CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
नई दिल्ली / शौर्यपथ/ इंदौर देश में 10 सरकारी बैंकों के बीच विलय की प्रक्रिया के बाद इन बैंकों की दो हजार से ज्यादा शाखाओं पर ताला लग चुका है. रिजर्व बैंक ने आरटीआई के तहत ये जानकारी दी है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में 10 सरकारी बैंकों की कुल 2,118 बैंकिंग शाखाएं या तो हमेशा के लिए बंद कर दी गईं या इन्हें दूसरी बैंक शाखाओं में मिला दिया गया है. नीमच के RTI कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रविवार को ये जानकारी सार्वजनिक की. आरबीआई ने उन्हें सूचना के अधिकार के तहत ये जानकारी दी है.
इसके मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में शाखा बंदी या विलय की प्रक्रिया से बैंक ऑफ बड़ौदा की सर्वाधिक 1283 शाखाओं का अस्तित्व खत्म हो गया. इस तरह से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की 332, पंजाब नेशनल बैंक की 169, यूनियन बैंक की 124, केनरा बैंक की 107, इंडियन ओवरसीज बैंक की 53, सेंट्रल बैंक की 43, इंडियन बैंक की पांच और बैंक ऑफ महाराष्ट्र एवं पंजाब एंड सिंध बैंक की एक-एक शाखा बंद हुई.
हालांकि यह साफ नहीं किया गया है कि इस अवधि के दौरान इन बैंकों की कितनी शाखाएं हमेशा के लिए बंद कर दी गईं और कितनी शाखाओं को दूसरी शाखाओं में मिला दिया गया. रिजर्व बैंक ने खुलासा किया कि 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष 2020-21 में बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक की कोई भी शाखा बंद नहीं हुई.आरटीआई के तहत दिए गए जवाब में इन 10 सरकारी बैंकों की शाखाओं के बंद होने या विलय का कोई कारण नहीं बताया गया है. लेकिन सरकारी बैंकों के विलय की योजना के एक अप्रैल 2020 से लागू होने के बाद सरकार ने यह तय किया था कि शाखाओं की संख्या तर्कसंगत बनाया जाए. जहां कई बैंकों की एक साथ शाखाएं हो, उन्हें कम किया जाए.
सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर इन्हें चार बड़े बैंकों में तब्दील कर दिया था. इसके बाद अब सरकारी बैंकों की तादाद घटकर 12 रह गई है. विलय के तहत एक अप्रैल 2020 से ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को पंजाब नेशनल बैंक में, सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक में, आंध्रा बैंक व कॉरपोरेशन बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में और इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक में मिला दिया गया था.
वहीं अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि सरकारी बैंकों की शाखाएं घटना भारत के बैंकिग उद्योग के साथ ही घरेलू अर्थव्यवस्था के हित में भी नहीं है. बड़ी आबादी के मद्देनजर देश को बैंक शाखाओं के विस्तार की जरूरत है. वेंकटचलम ने कहा कि सरकारी बैंकों की शाखाएं घटने से बैंकिंग उद्योग में नई नौकरियों में भी लगातार कटौती हो रही है. पिछले तीन साल में सरकारी बैंकों में नई भर्तियों में भारी कमी आई है.
अर्थशास्त्री जयंतीलाल भंडारी सरकारी बैंकों के विलय के सरकारी कदम को सही ठहराते हैं. भंडारी ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए हमें छोटे आकार के कमजोर सरकारी बैंकों के बजाय बड़े आकार के मजबूत सरकारी बैंकों की जरूरत है.
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.