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नई दिल्ली / शौर्यपथ / कांग्रेस कार्यसमिति की मंगलवार की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जमकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमले बोले हैं. सोनिया गांधी ने पार्टी की इस वर्चुअल बैठक में कहा कि देश में अभी जो हालात हैं, वो सब मोदी सरकार के कुप्रबंधन का नतीजा है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत-चीन के बीच सीमा पर चल रहे तनाव का कारण मोदी सरकार की गलत नीतियां रही हैं. केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए सोनिया ने कहा कि केंद्र सरकार हमेशा सही सलाह सुनने से इनकार करती रही है.
पढ़िए उनके भाषण की प्रमुख बातें-
- सोनिया ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा कि 'यह कहा जाता है "दुखद घटनाएँ कभी अकेले नहीं आती". भारत एक भयावह आर्थिक संकट, एक भयंकर महामारी और अब चीन के साथ सीमाओं पर एक बड़े संकट का सामना कर रहा है. बीजेपी की अगुवाई वाली NDA सरकार का कुप्रबंधन और गलत नीतियां इन संकटों का मुख्य वजह हैं.
- देश के आर्थिक हालात को लेकर सोनिया ने कहा कि देश में आर्थिक संकट और भी गहरा गया है. मोदी सरकार हर सही सलाह को सुनने से इंकार करती है. वक़्त की मांग है कि बड़े पैमाने पर सरकारी खजाने से मदद, गरीबों के हाथों में सीधे पैसा पहंचाना, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यमों की रक्षा करना और उनका पोषण करना और व मांग को बढ़ाना व प्रोत्साहित करना चाहिए. इसके बजाय, सरकार ने एक खोखले वित्तीय पैकेज की घोषणा की, जिसमें सकल घरेलू उत्पाद का 1 प्रतिशत से कम ही राजकोषीय प्रोत्साहन था.
- सोनिया ने लगातार बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दामों को लेकर भी सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा, 'वैश्विक बाजार में जब कच्चे तेल की कीमतें लगातार गिर रही हों, ऐसे समय में सरकार ने लगातार 17 दिनों तक निर्दयता से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि करके देश के लोगों पर पहले से लगी चोट और उसके दर्द को गहरा किया है. नतीजा यह है कि भारत की गिरती अर्थव्यवस्था 42 वर्षों में पहली बार तेजी से मंदी की ओर फिसल रही है.'
- सोनिया ने कहा कि 'मुझे डर है की बेरोजगारी और बढ़ेगी, देशवासियों की आय कम होगी, मजदूरी गिरेगी व निवेश और कम होगा. रिकवरी में लंबा समय लग सकता है, और वह भी तब, जब सरकार अपनी व्यवस्था को ठीक करे और ठोस आर्थिक नीतियों को अपनाए.'
- सोनिया ने कोविड-19 को लेकर भी सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सरकार को अपना पूरा समर्थन देते हुए लॉकडाउन 1.0 का समर्थन किया लेकिन शुरूआती हफ्तों के भीतर, यह स्पष्ट हो गया था कि सरकार लॉकडाउन से होने वाली समस्याओं का प्रबंधन करने के लिए बिलकुल तैयार नहीं थी. जिसके चलते करोड़ों प्रवासी मजदूरों और रोज कमाने-खाने वालों का रोजगार छिन गया. उन्होंने दावा किया कि देश में इस दौरान 13 करोड़ नौकरियों के ख़त्म हो जाने का अनुमान लगाया गया है.
- सोनिया ने केंद्र पर राज्य सरकारों के ऊपर पल्ला झाड़ने लेकिन उन्हें कोई वित्तीय सहायता उपलब्ध न कराने का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री के सभी आश्वासनों के उलट महामारी लगातार बढ़ रही है. स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में गंभीर कमियां उजागर हुई हैं. वास्तव में, लोगों को यथासंभव अपनी स्वयं की रक्षा करने के लिए उनके हाल पर छोड़ दिया गया है. उन्होंने कहा कि महामारी के कुप्रबंधन को मोदी सरकार की सबसे विनाशकारी विफलताओं में से एक के रूप में दर्ज किया जाएगा.
- चीन के साथ तनाव को लेकर सोनिया ने कहा कि सरकार सच्चाई से मुंह मोड़ रही है. उन्होंने कहा कि सरकार स्थिति को संभालने में गंभीर रूप से असफल हुई है. भविष्य का निर्णय आगे आने वाला समय करेगा लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि हमारी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सरकार परिपक्व कूटनीति व मजबूत नेतृत्व की भावना से कदम उठाएगी. सोनिया ने कहा कि 'हम सरकार से आग्रह करते हैं कि अमन, शांति और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पहले जैसी यथास्थिति की बहाली में हमारा राष्ट्रीय हित सर्वोपरि होना चाहिए.'
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