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शौर्यपथ /संसार में घटने वाली घटनाओं का जिक्र पुराणों में किसी न किसी रूप में किया गया है. विष्णु पुराण में जीवन मृत्यु से लेकर युगों के शुरू और समाप्त होने के बारे में बताया गया है. इस पुराण में प्रकृति और मौसम के संबंध और प्रलय में दुनिया में समाप्त होने के बारे में भी बताया गया है. मौसम संबंधी भीषण बदलाव जैसे अत्यधिक गर्मी, बारिश या ठंड प्रलय का कारण बन सकते हैं. विष्णु पुराण में भीषण गर्मी का भी जिक्र किया गया है. आइए जानते हैं विष्णु पुराण के अनुसार लगातार बढ़ती गर्मी किस बात का संकेत है...
गर्मी के टूटे रिकार्ड
मई में माह में पूरे उत्तर भारत में भीषण गर्मी पड़ रही है. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार गर्मी जून माह में भी जारी रहने वाली है. राजस्थान, दिल्ली और मध्यप्रदेश में पारा 45 डिग्री के पार गया है और हीटवेव के अभी जारी रहने की आशंका है. ऐसे में विष्णु पुराण में गर्मी के बढ़ने के बारे में की गई भविष्यवाणी सच होती नजर आ रही है.
देवलोक के चतुर्युग के बाद परिवर्तन
देवलोक और भूलोक के समय का चक्र अलग-अलग है. जहां धरती पर 12 माह का एक वर्ष होता है वहीं देवलोक में एक दिन ही धरती के एक वर्ष के बराबर होता है. धरती के तीन सौ साठ वर्षों के बराबर देवलोक का एक वर्ष होता है. ऐसे 1 हजार दिव्य वर्षों का एक चतुर्युग होता है और चतुर्युग के बाद परिवर्तन आता है. प्रलय जैसी घटनाएं इस परिवर्तन का कारण हो सकती है.
भीषण गर्मी और घोर ठंड प्रलय का संकेत
विष्णु पुराण के अनुसार एक चतुर्युग बीतने के बाद धरती क्षीण होने लगती है और उसकी उर्वरता समाप्त होने लगती है. इससे प्राणी जगत भी निर्जीव होने लगता है. इस समय भीषण गर्मी, बारिण या ठंड प्रलय का कारण बन सकती है. गर्मी बढ़ने पर भगवान विष्णु सूर्य की किरणों में स्थित हो धरती से सारा जल सोख लेते हैं और जिससे जीवन समाप्त हो जाता है.
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