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दुर्ग / शौर्यपथ लेख / राजनीती की जब भी बात आएगी तो मोतीलाल वोरा का नाम जरुर आएगा . कांग्रेस की राजनीती में एक विनम्र और बेदाग़ छवि के लिए जाना जाने वाला नाम है मोतीलाल वोरा . ५ दशक की लम्बी राजनीती में पार्षद से देश के मुख्य राजनीती दल कांग्रेस में मोतीलाल वोरा का नाम सदैव के लिए अमिट हो गया साथ ही इतिहास के पन्नो में दर्ज़ हो गया २१ दिसंबर का दिन . किन्तु जिस तरह पिछले दिनों शहर के एक तालाब का नाम मोतीलाल वोरा के नाम किये जाने का निगम ने प्रस्ताव पारित किया उससे उनके नाम को जरुर कुछ आघात लगा .शहर का ठगडा बाँध जो ठगडा दाऊ की सम्पाती थी जिसे उनके द्वारा जनहित में दान किया गया और एक बड़े तालाब का निर्माण इन दिनों चल रहा है ठगडा दाऊ के नाम से बने इस तालाब का नाम अंग्रेज शासन में भी नहीं बदला ऐसे में अब बदलना कहा तक सही है . . मोतीलाल वोरा एक ऐसी सोंच के व्यक्ति थे जो अपनी राह स्वयं बनाते थे अपनी मंजिल ऐसे तय करते जिससे किसी को आघात ना हो किसी को शर्मिदा ना होना पड़े . अपने जीवन काल में शायद ही कोई ऐसा होगा जिनका दिल मोतीलाल वोरा ने दुखाया हो , सदा विनम्र रहने वाले काम को ही पूजा समझने वाले व्यक्ति के रूप में पहचान बनाने वाले मोती लाल वोरा किस नाम के मोहताज नहीं थे किसी का नाम का सहारा लेकर आगे बढ़ना मोतीलाल वोरा को कभी गवारा नहीं था ऐसे में आज जब वो इस दुनिया में नहीं है उनके नाम को किसी और के नाम के सहारे अमिट करना स्व. मोतीलाल वोरा जी के नाम का ही अपमान है . ठगडा दाऊ की एक अलग पहचान है स्व. मोतीलाल वोरा की एक अलग पहचान है . चौक चौराहो में स्व. मोतीलाल वोरा की फोटो लगाने से क्या लोग उन्हें याद रखेंगे ऐसा बिलकुल भी नही है . दुर्ग की राजनीती में प्रदेश की राजनीती में देश की राजनीती में उनका नाम किसी फोटो का मोहताज़ नहीं उनको किसी नाम के सहारे अपना नाम अमिट करने की चाह कभी नहीं रही होगी उनके कर्म ही ऐसे है कि दुर्ग की जनता के दिलो में उनकी छवि है ऐसे में दुर्ग में ठगडा बाँध के नाम को मोतीलाल वोरा के नाम से करने से अच्छा यह है कि उनके नाम से शहर में कुछ ऐसा नव निर्माण हो जिससे जनता के मन में उनके लिए आदर और बढे . उनके जीवन काल में उनके नाम से दुर्ग में कभी कोई प्रतिरोध नहीं हुआ किन्तु वर्तमान में ठगडा बाँध के नाम को परिवर्तन कर मोतीलाल वोरा का नाम दिए जाने के प्रस्ताव पारित होने से भाजपा सहित छत्तीसगढ़ मंच व कई अन्य सामाजिक लोगो द्वारा जो विरोध हो रहा है वह जरुर उनकी आत्मा को तकलीफ दे रहा होगा क्योकि जिस व्यक्ति ने अपनी मंजिल पाने के लिए किसी का सहारा नहीं लिया अब उनके नाम के लिए प्रतिरोध क्या सही है ?
ठगडा दाऊ की उनके नाम की अपनी अहमियत है वैसे ही स्व. मोतीलाल वोरा के नाम की भी अपनी अहमियत है . ये विवाद उठते ही दुर्ग विधायक और स्व. मोतीलाल वोरा के पुत्र अरुण वोरा को ही तुरंत सामने आ कर इस विवाद का पटाक्षेप करना चाहिए . भले ही आज सत्ता कांग्रेस की है और निगम में सरकार उनकी है आज ठगडा बाँध का नाम मोतीलाल वोरा के नाम से कर दिया जाएगा लाख विरोध के बाद भी तो क्या इस बात की गांरंटी है कि सत्ता परिवर्तन के बाद भी ये प्रक्रिया को विराम लग जायेगा . ये राजनीती है हो सकता है कल को भाजपा या कोई अन्य मंच निगम की सत्ता में बैठे और एक बार फिर इस बाँध को ठगडा बाँध के नाम से करने का प्रस्ताव पारित कर दे तब ज्यादा तकलीफ होगी स्व. मोतीलाल वोरा के समर्थको को उनके चाहने वालो को .
मेरे विचार से स्व. मोतीलाल वोरा के नाम के लिए सरकार कोई ऐसा नव निर्माण करे जो अविवादित हो ताकि भविष्य तक उस नवनिर्माण सोंच का नाम स्व. मोतीलाल वोरा के नाम पर ही रहे ना कि दुसरे के नाम पर काबिज निर्माण . अज भले ही सरकार ये कह दे कि ठगडा बाँध उनके प्रयासों से निर्मित हो रहा है किन्तु निर्माण की राशी उनकी नहीं है जनता की है जनहित के लिए जनता के पैसो से निर्माण हो रहा है . जब जमीन सरकार (ठगडा दाऊ द्वारा दान की हुई जमीन पर निर्मित है ठगडा बाँध ) की नहीं पैसा किसी व्यक्ति विशेष का नहीं तो फिर ये नाम बदलने का खेल क्यों अगर ये खेल शुरू हुआ तो आगे भी बढेगा और भविष्य में फिर नाम परिवर्तन की आशंका रहेगी . क्या ऐसी ही सच्ची श्रधान्जली देना चाहती है दुर्ग निगम की सरकार और निविवाद जननेता रहे स्व. मोतीलाल वोरा के नाम से वर्तमान में चल रहे विवाद पर क्यों मौन है दुर्ग विधायक वोरा ...
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