November 21, 2024
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आमदनी चवन्नी खर्चा रुपैय्या ऐसी है निगम की प्रशासनिक व्यवस्था

दुर्ग । शौर्यपथ । दुर्ग निगम की प्रशासनिक व्यवस्था की बात करे तो कभी कभी ऐसा प्रतीत होता है कि इस प्रशासनिक व्यवस्था का खामियाजा दुर्ग की जनता को ही चुकाना पड़ रहा है । दुर्ग निगम कभी भी फायदे में नही रहा किन्तु कुछ काम ऐसे हो रहे है जिससे यह साफ संकेत देता है कि दुर्ग निगम की इस प्रशासनिक व्यवस्था के कारण निगम प्रशासन जानबूझकर ऐसा कार्य करते है जिससे निगम को आर्थिक हानि हो । कहने को बात बहुत छोटी सी है किंतु अगर देखा जाए तो इस छोटी सी बात से ही दुर्ग निगम को लाखों का नुकसान हो रहा है । इस ओर न तो जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहे है और न ही अधिकारी । निगम की इस व्यवस्था से उन्हें आर्थिक हानि तो हो ही रही है साथ ही उनके इस व्यवस्था से आम जनता को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । मामला है दुर्ग निगम के अंतर्गत आने वाले पार्किंग व्यवस्था की । इन दिनों दुर्ग निगम के अंतर्गत तीन स्थानों में पार्किंग व्यवस्था की सुविधा है जिसमे से एक इंदिरा मार्किट दूसरा नया बस स्टैंड तीसरा समृद्धि बाजार ये तीनो जगहों पर निगम द्वारा पार्किंग की व्यवस्था की गयेई ताकि बाजार सुव्यवस्थित राह सके साथ ही पार्किंग के ठेके से निगम की आमदनी बढ़े किन्तु वर्तमान में समृद्धि बाजार में पार्किंग सुना और सड़कों पर वाहन जिससे आर्थिक हानि तो है ही चरमराती यातायात व्यवस्था के कारण गंभीर दुर्घटना का संशय हमेशा बना रहता है वही इंदिरा मार्केट की बात करे तो कहने को निगम के चार नियमित कर्मचारी यहां पर तैनात है किंतु इनकी तैनाती सिर्फ स्वयं के आय के लिए होती है । निगम के इस पार्किंग में दिनभर में गिरी से गिरी हालत में छोटे बड़े वाहन मिलाकर तकरीबन 400 - 500 वाहन का आना जाना होता है किंतु बड़े ही आश्चर्य की बात है कि 12 - 14 घंटे में निगम के 4 कर्मचारी की तैनाती जिनका मासिक वेतन औसतन 25 से 30 हजार के हिसाब से लाख रुपये से ऊपर होता है और ये कर्मचारी निगम के पार्किंग से औसतन 500 रुपये रोज रसीद काट कर निगम कोष में जमा करते है इस तरह निगम सिर्फ 15 हजार के लगभग आया के लिए लाख रुपये से ऊपर खर्च कर रहा है यही स्थिति बस स्टैंड पार्किंग की भी है । स्वयं ही अंदाजा लगा लिजीये की लाखों खर्च कर निगम हजारों कमा रहे साथ ही यातायात व्यवस्था पर भी ग्रहण लग रहा । किन्तु निगम प्रशासन इस पर मौन , जनप्रतिनिधि मौन क्योकि जो आर्थिक नुकसान हो रहा वो उनकी निजी संपत्ति नही आम जनता के टेक्स का पैसा है ...

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