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लाइफस्टाइल /शौर्यपथ / आजकल पैरेंट्स परवरिश को लेकर बेहद सजग हो गए हैं. वे समझ गए हैं कि जो कुछ बच्चों को छोटी उम्र से सिखाया जाए वही उनके साथ उम्रभर तक रहता है. बच्चे को जिंदगी की रेस में सबसे आगे रखने के लिए पैरेंट्स बच्चों को हर गुण सिखाने की कोशिश करते हैं. लेकिन, बच्चों में अच्छी आदतें डालने के लिए हमेशा सीधा रास्ता काम नहीं आता है. कई बार बच्चों को ऐसा लगने लगता है कि आप उनपर अच्छे गुणों को थोप रहे हैं और ऐसे में बच्चे गुड मैनर्स सीखने और समझने के बजाए उनसे भागने लगते हैं. आप यही गलती ना करें और यहां जानें किस तरह बिना थोपे बच्चों में अच्छे गुण डाले जा सकते हैं.
बच्चों पर क्यों नहीं थोपने चाहिए अच्छे गुण
बच्चे प्रेशर महसूस करता है - आप अगर बच्चे पर किसी भी काम या आदत को थोपते हैं तो बच्चा खुद के ऊपर प्रेशर महसूस करने लगता है. ऐसे में वह जितना हो सके आपकी बताई बातों से बचने की कोशिश करता है.
छलावा महसूस होता है - बच्चों को जो गुण सिखाए जा रहे हैं अगर बच्चा उन गुणों को नहीं समझता है या नहीं मानता है तो उसका उन कामों को करना छलावा जैसा लग सकता है. जैसे, अगर बच्चा किसी को सम्मान नहीं देना चाहता, उसकी निंदा करता है लेकिन आपको दिखाने भर के लिए कुछ देर के लिए ही अच्छे बनने की कोशिश करता है तो इससे बच्चे के अच्छे मैनर्स बस छलावा मात्र लग सकते हैं.
बच्चों को तनाव हो सकता है - अगर बच्चे से बार-बार एक चीज करने को कहा जाए या कहा जाए कि 'यह गुण तुम्हारे अंदर होना ही चाहिए' तो हो सकता है इससे बच्चों को तनाव या एंजाइटी होने लगे. इसीलिए कोई भी बात थोपना कभी सही नहीं होता है.
इस तरह खुद आएंगे अच्छे गुण
किसी गुण को बच्चों पर थोपने के बजाए उन्हें समझाने की कोशिश करें कि इस काम को करना क्यों जरूरी है. अगर आप उसे कह रहे हैं कि अपनी वाणी पर संयम रखना जरूरी है तो यह भी बताएं कि ऐसा क्यों करना चाहिए और संयम ना रखने पर क्या नुकसान हो सकते हैं. बच्चे उदाहरण और लॉजिक से ही सीखते हैं, हवा में की गई बातों से नहीं.
बच्चों से आप जो कुछ करने के लिए कह रहे हैं या जिन गुणों को अपनाने के लिए कह रहे हैं उसका उदाहरण खुद पेश करें. आप खुद अगर इस तरह के काम करेंगे और बच्चों के रोल मॉडल बनेंगे तो बच्चे बेहतर तरह से चीजों को समझ पाएंगे.
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