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नई दिल्ली /शौर्यपथ /आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 में शानदार प्रदर्शन किया है. राज्य विधानसभा चुनाव में एनडीए ने कुल 164 सीटें जीती हैं, जिसमें से टीडीपी ने प्रचंड बहुमत प्राप्त करते हुए 135 सीटें हासिल कीं, जबकि पिछले चुनावों में टीडीपी को केवल 23 सीटें ही प्राप्त हुई थीं. इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव में भी टीडीपी ने 16 सीटें जीती हैं, जिसकी वजह से वो केंद्र में भी सरकार गठन के लिए अहम पार्टी बनकर उभरी है. ऐसे में पार्टी की तो चर्चा हो ही रही है, लेकिन उससे भी ज्यादा चर्चा नारा लोकेश हो रही है, जो आंध्र के अखिलेश के रूप में सामने आए हैं, जैसे अखिलेश ने लोकसभा चुनावों में करिश्माई रिजल्ट दिया है, उसी तरह इनका भी नतीजा रहा है. संयोग की बात ये भी है कि इनका भी चुनाव चिह्न साइकिल है.
बता दें कि 2019 में हुए चुनावों में टीडीपी केवल 23 सीटों पर ही सिमट कर रह गई थी और इसके बाद राजनीतिक एक्सपर्ट्स ने कहना शुरू कर दिया था कि टीडीपी पार्टी के तौर पर खत्म हो चुकी है. हालांकि, 5 साल बाद हुए चुनावों में आज एक बार फिर पार्टी की स्थिति पूरी तरह से बदल गई है. कहा जा रहा है कि पार्टी में जान फूंकने में चंद्रबाबू नायडू के बेटे नारा लोकेश की सबसे अहम भूमिका है.
नारा लोकेश ने कैसे टीडीपी को किया पुनर्जीवित
भले ही कई लोगों को लगा हो कि नायडू के बीजेपी और पवन कल्याण की जन सेना पार्टी के साथ हाथ मिलाने की वजह से ऐसा हुआ है तो बता दें कि इसमें चंद्रबाबू नायडू के बेटे और टीडीपी नेता नारा लोकेश को रोल इसमें बहुत बड़ा है. 2019 में वाईएसआरसीपी ने टीडीपी को राज्य में बुरी तरह हराया था, इससे पार पाने में नारा ने बहुत मेहनत की है. जिस तरह अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनावों में नए तरीके से प्रचार करते हुए पार्टी को अधिक सीटें दिलाने में सफलता हासिल की. उसी तरह नारा लोकेश ने भी आंध्र प्रदेश में टीडीपी को जीत दिलाने में बहुत अहम भूमिका निभाई.
नारा लोकेश ने 2019 की पराजय और मंगलागिरी सीट पर अपनी व्यक्तिगत हार के बाद से आंध्र प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण प्रगति की है. आंध्र प्रदेश में 2024 के विधानसभा चुनाव में टीडीपी ने वापसी की और नारा लोकेश ने मंगलागिरी सीट से 91,000 वोटों के अंतर से जीत भी हासिल की.
विशेषज्ञों का मानना है कि टीडीपी के महासचिव के रूप में नारा लोकेश पार्टी की रणनीति और नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं. बड़े पैमाने पर सदस्यता अभियान और 400 दिनों की पदयात्रा समेत उनके प्रयासों ने उन्हें चुनाव अभियान और उसके बाद की जीत में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में उभारा है.
एक महीने तक रोजाना 28,000 कदम चले नारा लोकेश
जनवरी 2023 में नारा लोकेश ने पदयात्रा शुरू की थी और 400 दिनों की इस यात्रा में उन्होंने 4,000 किलोमीटर का सफर तय किया था. उन्होंने यह यात्रा कुप्पम से इच्छापुरम तक की थी. इस पद यात्रा का उद्देश्य आंध्र प्रदेश के युवाओं से जुड़ना और राज्य के विकास के लिए टीडीपी के दृष्टिकोण को जमीनी स्तर तक ले जाना था.
वह अक्सर बुजुर्ग महिलाओं को गले लगाते, युवाओं के साथ सेल्फी लेते, लोगों के साथ हंसी-मजाक करते और युवाओं को 'तम्मुदु' (छोटा भाई) और बुजुर्गों को 'अन्ना' (बड़ा भाई) कहकर पुकारते.
नारा ने TDP की रैंकिंग में लाखों का इजाफा करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया
स्टैनफॉर्ड से एमबीए की पढ़ाई पूरी करके आए नारा लोकेश ने अपनी यात्रा शुरू करने से सालों पहले ही पार्टी के लिए एक सफलतापूर्वक मेंबरशिप ड्राइव शुरू की थी, जिसके तहत टीडीपी से 5 लाख से भी अधिक लोग जुड़े थे. इस अभियान में टैबलेट, लाइव डेटा फीड और रियल-टाइम डैशबोर्ड समेत डिजिटल तकनीक का उपयोग किया गया था. इस अभियान में भारत में किसी राजनीतिक दल द्वारा पार्टी सदस्यों के नामांकन और प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकी का पहला उपयोग किया गया था. इन उपलब्धियों ने न केवल नारा लोकेश को एक कुशल राजनीतिक संगठनकर्ता के रूप में स्थापित किया, बल्कि राजनीतिक के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की उनकी क्षमता को भी दर्शाया.
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