
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
"बिहार विधानसभा चुनाव: लोकतंत्र की जीत, जनता का नया विश्वास"
"नीतीश की वापसी या नए युग की शुरुआत? बिहार का फैसला तय"
"मतदान में रिकॉर्ड भागीदारी से साबित हुआ भारत का लोकतंत्र सशक्त"
राजनीतिक विश्लेषण: शरद पंसारी, संपादक – शौर्यपथ दैनिक समाचार
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे और अंतिम चरण का मतदान संपन्न होते ही पूरे राज्य की नजरें अब 14 नवंबर की मतगणना पर टिक गई हैं। टीवी चैनलों पर एग्जिट पोल का माहौल गर्म है, और लगभग हर सर्वेक्षण नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए को स्पष्ट बहुमत की ओर बढ़ता हुआ दिखा रहा है। वहीं, महागठबंधन इस बार ‘तीसरे नंबर’ की परिस्थिति से भी जूझता नजर आ रहा है।
बिहार की जनता ने इस बार मतदान में ऐसी भागीदारी दिखाई है कि बीते दो दशकों का रिकॉर्ड टूट गया। महिला वोटर्स की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही, जो लोकतंत्र की मजबूती और जागरूक नागरिकता की दिशा में एक शुभ संकेत है।
पहले चरण में 94 सीटों पर लगभग 62.5 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि दूसरे चरण में 149 सीटों पर मतदान का प्रतिशत 64.8 तक पहुंच गया। यह स्पष्ट संकेत है कि चाहे राजनीतिक दलों के आरोप-प्रत्यारोप कितने भी हों, जनता अपने मताधिकार का प्रयोग पूरी सजीवता के साथ कर रही है।
एग्जिट पोल का रुझान और भविष्य की राजनीति
देश की प्रमुख एजेंसियों—सर्वे इंडिया, सी-वोटर और टाइम्स पोल्स—के एग्जिट पोल के अनुसार, एनडीए को इस बार 160 से 175 सीटों के बीच मिलने का अनुमान है। वहीं, महागठबंधन को 55 से 65 सीटों तक सीमित बताया जा रहा है। जन स्वराज पार्टी ने परिवर्तन की राजनीति का दावा किया, लेकिन कई एग्जिट पोल उन्हें शून्य से अधिकतम दो सीटों तक सीमित मान रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव के आखिरी चरण में जिस आक्रामक रफ्तार के साथ प्रचार किया, उसने एनडीए के आत्मविश्वास को मजबूती दी। दूसरी ओर, कांग्रेस और राजद लगातार चुनाव आयोग पर सवाल उठाते रहे, लेकिन जनता के मौन जनादेश ने यह संकेत दिया है कि बिहार ने फिर स्थिरता को तरजीह दी है।
महागठबंधन के लिए मुश्किल राह
तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन ने बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर चुनावी नैरेटिव खड़ा करने की कोशिश की, मगर नीतीश कुमार की विकासपरक राजनीति और नरेंद्र मोदी के राष्ट्रव्यापी प्रभाव के आगे यह कोशिश कमजोर पड़ती दिखी। कांग्रेस ने बार-बार चुनाव आयोग पर ‘‘फर्जी मतदान’’ के आरोप लगाए, किन्तु यदि नतीजे एग्जिट पोल के अनुरूप रहे, तो ये सारे आरोप निराधार ठहरेंगे।
जनता का जनादेश और लोकतंत्र की जीत
बिहार का यह चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन का नहीं बल्कि लोकतंत्र के पुनः सशक्त होने का संकेत है। मतदाता अब जातीय समीकरणों से ऊपर उठकर अपने भविष्य की दिशा तय कर रहा है। गांव हो या शहर, युवा मतदाता हो या वरिष्ठ नागरिक—हर वर्ग ने मतदान को लोकतंत्र के महापर्व के रूप में स्वीकार किया है।
इस चुनाव से यह संदेश जा रहा है कि भारत का लोकतंत्र आज भी जीवंत, सक्षम और सर्वश्रेष्ठ है। परिणाम चाहे जिसके पक्ष में आएं, असली जीत लोकतंत्र की ही होगी—क्योंकि जनता ने यह साबित किया है कि सत्ता की चाबी किसी पार्टी या नेता के पास नहीं, बल्कि जनमत के पास है।
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.
Feb 09, 2021 Rate: 4.00
