता जानना चाहती है कि क्या राजनीति धार्मिक आयोजनों तक को शर्मसार करने की छूट देने लगी है? इस गंभीर मसले पर समाज को मुखर होना पड़ेगा और नेताओं को भी जवाब देना होगा कि आस्था के साथ खिलवाड़ कब तक चलता रहेगा। 

डॉ नीता मिश्रा, सहायक प्राध्यापक, शहीद गुण्डाधूर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसन्धान केंद्र, जगदलपुर

शौर्यपथ लेख।

भारत में रेबीज से होने वाली मौतें एक बार फिर राष्ट्रीय बहस का विषय बन गई हैं। हाल ही में दिल्ली और अन्य राज्यों में रेबीज के मामलों में वृ‌द्धि ने सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करने पर मजबूर कर दिया। अदालत ने सख्त निर्देश जारी किए हैं, जिससे देश की आवारा कुत्तों की नीति पर सवाल उठने लगे हैं। रेबीज़ जैसी गंभीर बीमारी के प्रति आवश्यक जागरूकता कि कमी ही पशुओ एवं मनुष्यों में होने वाले मृत्यु दर का मुख्य कारण है जिसे स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सहभागिता से ही नियंत्रित किया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रतिवर्ष जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से 28 सितम्बर को विश्व रेबीज़ दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस परिपेक्ष्य में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रिय रेबीज़ नियंत्रण कार्यक्रम, रेबीज़ उन्मूलन हेतु राष्ट्रिय कार्य योजना संचालित की जा रही है जिसके अंतर्गत "2030 तक जीरो रेबीज़" का लक्ष्य रखा गया है।

*रेबीज़ क्या है?*

रेबीज़ पशुओ से इंसानों में होने वाला एक जानलेवा घातक बिमारी है जो आमतौर पर किसी जानवर के काटने या खरोचने से फैलता है, उदाहरण के लिए, आवारा कुत्तों, बिल्लियों और चमगादड़ों के काटने से, जिसके एक बार लक्षण परिलक्षित होने के बाद पशुओ एवं इंसानों में भी कोई इलाज उपलब्ध नही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन कि एक रिपोर्ट अनुसार भारत में प्रतिवर्ष 18000-20000 लोगो कि रेबीज़ के कारण मृत्यु होती है जिसमे छत्तीसगढ़ भी टॉप 10 राज्यों में से एक है। कुत्तो के काटने से होने वाली मृत्यु के ज्यादातर शिकार 15 वर्ष से कम आयु के बच्चे होते है।

*रेबीज़ कैसे होता है?*

यह बिमारी रेबीज़ वायरस (रेब्ड़ो वायरस) के संक्रमण के कारण होता है, इसीलिए इस बिमारी को रेबीज़ कहते है। यह वायरस संक्रमित रेबिड जानवरों की लार के ज़रिए फैलता है। संक्रमित जानवर किसी दूसरे जानवर या व्यक्ति को काटकर वायरस फैला सकते हैं। दुर्लभ मामलों में, रेबीज़ तब फैल सकता है जब संक्रमित लार किसी खुले घाव या श्लेष्म झिल्ली, जैसे कि मुंह या आंखों में चली जाती है। इसके अतिरिक्त संक्रमित पशुओ या संक्रमित मनुष्य के अथवा उनके शारीर से होने वाले विभिन्न स्त्राव के संपर्क में आने से भी रेबीज़ बिमारी होने की आशंका रहती है।

*रेबीज़ बिमारी के पशुओ में क्या लक्षण दिखाई देते है?*

पालतू पशुओ के शुरुवाती लक्षण बुखार, भूख न लगना, दर्द, व्यवहार में परिवर्तन, पशुओ का अत्यधिक आक्रामक (furious form) या अत्यधिक शांत हो जाना (dumb form), मुंह से अत्यधिक झाग निकलना, अनावश्यक भौंकना या चिल्लाना, जीभ लटकना, अतिउत्तेजित होकर सभी पर आक्रमण करना, अन्य पशुओ एवं मनुष्यों को काटना, मांस पेशियों में अकडन, पैरालिसिस एवं मृत्यु इत्यादि ।

*रेबीज़ बिमारी के इंसानों में क्या लक्षण दिखाई देते है?*

इंसानों में रेबीज़ के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे हो सकते हैं और इनमें कमज़ोरी, सिरदर्द और बुखार शामिल हो सकते हैं। रेबीज़ के गंभीर लक्षण अंतर्गत जी मचलाना, उल्टी आना, चक्कर आना, चिंता व भ्रम की स्थिति में रहना, अति उत्तेजित या अति शांत होकर अवसाद जैसे मानसिक स्थिति निर्मित होती है। परिपक्व अवस्था मनुष्य को धीरे धीरे पानी या भोजन घुटकने में परेशानी होने लगती है एवं पानी से भय होने लगता है, जिसे हाइड्रोफोबिया कहते है। मनुष्यों में यह एक बहुत महत्वपूर्ण लक्षण है क्योकि इन्सान पानी को देखकर डरने लगता है एवं पानी से दूर रहने की कोशिश करता है। बिमारी की अंतिम अवस्था में अत्यधिक लार स्त्राव होना, जीभ का लटकना, बोलने में असमर्थ होना, फोनोफोबिया, कुत्ते जैसी आवाज निकालना, हवा के झोखे से डरना, पुतली का फैल जाना, मांसपेशियों में ऐंठन, पैरालिसिस, सुध-बुध खोना, कोमा में जाना व पक्षाघात के साथ मनुष्य की मृत्यु हो जाती है।

*पागल कुत्ते या जंगली पशुओ के काटने पर क्या करना चाहये?*

सर्वप्रथम किसी भी अन्य पालतू या जंगली पशुओ द्वारा अपने पालतू पशु या मनुष्यों को काटे या खरोचने पर काटे गये जगह को साबुन एवं बहते पानी के प्रवाह से धोना चाहिए। तत्पश्चात उपलब्ध एंटीसेप्टिक का इस्तेमाल कर 24 घंटे के भीतर क्रमशः नजदीकी पशुचिकित्सालय या जनचिकित्सालय जाकर चिकित्सकीय सलाह अनुसार एंटी रेबीज़ टीका सहित अन्य दवाइयों एवं औषधियों का सेवन करना चाहये। इसप्रकार आज भी रेबीज़ एक ऐसी घातक जानलेवा बिमारी है जिसका केवल टीकाकरण से ही बचाव संभव है।

*सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप*

समाचार पत्रों के अनुसार 2025 में दिल्ली में अब तक 49 रेबीज से मौतें दर्ज की गई हैं जिसमे वर्तमान समय में दिल्ली में रेबीज से एक बच्चे की मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को आदेश दिया कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के सभी आवारा कुत्तों को आठ सप्ताह के भीतर पकड़कर शेल्टर में रखा जाए। हालांकि, इस आदेश पर पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने तीव्र विरोध जताया। अदालत ने 22 अगस्त को आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि केवल आक्रामक या रेबीज से ग्रस्त कुत्तों को ही शेल्टर में रखा जाए, बाकी को टीकाकरण और नसबंदी के बाद उनके क्षेत्र में वापस छोड़ा जाए।

*चिकित्सा विशेषज्ञों की राय*

विशेषज्ञों का कहना है कि रेबीज पूरी तरह से रोके जाने योग्य बीमारी है, लेकिन देर से इलाज शुरू होने, टीके की कमी, और जागरूकता की कमी के कारण मौतें होती हैं। गंभीर मामलों में केवल टीका पर्याप्त नहीं होता-रेबीज इम्यूनोग्लोबुलिन (RIG) की भी आवश्यकता होती है। इसप्रकार आज भी रेबीज़ एक ऐसी घातक जानलेवा बिमारी है जिसका केवल टीकाकरण से ही बचाव संभव है।

 अधिक जानकारी के लिए आप डॉ मिश्रा से 9131564254 पर या अपने नजदीकी जनस्वास्थ्य केंद्र या पशुचिकित्सा संस्था में सम्पर्क कर सकते है।

✍️ सौरभ ताम्रकार, राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)

नवरात्रि के पावन दिनों में जहां देवी की आराधना और भक्ति का माहौल होना चाहिए, वहीं दूसरी ओर गरबा और डांडिया नाइट्स का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। अब ये उत्सव केवल सांस्कृतिक या धार्मिक आयोजन नहीं रहे, बल्कि बड़े पैमाने पर “कॉर्पोरेट इवेंट” और “बिजनेस मॉडल” बन चुके हैं।

आयोजनों में करोड़ों का निवेश

प्रदेश के शहरों में इस बार गरबा-डांडिया महोत्सव का कारोबार करोड़ों तक पहुंचने की उम्मीद है। आयोजक कंपनियां और क्लब नवरात्रि के नाम पर विशाल बजट निकालकर स्पॉन्सरशिप, विज्ञापन और टिकट बुकिंग से मोटी कमाई कर रहे हैं।

  • पास/टिकट शुल्क: आम जनता से 500 से लेकर 5,000 रुपये तक वसूले जा रहे हैं।

  • कॉर्पोरेट पैकेज और वीआईपी टेबल: कंपनियों और धनाढ्य वर्ग को खास ऑफर दिए जा रहे हैं।

  • ऑनलाइन बुकिंग: सोशल मीडिया और बुकिंग ऐप्स के जरिये युवा वर्ग को खासतौर पर आकर्षित किया जा रहा है।

भक्ति से ज्यादा दिखावा

पहले जहां मोहल्लों और मंदिर परिसरों में लोग मुफ्त या न्यूनतम सहयोग राशि पर गरबा खेला करते थे, वहीं अब ऊंचे-ऊंचे टिकट रेट ने गरीब और मध्यम वर्ग को दूर कर दिया है। मंच, डीजे, चमचमाती लाइटिंग और महंगे कलाकार बुलाने के खर्च की भरपाई जनता की जेब से की जा रही है। परिणामस्वरूप धार्मिक आस्था और परंपरा की जगह दिखावा और कारोबारी चमक-दमक हावी हो रही है।

प्रशासन की चुप्पी

सबसे बड़ा सवाल प्रशासन की भूमिका को लेकर है।

  • कई इवेंट आयोजकों ने अब तक न तो जीएसटी विभाग से अनुमति ली है और न ही पर्याप्त टैक्स जमा किया है

  • अफसर शिकायत दर्ज होने का इंतजार कर रहे हैं, जबकि टिकटों की खुली बिक्री और करोड़ों का कारोबार उनकी आंखों के सामने हो रहा है।

  • नाम न छापने की शर्त पर कुछ अधिकारियों ने यह जरूर स्वीकारा कि “विभाग अलर्ट मोड में है” और टैक्स की वसूली की जाएगी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

समाज में उठ रहे सवाल

यह स्थिति अब समाज में चर्चा का बड़ा विषय बन गई है—

  • क्या नवरात्रि और गरबा महोत्सव का मकसद केवल पैसा कमाना रह गया है?

  • क्या देवी दर्शन और गरबा खेलने के लिए भी आम जनता को भारी रकम चुकानी पड़ेगी?

  • धर्म और संस्कृति के नाम पर हो रहे इस व्यापारिक खेल पर आखिर कौन नियंत्रण करेगा?

निष्कर्ष

नवरात्रि उत्सव का मूल भाव “भक्ति, आस्था और संस्कृति” रहा है। लेकिन आज यह करोड़ों का व्यवसाय बनकर गरीब और सामान्य वर्ग से दूरी बना रहा है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन और समाज मिलकर इसे सही दिशा देंगे, ताकि नवरात्रि अपनी वास्तविक पहचान—भक्ति और सांस्कृतिक मेलजोल का पर्व—बना रह सके?

मुख्यमंत्री साय ने सरस्वती महाविद्यालय भवन का किया लोकार्पण: सरस्वती स्कूलों के 24 प्रतिभावान विद्यार्थियों को किया सम्मानित

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि विद्या भारती संस्था भारत की संस्कृति और परंपरा को आगे बढ़ाने में विशिष्ट योगदान दे रही है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे राष्ट्र गौरव निर्माण में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएँ।
  मुख्यमंत्री साय आज बिलासपुर के कोनी स्थित सरस्वती शिशु मंदिर परिसर में नव-निर्मित सरस्वती महाविद्यालय भवन का लोकार्पण करने पहुँचे। इस अवसर पर विद्या भारती द्वारा आयोजित भव्य सम्मान समारोह में प्रदेश के 33 जिलों के सरस्वती स्कूलों से चयनित 24 मेधावी छात्र-छात्राओं को तथा विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों एवं महोत्सवों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।
  कार्यक्रम की अध्यक्षता उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने की। विशिष्ट अतिथियों के रूप में केंद्रीय राज्यमंत्री श्री तोखन साहू, उच्च शिक्षा मंत्री श्री टंक राम वर्मा तथा स्कूल शिक्षा मंत्री श्री गजेंद्र यादव उपस्थित रहे। इस अवसर पर बिल्हा विधायक श्री धरमलाल कौशिक और तखतपुर विधायक श्री धर्मजीत सिंह भी विशेष रूप से शामिल हुए।
 मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय सहित सभी अतिथियों ने सरस्वती स्कूल परिसर, कोनी में नव-निर्मित महाविद्यालय भवन का विधिवत पूजा-अर्चना कर लोकार्पण किया। तत्पश्चात सरस्वती स्कूल परिसर स्थित लखीराम सभा भवन में आयोजित सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री ने शारदीय नवरात्रि की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि मेधावी छात्र-छात्राएँ अपनी मेहनत, अनुशासन और संस्कारों से प्रदेश का गौरव बढ़ा रहे हैं। विद्यालय का यह नया भवन शिक्षा और ज्ञान के विस्तार का प्रतीक है, जो समाज को नई दिशा देगा।
  उन्होंने कहा कि सरस्वती महाविद्यालय के द्वारा गुरु घासीदास विश्वविद्यालय तथा इसरो, बेंगलुरु के साथ एमओयू किए हैं, जिससे विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा, अनुसंधान और तकनीकी क्षेत्र में अधिक अवसर मिलेंगे। साथ ही पं. सुंदरलाल शर्मा विश्वविद्यालय का स्टडी सेंटर भी यहाँ प्रारंभ होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्थानीय भाषा में शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण, हाइटेक लाइब्रेरी, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी सुविधाएँ विद्यार्थियों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे दृढ़ संकल्प और परिश्रम के साथ समाज और राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दें।
  विशिष्ट अतिथि उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने कहा कि विद्या भारती शिक्षा के साथ संस्कार देने का कार्य कर रही है। उन्होंने संस्था द्वारा ज्ञान परंपरा और भारतीय संस्कृति को सहेजने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।
  विद्या भारती के प्रांतीय संगठन मंत्री श्री देव नारायण ने संस्था के सिद्धांतों, विचारधारा और कार्य-प्रणाली की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरस्वती संस्थान द्वारा अब तक छत्तीसगढ़ में तीन महाविद्यालयों की स्थापना की गई है और सात प्रकल्प संचालित हैं। ग्राम भारती के अंतर्गत 1,100 से अधिक विद्यालय कार्यरत हैं। इन संस्थानों के माध्यम से भारतीय संस्कृति और परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुँचाया जा रहा है, जिससे योग्य और राष्ट्र के प्रति समर्पित विद्यार्थियों का निर्माण हो रहा है।

कार्यक्रम में नन्हे बच्चों ने आकर्षक सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ देकर सभी का मन मोह लिया।
  इस अवसर पर नगर निगम महापौर श्रीमती पूजा विधानी, क्रेडा अध्यक्ष श्री भूपेंद्र सवन्नी, सरस्वती शिक्षा संस्थान छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष श्री राम भरोसा सोनी, सरस्वती ग्राम शिक्षा समिति के अध्यक्ष श्री रतन चंद्राकर, सरस्वती शिशु मंदिर कोनी के अध्यक्ष श्री मुनेश्वर कौशिक, सरस्वती ग्राम शिक्षा समिति के सचिव श्री संतोष तिवारी, श्री बृजेंद्र शुक्ला, श्री पुरनंदन कश्यप, श्री रामपाल, श्री सुजीत मित्रा, श्री सुदामा राम साहू, प्रांत प्रमुख श्रीमती दिव्या चंदेल, संचालकगण, प्राचार्य/आचार्यगण तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

प्रशासनिक कामकाज की गति बढ़ाने और पारदर्शिता के लिए आईटी एवं एआई आवश्यक
जिम्मेदार प्रशासन को मजबूत करने के लिए डिजिटल प्रोडक्टिविटी पर जोर

रायपुर / शौर्यपथ / नवा रायपुर स्थित ट्रिपल-आईटी में डिजिटल उत्पादकता संवर्धन एवं एआई एकीकरण विषय पर प्रशिक्षण आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम राज्य सरकार की पहल पर मंत्रालय में पदस्थ अधिकारियों-कर्मचारियों को आईटी एवं एआई की नवीनतम तकनीकों और अनुप्रयोगों का प्रशिक्षण देकर प्रशासनिक कार्यों की गति और दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव श्री अविनाश चंपावत, विशिष्ट अतिथि सुशासन एवं अभिसरण विभाग तथा मुख्यमंत्री के सचिव श्री राहुल भगत थे, जबकि अध्यक्षता ट्रिपल-आईटी के डायरेक्टर प्रोफेसर डॉ. ओपी व्यास ने की।
  प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभागी अधिकारियों-कर्मचारियों को जिम्मेदार प्रशासन को मजबूत करने के लिए डिजिटल उत्पादकता को बढ़ावा देने पर विस्तृत चर्चा की गई। पहले दिन प्रतिभागियों को MS Word, Google Docs, Excel और Google Sheets के उन्नत फीचर्स, साथ ही डेटा मॉडलिंग के प्रयोग का प्रशिक्षण दिया गया।
  सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव श्री अविनाश चंपावत ने अपने उद्बोधन में कहा कि कौशल उन्नयन एक सतत प्रक्रिया है, जिससे व्यक्तित्व और कार्यसंस्कृति दोनों निखरते हैं। उन्होंने एआई-आधारित प्रशिक्षण को कर्मचारियों की क्षमता वृद्धि में एक मील का पत्थर बताया और प्रतिभागियों से इसका पूरा लाभ उठाने का आग्रह किया।
  सुशासन एवं अभिसरण विभाग के सचिव श्री राहुल भगत ने नागरिक-केंद्रित शासन में तकनीक की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सरकारी कार्यकुशलता बढ़ाने में एआई टूल्स अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने ई-ऑफिस प्रणाली का उदाहरण देते हुए कहा कि तकनीक का प्रभावी उपयोग शासन को अधिक पारदर्शी और जिम्मेदार बना सकता है।
  ट्रिपल-आईटी के डायरेक्टर प्रोफेसर डॉ. ओपी व्यास ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि एआई का स्मार्ट उपयोग करने के लिए हमें जागरूक और सतर्क रहना होगा। एआई के व्यवहारिक अनुप्रयोग से शुरुआत कर निरंतर सीखने की आदत हमें एआई से और अधिक फ्रेंडली बनाएगी। उन्होंने कहा कि डेटा की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है, इसलिए हमें संवेदनशील जानकारी एआई को नहीं देनी चाहिए ताकि सार्वजनिक डोमेन में इनका दुरुपयोग न हो सके।
  प्रो. के. जी. श्रीनिवास ने भरोसा दिलाया कि यह प्रशिक्षण उच्च गुणवत्ता वाला और परिणामोन्मुखी होगा। इस प्रशिक्षण के प्रथम चरण में सामान्य प्रशासन, गृह एवं अन्य विभागों के 100 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी शामिल हुए। यह प्रशिक्षण 24 सितंबर से प्रारंभ होकर 25 अक्टूबर 2025 तक आयोजित किया जा रहा है।

"प्रशासनिक कार्यों की गति और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए डिजिटल प्रोडक्टिविटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का समुचित उपयोग आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। शासन-प्रशासन को अधिक जवाबदेह और कुशल बनाने में एआई टूल्स और डिजिटल तकनीकें अभूतपूर्व सहायक सिद्ध होंगी। ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम अधिकारियों-कर्मचारियों की कार्यक्षमता में गुणात्मक सुधार लाएंगे और नागरिक-केंद्रित शासन को नई मजबूती प्रदान करेंगे।"  - मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

इन्फ्रास्ट्रक्चर और संसाधनों की उपलब्धता के साथ समय पर न्याय उपलब्ध कराने राज्य सरकार कटिबद्ध : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय
आमजनों का विश्वास प्राप्त करना न्यायपालिका का सर्वाेत्तम उद्देश्य : न्यायाधीश माहेश्वरी

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की स्थापना का रजत जयंती समारोह’ का आयोजन महामहिम राज्यपाल श्री रमेन डेका के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने मुख्य अतिथि राज्यपाल श्री रमेन डेका एवं मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, केंद्रीय राज्य मंत्री श्री तोखन साहू को पौधा एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत एवं अभिनंदन किया। उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव एवं श्री विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, विधि मंत्री श्री गजेन्द्र यादव, पूर्व राज्यपाल रमेश बैस भी इस अवसर पर  मौजूद रहे। कार्यक्रम में रजत जयंती समारोह पर केंद्रित स्मारिका का विमोचन भी किया।

    मुख्य अतिथि राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि इस गौरवशाली अवसर पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की रजत जयंती समारोह में आप सभी को संबोधित करना मेरे लिए अत्यंत सम्मान और गर्व का विषय है। 1 नवम्बर 2000 को जब छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई, तब शासन के साथ-साथ न्याय के क्षेत्र में भी एक नई शुरुआत हुई। इस राज्य के जन्म के साथ ही इस महान संस्था छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर की स्थापना हुई। तभी से यह न्यायालय संविधान का व्याख्याकार, नागरिक अधिकारों का संरक्षक और न्याय का प्रहरी बनकर खड़ा है। राज्यपाल श्री रमेन डेका ने लोक अदालत के अंतर्गत लंबित मामलों के हो रहे त्वरित निराकरण के लिए न्यायपालिका की सराहना की। उन्होंने न्यायपालिका में नैतिकता, सुदृढ़ीकरण और न्यायपालिका के लंबित मामलों को कम कर आम जनों को त्वरित न्याय उपलब्ध कराने की बात कही। उन्होंने कहा कि न्याय केवल सामर्थ्यवान लोगों के लिए ही उपलब्ध नहीं हो बल्कि गांव गरीब एवं आमजनों के लिए भी सर्व सुलभ न्याय उपलब्ध हो तभी इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्यायपालिका की भूमिका सार्थक बनेगी।

    राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि हम उन दूरदर्शी व्यक्तित्वों और संस्थापकों को कृतज्ञतापूर्वक नमन करते हैं, जिन्होंने इस न्यायालय की नींव रखी। प्रथम मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति डब्ल्यू.ए. शिशक और उनके उत्तराधिकारियों ने इस नवगठित न्यायालय को गरिमा, विश्वसनीयता और सशक्त न्यायिक परंपरा प्रदान की। इसी प्रकार अधिवक्ताओं, न्यायालय अधिकारियों एवं कर्मचारियों की निष्ठा और परिश्रम ने इस संस्था को पच्चीस वर्षों तक सुदृढ़ बनाए रखा। इन वर्षों में न्यायालय ने संवैधानिक नैतिकता, नागरिक स्वतंत्रता, आदिवासी अधिकार, पर्यावरण संरक्षण, सुशासन और सामाजिक न्याय जैसे अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर निर्णय दिए। इसने छत्तीसगढ़ की विशिष्ट पहचानदृउसके जंगल, खनिज, संस्कृति और वंचित समुदायों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया। विकास और अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करते हुए इसने यह सुनिश्चित किया कि प्रगति कभी भी न्याय की कीमत पर न हो।
    समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने इस अवसर पर कहा कि हमारा प्रदेश छत्तीसगढ़ अपनी स्थापना की रजत जयंती मना रहा है। यह शुभ अवसर हमारे हाईकोर्ट की रजत जयंती का भी है। यह वर्ष हमारी विधानसभा का रजत जयंती वर्ष भी है। इन सभी शुभ अवसरों पर मैं आप सभी को हार्दिक बधाई देता हूँ।. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर की नगरी को एक नई पहचान दी है। इस शुभ अवसर पर हम भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री एवं हमारे राज्य के निर्माता श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिनकी दूरदर्षिता से छत्तीसगढ़ राज्य एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की स्थापना संभव हो सकी।
    मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर और संसाधनों की उपलब्धता के साथ ही हम किसी भी हालत में समय पर न्याय उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध हैं। इसी क्रम में हमने वर्ष 2023-24 की तुलना में विधि एवं विधायी विभाग के बजट में पिछले साल 25 प्रतिशत और इस वर्ष 29 प्रतिशत बढ़ोतरी की है। यह पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है कि इस पीठ के न्यायाधीश जस्टिस ए.एम. खानविलकर, जस्टिस श्री नवीन सिन्हा, जस्टिस श्री अशोक भूषण, जस्टिस श्री भूपेश गुप्ता और जस्टिस श्री प्रशांत कुमार मिश्रा जैसे न्यायाधीश देश की सर्वाेच्च अदालत तक पहुँचे। न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने वर्चुअल कोर्ट और लाइव स्ट्रीमिंग जैसे डिजिटल नवाचारों को बढ़ावा दिया है। साथ ही डिजिटल रिकॉर्ड रूम, आधार आधारित सर्च और न्यायिक प्रशिक्षण के नए माड्यूल भी अपनाये जा रहे हैं। अपने 25 वर्षों की इस गौरवशाली यात्रा में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ऐसे उल्लेखनीय फैसले दिये हैं जो देश भर में नजीर के रूप में प्रस्तुत किये जाते हैं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की स्थापना के बाद छत्तीसगढ़ के युवाओं में लॉ प्रोफेशन की ओर भी रुझान बढ़ा है। इससे उन्हें करियर के नये अवसर मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री नेा कहा कि हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अंग्रेजों के समय की दंड संहिता को समाप्त कर भारतीय न्याय संहिता को लागू किया। अंग्रेजों के समय भारतीय दंड संहिता का जोर दंड पर था। भारतीय न्याय संहिता का जोर न्याय पर है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का प्रयास है कि लोगों को आधुनिक समय के अनुरूप आये नये तकनीकी बदलावों को भी शामिल किया गया है। इसमें फॉरेंसिक साइंस से जुड़ी पहलुओं का काफी महत्व है। लोगों को त्वरित और सुगम न्याय मिल सके, इसके लिए न्यायपालिका को मजबूत करने समय-समय पर जो अनुशंसाएँ की गईं, उनका बीते एक दशक में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में प्रभावी क्रियान्वयन हुआ है।
    उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश श्री जे.के. माहेश्वरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है और यह धान्य पूर्णता की ओर ली जाती है। जहां धर्म है वहां विजय है। हमार सच्चा कर्म और विचार ही धर्म है। चेतना ही सहज धर्म से जोड़ती है। अगले 25 साल में हम न्यायपालिका को कहां रखना चाहते है इस पर विचार और योजना बनाने का समय है। आम आदमी कोर्ट के दरवाजे पर एक विश्वास के साथ आता है उस मूल भावना के साथ कार्य करें। उन्होंने न्याय व्यवस्था से जुड़े बेंच, बार और लॉयर को विजन के साथ आगे बढ़ने प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि सभी समेकित विजन बनाएं ताकि न्यायपालिका अपने जनकल्याण के अंतिम उद्वेश्य तक पहुंच सके। न्यायाधीश श्री माहेश्वरी ने कहा कि भारत के संविधान में रूल ऑफ लॉ की भावना पूरी हो इसके लिए सभी कार्य करें और अंतिम पायदान तक खड़े व्यक्ति तक न्याय पहंुचे इस सोच के साथ आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि आमजनों का विश्वास प्राप्त करना न्यायपालिका का सर्वाेत्तम उद्देश्य है। हाईकोर्ट की स्थापना के साक्षी रहे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश श्री प्रशांत कुमार मिश्रा ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजत जयंती कार्यक्रम के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दी और न्यायालय से जुड़े अपने संस्मरण साझा किया।

    रजत जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री श्री तोखन साहू ने कहा कि आज केवल न्यायपालिका के 25 वर्षों की यात्रा का उत्सव नहीं है बल्कि न्यायपालिका की उस सुदृढ़ परंपरा का सम्मान है जिसने संविधान और लोकतंत्र की रक्षा में अपना निरंतर योगदान दिया है। पिछले 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने न्याय की पहुंच को आम जनता तक सरल बनाने, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और तकनीकी को क्रांति की तरह अपनाने में अभूतपूर्व कार्य किए हैं।

    छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री रमेश सिन्हा ने स्वागत भाषण दिया। न्यायालय की स्थापना के रजत जयंती अवसर पर सभी अतिथियों और उपस्थित जनों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का रजत जयंती कार्यक्रम निश्चित रूप से हम सभी के लिए गौरवशाली क्षण है। पिछले 25 वर्षों में न्यायालय ने विधि के शासन को स्थापित करने बेहतर कार्य किया है। उन्होंने न्यायालय की स्थापना से लेकर अब तक उपलब्धि एवं कामकाज में आए सकरात्मक बदलाव से सभा को अवगत कराया।  

    समारोह के अंत में न्यायाधीश श्री संजय के अग्रवाल ने आभार प्रदर्शन किया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री अरूण साव, श्री विजय शर्मा, वित्त मंत्री श्री ओपी चौधरी, विधि विधायी मंत्री श्री गजेन्द्र यादव, मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री एम.एम. श्रीवास्तव, तेलंगाना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी सैम कोसी, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश श्री यतीन्द्र सिंह, पूर्व राज्यपाल श्री रमेश बैस, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, डीजीपी श्री अरूणदेव गौतम, महाधिवक्ता श्री प्रफुल्ल भारत, विधायक श्री धरमलाल कौशिक, श्री अमर अग्रवाल, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष श्री चंदेल सहित अन्य न्यायाधीश, अधिवक्ता, जन प्रतिनिधिगण तथा न्यायिक सेवा से जुड़े अधिकारी उपस्थित थे।


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