
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /देश ही नहीं बल्कि विदेशों से लोग ओडिशा के पुरी जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करने आते हैं. यह सुप्रसिद्ध मंदिर चार धामों में से एक है और हिंदू धर्म में इसका विशेष स्थान है. इस मंदिर का निर्माण गंग वंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग ने 12वीं शताब्दी में करवाया था. माना जाता है कि राजा को अपने सपने में भगवान जगन्नाथ के दर्शन हुए थे. इस मंदिर पर कई हमले हुए हैं जिस दौरान मंदिर को बुरी तरह लूटा गया था. इन हमलों के बाद भी मंदिर की मूर्तियों को बचाए रखा गया. हमलों के चलते ही मंदिर पर कई प्रतिबंध लगाए गए थे. वर्तमान की बात करें तो ओडिशा सरकार ने पुरी जगन्नाथ मंदिर के चारों द्वार एकबार फिर खोलने का निर्णय लिया है. पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ ही उनके भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा की काठ यानी लकड़ियों की मूर्तियां हैं. लकड़ी की मूर्तियों वाले इस अनोखे मंदिर की और भी कई विशेषताएं हैं और खूबियां हैं जो आज भी रहस्यमयी बनी हुई हैं.
जगन्नाथ मंदिर के रहस्य
मान्यतानुसार भगवान कृष्ण ने अपनी देह का त्याग इसी मंदिर में किया था और शरीर के एक हिस्से को छोड़कर उनकी पूरी देह पंचतत्व में विलीन हो गए. यह हिस्सा उनका हृदय था. माना जाता है कि मंदिर में रखे श्रीकृष्ण के लकड़ी के देह में आज भी वह हृदय धड़क रहा है.
मंदिर में जाने वाले भक्तों का कहना है कि मंदिर के सिंहद्वार में जाने पर जबतक अंदर कदम नहीं जाते तो समुद्र की लहरों की आवाज आती है. लेकिन, जैसे ही कदम सिंहद्वार में पड़ते हैं वैसे ही लहरों की आवाज रुक जाती है.
जगन्नाथ मंदिर के शीर्ष पर जो झंडा लगा है कहते हैं कि वह झंडा हवा की विपरीत दिशा में उड़ता है. माना जाता है कि इस मंदिर का झंडा रोजाना बदला जाता है और अगर किसी दिन झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिए बंद कर दिया जाएगा
इस मंदिर की रसोई से भी एक रहस्य जुड़ा है. यहां जो प्रसाद बनता है वो सात मिट्टी के बर्तनों में बनाया जाता है और सातों बर्तनों को एक के ऊपर एक रखा जाता है. हैरानी की बात कही जाती है कि सबसे पहले प्रसाद सातवें बर्तन में तैयार होता है और उसके बाद छठे, पांचवे, चौथे, तीसरे, दूसरे और फिर पहले में प्रसाद पककर तैयार होता है.
कहते हैं कि मूर्तियों के अंदर ब्रह्म पदार्थ है जिसे नई मूर्तियों में डाला जाता है. मंदिर की मूर्तियों को हर 12 साल में बदला जाता है और इस दौरान बिजली काट दी जाती है. कोई नहीं जानता कि यह ब्रह्म पदार्थ क्या है.
जगन्नाथ मंदिर में केवल सनातनी हिंदू ही आ सकते हैं. इसी मानिंद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी मंदिर में आने की इजाजत नहीं दी गई थी.
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.