
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /सितंबर माह का आखिरी प्रदोष व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाएगा. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है. माना जाता है कि पूरे मनोभाव से यदि प्रदोष व्रत रखा जाए और महादेव का पूजन किया जाए तो भक्तों को निरोगी होने का आशीर्वाद मिलता है और जीवन के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. कहते हैं प्रदोष व्रत पर भोलेनाथ सभी को मनचाहा वरदान देते हैं. जानिए सितंबर का आखिरी प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा और किस तरह की जा सकती है भगवान शिव की पूजा.
कब है प्रदोष व्रत |
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 सितंबर की शाम 4 बजकर 47 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 30 सितंबर शाम 7 बजकर 6 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में 29 सितंबर, रविवार के दिन ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा. रविवार के दिन पड़ने के चलते इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है. रवि प्रदोष व्रत पर पूजा का शुभ मुहूर्त 29 सितंबर की रात प्रदोष काल में पड़ रहा है. प्रदोष काल में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 9 मिनट से रात 8 बजकर 34 मिनट तक है. इस शुभ मुहूर्त में पूजा करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है.
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान पश्चात भगवान शिव का ध्यान लगाकर प्रदोष व्रत का संकल्प लिया जाता है. इस दिन भक्त दिन के समय शिव मंदिर दर्शन करने जाते हैं और प्रदोष व्रत की असल पूजा रात के समय होती है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता-पार्वती की पूजा की जाती है. शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक किया जाता है, महादेव के समक्ष दीया जलाया जाता है, मां पार्वती पर लाल वस्त्र अर्पित किए जाते हैं और उन्हें कुमकुम और चंदन से तिलक लगाया जाता है. इसके अतिरिक्त प्रदोष व्रत की कथा पढ़कर भगवान भोलेनाथ की आरती की जाती है और भोग लगाने के बाद पूजा संपन्न होती है.
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.