April 19, 2025
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प्रभु भक्तों की भक्ति के अधीन होकर जीवों को स्वीकार करते हैं...

प्रभु भक्तों की भक्ति के अधीन होकर जीवों को स्वीकार करते हैं प्रभु भक्तों की भक्ति के अधीन होकर जीवों को स्वीकार करते हैं

दुर्ग। शौर्यपथ । भिलाई रिसाली दशहरा मैदान में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के सप्तम दिवस पर कथा का विश्राम करते हुए बताया कि कैसे प्रभु भक्तों की भक्ति के अधीन होकर जीवों को स्वीकार करते हैं । समयंतक मणि की कथा बताते हुए, प्रभु के 16108 विवाह की लीला कथा बताई गई । और उसके बाद श्रीकृष्ण के प्यारा सखा सुदामा जी का चरित्र बताया गया । और आज के समय में भगवान को पाने के इतने अलग अलग मार्ग क्यों चल रहे हैं तो इसका कारण क्या हैं और कौन से मार्ग पर चलकर जीव अपना कल्याण कर सकता है । श्रीमद्भागवत के अनुसार स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण उद्धव जी को बताते हैं । अपने अपने रुचि के अनुसार अनेकों मार्ग चल रहे है लेकिन उद्धव मै तो केवल एक भक्ति का ही मार्ग बताया हु मुझे केवल भक्ति के मार्ग पर चलकर ही प्राप्त किया जा सकता है।और कोई दूसरे मार्ग पर चलकर मुझे जानना ही जीव के लिए कठिन है । और फिर उसके बाद परीक्षित मोक्ष की कथा बताते हुए । तुलसी वर्षा गीता पाठ हुआ और फूलों की होली भोग आरती करते हुए कथा का विराम किया गया ।

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