September 06, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

31 अगस्त को दोपहर 12.15 बजे सभी आकाशवाणी केंद्रों से होगा प्रसारण

राजनांदगांव / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सुशासन की सरकार ने छत्तीसगढ़ की ग्रामीण महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के अंतर्गत तैयार विशेष रेडियो कार्यक्रम ‘दीदी के गोठ’ का शुभारंभ 31 अगस्त को दोपहर 12.15 बजे होगा। यह कार्यक्रम आकाशवाणी रायपुर सहित प्रदेश के सभी आकाशवाणी केंद्रों से एक साथ प्रसारित होगा। साथ ही इसका लाइव प्रसारण ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म (www.onlineradiofm.in/stations/all-india-air-raipur पर भी उपलब्ध रहेगा।
मुख्यमंत्री और मंत्रियों का विशेष संदेश
  शुभारंभ अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, भारत सरकार के केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री तथा राज्य के उप मुख्यमंत्री एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री विजय शर्मा ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणादायी संदेश देंगे। यह केवल एक कार्यक्रम का शुभारंभ नहीं, बल्कि शासन की नीतियों और योजनाओं को सीधे जनता तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम बनेगा।
आत्मनिर्भरता की ओर महिलाओं का मार्गदर्शन
  ‘दीदी के गोठ’ का प्रमुख उद्देश्य है — ग्रामीण अंचलों की महिलाओं को शासन की योजनाओं से जोड़ना, उन्हें स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना और आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करना। इस कार्यक्रम में स्व-सहायता समूहों की सफल महिलाओं की कहानियाँ साझा की जाएंगी। वे महिलाएँ जिन्होंने कठिनाइयों और संघर्षों को पार कर अपने परिश्रम और आत्मविश्वास से न केवल आर्थिक मजबूती पाई, बल्कि समाज में एक नई पहचान भी बनाई।
  आज छत्तीसगढ़ की हजारों महिलाएँ ‘लखपति दीदी’ के रूप में उभर चुकी हैं। उनकी प्रेरणादायी कहानियाँ रेडियो की आवाज़ के माध्यम से गाँव-गाँव, घर-घर तक पहुँचेंगी और अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भरता की राह पर चलने के लिए प्रोत्साहित करेंगी।
सामूहिक श्रवण की व्यवस्था
  इस कार्यक्रम के प्रभाव को और व्यापक बनाने के लिए पंचायत, ग्राम संगठन और संकुल संगठन स्तर पर सामूहिक श्रवण की व्यवस्था की जा रही है। इसमें जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी, स्थानीय समुदाय और स्व-सहायता समूह की दीदियाँ शामिल होंगी। सामूहिक श्रवण से ग्रामीण क्षेत्रों में आपसी संवाद, चर्चा और प्रेरणा का वातावरण बनेगा।
सुशासन की सोच का प्रतिबिंब
  ‘दीदी के गोठ’ केवल एक रेडियो कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की सुशासन की सरकार की दूरदर्शी सोच का प्रतिबिंब है। इसका उद्देश्य है महिलाओं की आवाज़ को पूरे समाज तक पहुँचाना, उनके संघर्ष और उपलब्धियों को सामने लाना और शासन की योजनाओं से जोड़कर ग्रामीण अंचलों में सकारात्मक परिवर्तन की राह दिखाना।

छत्तीसगढ़ और सेल में पहला चिकित्सालय बना, स्वास्थ्य सेवाओं में ऐतिहासिक उपलब्धि

भिलाई / शौर्यपथ / सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के मुख्य चिकित्सालय पं. जवाहरलाल नेहरू अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (जेएलएनएच एंड आरसी) ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। अस्पताल के ब्लड सेंटर को राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (एनएबीएच) से मान्यता प्राप्त हुई है। यह गौरव न केवल छत्तीसगढ़ राज्य बल्कि पूरे सेल संगठन में पहली बार किसी ब्लड सेंटर को हासिल हुआ है।
     यह सफलता कार्यपालक निदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं) डॉ. रविंद्रनाथ एम, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विनीता द्विवेदी, डॉ. के. ठाकुर, डॉ. सौरभ मुखर्जी, डॉ. उदय कुमार और उनकी समर्पित टीम के सतत प्रयासों से संभव हुई। परियोजना का कानूनी निष्पादन एवं प्रलेखन डॉ. दीपक कुमार दासमोहपात्रा ने किया, जिन्होंने एमओयू तैयार कर एनएबीएच पोर्टल पर विवरण अपलोड किया। संपूर्ण आवेदन प्रक्रिया एसीएमओ डॉ. निली एस. कुजूर और डॉ. दासमोहपात्रा के मार्गदर्शन तथा एसीएमओ डॉ. अनिरुद्ध मेने और क्यूएमडी टीम की मदद से पूरी की गई।
   20–21 जून 2025 को मूल्यांकनकर्ताओं डाॅ. भरत सिंह और डाॅ. प्रसून भट्टाचार्य ने अंतिम मूल्यांकन किया। सभी गैर-अनुपालनों के समाधान के उपरांत 11 अगस्त 2025 को ब्लड सेंटर को औपचारिक मान्यता प्रदान की गई। इस मान्यता के साथ जेएलएनएच का ब्लड सेंटर देशभर के 4,200 ब्लड सेंटरों में से चुनिंदा 100 मान्यता प्राप्त केंद्रों में शामिल हो गया है।
    एनएबीएच, भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) का घटक बोर्ड है, जो स्वास्थ्य संस्थानों के लिए गुणवत्ता और सुरक्षा के कठोर मानक तय करता है। ब्लड सेंटर को मिली यह मान्यता इस बात की पुष्टि करती है कि यहाँ रक्तदान की संपूर्ण प्रक्रिया — दाता की स्वास्थ्य जाँच, स्क्रीनिंग, रक्त संग्रह, विभिन्न घटकों में संसाधन, संक्रामक रोग परीक्षण, सुरक्षित भंडारण और वितरण — वैज्ञानिक एवं मानक प्रोटोकॉल के अनुरूप की जा रही है।
   इस उपलब्धि में श्री शाहिद अहमद, डॉ. अनिरुद्ध मेने, डॉ. अमित अग्रवाल, डॉ. राजू भैंसारे, डॉ. मनीषा कांगो, डॉ. गुरमीत सिंह, डॉ. प्रिया साहू, डॉ. गायत्री नट्टी, डॉ. आकांक्षा शर्मा, डॉ. प्रतीक शिवप्पा, श्री राजीव शर्मा, सुश्री रीता भटनागर, श्री सुधीर पांडे सहित ब्लड सेंटर विभाग की टीम के सदस्य सुश्री साजी, श्री संजय फुलज़ेले, श्री अजय कुमार आर्य, श्री कुलदीपक तिवारी, सुश्री मिनाक्षी चरण, श्री जितेंद्र, पैथोलॉजी विभाग और क्यूएमडी टीम (सुश्री रेजी, सुश्री बीना, सुश्री लता) का विशेष योगदान रहा।
   चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, यह मान्यता ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के क्षेत्र में जेएलएनएच ब्लड सेंटर की गुणवत्ता और रोगी सुरक्षा के प्रति अग्रणी भूमिका को प्रमाणित करती है। इससे न केवल मरीजों को सुरक्षित और सर्वोत्तम गुणवत्ता का रक्त एवं रक्त उत्पाद मिलेंगे, बल्कि अस्पताल की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी। साथ ही, स्वैच्छिक रक्तदान को प्रोत्साहन मिलेगा और छत्तीसगढ़ सहित पूरे सेल संगठन की स्वास्थ्य सेवाओं में नई मिसाल स्थापित होगी।

  दुर्ग / शौर्यपथ / सुपरिचित कथाकार एवं पत्रकार शिवनाथ शुक्ल की नवीनतम कहानी 'निर्गुण की सगुन' का प्रसारण आकाशवाणी रायपुर से सोमवार, 1 सितम्बर 2025 को प्रातः 8:30 बजे साहित्यिक कार्यक्रम कथायन के अंतर्गत किया जाएगा। इस कहानी में लेखक ने आज के समय के डगमगाते और असंतुलित होते दाम्पत्य जीवन का गहन चित्र खींचा है। विभिन्न संस्कारों और परिवेश में पले-बढ़े पति-पत्नी के बीच जीवन-दृष्टिकोण का टकराव कैसे धीरे-धीरे रिश्ते को टूटन की ओर ले जाता है, यह कहानी उसी की मार्मिक अभिव्यक्ति है। पति, पत्नी को केवल घरेलू कार्यों तक सीमित रखना चाहता है, वहीं पत्नी चाहती है कि उसका पति आगे बढ़े, उच्च शिक्षा प्राप्त करे और अफसर बने। विचारों की यही भिन्नता तकरार में बदल जाती है और उनका दाम्पत्य जीवन टूटन के कगार पर पहुँच जाता है।। परंतु प्रश्न यह है कि क्या सचमुच उनका वैवाहिक बंधन टूट जाता है? क्या दोनों की आत्माएँ एक-दूसरे से विलग हो पाती हैं? इन प्रश्नों का उत्तर श्रोता तभी जान पाएंगे जब वे सुनेंगे यह मार्मिक और जीवन के यथार्थ से जुड़ी कहानी—'निर्गुण की सगुन।'

महासमुंद/संवाददाता संतराम कुर्रे

पिथौरा ब्लॉक के गौरव ग्राम बुंदेली में आज ग्राम पंचायत द्वारा गांव की सुख-समृद्धि और शांति के लिए हवन-पूजन का आयोजन किया गया। ग्राम पंचायत भवन के सामने आयोजित इस कार्यक्रम में सरपंच रविकांत निषाद, उपसरपंच घनश्याम साहू, मुकेश किशोर सहित समस्त पंचगण उपस्थित रहे और ग्रामीण जनों के साथ मिलकर देवी-देवताओं का आह्वान किया।

यह आयोजन इतवारी त्योहार के पावन अवसर पर सम्पन्न हुआ। परंपरागत मान्यताओं के अनुसार, इस दिन खेतों में लगी फसलों की रक्षा और उनमें किसी भी प्रकार की बीमारी न आने की प्रार्थना की जाती है। ग्रामीणजन मानते हैं कि इस दिन गांव के समस्त देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने से अन्न भंडार भरे रहते हैं और समृद्धि का वास होता है।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिला-पुरुष और युवा उपस्थित रहे। ग्रामवासियों ने श्रद्धा भाव से हवन में आहुति अर्पित की और चीला-रोटी का प्रसाद खेतों में अर्पित कर देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त किया। वातावरण वैदिक मंत्रों और पूजा-पाठ की ध्वनि से गूंज उठा।

ग्रामीणों ने इस अवसर को सामाजिक और धार्मिक एकता का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह परंपरा हमें हमारी संस्कृति से जोड़े रखती है और ईश्वर से गांव की रक्षा और सुख-समृद्धि की कामना का अवसर प्रदान करती है।

महासमुंद/शौर्यपथ/
संवाददाता संतराम कुर्रे
  महासमुंद जिले के खल्लारी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक-6 के वनांचल ग्राम भालूकोना में प्रयोग सेवा समाज के तत्वाधान में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में जिला पंचायत उपाध्यक्ष भीखम सिंह ठाकुर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए।
  इस अवसर पर भालूकोना के अलावा उखरा, दरबेकेरा, तुपकबोरा और पंडरीपानी ग्रामों से आई हुई महिला स्व-सहायता समूह की दीदियों तथा क्षेत्र के प्रवासी मजदूरों के साथ विस्तृत चर्चा की गई। चर्चा का मुख्य केंद्र संविधान में दिए गए अधिकारों, कानून से संबंधित जानकारियों तथा प्रवासी मजदूरों की समस्याओं पर रहा।
  भीखम सिंह ठाकुर ने ग्राम पंचायत के सरपंचों और उपस्थित बहनों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया। उन्होंने निराश्रित पेंशन, प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी शासकीय योजनाओं की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने भाजपा सरकार की विभिन्न योजनाओं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय के सुशासन से भी ग्रामीणों को अवगत कराया।
  कार्यक्रम में हीरा साहू, ओमप्रकाश ध्रुव, बहुर देशकर, प्रयोग सेवा समिति की संचालक देवंतीन बाई ठाकुर, एकता परिषद के सदस्य हलधर मिश्रा सहित बड़ी संख्या में महिलाएँ, पुरुष और युवा मौजूद रहे। उपस्थित लोगों ने कार्यक्रम को सार्थक बताते हुए इसे जागरूकता का माध्यम बताया।

कोंडागांव। राजधानी रायपुर से बस्तर संभाग को जोड़ने वाली जीवनरेखा नेशनल हाईवे-30 आज खुद जिंदगी के लिए खतरा बन गई है। एनएचएआई की लापरवाही और ठेकेदारों की मनमानी ने इस राष्ट्रीय राजमार्ग को खस्ताहाल कर दिया है। हालात ऐसे हैं कि कहीं गड्ढे सड़क को निगल रहे हैं, तो कहीं नारायणपुर चौक पर लगा हाई मास्क लाइट अंधड़ में लटककर मौत का झूला बना खड़ा है।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सड़क से ज्यादा गड्ढे और धूल उड़ रही है, जिससे लोगों को आए दिन दुर्घटनाओं का खतरा तो है ही, साथ ही सांस व अस्थमा जैसी बीमारियों का शिकार भी होना पड़ रहा है। तेज रफ्तार वाहनों और अंधे मोड़ के बीच लटकती हाई मास्क लाइट किसी भी वक्त बड़ा हादसा कर सकती है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की नींद अब तक टूटी नहीं है।

जनता पूछ रही है सवाल

लोगों का गुस्सा अब टोल प्लाजा संचालन को लेकर फूट पड़ा है। सवाल उठ रहे हैं कि –

  • क्या टोल प्लाजा सिर्फ टैक्स वसूली का अड्डा है?

  • सड़कें गड्ढों में समा जाएं, बिजली व्यवस्था ध्वस्त हो जाए, यातायात अव्यवस्थित हो – तो आखिर टोल की रकम जा कहां रही है?

  • एनएचएआई और ठेकेदारों की जिम्मेदारी केवल ‘वसूली’ तक सीमित है या जनता की सुरक्षा और सुविधा भी उनके दायरे में आती है?

चेतावनी बन चुका चौक

कोंडागांव जिला मुख्यालय का नारायणपुर चौक, जो कि एक व्यस्त तिराहा है, रात में पूरी तरह अंधेरे में डूबा रहता है। स्थानीय लोगों ने कई बार यातायात विभाग से सावधानी हेतु बेरिकेड्स और लाइट व्यवस्था सुधारने की मांग की, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। लोगों का कहना है कि सरकार और ठेकेदार दोनों ही बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर बढ़ रहा आक्रोश

अब जनता सोशल मीडिया पर भी खुलकर सवाल उठा रही है – क्या इस समस्या का समाधान तब होगा जब केंद्रीय मंत्री या बड़े जनप्रतिनिधियों से लोग सड़क पर उतरकर मिलेंगे? या फिर प्रशासन हादसे के बाद ही जागेगा?

जनहित का सवाल

यह वही हाईवे है जो राजधानी को सीधे बस्तर से जोड़ता है। ऐसा राजमार्ग जो विकास का प्रतीक होना चाहिए था, वह आज भ्रष्टाचार और लापरवाही का आईना बन गया है। टोल वसूली करने वाले ठेकेदार और जिम्मेदार अधिकारी जनता के पैसे पर मौज तो कर रहे हैं, लेकिन जनता को सुरक्षा और सुविधा देने में नाकाम साबित हो रहे हैं।

सम्पादकीय लेख / शरद पंसारी

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की दस दिवसीय जापान और दक्षिण कोरिया यात्रा छत्तीसगढ़ के लिए ऐतिहासिक साबित हुई। इस उच्चस्तरीय दौरे ने प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय निवेश, तकनीकी हस्तांतरण, रोजगार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्र में नए अवसर दिए हैं।


रणनीतिक पृष्ठभूमि और उद्देश्य

यह यात्रा भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन (ITPO) के आमंत्रण पर आयोजित हुई। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया। मुख्य उद्देश्य था –

  • छत्तीसगढ़ को वैश्विक निवेश केंद्र बनाना

  • नई तकनीकों व प्रबंधन ज्ञान का हस्तांतरण करना

  • औद्योगिक विकास को सांस्कृतिक और पर्यटन विस्तार से जोड़ना


ओसाका वर्ल्ड एक्सपो में आकर्षण का केंद्र बना छत्तीसगढ़

ओसाका वर्ल्ड एक्सपो में लगाए गए छत्तीसगढ़ पवेलियन ने विदेशी निवेशकों, नीति निर्माताओं और कंपनियों का ध्यान खींचा।

  • बौद्ध धरोहर, लोककला, टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग को खास तौर पर प्रदर्शित किया गया।

  • विदेशी कंपनियों ने इन क्षेत्रों में साझेदारी और निवेश में रुचि दिखाई।


जापान और कोरिया में हुए करार

  • जापान की SARTHAJ FOODS, Biocedes और Biyani Group ने छत्तीसगढ़ में संयंत्र लगाने में रुचि दिखाई।

  • दक्षिण कोरिया की Modern Tech Corp और UNECORAIL ने मेट्रो रेल, स्मार्ट सिटी और रेलवे उपकरण निर्माण में निवेश पर सहमति दी।

  • मुख्यमंत्री ने कोरिया इंटरनेशनल ट्रेड एसोसिएशन (KITA) और प्रमुख औद्योगिक समूहों से प्रत्यक्ष संवाद कर कई समझौते किए।


निवेशकों के लिए भरोसेमंद वातावरण

छत्तीसगढ़ सरकार ने निवेशकों को आश्वस्त किया कि—

  • सिंगल विंडो सिस्टम से त्वरित क्लीयरेंस मिलेगी।

  • फास्टर ग्राउंडिंग नीति से परियोजनाओं की तुरंत शुरुआत होगी।

  • 5G, ई-व्हीकल, नवीकरणीय ऊर्जा और फूड प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में सब्सिडी और कर छूट की पेशकश की गई।


रोजगार और कौशल विकास की नई दिशा

इस यात्रा के परिणामस्वरूप 6 बड़े निवेश प्रस्ताव आए हैं, जिनसे हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा।

  • जापान और कोरिया के साथ नॉलेज शेयरिंग कोलैबोरेशन की योजना बनी है।

  • स्टार्टअप, स्किल डेवलपमेंट और रिसर्च हब की स्थापना के लिए संस्थानों को आमंत्रित किया गया।


सांस्कृतिक और पर्यटन में नया अध्याय

  • ओसाका एक्सपो में छत्तीसगढ़ की लोककला और बौद्ध धरोहर ने जापानी और कोरियाई निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया।

  • सरकार ने बौद्ध पर्यटन सर्किट को जापान, कोरिया और अन्य एशियाई देशों से जोड़ने का रोडमैप प्रस्तुत किया।


भविष्य की नींव

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की यह यात्रा केवल निवेश तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसने छत्तीसगढ़ को अगले दशक के लिए विकास, तकनीकी नवाचार और सांस्कृतिक गौरव की मजबूत नींव दी है।
पारदर्शी प्रशासन, तेज़ी से परियोजनाओं की ग्राउंडिंग और जनता की भागीदारी इस यात्रा की सबसे बड़ी पूंजी साबित होगी।

दुर्ग। शौर्यपथ / राजनितिक
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस संगठन की स्थिति पर यदि विशेष रूप से दुर्ग जिले की बात की जाए तो यह साफ दिखाई देता है कि संगठन लंबे समय से परिवारवाद, गुटबाज़ी और निष्क्रियता की राजनीति में उलझा हुआ है। यही कारण है कि कांग्रेस कार्यकर्ता, जो पार्टी की रीढ़ माने जाते हैं, लगातार उपेक्षा और निराशा का सामना कर रहे हैं।


परिवारवाद और संगठन पर कब्ज़ा

दुर्ग कांग्रेस की राजनीति बीते वर्षों से कुछ चुनिंदा परिवारों और नेताओं तक सीमित रही है।

  • पार्टी के भीतर ब्लॉक और जिला स्तर पर वही पुराने चेहरे बार-बार आगे लाए जाते हैं।

  • इससे न केवल संगठन में ठहराव आया है बल्कि नए और समर्पित कार्यकर्ताओं के लिए अवसर भी बंद हो गए हैं।

  • हालिया ब्लॉक अध्यक्ष चुनाव की मीटिंग में भी यही परिदृश्य सामने आया, जब बिना पूर्व जानकारी दिए अचानक बैठक में पुराने अध्यक्ष की दावेदारी का नाम उछाल दिया गया।

कार्यकर्ताओं के अनुसार यह प्रक्रिया उनके लिए “आघात” जैसी रही। उनका मानना है कि बिना उद्देश्य बताए, अचानक नामांकन की चर्चा संगठन की लोकतांत्रिक भावना के खिलाफ है।


निष्क्रिय नेतृत्व और कमजोर विपक्ष

दुर्ग कांग्रेस की कमजोरी का दूसरा बड़ा कारण है – नेतृत्व की निष्क्रियता।

  • जिला अध्यक्ष लंबे समय से निष्क्रिय भूमिका में नजर आते हैं।

  • सत्ता में रहने के दौरान ब्लॉक अध्यक्ष सत्ता का लाभ उठाते रहे, जबकि विपक्ष की भूमिका में आने के बाद भी कोई प्रभावी आंदोलन खड़ा नहीं किया गया।

  • केवल दुर्ग ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष राकेश ठाकुर ही लगातार जिला मुख्यालय पर आंदोलनों की जिम्मेदारी उठाते रहे, लेकिन शहर कांग्रेस में इसका असर दिखाई नहीं दिया।


भविष्य की चुनौती : अरुण वोरा की दावेदारी

राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में एक बार फिर पूर्व विधायक अरुण वोरा को टिकट मिल सकता है।

  • कार्यकर्ताओं का मानना है कि अरुण वोरा की पिछले वर्षों की निष्क्रियता और कार्यकर्ताओं के साथ भेदभावपूर्ण रवैया कांग्रेस की स्थिति को और कमजोर कर देगा।

  • यद्यपि उनकी पहुंच केंद्रीय संगठन तक है, लेकिन आम कार्यकर्ताओं के साथ जुड़ाव कमजोर पड़ चुका है।

  • यदि आठवीं बार भी टिकट उन्हें मिलता है, तो यह कांग्रेस के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है और भाजपा को दुर्ग में एक मजबूत संजीवनी मिल जाएगी।

? यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ-साथ अब आम जनता भी लगातार एक ही प्रत्याशी और उसी परिवार के नाम को सुन-सुनकर ऊब चुकी है। पिछले 35–40 वर्षों से दुर्ग की जनता को लगभग एक ही चेहरे का सामना करना पड़ा है। जनता का कहना है कि कांग्रेस यदि केवल परिवारवादी राजनीति पर टिकेगी तो उससे किसी बड़े बदलाव की उम्मीद करना व्यर्थ है। यही कारण है कि आज कांग्रेस से आम जनता की अपेक्षाएँ लगभग खत्म हो चुकी हैं।


कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा, जनता भी निराश

कांग्रेस कार्यकर्ता आज संगठन के भीतर परिवारवाद और मनमानी से सबसे अधिक आहत हैं।

  • ब्लॉक स्तर की बैठकों में कार्यकर्ताओं की अनदेखी,

  • निर्णयों में पारदर्शिता का अभाव,

  • और आंदोलन की कमी ने कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ दिया है।

इसी के समानांतर, आम जनता भी कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व से निराश हो चुकी है। बार-बार वही परिवार और वही प्रत्याशी देखना जनता को अब नीरस और अप्रभावी लग रहा है। यदि यही स्थिति बनी रही तो जनता का कांग्रेस से मोहभंग और गहराता जाएगा।


परिवारवाद बनाम संगठनात्मक लोकतंत्र

कांग्रेस का इतिहास लोकतांत्रिक परंपराओं पर आधारित रहा है, लेकिन दुर्ग कांग्रेस में परिवारवाद और कब्ज़े की राजनीति ने संगठन को खोखला कर दिया है।

  • प्रदेश और केंद्रीय संगठन अब भी परिवारवाद को नजरअंदाज कर रहे हैं।

  • यह प्रवृत्ति केवल दुर्ग ही नहीं, बल्कि अन्य जिलों में भी कांग्रेस की पकड़ कमजोर कर रही है।

  • जहां परिवारवाद मजबूत रहेगा, वहां कांग्रेस का जनाधार और समर्पित कार्यकर्ता दोनों खो जाएंगे।


निष्कर्ष : बदलाव ही विकल्प

राजनीति का स्वरूप लगातार बदलता है। विपक्ष के रूप में कांग्रेस के पास जनता की आवाज़ उठाने का बड़ा अवसर था, लेकिन दुर्ग में पार्टी इस भूमिका को निभाने में नाकाम रही है।
यदि संगठन में समय रहते बदलाव नहीं हुआ, तो कांग्रेस को न केवल दुर्ग शहर बल्कि पूरे जिले में अस्तित्व बचाए रखना मुश्किल होगा।

दुर्ग कांग्रेस के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती है – परिवारवाद से ऊपर उठकर सक्रिय और पारदर्शी नेतृत्व खड़ा करना। अन्यथा आने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का पतन अवश्यंभावी है।


अब यह लेख कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आम जनता – दोनों की भावनाओं को समाहित करता है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने भाजपा पर लगाया गंभीर आरोप

रायपुर / शौर्यपथ /

बिहार कांग्रेस भवन में हुई तोड़फोड़ की घटना की निंदा करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की “वोट मेरा अधिकार यात्रा” की सफलता से विचलित भाजपा, हिंसक गतिविधियों और षड्यंत्रों का सहारा ले रही है।

श्री ठाकुर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के मंच से अभद्र टिप्पणी करने वाला व्यक्ति भाजपा का सक्रिय सदस्य निकला है। उन्होंने कहा कि—

“जब भाजपा से जुड़े लोग ही इस प्रकार की हरकत कर रहे हैं तो कांग्रेस पर दोषारोपण करना किस हद तक उचित है? भाजपा को जनता से इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।”

वरिष्ठ प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा का उद्देश्य हमेशा जनता के मूल मुद्दों से ध्यान भटकाना रहा है। किसान आंदोलन, छात्र आंदोलन, और एनआरसी विरोध प्रदर्शनों के दौरान भी भाजपा से जुड़े लोग भीड़ में घुसकर उकसाने वाले नारे और गतिविधियां करते रहे हैं। बिहार में भी इसी तरह का षड्यंत्र रचा गया है।

उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को संयम और संस्कार की आवश्यकता है। पूर्व में भी विपक्षी नेताओं के खिलाफ भाजपा द्वारा अभद्र भाषा के उपयोग के उदाहरण जनता देख चुकी है। श्री ठाकुर ने आरोप लगाया कि राजनीतिक मुकाबले में असमर्थ होने पर भाजपा “स्लीपर सेल” और “ट्रोल गैंग” के जरिए भ्रामक प्रचार और षड्यंत्रकारी गतिविधियों का सहारा लेती है।

अंत में कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश और देश की जनता भाजपा की इन रणनीतियों को समझ चुकी है और भाजपा को इस व्यवहार के लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए।

भाजपा सरकार में अघोषित तौर पर बंद हुआ मनरेगा – 70 प्रतिशत गांवों में नहीं चल रहा कोई कार्य : कांग्रेस

रायपुर / शौर्यपथ /

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता श्री सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा की सरकार आने के बाद से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) अपनी मूल भावना से भटक गई है। रोजगार की कानूनी गारंटी देने वाली यह योजना अब प्रदेश में अघोषित रूप से ठप पड़ी है।

श्री वर्मा ने बताया कि प्रदेश के 70 प्रतिशत से अधिक गांवों में मनरेगा का कोई कार्य नहीं चल रहा, जिससे मजदूर परिवार रोजी-रोटी की समस्या से जूझ रहे हैं और उन्हें पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार स्पष्ट करे कि प्रदेश में कितने स्थानों पर मनरेगा के कार्य संचालित हो रहे हैं और पिछले 20 महीनों में कितने परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है।

वरिष्ठ प्रवक्ता ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ में प्रतिवर्ष लगभग 18 करोड़ कार्य दिवस सृजित किए जाते थे। लेकिन भाजपा सरकार बनने के बाद इस योजना पर रोक-टोक और कटौती शुरू हो गई। उन्होंने याद दिलाया कि यूपीए सरकार के समय प्रत्येक ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्य को 100 दिन का गारंटेड रोजगार मिलता था, जिसमें सड़क निर्माण, तालाब व कुएं की खुदाई, जल संरक्षण एवं सूखा राहत जैसे कार्य शामिल थे। यदि 15 दिन के भीतर काम नहीं मिलता था तो मजदूरी का भुगतान किया जाता था। लेकिन अब न तो पर्याप्त काम दिया जा रहा है और न ही मजदूरी का समय पर भुगतान हो रहा है।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की नीतियां गरीब विरोधी हैं। पूरे देश में मनरेगा के तहत 27 करोड़ मजदूर पंजीकृत हैं, लेकिन मोदी सरकार एक-तिहाई यानी 9 करोड़ मजदूरों को भी सालभर में पर्याप्त रोजगार उपलब्ध नहीं करा पा रही है। 100 दिन के रोजगार की गारंटी तो दूर, 30 दिन का काम भी मजदूरों को नहीं मिल पा रहा है।

छत्तीसगढ़ में भाजपा की डबल इंजन सरकार बनने के बाद मजदूरों की स्थिति और भी बदहाल हो गई है। श्री वर्मा ने कहा कि यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है और सरकार को तुरंत प्रभाव से मनरेगा के कार्य प्रारंभ कर मजदूरों को रोजगार और मजदूरी उपलब्ध करानी चाहिए।

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