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व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है. इसे भगवान विष्णु की पूजा का एक जरिया माना जाता है. इन्हीं एकादशियों में से एक है षटतिला एकादशी, जो अपने विशेष महत्व के लिए जानी जाती है. षटतिला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा मिलती है. इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा भी की जाती है, जिससे जीवन में आर्थिक तरक्की मिलती है. देवी लक्ष्मी सुख, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद देती हैं. माना जाता है कि व्रत करने वाले भक्त को इस दिन सुबह-सुबह स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. पूजा के समय विशेष रूप से तिल का उपयोग किया जाता है. पूजा में तिल इसलिए शामिल करते हैं क्योंकि ये शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माने जाते हैं. इस दिन तिल का दान करना भी विशेष फलदायी माना जाता है.
इस दिन विधिपूर्वक करनी चाहिए पूजा
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल षटतिला एकादशी 25 जनवरी, शनिवार को पड़ रही है. ये एकादशी हर हिंदू परिवार के लिए पवित्र मानी जाती है और इस दिन विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करनी चाहिए है. कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने से व्रती के सारे पाप नष्ट होते हैं, और उसका जीवन सुखमय होता है. उसे अन्य जन्मों में भी इसका शुभ फल मिलता है. इसलिए षटतिला एकादशी का व्रत न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्व रखता है. इस व्रत से साधक के जीवन में पॉजिटिव एनर्जी आती है और वो ईश्वर की कृपा का पात्र बनता है.
कब है षटतिला एकादशी का शुभ मुहूर्त
षटतिला एकादशी का शुभ मुहूर्त 24 जनवरी की शाम 07 बजकर 25 मिनट से शुरू हो रहा है और ये 25 जनवरी की रात 08 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगा. उदया तिथि के आधार पर व्रत 25 जनवरी को किया जाएगा. यानी षटतिला एकादशी 25 जनवरी दिन शनिवार को मनाई जाएगी. इस व्रत को करते समय ये ध्यान देना जरूरी है कि पवित्रता पूरी तरह से बनी रहे. इस दिन दान पुण्य का भी विशेष महत्व है, इसलिए जरूरतमंदों को तिल, अन्न आदि का दान कर सकते हैं.
मां तुलसी की पूजा कैसे करें ?
षटतिला एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जागना शुभ माना जाता है. इस समय उठकर सबसे पहले अपने नित्य के क्रियाकलापों को पूरा करें और फिर पवित्र जल से स्नान कर लें. स्नान के बाद साफ कपड़े पहन लें और पूजा के लिए तैयार हो जाएं. अब मां तुलसी की पूजा शुरू करें. सबसे पहले तुलसी जी के पौधे के पास एक साफ जगह पर बैठ जाएं. तुलसी माता का श्रृंगार करें, इसके लिए आप उन्हें लाल चुनरी और चूड़ियां अर्पित कर सकते हैं. साथ ही सिंदूर भी अर्पित करें. ये माना जाता है कि ऐसा करने से देवी तुलसी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं. इसके बाद तुलसी जी को हल्दी, रोली और चंदन अर्पित करें. ये पूजा की अनिवार्य विधि है, जिसे करने से पवित्रता और शुद्धता का भाव आता है. पूजा जब खत्म होने वाली हो तो तुलसी जी के पास एक घी का दीया जलाएं. ये दीया ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक होता है जो जीवन के अंधकार को दूर करता है.
मां तुलसी के लिए करें ये उपाय
एकादशी के दिन तुलसी के पौधे के चारों ओर कलावा बांधें. ये उपाय आपके जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करता है और सुख-शांति लाता है. इस दिन तुलसी पूजन में इस मंत्र का जाप करें.
एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए और जल अर्पित नहीं करें. ऐसा माना जाता है कि मां तुलसी इस दिन भगवान विष्णु के निमित्त एकादशी का निर्जला व्रत करती हैं. जल अर्पित करने या पत्ते तोड़ने से उनका व्रत भंग हो सकता है, जिससे उन्हें क्रोध आ सकता है.
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