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रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजित जोगी आखिरकार जिन्दगी और मौत के जंग में हार गए . पिछले कई दिनों से जिन्दगी के लिए जंग लड़ रहे प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजित जोगी लम्बी बीमारी ( हार्ट अटैक ) से जूझ रहे थे . नारायणा हास्पिटल में अजित जोगी का इलाज चल रहा था . बता दे कि कुछ दिनों पहले अपने निवास में इमली खाते समय बीज गले में फास जाने की वजह से अटैक आया था . शल्य चिकित्सा के बाद बीज तो निकाल दिया गया किन्तु हालत में कोई सुधार नहीं हुआ . चिकित्सको की टीम द्वारा ब्रेन डेड के फिर से जागृत करने हेतु औडियो थेरेपी भी दी गयी . अजित जोगी ने जिन्दगी की हर जंग को सीना तान कर मुकाबला किया कभी किसी भी मुकाबले में पीछे नहीं हेट किन्तु इस बार प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री की जंग में हार हो गयी . अजित जोगी के निधन की खबर से पूरा प्रदेश शोक में डूब गया हर जगह सिर्फ प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री की ही बात हो रही है , हर जगह सिर्फ जोगी कांग्रेस के संस्थापक की बात हो रही है , हर जगह सिर्फ पूर्व कलेक्टर आई ए एस अजित जोगी की बात हो रही है , हर जगह गाँधी परिवार के करीबी और विश्वस्त रहे अजित जोगी की बात हो रही है . जितने मुह उतनी बाते अजित जोगी के जन्म से लेकर मृत्यु तक कई रूपों में जिन्दगी का निर्वाह किया है कभी साधारण बालक तो कभी गुद्सवार के शौकीन अजित तो कभी कलेक्टर अजीत तो कभी मुख्यमंत्री अजित तो कभी संस्थापक अजित हर जगह अजित अजित . अब सिर्फ एक याद बनकर रह गए है अजित प्रमोद जोगी . आइये जाने अजित प्रमोद जोगी के जीवन के कुछ ख़ास बाते एक व्यक्ति कई रूप हर रूप में दमदारी ....
अजित जोगी का जन्म
अजीत जोगी का जन्?म 29 अप्रैल 1946 को तत्?कालीन ब्रिटिश भारत के मध्?य प्रांत के बिलासपुर में हुआ था। अजित जोगी के पिता का नाम के.पी. जोगी और माता का नाम कांटी मणि था अजीत जोगी ने भोपाल के मौलाना आजाद कॉलेज ऑफ टेक्?नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। यहां उन्?होंने 1968 में गोल्ड मैडल प्राप्त किया।
कालेज में रहे प्रोफ़ेसर
अजित जोगी शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, रायपुर में कुछ दिनों अध्?यापन का कार्य किया। अध्यापन कार्य के साथ सिविल सेवा व पुलिस सेवा की भी तैयारी की इसके बाद उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा और उसके बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा में हुआ। इंदौर में कलेक्टर के रूप में उनकी सेवाए इंदौर वासियों को लम्बे समय तक याद रही .
अजित जोगी का राजनैतिक सफऱ
अजीत जोगी 1986 से 1998 के बीच दो बार राज्?य सभा के सांसद चुने गए।1998 में वे रायगढ़ से सांसद चुने गए। 1998 से 2000 के बीच वे कांग्रेस के प्रवक्?ता भी रहे। इंदौर में कलेक्टरी कर रहे अजित जोगी तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संपर्क में आ गए. 1986 के आसपास उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर ली और सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया. इसके बाद जोगी का राजनीतिक सिक्का चमकने लगा, वह 1986 से 1998 तक राज्यसभा के सदस्य रहे. इस दौरान वह कांग्रेस में अलग-अलग पद पर कार्यकर रहे, वहीं 1998 में रायगढ़ से लोकसभा सांसद चुने गए.
साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ, तो उस क्षेत्र में कांग्रेस को बहुमत था. यही कारण रहा कि कांग्रेस ने बिना कुछ देरी के अजीत जोगी को ही राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया. जोगी 2003 तक राज्य के सीएम रहे. हालांकि, उसके बाद जोगी की तबीयत खराब होती रही और उनका राजनीतिक ग्राफ भी गिरता गया. लगातार वह पार्टी में बगावती तेवर अपनाते रहे और अंत में उन्होंने अपनी अलग राह चुन ली.
अजीत जोगी ने 2016 में कांग्रेस से बगावत कर अपनी अलग पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के नाम से गठन किया था. जबकि एक दौर में वो राज्य में कांग्रेस का चेहरा हुआ करते थे. अब वो कांग्रेस से दो-दो हाथ करने के लिए उन्होंने बसपा के साथ गठबंधन किया है. राज्य की कुल 90 सीटों में से 35 बसपा 53 जोगी और 2 सीटें सीपीएम को मिली है.
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद वे 2000 से 2003 के बीच राज्?य के पहले मुख्यमंत्री रहे। 2004 से 2008 के बीच वे 14वीं लोकसभा के सांसद रहे। 2008 में वे मरवाही विधानसभा सीट से चुन कर विधानसभा पहुंचे। कांग्रेस से अलग होने के बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का गठन किया है।
राजनितिक घटनाक्रम के प्रमुख वर्ष
//1986 अजीत जोगी ने 1986 में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के सदस्य बनकर राजनीतिक कॅरियर की शुरूआत की। इसके बाद कांग्रेस ने इन्हें राज्यसभा में नामित किया।
//1987 जोगी को जनरल-सेक्रेटरी, प्रदेश कांग्रेस कमेटी, मध्य प्रदेश के रूप में भी नियुक्त किया गया था। इतना ही नहीं इसके अलावा इन्हें लोक उपक्रमों की समिति, उद्योग समिति, रेलवे, अध्यक्ष, राज्य अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जनजाति (मध्य प्रदेश) समिति का हिस्सा बनाया गया।
//1989 मणीपुर राज्य के लोकसभा चुनावों के दौरान जोगी को कांग्रेस ने केंद्रीय पर्यवेक्षक का काम सौपा। जोगी ने मध्यप्रदेश के 1500 किमी के जनजातियों वाले इलाके में काम कर उनके बीच जनजागृति फैलाई और उन्हें कांग्रेस पार्टी के समर्थन में जूटा लिया।
//1995 सिक्किम विधानसभा चुनावों के दौरान जोगी ने कांग्रेस पार्टी के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में काम किया। 1995 जोगी को विज्ञान और प्रौद्योगिकी समिति और पर्यावरण व वन पर बनी कमेटी के अध्यक्ष का भी भार सौंपा गया।
//1996 कोर समूह और संसदीय चुनाव (लोकसभा) के बाद में जोगी संसद में कार्यकारी समिति के सदस्य बन गए।
//1997 इन्हें दिल्ली राज्य कांग्रेस कमेटी चुनावों के पर्यवेक्षक के तौर पर नियुक्त किया गया था। इसके अलावा परिवहन और पर्यटन समिति, ग्रामीण व शहरी विकास सदस्य समिति, परामर्श समिति, कोयला मंत्रालय, लोक लेखा समिति, अप्रत्यक्ष कर पर ऊर्जा, संयोजक, उप-समिति के सलाहकार समिति का सदस्य चुना गया। इतना ही नही जोगी राज्य सभा के उपाध्यक्ष के पैनल में सदस्य भी बन चुके है। इसी बीच उन्होंने 1997 से 1999 तक मुख्य प्रवक्ता, कांग्रेस संसदीय दल के साथ-साथ एआईसीसी के मुख्य प्रवक्ता के रूप में काम किया।
// 1998 जोगी छत्तीसगढ़ के रायगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से 12 वीं लोक सभा के लिए चुने जा चुके है।
// 2000 नवंबर, 2000 को नवीन्तम राज्य छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री के रूप में इन्होंने शपथ ली थी। इन्होंने 2003 में छत्तीसगढ़ में विकास यात्रा का भी नेतृत्व किया। 1999 इन्होंने छत्तीसगढ़ के अलग राज्य के लिए जागरूकता फैलाने के लिए दंतेवाड़ा के मां दांतेश्वरी मंदिर से अंबिकापुर के महामाया मंदिर तक जात्रा का नेतृत्व किया।
// 2004 यह 14 वीं लोकसभा में महासामुंड, छत्तीसगढ़ के लिए सांसद के रूप में चुने गए।
// 2009 2009 के लोकसभा चुनावों में चुने जाने के बाद जोगी ने लोकसभा सदस्य छत्तीसगढ़ के महासामुंड निर्वाचन क्षेत्र के रूप में काम किया। हालांकि, जोगी 2014 के लोकसभा चुनावों में अपनी सीट बरकरार रखने में असफल रहे और बीजेपी के चंदू लाल साहू से 133 मतों से हार गए। 2008 छत्तीसगढ़ की विधान सभा के सदस्य के रूप में जोगी चुने गए, यह मारवाही निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे।
// 2018 अजीत जोगी ने घोषणा की वह राजनंदगांव और मारवाही सीटों से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। इसका मतलब है कि वह सीधे डॉ. रमन सिंह को चुनौती देंगे। 2016 जून 2016 में, अजीत जोगी ने छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस नामक एक नए राजनीतिक संगठन की स्थापना की।
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