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By विशेष संवाददाता | शौर्यपथ समाचार समूह | 16 जुलाई 2025
ह्यूस्टन/नई दिल्ली।
भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने 20 दिनों की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा के बाद आज पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी कर ली है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और निजी कंपनी Axiom Space के संयुक्त मिशन का हिस्सा रहे शुक्ला की वापसी को विश्व मीडिया ने "मानव साहस, विज्ञान और भारतीय प्रतिभा का संगम" बताया है।
शुक्ला का अंतरिक्ष यान "Axiom Orion-X4" बुधवार तड़के 3:48 बजे (IST) अटलांटिक महासागर में पैराशूट द्वारा सफलतापूर्वक लैंड हुआ। वापसी के बाद मेडिकल परीक्षणों में उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति सामान्य पाई गई। उनकी मुस्कान और आत्मविश्वास ने न सिर्फ टीम को, बल्कि भारत सहित दुनियाभर के लोगों को गर्व से भर दिया।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जन्मे शुभांशु शुक्ला ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में प्राप्त की और बाद में मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से एयरोनॉटिक्स और स्पेस इंजीनियरिंग में उच्च शिक्षा हासिल की। वे अंतरिक्ष चिकित्सा और माइक्रोग्रैविटी व्यवहार अध्ययन के विशेषज्ञ हैं।
उनकी यात्रा Axiom Space के वैज्ञानिक-शोध मिशन X4 का हिस्सा थी, जिसमें उन्होंने पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में मानव शरीर पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव और कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित नेविगेशन सिस्टम पर प्रयोग किए।
अपनी वापसी से पहले, शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष यान से एक भावनात्मक संदेश भेजा:
“मैं जहां भी हूं, भारत मेरे साथ है। अंतरिक्ष में जब पृथ्वी को देखा, तो मेरे दिल ने सबसे पहले ‘माँ भारती’ को प्रणाम किया।”
NASA के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एलेन स्मिथ ने कहा:
“शुभांशु की वैज्ञानिक योग्यता और मिशन में सहभागिता अद्भुत थी। वे न केवल अंतरिक्ष यात्री के रूप में, बल्कि मानवता के अग्रदूत के रूप में उभरे हैं।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने X पर बधाई देते हुए लिखा:
“शुभांशु शुक्ला की यह ऐतिहासिक उपलब्धि भारत के युवाओं को विज्ञान की ओर प्रेरित करेगी। देश को उन पर गर्व है।”
ISRO प्रमुख डॉ. वीरेन मिश्रा ने कहा:
“शुभांशु की सफलता भारत की वैज्ञानिक सोच और वैश्विक क्षमता का प्रतीक है।”
प्रयागराज में उनके पैतृक निवास पर मिठाइयाँ बांटी गईं और दीप जलाकर परिवारजनों ने खुशी मनाई।
सूत्रों के अनुसार, शुभांशु शुक्ला जल्द ही भारत आकर छात्रों और वैज्ञानिक संस्थानों को संबोधित करेंगे। ISRO और DRDO के साथ संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रम में उनके जुड़ने की संभावना भी जताई जा रही है।
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा केवल एक वैज्ञानिक मिशन नहीं थी, बल्कि यह भारत की प्रतिभा, परिश्रम और वैश्विक नेतृत्व की प्रतीक बन चुकी है। अंतरिक्ष की सीमाओं को पार कर उन्होंने भारत के गौरव को नया आकाश दिया है।
"धरती पर लौटे हैं वे, पर उनकी उपलब्धि अब सितारों से भी ऊपर है।"
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