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अनोखा सामाजिक बहिष्कार : समाज को दान की गई जमीन चुपके से बेची, हिसाब मांगने पर किया हुक्का पानी बंद,न्याय के लिए आज तक भटक रहा बाबर!
राजनांदगांव. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के निर्वाचन जिले में अनोखा सामाजिक बहिष्कार का मामला सामने आया है, जहां समाज के पदाधिकारियों ने व्यक्ति को समाज से बाहर नहीं किया है बल्कि समाज के लोग ही उससे हो गए हैं. अपने तरीके का यह पहला मामला है जो किसी सामाजिक व्यक्ति का अनोखे तरीके से बहिष्कार किया गया है. पूरा मामला छत्तीसगढ़ के हाई प्रोफाइल जिले राजनांदगांव का है.
बता दें कि पूरा मामला पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के निर्वाचन जिले के डोंगरगांव ब्लॉक के मटिया रोड निवासी अब्दुल बाबर से जुड़ा हुआ है.जिसे उसके ही समाज के पदाधिकारियों ने उसे समाज से ना निकल कर सामाजिक तौर अपने आप को उससे अलग कर लिया है. इसके चलते अब समाज के लोग अब्दुल बाबर से किसी भी तरीके का सामाजिक सरोकार नहीं रख रहे हैं. पत्रकार वार्ता लेकर अब्दुल बाबर ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा है कि तकरीबन 1 साल पहले समाज से ही जुड़े लोगों ने समाज के हित में काम करने के लिए कुछ लोगों ने अपनी जमीन दान की थी. उन जमीनों को चुपके से बेच दी गई है. इस मामले को लेकर जब उन्होंने समाज से जुड़े लोगों से सवाल किया तो सामाजिक पदाधिकारियों ने एक तरीका से उन्हें अलग थलग कर दिया है. अब्दुल बाबर ने बताया कि तकरीबन 6 माह से वह एक तरीक़े से सामाजिक बहिष्कार का शिकार है. उनका हुक्का पानी बंद कर दिया गया है और समाज से जुड़े लोग उनसे कोई भी सामाजिक सरोकार नहीं रख रहे हैं. इसके चलते वे मानसिक और शारीरिक रूप से काफी प्रताड़ित है. उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर पुलिस से भी लिखित शिकायत की गई है. लेकिन, मामले में अब तक कार्रवाई शून्य है. उनका कहना है कि अब वे अपने और अपने परिवार के भविष्य को लेकर के चिंतित हैं.
क्या सामाजिक बहिष्कार के बाद भी कतराई पुलिस!
इस मामले को लेकर की सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर 21वीं सदी में सामाजिक बहिष्कार जैसे मामले आने के बाद भी पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की. जबकि दूसरी ओर अब्दुल बाबर ने बताया कि उन्होंने इसकी लिखित शिकायत स्थानीय पुलिस थाने और पुलिस अधीक्षक से भी की है. बावजूद इसके पुलिस ने इस मामले को बेहद हल्के में लिया और अब बाबर करवाई नहीं होने के चलते मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं.बाबर ने डोंगरगांव पुलिस पर सीधे तौर पर आरोप लगाते हुए कहा है कि तात्कालिक थाना प्रभारी से शिकायत करने के बाद भी उन्होंने साफ तौर पर कार्रवाई करने से मना कर दिया. उल्टे उन्हें ही खरी खोटी सुनाई और सामाजिक मामलों में दखल नहीं देंगे ऐसा करके उन्हें थाने से लौटा दिया।
आत्महत्या करने पर मजबूर
बाबर ने बताया कि जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से कोई भी कार्रवाई नहीं करने के चलते अब वे आत्महत्या को मजबूर हो गए हैं. पत्रकार वार्ता में उन्होंने साफ तौर पर कहा कि समाज के पदाधिकारियों ने उनका हुक्का पानी बंद कर दिया है. जिसके चलते उन्हें सामाजिक दायित्व को निभाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वे लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं. अगर प्रशासन इस मामले में कार्रवाई नहीं करता तो वे आत्महत्या करने पर मजबूर होंगे।
ऐसी जानकारी नहीं मिली है : कलेक्टर
मामले में कलेक्टर संजय अग्रवाल का कहना है कि उन्हें ऐसी कोई जानकारी अब तक नहीं मिली है। हालांकि सामाजिक बहिष्कार के मामले में पुलिस को कार्रवाई करने का अधिकार है. पीड़ित व्यक्ति तत्काल पुलिस से संपर्क करें और अपनी लिखित एफआईआर दर्ज करें.
शिकायत की जाँच की जाएगी : अवनीश श्रीवास, थाना प्रभारी
मैंने वर्तमान में ही डोंगरगांव थाने का चार्ज लिया है थाने में तकरीबन 200 मामले पेंडिंग है. जल्द ही शिकायत की गंभीरतापूर्वक जाँच की जाएगी. जाँच में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी.
डोगरगाँव। डोंगरगांव के एक भाजपाई जनपद सदस्य द्वारा ग्राम पंचायत जारवाही स्थित सरकारी जमीन पर चैन मशीन लगाकर दिनरात मुरूम चोरी का मामला सामने आया है। यहां से रोजाना हाईवा में भरकर मुरूम की सप्लाई की जा रही है, किंतु यह सब राजस्व विभाग और खनिज विभाग को नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में साठगांठ की आशंका जताई जा रही है।
सूत्रों के अनुसार ग्राम पंचायत जारवाही में मुरूम चोरी का काम जनपद सदस्य मनीष साहू द्वारा पहले रूक-रूककर किया जा रहा था, ताकि किसी को पता न चलने पाए। उस बीच ग्राम के लोगों द्वारा बैठक लेकर मुरूम के अवैध उत्खनन के लिए मना कर दिया गया था। उसके कुछ समय बाद उसी व्यक्ति द्वारा पुनः जेसीबी के माध्यम से मुरूम उत्खनन और सप्लाई का काम शुरू कर दिया गया, तब ग्राम सरपंच द्वारा उसे रोका भी गया, किंतु जनपद सदस्य ने सत्ता सरकार होने का धौंस दिखाकर सरपंच को भी डरा-धमकाकर चुप करा दिया। उसके बाद पिछले चार-पांच दिनों से ग्राम जारवाही में मारगांव जाने
वाले मार्ग पर सरकारी मैदानी जमीन पर जेसीबी लगाकर मुरूम का अवैध उत्खनन और हाईवा से परिवहन किया जा रहा है। दरअसल यह वही जगह है, जहां पर अच्छी क्वालिटी की मुरूम उपलब्ध है, जिस पर क्षेत्र के खनिज माफियाओं की नजर हमेशा रहती आई है।
सूत्रों के अनुसार जारवाही से अवैध रूप से निकाली जा रही मुरूम की सप्लाई राजनांदगांव के रेवाडीह और पेंड्री क्षेत्र में की जा रही है। ऐसे में मुरूम के अवैध परिवहन में लगे हाइवा व अन्य वाहनों को राजस्व और खनिज विभाग चाहे तो जब कभी पकड?र कार्यवाही कर सकता है, लेकिन दोनों विभाग के अफसर आंख मूंदे बैठे है, जिससे मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है। बताया जाता है कि ग्राम रामपुर निवासी
जनपद सदस्य मनीष साहू द्वारा इसके पहले भी जारवाही सहित आसपास के गांव जैसे गिरगांव, मारगांव, गनेरी, मनेरी सहित कई जगहों से मुरूम का अवैध उत्खनन किया जाता रहा है और जनपद सदस्य होने का दंभ भरकर अधिकारियों को लाल आंख दिखाते आ रहा है। बताया जाता है कि अध्यक्ष से करीबी संबंध होने का भी उसके द्वारा फायदा उठाया जा रहा है। बहरहाल डोंगरगांव एसडीएम और जिला खनिज विभाग को चाहिए कि सरकारी जमीन पर मुरूम का अवैध उत्खनन कर रायल्टी चोरी करने वाले ऐसे लोगों पर नकेल कसे और अवैध परिवहन में लगे वाहनों की जप्ती कर राजसात करने की कार्यवाही करे, ताकि फिर कोई दोबारा इस तरह के अवैध कार्यों को अंजाम देने की
हिमाकत न करने पाए।
डोगरगाँव - डोगरगाँव नगर पंचायत मे पिछली सरकार ने विधायक की मांग पर नगर पंचायत सीमा क्षेत्र मे सड़क चौड़ीकरण स्वीकृत हुआ था।लेकिन आज पर्यंत कार्य अधूरा है ,तथा निर्माण की गुणवत्ता पर प्रारंभ से प्रश्न चिन्ह लगते रहे हैं।लेकिन कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होता रहा है ,न तो सड़क निर्माण विभाग के तरफ से कोई ठोस कार्यवाही किया गया और नहीं स्थानीय जान प्रतिनिधियों ने कुछ ठोस कदम उठाए।आज प्रदेश मे सत्ता परिवर्तन होने के साथ काग्रेस सड़क पर उतर आयी है। सड़क चौड़ीकरण के नाम पर सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष में एक दूसरे के पाले में गेंद डालने का खेल चल रहा है ,जिसमें बेचारी जनता पीस रही है।
भाजपा सरकार की पूरे देश में चलायी जाने वाली योजनाओं में से एक महत्पूर्ण योजना प्रधान मंत्री आवास योजना जो देश के गरीब लोगों को ध्यान में रखकर सरकार ने एक जनकल्याणकारी योजना को मूर्त रूप देने का सम्पूर्ण प्रयास किया जो पूरे देश की गरीब जनता के लिए वास्तव में बहुत ही लाभकारी सिध्द हुआ है ।
परतुं स्थानीय स्तर पर निकायों में इस योजना की आड़ में ऐसी भर्राशाही का आलम नौकरशाहों के द्वारा किया जा रहा है जो कि कल्पना से परे है।
इसके जो वास्तविक लाभार्थी है उनको इस का लाभ मिलाना तो दूर सूची में नाम आने के बाद भी वर्षो से उन्हें इसके लाभ से वंचित रखा गया है , जबकि दुसरी तरफ ऐसे भी लाभार्थी है जिनका पक्का मकान पूर्व से निर्मित है उनको इसका लाभ अवैध तरीके से दिया जा रहा है ।सूत्रों की माने तो जानकारी यहां तक है कि इस योजना के कई ऐसे भी लाभार्थी है जिनको इस योजना का अवैध तरीके से दो से तीन बार लाभ पहुंचाया गयाहै।
जानकारी तो यह आया है कि स्थानीय चुनाव के मद्देनजर राजनांदगांव में सांसद के हाथो आवास पूर्णता प्रमाणपत्र के वितरण कार्यक्रम में ऐसे लोगों को भी प्रमाणपत्र दे दिया गया जिन्होंने कभी आवास योजना में आवेदन ही नहीं किया उन्हें भी आवास प्रमाणपत्र प्रदान कर दिया गया और तो और कंही और के निवासी को किसी अन्य निकाय का निवासी बता कर प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया है। जबकि राधा बाई बेवा बैसाखु के नाम से विगत चार वर्श पूर्व आवास स्वीकृत हो चुका है फिर भी आज पर्यंत उसे इसका लाभ नहीं दिया गया है जो एक वयोवृद्ध महिला है एवं उसे कोई पुत्र भी नहीं है ऐसे बुजुर्ग और बेसहारा महिला का कोई सुनने वाला निकाय में कोई नहीं है । यदि इस सम्बन्ध मे त्वरित और ईमानदारी इस जांच की जाए तो ऐसे बहुत से मामले सामने आयेंगे की दांतों ताले उंगलिया दबाना पड़ेगा।
भाजपा सरकार की पूरे देश में चलायी जाने वाली योजनाओं में से एक महत्पूर्ण योजना प्रधान मंत्री आवास योजना जो देश के गरीब लोगों को ध्यान में रखकर सरकार ने एक जनकल्याणकारी योजना को मूर्त रूप देने का सम्पूर्ण प्रयास किया जो पूरे देश की गरीब जनता के लिए वास्तव में बहुत ही लाभकारी सिध्द हुआ है ।
परतुं स्थानीय स्तर पर निकायों में इस योजना की आड़ में ऐसी भर्राशाही का आलम नौकरशाहों के द्वारा किया जा रहा है जो कि कल्पना से परे है।
इसके जो वास्तविक लाभार्थी है उनको इस का लाभ मिलाना तो दूर सूची में नाम आने के बाद भी वर्षो से उन्हें इसके लाभ से वंचित रखा गया है , जबकि दुसरी तरफ ऐसे भी लाभार्थी है जिनका पक्का मकान पूर्व से निर्मित है उनको इसका लाभ अवैध तरीके से दिया जा रहा है ।सूत्रों की माने तो जानकारी यहां तक है कि इस योजना के कई ऐसे भी लाभार्थी है जिनको इस योजना का अवैध तरीके से दो से तीन बार लाभ पहुंचाया गयाहै।
जानकारी तो यह आया है कि स्थानीय चुनाव के मद्देनजर राजनांदगांव में सांसद के हाथो आवास पूर्णता प्रमाणपत्र के वितरण कार्यक्रम में ऐसे लोगों को भी प्रमाणपत्र दे दिया गया जिन्होंने कभी आवास योजना में आवेदन ही नहीं किया उन्हें भी आवास प्रमाणपत्र प्रदान कर दिया गया और तो और कंही और के निवासी को किसी अन्य निकाय का निवासी बता कर प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया है। जबकि राधा बाई बेवा बैसाखु के नाम से विगत चार वर्श पूर्व आवास स्वीकृत हो चुका है फिर भी आज पर्यंत उसे इसका लाभ नहीं दिया गया है जो एक वयोवृद्ध महिला है एवं उसे कोई पुत्र भी नहीं है ऐसे बुजुर्ग और बेसहारा महिला का कोई सुनने वाला निकाय में कोई नहीं है । यदि इस सम्बन्ध मे त्वरित और ईमानदारी इस जांच की जाए तो ऐसे बहुत से मामले सामने आयेंगे की दांतों ताले उंगलिया दबाना पड़ेगा।
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परतुं स्थानीय स्तर पर निकायों में इस योजना की आड़ में ऐसी भर्राशाही का आलम नौकरशाहों के द्वारा किया जा रहा है जो कि कल्पना से परे है।
इसके जो वास्तविक लाभार्थी है उनको इस का लाभ मिलाना तो दूर सूची में नाम आने के बाद भी वर्षो से उन्हें इसके लाभ से वंचित रखा गया है , जबकि दुसरी तरफ ऐसे भी लाभार्थी है जिनका पक्का मकान पूर्व से निर्मित है उनको इसका लाभ अवैध तरीके से दिया जा रहा है ।सूत्रों की माने तो जानकारी यहां तक है कि इस योजना के कई ऐसे भी लाभार्थी है जिनको इस योजना का अवैध तरीके से दो से तीन बार लाभ पहुंचाया गयाहै।
जानकारी तो यह आया है कि स्थानीय चुनाव के मद्देनजर राजनांदगांव में सांसद के हाथो आवास पूर्णता प्रमाणपत्र के वितरण कार्यक्रम में ऐसे लोगों को भी प्रमाणपत्र दे दिया गया जिन्होंने कभी आवास योजना में आवेदन ही नहीं किया उन्हें भी आवास प्रमाणपत्र प्रदान कर दिया गया और तो और कंही और के निवासी को किसी अन्य निकाय का निवासी बता कर प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया है। जबकि राधा बाई बेवा बैसाखु के नाम से विगत चार वर्श पूर्व आवास स्वीकृत हो चुका है फिर भी आज पर्यंत उसे इसका लाभ नहीं दिया गया है जो एक वयोवृद्ध महिला है एवं उसे कोई पुत्र भी नहीं है ऐसे बुजुर्ग और बेसहारा महिला का कोई सुनने वाला निकाय में कोई नहीं है । यदि इस सम्बन्ध मे त्वरित और ईमानदारी इस जांच की जाए तो ऐसे बहुत से मामले सामने आयेंगे की दांतों ताले उंगलिया दबाना पड़ेगा।
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परतुं स्थानीय स्तर पर निकायों में इस योजना की आड़ में ऐसी भर्राशाही का आलम नौकरशाहों के द्वारा किया जा रहा है जो कि कल्पना से परे है।
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जानकारी तो यह आया है कि स्थानीय चुनाव के मद्देनजर राजनांदगांव में सांसद के हाथो आवास पूर्णता प्रमाणपत्र के वितरण कार्यक्रम में ऐसे लोगों को भी प्रमाणपत्र दे दिया गया जिन्होंने कभी आवास योजना में आवेदन ही नहीं किया उन्हें भी आवास प्रमाणपत्र प्रदान कर दिया गया और तो और कंही और के निवासी को किसी अन्य निकाय का निवासी बता कर प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया है। जबकि राधा बाई बेवा बैसाखु के नाम से विगत चार वर्श पूर्व आवास स्वीकृत हो चुका है फिर भी आज पर्यंत उसे इसका लाभ नहीं दिया गया है जो एक वयोवृद्ध महिला है एवं उसे कोई पुत्र भी नहीं है ऐसे बुजुर्ग और बेसहारा महिला का कोई सुनने वाला निकाय में कोई नहीं है । यदि इस सम्बन्ध मे त्वरित और ईमानदारी इस जांच की जाए तो ऐसे बहुत से मामले सामने आयेंगे की दांतों ताले उंगलिया दबाना पड़ेगा।
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पिछ्ले पंचवर्षीय योजना में विधायक द्वारा नगर की जनता को खूबसूरत शहर बनाने का सपना दिखाकर शासन से करोड़ों रुपये से कालेज रोड में स्थित तालाब का सौंदर्यीकरण प्रारम्भ किया गया। लोगों को एक आधुनिक और खूबसूरत गार्डन का सपना दिखाया गया। जनता से अपील कर अपने परिजनों की याद में पौधे लगाने को कहा गया जिसमें नागरिको ने पूरे उत्साह से अपनी सहभागिता दिखाई और हज़ारों के पौधे अपने ख़र्चे से रोपे,लेकिन उन हज़ारों रुपये को तालाब सौंदर्यीकरण के खर्चे में दिखा कर उन पैसों का बंदर बांट कर जनता की गाढ़ी कमाई अधिकारियों और नेताओ के जेब ने सीधे चला गया । सूत्रों की माने तो तालाब सौंदर्यीकरण जनता को बेवक़ूफ़ बनाने का एक बहुत ही अच्छा जरिया डोगर गाँव नगर पंचायत का बन गया है । कुछेक बीते पंचवर्षीय योजना में भी इसी तालाब के गहरीकरण के नाम पर लाखो रुपये का गोलमाल तत्कालीन नगर पंचायत के पदाधिकारियों द्वारा किया गया था । उसी तर्ज़ पर वर्तमान पदाधिकारियों के द्वारा किया जा रहा है। तालाब सौंदर्यीकरण के नाम पर कतिपय लोगों को परोक्ष रूप से लाभ पहुचाने का षडयंत्र किया का रहा है क्योंकि इस तालाब में बहुत ही गंदे व बदबूदार पानी को सीधे बाकायदा नाली (पाइप) लगाकर गिराया जा रहा है। यह तालाब सौंदर्यीकरण का इतना अच्छा नमूना शायद पूरे भारत मे कहीं भी देखने को नहीं मिलेगा । एक सी.सी .रोड बनाकर लोगों को शौच क्रिया की बाकायदा अच्छी सुविधा प्रदान करना सौंदर्यीकरण का इससे अच्छा उदाहरण शायद ही कहीं मिलेगा । उक्त तालाब में सौंदर्यीकरण के नाम पर पूरा काग़ज़ी जमा खर्च बस नजर आता है।हालांकि नगर की जनता सब समझ रही है, समय आने जवाब देने भी तैयार बैठी है।
पिछ्ले पंचवर्षीय योजना में विधायक द्वारा नगर की जनता को खूबसूरत शहर बनाने का सपना दिखाकर शासन से करोड़ों रुपये से कालेज रोड में स्थित तालाब का सौंदर्यीकरण प्रारम्भ किया गया। लोगों को एक आधुनिक और खूबसूरत गार्डन का सपना दिखाया गया। जनता से अपील कर अपने परिजनों की याद में पौधे लगाने को कहा गया जिसमें नागरिको ने पूरे उत्साह से अपनी सहभागिता दिखाई और हज़ारों के पौधे अपने ख़र्चे से रोपे,लेकिन उन हज़ारों रुपये को तालाब सौंदर्यीकरण के खर्चे में दिखा कर उन पैसों का बंदर बांट कर जनता की गाढ़ी कमाई अधिकारियों और नेताओ के जेब ने सीधे चला गया ।
सूत्रों की माने तो तालाब सौंदर्यीकरण जनता को बेवक़ूफ़ बनाने का एक बहुत ही अच्छा जरिया डोगर गाँव नगर पंचायत का बन गया है । कुछेक बीते पंचवर्षीय योजना में भी इसी तालाब के गहरीकरण के नाम पर लाखो रुपये का गोलमाल तत्कालीन नगर पंचायत के पदाधिकारियों द्वारा किया गया था । उसी तर्ज़ पर वर्तमान पदाधिकारियों के द्वारा किया जा रहा है। तालाब सौंदर्यीकरण के नाम पर कतिपय लोगों को परोक्ष रूप से लाभ पहुचाने का षडयंत्र किया का रहा है क्योंकि इस तालाब में बहुत ही गंदे व बदबूदार पानी को सीधे बाकायदा नाली (पाइप) लगाकर गिराया जा रहा है। यह तालाब सौंदर्यीकरण का इतना अच्छा नमूना शायद पूरे भारत मे कहीं भी देखने को नहीं मिलेगा । एक सी.सी .रोड बनाकर लोगों को शौच क्रिया की बाकायदा अच्छी सुविधा प्रदान करना सौंदर्यीकरण का इससे अच्छा उदाहरण शायद ही कहीं मिलेगा । उक्त तालाब में सौंदर्यीकरण के नाम पर पूरा काग़ज़ी जमा खर्च बस नजर आता है।हालांकि नगर की जनता सब समझ रही है, समय आने जवाब देने भी तैयार बैठी है।