CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
दुर्ग / शौर्यपथ ख़ास रिपोर्ट /
छत्तीसगढ़ एक ऐसा प्रदेश जिसका जन्म हुए अभी 21 वर्ष भी पूर्ण नहीं हुए है . अगर छत्तीसगढ़ की बात करे तो छत्तीसगढ़ में ऐसे कई नेता हुए है जिनका राजनितिक कद प्रदेश ही नहीं देश में बहुत उंचा रहा है . श्यामा चरण शुक्ल , विद्या चरण शुक्ल , चंदुलाल चंद्राकर , अजीत जोगी , ताराचंद साहू , मोतीलाल वोरा ये ऐसे नाम है जिनका जिक्र राजनितिक गलियारों सहित आम जनमानस में बड़े सम्मान से लिया जाता है . ये वो नाम है जो किसी पहचान के मोहताज नहीं है . ये खुद में एक पहचान है इनके नाम के सहारे कई लोगो की राजनीती परवान चढ़ी है . आज इस दुनिया में भले ही ये महापुरुष नहीं है किन्तु इनका नाम आज भी जीवित है अजर अमर है .
किन्तु इन दिनों राजनितिक हलको में चर्चा है तो स्व. मोतीलाल वोरा के समाधी स्थल निर्माण की . बता दे कि 22 दिसंबर को शिवनाथ नदी तट पर स्व. मोतीलाल जी वोरा का अंतिम संस्कार हुआ था जिसमे प्रदेश सहित देश के बड़े बड़े नेता श्रधांजलि देने आये हुए थे . शिवनाथ नदी तट पर स्थित मुक्ति धाम में हुए अंतिम संस्कार के बाद किसी ने यह नहीं सोंचा था कि शमशान घाट भूमि पर समाधी स्थल का निर्माण हुआ था शायद परिजनों ने भी नहीं सोंचा होगा इस बात को किन्तु कहते है चाटुकारिता की अति कभी कभी विवादों का तूफ़ान ले आती है ऐसा ही कुछ हो रहा है इस समाधी स्थल निर्माण पर .
वैसे तो मुक्तिधाम की जमीन एवं साथ में लगी पुष्प वाटिका की जमीन पर जमीनी विवाद काफी सालो से चल रहा है . खाते है कि यह जमीन शर्मा परिवार ने शहर की जनता को मुक्ति धाम के लिए दी थी वही कुछ हिस्सा पटेल परिवार ने भी शासन को दान किया था . बस यही चर्चा का विषय है कि दान की जमीन पर देश के कद्दावर नेता का समधी स्थल आखिर किस मद से और किस नियम के तहत बन रहा है और आखिर ऐसी क्या ज़रूरत आ पड़ी है समाधी स्थल के निर्माण की जबकि दुर्ग के बाबूजी स्व. मोतीलाल वोरा दुर्ग की जनता के दिलो में वर्षो से राज कर रहे है फिर ये विवाद क्यों .
दुर्ग सहित प्रदेश की बात करे तो छत्तीसगढ़ में ऐसे कई दिग्गज नेता हुए है जो स्व. मोतीलाल वोरा के समकक्ष रहे है किन्तु किसी भी के परिजनों ने या शासन ने उनकी समाधी स्थल बनाने की नहीं सोंची . हालाँकि चंदुलाल चंद्राकर जिन्हें छत्तीसगढ़ में राजनितिक का चाणक्य कहा जाता है छत्तीसगढ़ का स्वप्न दृष्टा के रूप में पहचान बनाए है उनकी समाधी स्थल उनके पैत्रिक ग्राम में है किन्तु जिस स्थान पर समाधी स्थल का निर्माण हुआ है वो जमीन भी उनके परिवार की निजी जमीन है और समाधी स्थल का निर्माण भी परिवार के सदस्यों ने अपनी पूंजी से बनाया है .
वही दुर्ग की ही बात करे तो दुर्ग से चार बार ?म जनता के आशीर्वाद से सांसद रह चुके स्व. तारचंद साहू प्रदेश के कद्दावर नेता रह चुके है . उनके मृत्यु के पश्चात प्रतिवर्ष उनकी पुन्तिथि तो मनाई जाती है किन्तु उनका कोई समाधी स्थल नहीं है . प्रदेश की बात करे तो प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में इतिहास के पन्नो पर सदैव अजीत जोगी का नाम अंकित हो गया उनकी भी समाधी स्था है किन्तु वो उनके पैत्रिक गाँव में और निजी भूमि पर जिस पर निर्माण भी उनकी निजी संपत्ति से हुआ है . वही प्रदेश में श्यामाचरण शुक्ल जैसे राजनेता है जो अविभाजित छत्तीसगढ़ के ऐसे नेता है जो मध्यप्रदेश के तीन बार के मुख्यमंत्री रहे है . विद्या चरण शुक्ल का नाम भी प्रदेश के ऐसे कद्दावर नेताओ में आता है जो केन्द्रीय राजनीती में भी अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए थे विधायक व सांसद भी रह चुके विद्या चरण शुक्ल की नक्सली हमले में मौत हुई जिसे आज भी कांग्रेस पार्टी शहादत दिवस के रूप में मनाता है जिसमे शुक्ल सही प्रदेश के कई कद्दावर नेताओ की मौत हुई थी किन्तु इनमे से किसी की भी समाधी स्थल का कही भी निर्माण शासकीय भूमि में शासन के खर्चे से नहीं हुआ ऐसे में क्या कुछ चाटुकारों के चाटुकारिता का प्रभाव है कि स्व. मोतीलाल वोरा जैसे कद्दावर नेता की छवि इस निर्माण के सहारे धूमिल किया जा रहा है . आज भले ही सत्ता की ताकत के आगे सब मौन है किन्तु ये लोकतंत्र है यहाँ सत्ता आती जाती रहती है जिस तरह शहर में हो रहे अव्यवस्था पर लगातार महापौर धीरज बाकलीवाल और विधायक वोरा का विरोध हो रहा है और पोस्टर की राजनीती के सहारे शहर को भ्रमित किया जा रहा है जिस तरह रबर स्टाम्प की सत्ता की बात विपक्ष में रह कर कांग्रेस कर रही थी आज उन पर भी यही आरोप लग रहा है . आने वाले समय में यही समाधी स्थल विवाद को हमेशा हवा देता रहेगा भले ही आज सब मौन है किन्तु चर्चा तो लगातार चल ही रही है कि आखिर क्यों ,कैसे और किस मद से किस नियम से हो रहा है समाधी स्थल का निर्माण जिसका जवाब ना तो महापौर बाकलीवाल दे रहे है , ना शहर के विधायक वोरा दे रहे है , ना निगम आयुक्त हरेश मंडावी दे रहे है ....
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.