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व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी का व्रत साल में 24 बार पड़ता है. हर एकादशी व्रत का अपना महत्व है. पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं. इसे श्राद्ध एकादशी भी कहते हैं. हिंदू धर्म में इसकी महत्ता काफी ज्यादा है. इन दिन पूजा करने से कई तरह के कष्ट मिट जाते हैं. आइए जानते हैं इस बार इंदिरा एकादशी कब पड़ रही है, इसका महत्व क्या है और पूजा कैसे की जा सकती है.
कब है इंदिरा एकादशी |
पुराणों में बताया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण ने खुद धर्मराज युधिष्ठिर को इस व्रत का महत्व बताया था. माना जाता है कि इस व्रत को करने से यमलोक से मुक्ति मिल जाती है. इससे पितरों का उद्धार होता है और हर तरह के पाप मिट जाते हैं. इंदिरा एकादशी का व्रत शनिवार, 28 सितंबर, शनिवार को पड़ रहा है. द्रिक पंचांग के अनुसार, एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 04 बजकर 36 मिनट से लेकर सुबह 05 बजकर 24 मिनट तक है.
अभिजीत मुहूर्त 28 सितंबर की सुबह 11 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक होगा. इस दिन राहुकाल का समय सुबह 09 बजकर 11 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.
एकादशी तिथि का समय
27 सितंबर की दोपहर 01 बजकर 20 मिनट से एकादशी की तिथि की शुरुआत हो जाएगी, जो 28 सितंबर 2024 की दोपहर 02 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी. व्रत पारण का समय 29 सितंबर को सुबह 06 बजकर 12 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 35 मिनट तक होगा.
एकादशी व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं
शास्त्रों के मुताबिक, एकादशी का व्रत पानी पीकर या निराहार रख सकते हैं. फलाहार व्रत रखने वाले केवल फल खा सकते हैं, जबकि जलाहार व्रत में सिर्फ जल पीकर ही रहा जाता है. इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
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