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राजनांदगांव / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के जिला अध्यक्ष त्रिगुण सादानी का यह कहना है कि जिला शिक्षा अधिकारी जिले में प्रायवेट स्कूलों को सीधे लाभ पहुंचाने में लगे हुए है, क्योंकि शिक्षा का अधिकार कानून के अंतर्गत चयनित सभी बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में प्रवेश दिलाने और शिक्षा प्रदान कराने के लिए उत्तरदायी है, लेकिन सैकड़ों गरीब चयनित गरीब बच्चे जो विगत तीन माह से प्रायवेट स्कूलों में प्रवेश और शिक्षा पाने जिला शिक्षा अधिकारी के चक्कर काट रहे है, लेकिन इस जिम्मेदार अधिकारी ने इन बच्चों को प्रवेश और शिक्षा दिलाने में कोई रूचि नहीं दिखाया और इस प्रकार इन चयनित गरीब बच्चों के जीवन व भविष्य के साथ जान-बुझकर खिलवाड़ करने वाले इस जिम्मेदार अधिकारी को अब जिले में रहने का कोई औचित्य नहीं है।
सादानी ने बताया कि प्रायवेट स्कूलों के द्वारा पालकों को फीस के नाम से लुट रहे है और लगातार पीड़ित पालक जिला शिक्षा अधिकारी से गुहार लगा रहे है कि प्रायवेट स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्यवाही किया जाए और उन्हें अवैध और अनुचित फीस लेने से रोका जाए, क्योंकि प्रदेश में अब अधिनियम प्रभावशील है और इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार समिति फीस निर्धारित और अनुमोदित करेगी, इसलिए अब प्रायवेट स्कूलों को फीस लेने का कोई अधिकार नहीं है, लेकिन इस जिम्मेदार अधिकारी ने प्रायवेट स्कूलों को अवैध और अनुचित फीस लेने से नहीं रोका और प्रायवेट स्कूलों ने पालकों से अवैध और अनुचित फीस पूरा वसूल लिया, जिसके लिए यह जिम्मेदार अधिकारी उत्तरदायी है। इस प्रकार जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा प्रायवेट स्कूलों को लाभ पंहुचाने का प्रयास किया जा रहा है, सिर्फ जनसमान्य को दिखाने के लिए हर दूसरे दिन जांच आदेश दिए जा रहे और विगत चार माह में अनेकों जांच आदेश दिए जा चुके है, अनेकों जांच टीम गठित किया गया है, जो आज तक ना तो जांच कर पाई और ना किसी भी दोषी स्कूल पर कोई कार्यवाही किया गया।
सादानी का कहना है कि प्रदेश सरकार के द्वारा जिले में एक मात्र उत्कृष्ट अंग्रेजी मिडियम स्कूल आरंभ किया गया, जिसमें अब तक सेटअप के अनुसार प्रयाप्त शिक्षक और स्टाफ की नियुक्ति तक नहीं किया जा सका है, जिसके कारण प्रतिदिन प्रवेश लिए बच्चे टीसी लेकर भाग रहे है जिससे प्रदेश सरकार की इस योजना पर अब सवाल उठने लगे है कि यह स्कूल जिले में चल भी पाएगा कीं नहीं, इसके लिए भी जिला शिक्षा अधिकारी उत्तरदायी है। हमारी यह मांग है कि ऐसे उदासीनता और लापरवाही बरतने वाले जिम्मेदार अधिकारी पर सख्त कार्यवाही किया जाना चाहिए।
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