August 04, 2025
Hindi Hindi

जीवन में खुशहाली लाती है अपरा एकादशी, जानिए इसका महत्व और कथा

  • Ad Content 1

 व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हिंदू पंचांग में साल की 24 एकादशियों को सभी तिथियों में श्रेष्ठ माना गया है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु  के निमित्त व्रत रखा जाता है. ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष के दिन आने वाली एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि अपरा एकादशी जाने-अनजाने किए गए पापों को धोने के साथ-साथ अपार धन और धान्य देती है. मान्यतानुसार इस दिन किया गया व्रत समस्त पापों से मुक्ति दिलाता है और जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है. चलिए जानते हैं कि इस साल अपरा एकादशी कब है और क्या है इस व्रत की पौराणिक कथा.
कब है अपरा एकादशी |
ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी अपरा एकादशी के नाम से जानी जाती है. इस साल अपरा एकादशी 2 जून को पड़ रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 2 जून यानी रविवार को सुबह 5 बजकर 4 मिनट पर आरंभ हो रही है और इसका समापन 3 जून को सुबह 2 बजकर 41 मिनट पर हो जाएगा. उदया तिथि के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत 2 जून को रखा जाएगा.
अपरा एकादशी का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि झूठ, निन्दा, क्रोध, धोखा देने वालों को नर्क में स्थान मिलता है. इसके साथ ही अनजाने में किए गए पाप भी नरक का भागी बनाते हैं. ऐसे में अपरा एकादशी का व्रत करने वाले लोग अनजाने में किए गए पापों से मुक्त हो जाते हैं और स्वर्ग के भागी बनते हैं. मान्यता है कि अपरा एकादशी पर व्रत करने पर गाय, सोना और जमीन का दान करने का पुण्य प्राप्त होता है. जो लोग इस व्रत को करते हैं उन्हें जीवन में सुख-समृद्धि, धन और धान्य से भरपूर घर-परिवार मिलता है.
अपरा एकादशी की व्रत कथा
अपरा एकादशी पर इस कथा को जरूर सुनाया जाता है. पौराणिक काल में एक राजा था जिसका नाम था महीध्वज. यह राजा बहुत ही नेक और न्यायप्रिय था. लेकिन इसका छोटा भाई वज्रध्व पापी, क्रूर,अधर्मी और अन्याय करने वाला था. छोटा भाई राजा से बहुत बैर रखता था. उसने साजिश रखकर राजा की हत्या कर दी और उसके शव को जंगल में एक पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया. अकाल मृत्यु होने के कारण राजा महीध्वज की आत्मा आजाद नहीं हो पाई और वो प्रेत बन गया. प्रेत बना राजा पीपल के नीच काफी उत्पात करता और लोगों को परेशान करता. एक बार धौम्य ऋषि वहां से गुजर रहे थे और उन्होंने पेड़ पर राजा महीध्वज का प्रेत देखा. राजा के प्रेत बनने की कहानी जानकर उन्होंने उसे पीपल के पेड़ से उतारा और परलोक विद्या का उपदेश दिया. ऋषि राजा को सलाह दी कि वो अपरा एकादशी का व्रत करें. इससे उसे प्रेत योनि से मुक्ति मिल जाएगी. राजा ने ऐसा ही किया और उसके पश्चात अपरा एकादशी के व्रत के चलते राजा दिव्य देह धारण करके स्वर्ग का भागी बना.

Rate this item
(0 votes)

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.

हमारा शौर्य

हमारे बारे मे

whatsapp-image-2020-06-03-at-11.08.16-pm.jpeg
 
CHIEF EDITOR -  SHARAD PANSARI
CONTECT NO.  -  8962936808
EMAIL ID         -  shouryapath12@gmail.com
Address           -  SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)