March 15, 2025
Hindi Hindi

समझदारी की उम्मीद

सम्पादकीय लेख / शौर्यपथ /वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सीमा के मोल्डी इलाके में हुई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की बैठक का नतीजा न सिर्फ दोनों देशों के अरबों नागरिकों के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए सुकून भरा कहा जाएगा। गलवान घाटी में 15 जून के हिंसक संघर्ष के बाद भारत और चीन के रिश्ते किस नाजुक मोड़ पर पहुंच गए थे, इसका अंदाजा इसी बात से लग जाना चाहिए कि भारत ने अपनी सेना को मौके पर हथियारों के इस्तेमाल की छूट दे दी है, बल्कि लेफ्टिनेंट कमांडर स्तर के दोनों वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को सहमति के बिंदु पर पहुंचने के लिए 10 घंटे से भी अधिक बात करनी पड़ी है। खबर है कि दोनों देश एलएसी पर अपनी-अपनी सेना को पीछे हटाने को तैयार हो गए हैं। निस्संदेह, दोनों पक्षों से इसी समझ-बूझ की दरकार थी। लेकिन यह समझदारी जमीनी स्तर पर दिखनी चाहिए, क्योंकि 6 जून को भी सैन्य अधिकारी एक सहमति बना चुके थे। उसके बाद 15 जून की दुखद घटना घटी।
अपने 20 जवानों की शहादत से भारतीय जनता बेहद आहत और आक्रोशित है। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि चीन से लगी सरहद पर दशकों से शांति थी, जिसे चीन ने भंग किया। हाल के दिनों में पूर्वी लद्दाख में उसका रवैया दादागिरी भरा रहा है और भारत को यह कतई मंजूर नहीं है। लेकिन जैसा कि अक्सर होता है, हरेक देश अपनी सरहद की हिफाजत के लिए सर्वोच्च पराक्रम दिखाता है, और अंतत: प्रतिपक्षियों को वार्ता की मेज पर बैठना पड़ता है। इसलिए श्रेष्ठतम रणनीति यही है कि नुकसान के बाद वार्ता करने की बजाय बातचीत के जरिए नुकसान की आशंका निर्मूल कर दी जाए। जब तक दोनों देशों के बीच सीमा-विवाद का निपटारा निर्णायक रूप से नहीं होता, तब तक ऐसी स्थितियों की आशंका से बचने का एकमात्र रास्ता यही है कि सीमा पर हम अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करें। निस्संदेह, हाल के वर्षों में इस दिशा में काम हुए भी हैं। सड़कें बनी हैं, हेलीपैड बने हैं, मगर चीन के मुकाबले ये अब भी कुछ नहीं हैं। अब हम अच्छे रिश्तों के आधार पर भी अपनी सीमाओं और सैन्य जरूरतों से गाफिल नहीं रह सकते।
भारत की सरहदें खास तौर से दो पड़ोसियों की अलग-अलग रणनीति का निशाना बनती रही हैं। पाकिस्तान जहां अपनी दहशतगर्दी की विदेश नीति को अंजाम देने के लिए इससे घुसपैठ की ताक में रहता है, तो चीन विस्तारवादी रणनीति के तहत इसके अतिक्रमण के फिराक में। बीजिंग अब एक दबाव के तौर पर भी इस नुस्खे को आजमाने लगा है। यह महज संयोग नहीं है कि पिछले दो महीने से कोविड-19 के संक्रमण के मामले में वह डब्ल्यूएचओ में घिरता हुआ महसूस कर रहा था, और लगभग इसी समय उसने लद्दाख में अपनी सक्रियता बढ़ाई, यह जानते हुए कि भारत डब्ल्यूएचओ में एक जिम्मेदार ओहदे पर बैठ रहा है। इसलिए उससे लगी सीमाओं को लेकर हमें एक मुकम्मल नीति बनानी होगी। इसमें दो राय नहीं कि भारत और चीन आज दुनिया की दो बड़ी शक्तियां हैं। उनमें सीमित सैन्य टकराव भी किसी एक के लिए कम नुकसानदेह नहीं होगा। इसलिए समझदारी इसी में है कि दोनों देश बातचीत से अपने मतभेदों को पाटें और ऐसा माहौल बनाएं, जिससे सीमा-विवाद पर ठोस बातचीत का रास्ता खुले। महामारी से कराह रही मानवता को आज इन दोनों से सर्वश्रेष्ठ अक्लमंदी की आशा है।

 

Rate this item
(0 votes)

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.

हमारा शौर्य

हमारे बारे मे

whatsapp-image-2020-06-03-at-11.08.16-pm.jpeg
 
CHIEF EDITOR -  SHARAD PANSARI
CONTECT NO.  -  8962936808
EMAIL ID         -  shouryapath12@gmail.com
Address           -  SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)