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रायपुर / shouryapath / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आज यहां उनके निवास कार्यालय में वन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम द्वारा वर्ष 2018-19 के लाभांश की राशि 2 करोड़ 25 लाख रूपए का चेक सौंपा गया। इस अवसर पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर, मुख्य सचिव आर.पी. मण्डल, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, वन विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राज्य वन विकास निगम आर. गोवर्धन, वन विभाग के सचिव जयसिंह म्हस्के तथा मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव सुश्री सौम्या चौरसिया और वरिष्ठ विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम को भारत सरकार द्वारा स्वीकृत कार्य आयोजना के अंतर्गत रोपित किए गए सागौन वृक्षारोपण के विरलन से प्राप्त वनोपज के विक्रय तथा अन्य आय से वित्तीय वर्ष 2018-19 में 56 करोड़ 41 लाख रूपए की आय प्राप्त हुई। निगम द्वारा इस दौरान विभिन्न कार्यों पर 30 करोड़ 49 लाख रूपए की राशि व्यय हुई। इस तरह वर्ष 2018-19 के दौरान निगम को 25 करोड़ 92 लाख रूपए की राशि का लाभ प्राप्त हुआ। निगम द्वारा वर्ष 2018-19 में राज्य के 3 हजार 594 हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 60 लाख पौधे का रोपण किया गया। इसके अलावा पर्यावरण सुधार के लिए खदानी तथा औद्योगिक क्षेत्रों में मिश्रित प्रजाति के 8 लाख 10 हजार पौधों का वृक्षारोपण किया गया। निगम द्वारा वानिकी वर्ष 2018-19 में 23 हजार 367 घनमीटर ईमारती काष्ठ, 14 हजार 16 नग जलाऊ चट्टा और एक हजार 521 नोशनल टन बांस का उत्पादन किया गया है।
अवधेश टंडन की रिपोर्ट -
मालखरौदा / शौर्यपथ / विदित हो कि मालखरौदा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का विवादों से हमेशा नाता रहा है यही कारण है कि आज भी यहां विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है मामला है मालखरोदा उप स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत आने वाले फगुरम प्राथमिक स्वस्थ केंद्र क्या जहा डॉक्टर सेट स्टाफ की मनमानी चरम सीमा पर है यहां के डॉक्टर स्टाफ लगातार नदारद रहते थे जिसकी सूचना मीडिया कर्मियों को मिलने पर लगातार पिछले कई दिनों से इस पर खबर चलाई , मामला था फागूराम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी द्वारा स्वास्थ्य केंद्र को अनाथ छोड़ कर लंच पर जाने का जिस पर हमने लगातार चिरनिंद्रा में सोए उच्चाधिकारियों को जगाने कई खबरों का प्रकाशन किया जिसके भी उच्चाधिकारियों को सांप सूंघ गया था या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों पर कार्रवाई करने हाथ-पैर फूल रहे थे या यूं कहें कि आपको मालखरौदा क्षेत्र के जनप्रतिनिधि या उनके आकाओं का डर था,कि फगुरम में कार्रवाई से आपकी नौकरी पर खतरा न पड़ जाये। यही वहज ही नजर आता है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रोग्राम के लापरवाह डॉक्टरों को अभयदान देते रहे, मामला जांजगीर सी एम एच ओ के संज्ञान में लाने के बाद उन्होंने ने भी 3 दिन में कार्रवाई करने का भरोसा दिया, पर कोरोना महामारी के इस दौर में साहब गांधी की इतनी किल्लत की टेबल के नीचे कुछ भी आये। और एक दिन अचानक खबर आई कि मालखरौदा बीएमओ ने अपने लावलश्कर के साथ औचक निरीक्षण किया और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी व कर्मचारियों को क्लीन चिट दे दी।
औचिक निरीक्षण, बात कुछ हजम नही होती,ऐसे में सवाल उठता है साहब ?
लगातार मीडिया में खबर प्रकाशन के बाद क्या फगुरम स्वास्थ्य केंद्र से अधिकारी और कर्मचारी क्या गायब रहेंगे जो आप औचिक निरीक्षण पर पहुंचे। क्या यह नही हुआ होगा कि आपके वहा पहुँचने से पहले किसी ने अंदुरूनी सूचना नही दी होगी क्योंकि साहब भी तो डॉक्टर है।
कार्रवाई से बचाने औचक निरीक्षण का ड्रामा क्यों?
इस पूरे मामले में देखा गया है कि अधिकारियों से लेकर मालखरौदा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों तक ने फगुरम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों का काफी समर्थन किया है और यही वजह है कि औचक निरीक्षण कर उन्हें अभयदान दे दिया गया क्या उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को भगवान भरोसे छोड़ कर खांना खाने एक साथ जाने के लिए जवाब तलब नही करना चाहिए था।
जनप्रतिनिधियों के समर्थन पर हौसले है बुलंद
बता दे कि मीडिया में लगातार खबर प्रकाशन के बाद मालखरौदा क्षेत्र के कई जनप्रतिनिधियों का भी फोन मालखरौदा क्षेत्र के रिपोर्टरों तक पहुंची है और उन्हें फगुरम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की खबर रोकने तक की बात कही गई परंतु साहब सवाल है जनता की जिंदगी का और यही वजह है कि लगातार इस पर खबर प्रकाशन की गई।
शौर्यपथ लेख / मैं देख रहा हूं की आज युवा बहुत बुझा बुझा सा नजर आ रहा है। ये हताशा ठीक नहीं आक्रमकता जरुरी है। उस आक्रमकता की दिशा राजनीतिक नहीं बल्कि स्वयं से जुड़े मुद्दों के लिए होना चाहिए। आक्रमकता का हमें अपने हितों व समस्याओं के ध्यानाकर्षण के लिये उपयोग करना चाहिए।
यह आक्रामकता हम में तभी आ पाएगी जब हम उस अवसर वादियों के संदेश वाहक की भूमिका को छोड़ देंगे। और अपने जीवन की खुशियों का आधार रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोटी, कपड़ा और मकान जैसी है जरूरी बातों के संदेश वाहक बन जाऐंगे। आपको अब जनसंवाद के हर प्लेटफार्म से सिर्फ अपनी और अपनों की बात करने का संकल्प लेना होगा। राजनैतिक, नफरत फैलाती, एक दूसरे को छोटा आंकती व गैर जरुरी बातों का कैरियर बनना बंद करना होगा। अगर आपने यह बंद नहीं किया तो अततः सिर्फ हताशा हाथ लगेगी। युवाओं में हताशा अर्थात एक पूरी पीढ़ी का हार जाना होता है। जबकि युवा प्रतीक होता है प्रतिकूल परिस्थितियों से नौका को बाहर निकाल कर लाने का। तूफान के सामने चट्टान बन खड़े हो जाने का। इस भावना को जीवित रखियेगा। संपूर्ण समाज आपको बहुत आशा भरी नजरों से देख रहा है।
चुनौती हमेशा प्रसन्नचित्त स्फूर्तिवान युवा ही दे सकता है। हताश युवा कभी भी चुनौती नहीं बन सकता। अवसरवादी यही चाहते हैं कि उनके सामने कोई चुनौती ना हो। इसलिए वह कभी नहीं चाहेंगे कि आप हताशा से बाहर आयें। इतिहास गवाह है कि नफरत की भट्ठी के ईंधन हमेशा युवा ही रहे हैं। अवसर वादियों के एजेंडे का बोझ हमाल बनकर सदा युवा ही उठाते रहे हैं। वक्त आ गया है कि जवाबदारों को यह बात समझा दी जाये कि उनने अगर आपके जीवन को सच्चा व अच्छा करने के लिये ठोस कदम नहीं उठाये तो आपकी नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।
जिस दिन आप व्यवस्था के जवाबदारों को यह संदेश देने में सफल हो जायेंगे की आप अब उसी के साथ खड़े होंगे जो आपकी बातों के प्रति गंभीर है। तो यकीन मानिये नफरत, दूसरे को नीचा दिखाने, भारत पाकिस्तान चीन का तुलनात्मक अध्ययन करने जैसे मुद्दों को आगे कर आपका ध्यान बांटने, आपका समर्थन लेने की उनकी रणनीति में भी सार्थक परिवर्तन आ जायेगा। अब वे रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी जरुरी बातें करने लगेंगे। हमें जवाबदारों को मजबूर करना होगा है कि वे आपके लिये रोजगार, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था करें। उस दिशा में गंभीरता से सोचना शुरू करें। अगर ये तीन बातें पूरी हो गयी तो रोटी कपड़ा और मकान की व्यवस्था करने में आप स्वयं ही सक्षम हो जायेंगे। स्वामी विवेकानंद जी का यह संदेश "उठो जागो और जब तक आप अपने अंतिम ध्येय तक नहीं पहुंच जाते हो तब तक चैन मत लो" आज हर युवा को आत्म सात करने की जरुरत है। इससे निरंतर आगे बढ़ने की व परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति मिलेगी।
व्यवस्थाएं हम से ही बनती हैं। हमारे कारण ही बिगड़ती हैं। हम ही उसके बिगड़े स्वरूप सुधार सकते हैं। इस बात को गांठ बांध लीजिए।
जय हिंद ....
राजेश बिस्सा की कलम से (लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक )
विनोद रायसागर की रिपोर्ट ..
मुंगेली / शौर्यपथ / देश में कोरोना संकट के कारण साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखा जा रहा है एवं सोशल डिस्टेंस और सुरक्षा की बात पर हर कोई पहल कर रहा है किन्तु इन सबके बीच मुंगेली के नमकीन पदार्थ निर्माता राम तलेजा के लघु उद्योग नमकीन निर्माण फेक्ट्री में जिस तरह से खाने के सामान के निर्माण में अनियमितता और गंदगी बरती जा रही है उससे तो ऐसा प्रतीत होता है कि व्यापारी को किसी के जान से कोई मतलब नहीं स्वास्थ्य से मतलब नहीं मतलब है तो सिर्फ रूपये कमाने से . रुपया कमाने की ऐसी प्रवित्ति वाले व्यापारी पर जिला प्रशासन ने कार्यवाही तो कर दी किन्तु क्या सिर्फ कार्यवाही ही ऐसे व्यापारी की सजा है जिसे संकट में भी सिर्फ कमाई की चिंता है वो भी आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करके .
मामला है नया बस स्टैंड मुंगेली के नमकीन व्यापारी राम तलेजा के सलौनी नमकीन फैक्टरी मे छापेमारी की कार्रवाई की गई. छापेमारी के दौरान फैक्टरी मे सलौनी निर्माण हेतु उनके कर्मचारी द्वारा बिना मास्क लगाये एवं पैर से मैदा को मिलाया जा रहा था और सलौनी तला जा रहा था . फैक्टरी मे साफ-सफाई का भी अभाव था. सलौनी के पैकिंग मे न ही निर्माण कम्पनी का नाम और न ही निर्माण तिथि, वैधता तिथि और न ही दर का उल्लेख किया गया था. इनके विरूद्ध भी प्रकरण पंजीबद्ध कर वैधानिक कार्रवाई की गयी.
मुंगेली की आम जनता में चर्चा है कि ऐसे व्यापारी का लाइसेंस निरस्त कर देना चाहिए जो संक्रमण के दौर में भी ऐसी लापरवाही बार्ट रहा है . शासन अपने नियम अनुसार कार्यवाही कर रही है पर जनता को उम्मीद है कि शासन इस मामले पर ऐसी कार्यवाही करेगी जो आने वाले समय में मिसाल के रूप में कायम होगी .
कार्यवाही sdm चार्ली ठाकुर , तहसीलदार अमित सिन्हा , जिला खाद्य अधिकारी विमल दुबे एवं निगम अमले के कर्मचारियों की उपस्थिति में हुई .
नई दिल्ली / शौर्यपथ /
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को 50 क्षेत्रीय पत्रकारों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की। इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि देश में आर्थिक तूफान अभी आया नहीं है, आने वाला है। राहुल गांधी ने कहा कि आज हमारे गरीब लोगों को पैसे की जरूरत है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध कर रहा हूं कि उन्हें इस पैकेज पर पुनर्विचार करना चाहिए। उने सीधे बैंक ट्रांसफर पर सोचना चाहिए। मनरेगा के तहत 200 दिन का रोजगार दिया जाए।
राहुल गांधी ने आगे कहा कि जब बच्चों को चोट लगती है तो मां बच्चे को कर्ज नहीं देती है, वो एकदम मदद करती है। भारत माता को अपने बच्चों के लिए साहूकार का काम नहीं करना चाहिए। उसे बच्चों को एकदम पैसा देना चाहिए। जो प्रवासी मजदूर सड़क पर चल रहा है उसे कर्ज की नहीं जेब में पैसे की जरूरत है।
आगे कहा कि मैंने सुना है कि पैसे न देने का कारण रेटिंग है,अगर आज हमने थोड़ा घाटा बढ़ा दिया तो बाहर की एजेंसियां भारत की रेटिंग कम कर देंगी और हमारा नुकसान होगा। मैं पीएम से कहना चाहता हूं कि हमारी रेटिंग किसान, मजदूर बनाते हैं। आज उन्हें हमारी जरूरत है,रेटिंग के बारे में मत सोचिए।
शौर्यपथ / कोरोना संकट में कुछ ऐसी सच्चाई सामने आयी तो सच है जिसे इंसान आज तो स्वीकार कर रहा है किन्तु कुछ महीने पहले इस बात पर हंसी उडाता था आज ऐसी कई कार्य है जो कुछ महीने पहले गैर ज़रूरी लगती थी आज जीवन का यतार्थ नज़र आ रहा है ऐसी जी जीवन की कुछ कड़वी बाते है जो कडवी तो लगेगी पर सच से नाकारा नहीं जा सकता . यह छोटा सा लेख फेसबुक वाल ( नीलिमा गुप्ता ) से लिया गया है .
# 10 - 20 रुपये किलो टमाटर लेकर सब्जी और चटनी बनाकर खाना महंगा लगता है , 150 - 200 रुपये किलो सॉस महंगी नही लगती हमें ।
# 40 - 50 रुपये लीटर दूध हम पी नही सकते , लेकिन 70 - 80 रुपये लीटर 2 माह पुराना कोल्ड्रिंक हम मजे से पीते है ।
# पहले 1 - 2 दिन पुराना घड़े का पानी हमे बासी लगता था , आज 1 - 2 महीने पुरानी बिसलेरी की बोतल का पानी हमे ताजा लगता है ।
# 150 - 200 रुपये पाव मिलने वाला ड्राई फ्रूट हमे महंगा लगता है , 200 - 400 रुपये पीस मिलने वाला पिज़्ज़ा हम मजे ले ले कर खा सकते है ।
# घर की रसोई का बना नाश्ता या खाना हम शाम को खाना पसंद नही करते , जबकि बाजार में मिलने वाले 6 - 7 महीने पुराने पैकेट और डिब्बा बंद समान हम लाते है और उसका उपयोग खाने में करते है , जबकि हम जानते है कि वो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होते है ।
# बड़े बड़े शॉपिंग मॉल से शॉपिंग और अंधाधुन पैसे खर्च न करके भी हम जी सकते है ।
* 2 महीने के लॉक डाउन से सभी को समझ तो आ गया होगा कि बिना बाहर खाना खाएं *
घर मे भी अच्छे अच्छे पकवान बना कर खाया जा सकता है , तो घर मे रहे सुरक्छित रहे और आत्मनिर्भर रह कर बढ़िया बढ़िया भोजन बनाये और अपने आप को और अपने परिवार को खुश रखे और कोरोना से मुक्त रखे ।
नई दिल्ली / शौर्यपथ / पूरी दुनिया में कोरोना के संकट में है किन्तु पाकिस्तान का एक क्रिकेटर वर्तमान संकट में भी वैमनस्य फैलाने में लगा हुआ है नैतिकता और मानवता शायद इस क्रिकेटर के आचरण में ही नहीं संकट की घडी में एक ओर जहां पाकिस्तान की अर्थ व्यवस्था चरमरा रही वही पाकिस्तानी क्रिकेटर शहीद अफरीदी कश्मीर का राग अलाप रहे है .
पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और ऑलराउंडर शाहिद अफीरीदी ने एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा छेड़ दिया है। उन्होंने ट्वीट कहा कि कश्मीरी लोगों की व्यथा समझने के लिए किसी धार्मिक विश्वास की जरूरत नहीं है। आप को बता दें कि कश्मीर का मुद्दा अफरीदी पहले भी उठाते रहे हैं। उनका यह ट्वीट भारतीय क्रिकेट फैंस को बिल्कुल पसंद नहीं आया। भारतीय फैंस ने अफरीदी के इस ट्वीट पर अपना गुस्सा जाहिर किया है।
दरअसल, कश्मीर को लेकर अफरीदी ने शुक्रवार को ट्वीट किया, 'कश्मीरी लोगों की मुश्किलें समझने के लिए किसी धार्मिक विश्वास की जरूरत नहीं है। सही दिल के साथ सही जगह इसे समझा जा सकता है। कश्मीर को बचाएं।' इस पर एक फैन ने लिखा, 'बलूचिस्तानी लोगों की मुश्किलें समझने के लिए किसी धार्मिक विश्वास की जरूरत नहीं है, सही दिल के साथ सही जगह इसे समझा जा सकता है। बलूचिस्तान को बचाएं।'
वहीं एक और फैन ने लिखा, 'पाकिस्तान संभाला नहीं जाता, बलूचिस्तान, गिलगित, कश्मीर चाहिए। सपने देख। सब हाथ से जाएगा। संभल जाओ।'
फिलहाल अभी पूरी दुनिया में कोरोना का कहर है। इस वायरस से सभी परेशान है। भारत के बाकी हिस्सों की तरह कश्मीर में भी लॉकडाउन चल रहा है। पूरे भारत में 85000 से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, वहीं 2600 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
नई दिल्ली/ शौर्यपथ / सीएए के विरोध में दिल्ली के यमुना पार में हुए दंगों में पाकिस्तान कनेक्शन की जानकारी मिली है। आईबी और एनआईए को यह जानकारी दी गई है। दिल्ली पुलिस के दावों के मुताबिक फरवरी में जो दंगे हुए थे वो एकाएक नहीं बल्कि एक साजिश के तहत किये गए थे। जांच में सामने आया है कि दंगे में खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक- ए- इंसाफ की बड़ी भूमिका थी। इसके कहने पर ये साजिश रची गयी थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस एक सप्लीमेंट्री चार्ज शीट देगी।
पाकिस्तान तहरीक- ए- इंसाफ की स्टूडेंट विंग ने भारत की छवि को विश्व में खराब करने के लिए सोशल मीडिया पर दंगा कराने की बड़ी साजिश रची थी। इसी के तहत जफराबाद मेट्रो स्टेशन पर महिलाओं का धरना सहित मस्जिद की तोडफ़ोड़ के वीडियो सोशल मीडिया पर भेजे गए थे जिसके बाद ये दंगे भड़के।
अब तक कि जांच के तहत इंसाफ स्टूडेंट विंग ने भारत में दंगे भड़काने के मकसद से दंगे के वक्त महज 16 दिन में तीन हजार से अधिक नए ट्वीटर हैंडल्स बनाए और उसके जरिये हजारों की संख्या में भारत के खिलाफ पोस्ट शेयर किए थे।
ताहिर को बनाया मोहरा
आम आदमी पार्टी से निलंबित हो चुके पार्षद ताहिर हुसैन को सोशल मीडिया के जरिये जोड़ा गया था। दिल्ली पुलिस इस मामले में अब ताहिर हुसैन के खिलाफ देशद्रोह की धारा लगाकर जांच करेगी।
3562 ट्वीटर एकाउंट सहित फेसबुक पर 372 वीडियो थे बने
दंगों के दौरान 16 दिनों में ही इंसाफ स्टूडेंट विंग ने 3582 नए ट्वीटर अकाउंट बनाए और अलग-अलग फर्जी हैशटैग के जरिये दुनियाभर में भड़काऊ पोस्ट करने शुरू कर दिए। इसके अलावा 372 भड़काऊ वीडियो भी बनाये गए थे। जिसमें ये संदेश देने की कोशिश की गई कि भारत में मुसलमान सुरक्षित नहीं हैं। इस साजिश के जरिये अंतराष्ट्रीय स्तर पर हिंदुस्तान की छवि को खराब करने की कोशिश की।
शौर्यपथ / कोरोना का संक्रमण पूरी दुनिया में आतक फैला रखा है . कोरोना इलाज का कोई वेक्सिन अभी तक तैयार नहीं हुआ है . दुनिया भर के वैज्ञानिक कोशिश में लगे हुए है . कोरोना से दुनिया के ताकतवर देश अमेरिका की स्थिति बिगड़ चुकी है लगातार मौते और संकर्मित व्यक्तियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है . कोरोना से बचने का इलाज सफाई और सोशल डिस्टेंस ही है . हो सकता है कि दुनिया को अब कोरोना के साथ ही जीना पड़ सकता है .
मानव जाति परेशानियों का सामना करते हुए जिन्दगी जीने के उपाय खोज ही लेती है और यही हो रहा है वर्तमान में .
भारत जैसा विशाल देश १३० करोड़ की जनसँख्या वाले देश में वर्तमान में कोरोना मरीजो की संख्या ८० हजार के पार तो पहुँच गयी किन्तु इन विकत परिस्थिति में भी भारत जीने के तरीके निकाल ही लेता है . कोरोना के संकट से आर्थिक हानि तो हुई ही है और बेरोजगारी का आलम भी उच्च स्तर पर है किन्तु इतने नकारात्मक स्थिति में अगर सकारात्मक दृष्टी से देखा जाए तो ऐसे कई बाते हुई है संकट के इस काल में जो एक स्वप्न की तरह प्रतीत होता था किन्तु अब यतार्थ हो गया है .
क्या कभी ऐसा सोंचा गया था कि रात की जगमगाहट और रंगीन दुनिया के बैगर कई उच्च वर्ग रह सकता है किन्तु ये सत्य हो गया लोच्ज्क डाउन के लगभग दो माह हो गए पर ऐसा कोई भी मामला सामना नहीं आया जो ये कहे कि रात की रंगीनी का आनंद नहीं लेने से जिन्दगी नरक बन गयी . बिना पिज्जा के , बिना माल जाए , बिना नाईट पार्टी किये , बिना लॉन्ग ड्राइव का आनंद लिए , बिना ग्रुप पार्टी किये , बिना सन्डे पार्टी किये भी जिन्दगी चल रही है और बहुत अच्छी चल रही है . हालाँकि कोरोना संकट में भारत की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गयी किन्तु आत्म निर्भर योजना के तहत केंद्र सरकार के लाखो हजारो करोड़ के पैकेज से जिन्दगी की पटरी पर लाने की कोशिश केंद्र सरकार राज्य सरकारों की मदद से कर रही है . जिन्दगी फिर सामान्य स्थिति पर आ जाएगी .
इस कोरोना संकट में भारत की नदिया शुद्ध और साफ़ हो गयी , प्रदूषित शहरो से प्रदुषण की मानक कम हो गयी , भारतीय संस्कृति के परिचायक राम राम ( एक दुसरे का अभिवादन ) का प्रचालन फ़ैल गया , रात्री के समय होने वाले जुर्म कम हो गए , साफ़ सफाई के विशेष ध्यान से छोटी मोटी बीमारियों में कमी आ गयी , व्यक्ति अपने परिवार को समय देने लगा , घर में स्वर्ग सार्थक होने लगा , पड़ोसियों से सम्बन्ध में नजदीकिय आयी , सुबह का वातावरण स्वकक्ष लगने लगा , इंसान अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने लगा .
सोंचिये कोरोना संकट के समय कार्य की और व्यापार की जो समय सीमा तय हुई है उस तय सीमा को अगर सर्वकालिक लागू कर दिया जाए तो भारतीय संस्कृति जो दुनिया की सबसे पुराणी संस्कृति है एक बार फिर आचरण में आ जाएगी और जीवन कितना सरल हो जाएगा ...
शौर्यपथ धर्म / पृथ्वी में कई परजतायो के जीव जंतु का वास है . हमारी धरती में कई जिव जंतु ऐसे ही है जो लुप्त की कगार पर है . जिव जन्तुओ की कई प्रजातियों का वास ये धरती अनेक रोचक तथ्यों को अपने गर्भ में छुपाये हुए है . कई जीव तो ऐसे हैं जो करोड़ों सालों से इस धरती पर अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं. उनमें से ही एक है कछुआ. कहा जाता है कि बहुत ही शांत और शर्मीला जीव होता है. यह धरती पर करोड़ों सालों से अपना अस्तित्व बनाए हुए है. कछुआ जहरीला नहीं होता . आज हम आपको कछुआ के बारे में ही कुछ रोचक बातें बताएंगे.
कछुआ के बारे में 15 रोचक तथ्य
कछुए पिछले 20 करोड़ सालों से धरती पर कायम हैं. वैज्ञानिकों ने इसका अंतिम जीवाश्म खोज निकाला है जो कि 12 करोड़ साल पुराना है. आपको बता दें कि ये सांप, छिपकली, मगरमच्छ और पक्षियों से पहले धरती पर आए थे.
विश्व में हर साल 23 मई को अंतर्राष्ट्रीय कछुआ दिवस के रूप में मनाया जाता है. सभी रेंगने वाले और कवच वाले जीव, जो Cheloni परिवार के हैं उन्हें Turtle कहा जाता है और स्थानीय कछुओं को Tortoise कहते है.
आपको बता दें कि Turtle की 318 से भी ज्यादा प्रजातियां पृथ्वी पर पाई जाती हैं. इनमें से कुछ जमीन पर रहती है और कुछ पानी में रहती है. लेकिन ये दुख की बात है कि Turtle की कुछ प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर है.
Turtle जहरीले नहीं होते हैं और ना ही इनके काटने पर जहर निकलता है. Turtle के लिंग का पता लगाना आसान नही होता है. इसलिए इनका लिंग पता करने का सबसे आसान तरीका इनका कवच है. Male Turtle Female से थोड़े लंबे होते हैं और इनकी पूंछ भी Female से लंबी ही होती है.
कछुए जितने गर्म मौसम में रहते हैं उनका कवच उतने ही हल्के रंग का होता है और जो Turtle ठंडे इलाकों में रहते हैं उनका कवच गहरे रंग का होता है.
प्राचीन रोमन मिलिट्री, कछुओं से बहुत प्रभावित हुई थी. सेना के जवानों ने कछुए से ही लाइनें बनाना और अपनी ढाल को सिर के ऊपर रखना सीखा था ताकि लड़ाई के दौरान दुश्मन के वार से बचा जा सके.
ये तो आपको पता ही होगा कि कछुए अंडे देते हैं. Female Turtle पहले मिट्टी खोदती है फिर एक बार में 1 से 30 अंडे देती है. इन अंडो से बच्चे निकलने में करीब 90 से 120 दिन का समय लगता है.
कछुए को Sex करने के लिए इनकी छाती का कवच बहुत अहम भूमिका निभाता है. Female का कवच बिल्कुल सीधा और Male का कवच थोड़ा घुमावदार होता है.
क्या आपको पता है कि कछुओं के मुंह में दांत नहीं होते, बल्कि एक तीखी प्लेट की तरह हड्डी का पट्ट होता है जो भोजन चबाने में इनकी सहायता करता हैं.
कछुआ जब अपने कवच में छुपता है तो उसे अपने फेफड़ों की हवा निकालनी पड़ती है. ऐसा करते हुए आप उसे सांस छोड़ते हुए सुन भी सकते है.
साल 1968 में सेवियत संघ का पहला यान चांद का चक्कर लगाकर वापिस धरती पर लौटा था. इस यान में कछुओं को बैठा कर भेजा गया था. वापिस आने पर जब कछुओं का निरिक्षण किया गया तो पता चला कि कछुओं के वजन में 10% की कमी आई है.
आपको बता दें कि कछुए Cold Blood के जीव होते है. ठंड में इनका शरीर जम जाता है और ये शीतनिंद्रा में चले जाते है.
कुछ खास तरह के कछुए अपने Butts से भी सांस ले सकते हैं.
समुंद्री कछुओं का कवच बहुत Sensitive होता है. वो अपने कवच पर लगने वाली हर रगड़ और खरोंच को महसूस कर सकते है.
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