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नई दिल्ली/शौर्यपथ /केंद्रीय जांच ब्यूरो ने डीएचएफएल के कपिल वधावन और धीरज वधावन के खिलाफ यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 17 बैंकों के एक संघ के साथ 34,615 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के मामले में एक नया केस दर्ज किया है. इस मामले को अब तक का सबसे बड़ा बैंक धोखाधड़ी माना जा रहा है.अधिकारियों ने कहा कि ₹ 34,615 करोड़ रुपये के इस धोखाधड़ी वाले मामले में एजेंसी ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल), कपिल वधावन, तत्कालीन सीएमडी, धीरज वधावन, निदेशक और छह रियाल्टार कंपनियों को कथित तौर पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम को धोखा देने के लिए आपराधिक साजिश का हिस्सा बनने के लिए गिरफ्तार किया था. बता दें कि यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के संबंध में वधावन पहले से ही सीबीआई जांच के दायरे में हैं.
बता दें कि 27 जनवरी 2020 को दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के सीएमडी कपिल वधावन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लांड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया था. इससे पहले ईडी ने 2019 में अक्तूबर में डीएचएफएल और अन्य संबंधित कंपनियों के लगभग एक दर्जन परिसरों पर छापेमारी की थी. प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत मुंबई और उसके आसपास के इलाकों में छापे मारे गए थे.
यह है यह मामला
दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) का सबलिंक रियल एस्टेट से कथित तौर पर कारोबारी संबंध है. सबलिंक रियल एस्टेट वित्तीय लेन-देन को लेकर की जा रही जांच के केंद्र में है. डीएचएफएल ने रियल एस्टेट कंपनी को 2,186 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था. अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी इस नए अभियान के तहत दस्तावेजों और अन्य सामग्रियों के रूप में साक्ष्य तलाश रही है. डीएचएफएल ने इससे पहले कहा था कि कथित संदिग्ध लेन-देन से उसका कोई संबंध नहीं है.
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