November 21, 2024
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सुराही में समायें पक्षियों के सुर

ओपिनियन /शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ में बैशाख शुक्ल की तृतीया को अक्षय तृतीया (अक्ती) का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 14 मई को पड़ रहा है। इस पर्व पर मिट्टी के घड़े अथवा सुराही दान में देने की प्रथा प्रचलित है। इस पर्व पर मटके, सुराही दान देने का उद्देश्य यहीं है कि दीन हीन निर्धनजनों का परिवार ग्रीष्मकाल में सहजता से शीतल जल से प्यास बुझा सके। इस पर्व पर दो चार सुराही पक्षियों के बसेरा बनाने के लिये पेड़-पौधों, घरों की मुंडेर पर लटकाने की एक नई परंपरा छत्तीसगढ़ राज्य पाॅवर कंपनी के अतिरिक्त महाप्रबंधक श्री विजय मिश्रा ‘‘अमित’’ ने की है। उनका कहना है कि गर्मी बीत जाने के बाद प्रायः सुराही मटके को अनुपयोगी मानकर फेक दिया जाता है। इन्हे भी सुरक्षित स्थान पर लटका देने से यह भी पक्षियों का बसेरा बन सकते है।

सृष्टि की रचना के साथ ही मनुष्य का अटूट रिश्ता पेड़-पौधों, जीव-जन्तुओं और पशु-पक्षियों के साथ जुड़ा हुआ है। मानव समुदाय की जिंदगी को खुशनुमा बनाने में पक्षियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसलिये विद्वानों का कहना है कि ‘‘परिंदे जिनके करीब होते हैं, वे बड़े खुशनसीब होते हैं’’। मानव मित्र ये पक्षी फसलों के कीड़ों को खाकर न केवल फसलों की रक्षा करते हैं। फूलों के परागकण को एक फूल से दूसरे फूल में पहुंचाने का भी कार्य करते हैं। इससे अनभिज्ञ अनेक लोग खुबसूरत पक्षियों को पिंजरे में कैद करके रखते है।

मनुष्य के तन-मन-धन सब को संवारने में पक्षी परिवार का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसीलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि पक्षियों को पिंजरे में कैद करके रखने के बजाय आंगन में दाना पानी रखना आरंभ करें। साथ ही साथ घर आंगन आस-पास उगे वृक्षों में सुराही को बांधकर लटका दे। ऐसे लटके हुये सुराही में गौरेया, गिलहरी, उल्लू, पहाड़ी मैना, जैसे अनेक प्राणी बड़ी सहजता से अपना बसेरा बना लेते हैं। ऐसे में बिना कैद किये हुये भी आसपास चहकते हुए पक्षी आपके परिवार के सदस्य बन जाते हैं। श्री विजय मिश्रा अब तक सैकड़ों सुराही, मटके से पक्षियों का बसेरा बनाकर पेड़ों पर लटकायें हैं साथ ही सुराही बांटने, घोसला बनाने के तरीके भी वे रूचि लेकर सिखाते हैं।

उनका कहना है कि पक्षियों से दूर होते इंसान की जिंदगी आज नीरस हो चली है। कोयल, कौआ, फाक्ता, बुलबुल, कबूतर जैसे पक्षियों से बढ़ती दूरी मानव समुदाय के लिए अनेक अर्थों में हानिकारक सिद्ध हो रही है। लुप्त होते पक्षियों को बचाने का उत्तम उपाय यही है कि उन्हें पिजरें में कैद करना तत्काल बंद कर दें और अपने करीब रखने के लिए घर आंगन के पेड़ पौधे, मुंडेर पर सुराही, मटकी बांधने के साथ ही हर सुबह दाना-पानी देना आंरभ करें। इससे बारहों महीना चैबीस घण्टे पक्षियों के कलरव से आपका मन आनंदित होगा और पक्षियाॅ भी आपको आशीष देते हुये कहेंगे- समाज उसे ही पूजता है जो अपने लिए ही नहीं दूसरों के लिए भी जीता है।
लेखक विजय मिश्रा
अति.महाप्रबंधक(जनसम्पर्क)
छ.रा.पाॅवर होल्डिंग कंपनी रायपुर
(छ.ग.) 

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