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दुर्ग / शौर्यपथ /
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के मतदान की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है छत्तीसगढ़ के दूसरे चरण में 17 नंबर को दुर्ग विधानसभा क्षेत्र में मतदान होने वाले हैं ऐसे में आरोप प्रत्यारोप और प्रत्याशियों के उपलब्धियां तथा कार्यों के बारे में आम जनता को बताने की जिम्मेदारी चौथे स्तंभ ले रखी है कई इलेक्ट्रॉनिक चैनल , प्रिंट मीडिया विधानसभा के प्रत्याशियों से उनके आने वाले कार्यों की रूपरेखा एवं पूर्व में किए गए कार्यों की उपलब्धियां के बारे में जानकारी ले रहे हैं।
ऐसे ही एक निजी चैनल ने दुर्ग विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी अरुण वोरा से उनके पांच बड़े कार्यो की उपलब्धियां के बारे में जब जानना चाहा तो कांग्रेस प्रत्याशियों द्वारा ऐसी कोई पांच बड़े कार्यो की उपलब्धि नहीं बता सके जो उनकी स्वयं की उपलब्धि रही हो . आश्चर्य की बात तो यह है कि पांच बड़े कार्यो की उपलब्धि में उन्होंने स्वर्गीय मोतीलाल बोरा के कार्यों की उपलब्धि को भी बताने की कोशिश की किंतु आधे घंटे से भी ज्यादा के साक्षात्कार में कांग्रेस की तरफ से 7 वी बार बने विधायक प्रत्याशी अरुण वोरा ने कार्यों की उपलब्धि के बारे में बताना शुरू किया तो 1972 में बने हुए दुर्ग के एकमात्र स्टेडियम पंडित रविशंकर शुक्ल स्टेडियम की बात कही जो की मोतीलाल बोरा के विधायक की काल में शुरू होना बताया . उसके बाद शहर के दो अंडर ब्रिज एवं ठगडा बाँध व सड़क चौडीकरण की बात सही वही जिला अस्पताल को अत्याधुनिक बताया गया जबकि आज की स्थिति में करोडो खर्च के बाद भी ऐसे कई मामले सामने है जिसमे जिला अस्पताल की भूमिका रेफर केस में ज्यादा नजर आती है इस बात के जवाब को भी टालते ही नजर आये .
पुरे साक्षात्कार में पिता स्व.मोतीलाल वोरा की ही चर्चा ज्यादा रही . बता दें कि पिछले 50 सालों में दुर्ग कांग्रेस के मुख्य सूत्रधार के रूप में वोरा परिवार ही प्रमुख भूमिका पर नजर आता है इन 50 सालों में दुर्ग में कोई भी कांग्रेसी कार्यकत्र्ता नहीं हुआ जो महापौर के चुनाव से आगे की सोंच पाया हो या यह भी कहा जा सकता है कि दुर्ग कांग्रेस कार्यकर्ताओ की आखिरी मंजिल महापौर चुनाव तक ही सीमित है . इन 50 सालो में ऐसा कोई भी कांग्रेसी दिग्गज नहीं हुआ जो विधानसभा चुनाव में भी प्रचार सञ्चालन में महत्तवपूर्ण भूमिका में हो इसके लिए भी रायपुर से वोरा परिवार के सदस्य आते है और मार्ग दर्शन देते है शायद इसी का परिणाम है कि पिछले चार दिनों से प्रत्याशी घोषित होने के बाद शहर के बड़े सामजिक लोगो और कांग्रेस के ऐसे नेता जो वोरा बंगले से हटकर अपना एक अलग मुकाम बनाये हुए है बधाई देने भी नहीं पहुंचे .
वही दूसरी तरफ दुर्ग निगम के कई पार्षद भी आंतरिक रूप से नाराज नजर आ रहे है इस बार के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अरुण वोरा को चुनावी जंग में दिखने वाले विरोधी भाजपा प्रत्यशी के साथ साथ परदे के पीछे ना के विरोधियो से भी मुकाबला करना होगा जो सामने तो समर्थन की बात कर रहे है किन्तु अपने पांच साल की उपेक्षा का रंग मतदान के समय दिखाने की भी बात हो रही है .
नहीं है कोई उपलब्धि तो बच्चो का सहारा लेने का आरोप कांग्रेसी प्रत्याशी पर
अरुण वोरा के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन की शिकायत सामने आई है. विधायक पर सरकारी स्कूल में जाकर चुनाव प्रचार करने का आरोप लगा है। कांग्रेस की सूची जारी होने से पहले विधायक अरुण वोरा ने स्व. झाड़ूराम देवांगन शासकीय स्कूल में छात्रों से बातचीत में कहा था कि अगर अरुण वोरा को वोट मिलेगा तो स्कूल को और अच्छा बनाएंगे. ऐसे में सभी बच्चे अपने माता-पिता को जाकर बोले कि वह अरुण वोरा को वोट दें. इसके बात की शिकायत जिला निर्वाचन अधिकारी से की गई।
जिला निर्वाचन अधिकारी व कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा ने बताया कि उन्हें इस संबंध में शिकायत मिली है शिकायत में कहा गया है कि विधायक अरुण वोरा ने शासकीय स्कूल में जाकर बच्चों को बोला है कि अगर उन्हें वोट मिलेगा तो स्कूल को और अच्छा बनाने काम करेंगे ऐसे में अपने माता-पिता से बोले कि वे उन्हें वोट करें तो वही जब इस पूरे मामले पर अरुण वोरा से संपर्क किया गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया।
एक बार फिर उठ रही समाधी स्थल की चर्चा और पद की ताकत का दुरूपयोग ...
स्व. मोतीलाल वोरा के याद में निर्मित समाधी स्थल की चर्चा भी एक बार उठ रही . आम जनता के बीच यह चर्चा का विषय है कि आखिर समाधी स्थल किसकी अनुमति से और किस मद से बनाई गयी . बता दे कि स्व. मोतीलाल वोरा की समाधी स्थल शिवनाथ मुक्तिधाम में बनाई गयी है जो कि मुक्तिधाम की संपत्ति है ऐसे में शासन के पास ऐसे कोई दस्तावेज नहीं है कि इस स्थान पर विधि संगत समाधी स्थल बने वही चर्चा है कि पद की ताकत के आगे विधायक ने यह स्थल बनवाया है ऐसे में कुछ लोगो इसे दुर्ग के सबसे ज्यादा लाडले नेता स्व. हेमचंद यादव से भी तुलना कर रहे है तब भाजपा सरकार थी इसके बावजूद भी ना ही परिवार ने और ना ही प्रदेश सरकार ने ऐसी कोई कोशिश की कि हरनाबांधा मुक्तिधाम में स्व. हेमचंद यादव का समाधी स्थल बनाए .
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