
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
रायपुर / शौर्यपथ /
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में रविवार को आयोजित प्रेस वार्ता में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वरिष्ठ नेताओं ने केंद्र सरकार पर सूचना के अधिकार कानून (RTI Act) को कमजोर करने का आरोप लगाया।
कांग्रेस ने कहा कि आज देश को आम नागरिक को सशक्त बनाने वाले RTI कानून को लागू हुए 20 वर्ष पूरे हो गए हैं, जिसे 12 अक्टूबर 2005 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और यूपीए चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी के नेतृत्व में लागू किया गया था।
कांग्रेस का दावा — मनमोहन सरकार ने दी थी पारदर्शिता की नींव
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यूपीए सरकार ने RTI सहित कई जनहितकारी कानून बनाए, जिन्होंने प्रशासनिक पारदर्शिता और सामाजिक सुरक्षा को मजबूत किया।
इनमें मनरेगा (2005), वन अधिकार अधिनियम (2006), शिक्षा का अधिकार (2009), भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा अधिनियम (2013) और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (2013) प्रमुख हैं।
नेताओं ने कहा कि RTI कानून ने आम नागरिक को शासन की जवाबदेही सुनिश्चित करने का अधिकार दिया। इसके माध्यम से राशन, पेंशन, मजदूरी, छात्रवृत्ति जैसे बुनियादी अधिकारों की सुरक्षा में आमजन को मदद मिली।
“मोदी सरकार ने कानून की आत्मा को कमजोर किया”
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 2019 में केंद्र की भाजपा सरकार ने RTI कानून में संशोधन कर आयोगों की स्वतंत्रता को सीमित किया, जिससे कार्यपालिका का प्रभाव बढ़ गया।
इसके अलावा, 2023 में लागू डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम (DPDP) के माध्यम से RTI की धारा 8(1)(j) को बदल दिया गया, जिससे “व्यक्तिगत जानकारी” की परिभाषा इतनी विस्तृत कर दी गई कि अब कई सार्वजनिक सूचनाएँ भी जनहित में साझा नहीं की जा सकतीं।
कांग्रेस नेताओं के अनुसार, इससे “सार्वजनिक धन के उपयोग, सांसद निधि, मनरेगा कार्यों या राजनीतिक फंडिंग” जैसे मामलों की पारदर्शिता पर असर पड़ा है।
सूचना आयोगों में रिक्तियाँ और जवाबदेही का अभाव
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्रीय सूचना आयोग में 11 में से केवल दो पद ही भरे हुए हैं, जबकि छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त का पद दो वर्षों से खाली है और केवल एक आयुक्त कार्यरत हैं।
इस स्थिति को “पारदर्शिता प्रणाली को निष्क्रिय करने की कोशिश” बताया गया।
व्हिसलब्लोअर पर हमले और सुरक्षा की कमी
कांग्रेस नेताओं ने आरटीआई कार्यकर्ताओं पर बढ़ते हमलों को लेकर गंभीर चिंता जताई।
उन्होंने भोपाल की शहला मसूद और सतीश शेट्टी जैसे मामलों का उल्लेख करते हुए कहा कि “व्हिसलब्लोअर्स प्रोटेक्शन कानून” संसद से पारित होने के बावजूद लागू नहीं किया गया है।
इसके चलते RTI का उपयोग करने वाले नागरिक भय के माहौल में हैं।
कांग्रेस की छह मांगें
कांग्रेस ने केंद्र सरकार से निम्न छह मांगें रखीं —
2019 के संशोधनों को निरस्त कर सूचना आयोगों की स्वतंत्रता बहाल की जाए।
DPDP अधिनियम की विवादित धाराओं की समीक्षा की जाए।
केंद्र और राज्यों के सभी आयोगों में रिक्तियाँ तुरंत भरी जाएँ।
आयोगों की निपटान दर और कार्य निष्पादन सार्वजनिक किया जाए।
व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन कानून को प्रभावी रूप से लागू किया जाए।
आयोगों में पत्रकारों, शिक्षाविदों और महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
कांग्रेस का संकल्प
कांग्रेस ने कहा — “सूचना का अधिकार आधुनिक भारत के सबसे बड़े लोकतांत्रिक सुधारों में से एक है। इसकी कमजोरी, लोकतंत्र की कमजोरी है। आरटीआई की 20वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस इस कानून की रक्षा और सशक्तिकरण के संकल्प को दोहराती है, ताकि हर नागरिक निर्भय होकर सवाल पूछ सके और जवाब पा सके।”
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख नेता
प्रेस वार्ता में वरिष्ठ कांग्रेस नेता सत्यनारायण शर्मा, पूर्व मंत्री मो. अकबर, डॉ. शिवकुमार डहरिया, पूर्व सांसद छाया वर्मा, प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैदू, वरिष्ठ नेता राजेंद्र तिवारी, गिरीश देवांगन, संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला, पूर्व विधायक विकास उपाध्याय, महामंत्री सकलेन कामदार, प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर, सुरेंद्र वर्मा, घनश्याम राजू तिवारी, डॉ. अजय साहू, नितिन भंसाली और अजय गंगवानी उपस्थित रहे।
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.