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नई दिल्ली /शौर्यपथ /लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के बाद देश में नई सरकार के गठन की तैयारी जारी है. नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और NDA के साथी दल PM मोदी को अपना समर्थन देकर सारी औपचारिकताएं पूरी कर चुके हैं. दिलचस्प बात ये है कि चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार की पार्टी केंद्र में सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं. नतीजतन, बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्या का दर्जे देने की उनकी पिछली मांग एक बार फिर से चर्चा में हैं.
बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग कोई नई बात नहीं है. बिहार के CM नीतीश कुमार ने 2005 में विशेष राज्य के दर्जे की मांग की थी. नीतीश इसे ने बिहार के विकास के लिए जरुरी बताया था. उनका कहना है कि बिहार को अगर विशेष राज्य का दर्जा मिला तो तेजी से विकास होगा. नीतीश विशेष राज्य के दर्जे की मांग के मुद्दे पर केंद्र की सरकार पर कई बार बिहार के प्रति भेदभाव का आरोप भी लगा चुके हैं.
"आंध्र प्रदेश को भी विशेष राज्य का दर्जा मिले"
चंद्रबाबू नायडू भी बीते दिनों में आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे के लिए अभियान चलाया था. उनकी यह मांग 2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन और इसके राजस्व के बड़े हिस्से के नुकसान के बाद 2017 में उठाई गई थी. उनका भी कहना है कि विशेष राज्य का दर्जा मिलने से राज्य का तेजी से विकास होगा.
किन राज्यों को मिला है विशेष राज्य का दर्जा
असम, मेघालय, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, पूर्वोत्तर के राज्यों समेत अभी तक 11 राज्यों को विशेष क्षेणी का दर्जा दिया गया है. राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा मिलने पर स्पेशल पैकेज भी दिया जाता है.
विशेष राज्य के दर्जा से क्या फायदा होता है?
केंद्र विशेष दर्जे वाले राज्यों भौगोलिक और सामाजिक आर्थिक नुकसानों के कारण आर्थिक विकास में मदद करना है. विशेष श्रेणी का दर्जा मिलने पर स्पेशल पैकेज भी दिया जाता है. राज्य में चलने वाली योजनाओं में केंद्र सरकार की हिस्सेदाती बढ़ जाती है. कस्टम और एक्साइज ड्यूटीज में भी राहत मिलती है.
क्या है विशेष राज्य का दर्जा?
1969 में पांचवे वित्त आयोग ने कुछ राज्यों को आर्थिक और भौगोलिक नुकसान के आधार पर तेजी से विकास के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने की शुरुआत की. भारत के संविधान में विशेष राज्य का दर्जा के लिए कोई स्पेशल ट्रीटमेंट देने का प्रावधान नहीं है. दुर्गम पहाड़ी, जनसंख्या, बॉर्डर इलाके, आर्थिक या ढांचागत पिछड़ापन आदि सहित कई कारणों से केंद्र की ओर से राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है.
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के पीछे क्या है तर्क?
बिहार एक गरीब राज्य है और यहां की प्रमुख समस्या बाढ़ और पलायन है. यहां करीब 90 प्रतिशत छोटे किसान है. बिहार का 15 जिला हर साल बढ़ की चपेट में आता है. कमला, कोसी, बलान, गंडक पुनपुन, सोन, और गंगा नदी की बाढ़ से यहां करोड़ो का नुकसान होता है. जान-माल के नुकसान साथ लोगों का स्थानीय पता भी बदल जाता है. क्योंकि बाढ़ की विभीषिका में लोगों का घर बह जाता है. कोसी नदी में बाढ़ आने से बिहार के कई जिले प्रभावित होते हैं और राज्य में बाढ़ से करीब 50 लाख की आबादी सीधे तौर पर प्रभावित होती है.
बता दें कि देश में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनने जा रही है. पीएम नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. लोकसभा चुनाव में एनडीए को 293 और इंडिया गठबंधन को 234 सीटें मिली हैं. नीतीश कुमार एनडीए के सहयोगी दल जेडीयू के नेता हैं. उन्होंने बिहार में 12 सीटों पर जीत हासिल की है. इस लिहाज पर उनका होना एनडीए के लिए बहुत अहम है. वहीं JDU सूत्रों के हवाले से खबर है कि नीतीश कुमार ने तीन मंत्रालय की मांग रखी है. उन्होंने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के साथ ही चार सांसद पर एक मंत्रालय का फॉर्मूला सरकार के सामने रखा है.
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