September 06, 2025
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शौर्यपथ

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शासकीय सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और एम्स रायपुर के बीच ऐतिहासिक समझौता

बिलासपुर / शौर्यपथ /
छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य सेवाओं को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। कुमार साहब स्व. दिलीप सिंह जूदेव शासकीय सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, बिलासपुर और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), रायपुर के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। इस साझेदारी से अब बिलासपुर समेत आसपास के जिलों के मरीजों को एम्स स्तर की अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाएँ अपने ही शहर में उपलब्ध होंगी।

करार के अवसर पर

एम्स रायपुर की ओर से कार्यकारी निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी ले. जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त), अधिष्ठाता (अनुसंधान) डॉ. अभिरुचि गल्होत्रा, सह-अधिष्ठाता (अनुसंधान) डॉ. एकता खंडेलवाल और अतिरिक्त प्राध्यापक डॉ. राकेश गुप्ता उपस्थित थे।
वहीं सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, बिलासपुर से चिकित्सा अधीक्षक डॉ. भानु प्रताप सिंह, प्रो. डॉ. अर्चना सिंह और सह-प्रो. डॉ. अभिषेक कुमार मौजूद रहे।

साझेदारी के लाभ

  • अस्पताल के चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ को एम्स रायपुर के विशेषज्ञों से नवीनतम तकनीकों और उन्नत चिकित्सा पद्धतियों का प्रशिक्षण मिलेगा।

  • दोनों संस्थान शोध कार्यों और नई तकनीकों को लागू करने में सहयोग करेंगे।

  • मरीजों को उच्चस्तरीय नैदानिक सेवाएँ, टेलीमेडिसिन, बहु-केंद्रीय अध्ययनों का लाभ मिलेगा।

अधिकारियों के विचार

डॉ. भानु प्रताप सिंह ने कहा –

“इस साझेदारी का सीधा लाभ आम नागरिकों को मिलेगा। अब प्रदेशवासियों को एम्स जैसी सुविधाएँ अपने ही शहर बिलासपुर में मिलेंगी।”

उन्होंने बताया कि इस पहल के लिए आयुक्त सुनील जैन और कलेक्टर संजय अग्रवाल ने उन्हें प्रेरित किया था।

वहीं ले. जनरल अशोक जिंदल (से.नि.) ने कहा –

“एम्स रायपुर हमेशा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, बिलासपुर को प्रशिक्षण, संकाय आदान-प्रदान और शोध कार्यों में सहयोग देगा। छत्तीसगढ़ शासन स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है।”

महत्व

एम्स रायपुर अपनी उत्कृष्ट नैदानिक सेवाओं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त शोध कार्यों के लिए जाना जाता है। यह करार छत्तीसगढ़ की चिकित्सा प्रणाली को नई दिशा देगा और प्रदेश के लोगों को बड़े शहरों की दौड़-भाग से मुक्ति दिलाएगा।

जशपुरनगर/ कुनकुरी / शौर्यपथ /
   छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। कुनकुरी थाना क्षेत्र के बेहराटोली मोहल्ले में एक युवक ने अपनी 70 वर्षीय मां गुला बाई की बेरहमी से हत्या कर दी। हत्या के बाद आरोपी ने शव को धारदार हथियार से बुरी तरह क्षत-विक्षत कर दिया और खून से सना हथियार लेकर शव के पास बैठकर गाना गाता रहा।

घटना का सिलसिला
  प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मंगलवार सुबह आरोपी जीत राम यादव के घर से अचानक चीख-पुकार की आवाज सुनाई दी। पड़ोसी जब मौके पर पहुंचे तो वहां का दृश्य भयावह था—चारों ओर खून बिखरा पड़ा था और वृद्ध महिला का क्षत-विक्षत शव पड़ा था। पास ही आरोपी बेटा जीत राम हथियार लहराते हुए गाना गा रहा था।

पुलिस को करना पड़ा मशक्कत
  घटना की सूचना मिलते ही कुनकुरी थाना पुलिस मौके पर पहुंची। आरोपी हथियार के साथ आक्रामक व्यवहार कर रहा था। पुलिस टीम को उसे काबू में करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। आखिरकार घेराबंदी कर आरोपी को हिरासत में ले लिया गया और हथियार भी जब्त कर लिया गया।

हत्या की वजह
 प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि आरोपी मानसिक रूप से असामान्य व्यवहार कर रहा था। आसपास के लोगों ने बताया कि वह पिछले कई दिनों से असामान्य हरकतें कर रहा था और पड़ोसियों से भी झगड़ा करता था। पुलिस ने आशंका जताई है कि आरोपी मानसिक विकार या नशे की हालत में वारदात को अंजाम दे सकता है। फिलहाल इस पहलू पर गहराई से जांच की जा रही है।

पड़ोसियों में दहशत
  वारदात के बाद से पूरे मोहल्ले में दहशत का माहौल है। पड़ोसियों का कहना है कि जीत राम की मां ही उसकी देखभाल करती थीं और घर में कोई और नहीं था। घटना के बाद लोग स्तब्ध हैं कि एक बेटा अपनी मां के साथ इतना वीभत्स व्यवहार कैसे कर सकता है।

पुलिस का बयान
थाना प्रभारी कुनकुरी ने बताया—
 “आरोपी जीत राम यादव को हिरासत में ले लिया गया है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। घटना के सभी पहलुओं की जांच की जा रही है। यदि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मामला सामने आता है तो उसका मूल्यांकन कराया जाएगा।”

दुर्ग/शौर्यपथ।
जिले में लगातार बढ़ रही दोपहिया वाहन चोरी की घटनाओं पर नकेल कसते हुए दुर्ग पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल (भापुसे) के निर्देशन और “सशक्त एप” की मदद से थाना मोहन नगर पुलिस ने विशेष टीम गठित कर कार्रवाई करते हुए 19 चोरी की मोटरसाइकिल और स्कूटी बरामद की हैं, जिनकी कुल कीमत लगभग ₹15 लाख आंकी गई है।

कैसे पकड़े गए आरोपी?

ग्रीन चौक के पास तीन संदिग्ध युवकों की मौजूदगी की सूचना मुखबिर से मिली। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई कर उन्हें पकड़ा और पूछताछ की। पूछताछ में खुलासा हुआ कि आरोपियों ने बीते चार माह में कुल 19 वाहन (10 एक्टिवा और 9 मोटरसाइकिल) चोरी किए थे। पुलिस ने मौके से दो विधि से संघर्षरत बालकों और एक युवक को गिरफ्तार किया है।

चोरी के पीछे का कारण

आरोपियों ने बताया कि वे शौक पूरा करने और त्वरित पैसे के लालच में वाहन चोरी करते थे। चोरी की गई गाड़ियों को वे अपने परिचितों को कम दामों पर बेच देते थे। खास बात यह रही कि खरीददार जानते हुए भी चोरी की गाड़ियां खरीदते थे, क्योंकि वाहन बिना नंबर और कागजात के होते थे।

खरीददारों पर भी कार्रवाई

पुलिस ने जांच में पाया कि चोरी की गाड़ियां खरीदने में 14 लोग शामिल थे। सभी के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जा रही है। पुलिस का कहना है कि चोरी का वाहन खरीदना भी अपराध की श्रेणी में आता है और इसमें कठोर दंड का प्रावधान है।

सशक्त एप की भूमिका

दुर्ग पुलिस ने हाल ही में “सशक्त एप” शुरू किया है। इसमें चोरी या लावारिस वाहनों का डेटा तुरंत ऑनलाइन अपडेट किया जाता है। इसी तकनीकी पहल की मदद से चोरी के वाहनों का लोकेशन और विवरण जुटाकर पुलिस को सफलता मिली।

कार्रवाई में शामिल टीम

इस ऑपरेशन में गठित पुलिस टीम के –

  • सउनि. चंद्रशेखर सोनी

  • प्र. आर. मनीष अग्निहोत्री

  • आरक्षक हिमांशु जंघेल

  • आरक्षक खिलेश कुर्रे

  • आरक्षक रवि शंकर मरकाम

  • आरक्षक गजेन्द्र यादव

की अहम भूमिका रही।

पुलिस की अपील

दुर्ग पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि सस्ती कीमत पर, बिना कागजात या बिना नंबर वाले वाहन न खरीदें। ऐसे वाहन चोरी के हो सकते हैं और पकड़े जाने पर खरीदार पर भी अपराध का मामला दर्ज होगा।

मनेंद्रगढ़/शौर्यपथ /
कोल इंडिया लिमिटेड ने सोमवार को बड़ा प्रशासनिक आदेश जारी करते हुए ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ECL) के महाप्रबंधक रमेश चंद्र महापात्र को साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) के निदेशक (तकनीकी) पद पर नियुक्त किया है। यह नियुक्ति भारत सरकार, कोयला मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रपति के अनुमोदन और सीपीएसई (CPSE) की अनुसूची ‘बी’ के प्रावधानों के तहत की गई है।

महापात्र का वेतनमान ₹1,60,000 से ₹2,90,000 तय किया गया है। वे अपने कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से सेवानिवृत्ति की तिथि 31 मई 2029 तक या अगले आदेश तक इस पद पर बने रहेंगे।

नियुक्ति की शर्तें

  • प्रारंभिक समीक्षा: कार्यभार ग्रहण करने के बाद एक वर्ष पूर्ण होने पर सरकार उनके कार्य-निष्पादन की समीक्षा करेगी, जिसके आधार पर आगे का कार्यकाल तय होगा।

  • अनुबंध आधारित नियुक्ति: यह नियुक्ति अनुबंध के आधार पर होगी। सरकार चाहे तो तीन महीने का नोटिस या उसके बदले तीन महीने का वेतन देकर उनकी सेवाएं समाप्त कर सकती है।

  • नियुक्ति अस्वीकार करने पर रोक: यदि महापात्र कार्यभार ग्रहण नहीं करते, तो नियुक्ति प्रस्ताव की तिथि से दो वर्ष तक किसी भी सीपीएसई के बोर्ड स्तर के पद के लिए विचार नहीं किया जाएगा। यह रोक ईसीएल को छोड़कर सभी सीपीएसई पर लागू होगी।

  • वेतन व अन्य नियम: अंतिम वेतन प्रमाण पत्र (LPC) प्राप्त होने के बाद नियुक्ति की विस्तृत शर्तें जारी की जाएंगी।

प्रशासनिक औपचारिकताएं

महापात्र को कार्यभार ग्रहण करने के बाद अपनी रिपोर्ट एसईसीएल के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक को प्रस्तुत करनी होगी। इसकी सूचना कोल इंडिया लिमिटेड और कोयला मंत्रालय को भी भेजी जाएगी।

न्यायालयीन शर्त

एसईसीएल में निदेशक (तकनीकी) के रूप में रमेश चंद्र महापात्र की नियुक्ति छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में लंबित याचिका संख्या 10800/2019 के अंतिम निर्णय के अधीन होगी।

    दुर्ग / शौर्यपथ / कलेक्टर अभिजीत सिंह के निर्देश और सहायक आयुक्त आबकारी सी.आर. साहू के मार्गदर्शन में आबकारी विभाग ने अवैध शराब परिवहन पर बड़ी कार्रवाई की है। गश्त के दौरान मिली सूचना पर आबकारी विभाग, जिला दुर्ग वृत्त-भिलाई (क्रमांक-03) की टीम ने दबिश देकर आरोपी मनदीप सिंह भाटिया (निवासी नेहरू नगर चौक, भिलाई) को गिरफ्तार किया।
  कार्रवाई में मध्य प्रदेश राज्य में विक्रय हेतु अधिकृत विदेशी मदिरा—12 नग बोतल ब्लेंडर्स प्राइड व्हिस्की,48 नग बोतल मैक्डॉवल नंबर वन व्हिस्की कुल 45 बल्क लीटर शराब जब्त की गई, जिसकी बाजार कीमत लगभग ₹51,840 आंकी गई है। इसके साथ ही आरोपी के कब्जे से एक लाल रंग की स्विफ्ट कार (सीजी 08 एफ 5491) भी जप्त की गई, जिसकी अनुमानित कीमत ₹4 लाख है। इस प्रकार जब्त कुल सामग्री का मूल्य लगभग ₹4,51,840 है।
  आबकारी विभाग के अनुसार आरोपी ने छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम की धारा 34(2) का उल्लंघन किया है। विधिवत प्रकरण दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है।
  इस कार्रवाई में आबकारी उप निरीक्षक प्रियंक ठाकुर द्वारा विवेचना की जा रही है। वहीं अभियान में सहायक जिला आबकारी अधिकारी पंकज कुजूर, उप निरीक्षक हरीश पटेल, भूपेंद्र नेताम, आबकारी मुख्य आरक्षक डी.पी. पटेल, संदीप तिर्की, चितेश्वरी ध्रुव और चालक दुर्गेश का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

रायपुर / शौर्यपथ /
मुख्यमंत्री के विदेश प्रवास और नए निवेश आकर्षित करने के दावों पर कांग्रेस ने तीखा पलटवार किया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए सवाल किया है कि – “छत्तीसगढ़ में जून 2025 तक 18,940 पंजीकृत कंपनियां संचालित थीं, इनमें से 4,288 कंपनियां आखिर क्यों बंद हो गईं?”

उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री जापान और दक्षिण कोरिया जाकर विदेशी निवेश का ढिंढोरा पीट रहे हैं, जबकि प्रदेश की हकीकत यह है कि पहले से संचालित स्पंज आयरन प्लांट, रोलिंग मिलें, राइस मिल, सहकारी शक्कर कारखाने और एथेनॉल प्लांट भाजपा सरकार की उपेक्षा और उद्योग-विरोधी नीतियों की वजह से ठप हो गए हैं।

वर्मा ने कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कृषि और वनोपज प्रसंस्करण, ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई थी। सीमेंट और स्टील उत्पादन में छत्तीसगढ़ ने नए कीर्तिमान स्थापित किए थे। लेकिन भाजपा की सरकार आते ही उद्योगों पर लगातार चोट की गई—20 महीनों में चार बार बिजली दरों में बढ़ोतरी की गई।

आज की स्थिति यह है कि छत्तीसगढ़ के उद्योगों को पड़ोसी राज्यों उड़ीसा, झारखंड और मध्यप्रदेश की तुलना में डेढ़ गुना महंगी औद्योगिक बिजली चुकानी पड़ रही है। कांग्रेस काल में बनी उद्योग नीति को बदलकर भाजपा सरकार ने स्थानीय उद्योगों को बर्बाद करने की राह पर धकेल दिया।

वर्मा ने आगे कहा—

“भाजपा सरकार एक तरफ छत्तीसगढ़ के लघु और कुटीर उद्योगों तथा रीपा (रूरल इंडस्ट्रियल पार्क) जैसी योजनाओं को समाप्त करने पर तुली है, वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री विदेशी धरती पर उद्यमियों को आमंत्रित कर छत्तीसगढ़ की जनता को गुमराह कर रहे हैं।”

कांग्रेस प्रवक्ता ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि बीते 20 महीनों में हजारों उद्योग बंद होने से लाखों युवा बेरोजगार हो गए हैं। उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन में नाकाम भाजपा सरकार अपनी नाकामी से ध्यान भटकाने के लिए केवल “राजनीतिक पर्यटन” कर रही है।


? यह मुद्दा अब प्रदेश की राजनीति में भाजपा सरकार की औद्योगिक नीतियों बनाम कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों के मुकाबले के रूप में उभर चुका है।

प्रिंसिपल पर धार्मिक भेदभाव, गाली-गलौज और विद्यार्थियों को जानबूझकर फेल करने के आरोप !

दुर्ग। शौर्यपथ /
शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव के गृह ज़िले दुर्ग से शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। शहर के एक नामी स्कूल की प्रिंसिपल एस. संगीता नायर के खिलाफ अभिभावकों और संगठनों ने लिखित शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत पत्र की प्रति में आरोप लगाया गया है कि प्रिंसिपल ने हिन्दू धर्म से जुड़े विद्यार्थियों को चोटी रखने, तिलक लगाने और हाथ में कलावा बांधने से रोक दिया।

विद्यार्थियों को फेल करने का विवाद
शिकायत में उल्लेख है कि 11वीं कक्षा में 68 विद्यार्थियों में से केवल 25 को पास किया गया और 43 विद्यार्थियों को फेल कर दिया गया। अभिभावकों व संगठनों का कहना है कि यह निर्णय पारदर्शी नहीं है और विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने मांग की है कि अनुत्तीर्ण विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं सार्वजनिक की जाएँ।

गाली-गलौज और मारपीट का आरोप
शिकायत पत्र में यह भी लिखा गया है कि प्रिंसिपल ने कई बार बच्चों से गाली-गलौज और मारपीट की। अभिभावकों ने आरोप लगाया कि उनकी बार-बार की गई शिकायतों को स्कूल प्रबंधन ने नजरअंदाज कर दिया।

शिक्षा विभाग की गंभीरता पर सवाल
मामले को लेकर अभिभावकों और संगठनों ने यह सवाल उठाया है कि जिस जिले से प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव का निवास है, वहां यदि किसी शैक्षणिक संस्था के अधिकारी-कर्मचारी इस तरह के गंभीर और चिंताजनक कृत्य कर रहे हैं, तो शिक्षा विभाग की भूमिका और जिम्मेदारी क्या है?

बजरंग दल की चेतावनी
बजरंग दल ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो संगठन को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

जनता की निगाहें मंत्री पर
यह घटना ऐसे समय सामने आई है जब गजेंद्र यादव हाल ही में स्कूल शिक्षा मंत्री बने हैं। अब सवाल यह है कि मंत्री अपने ही क्षेत्र में घटित इस विवादास्पद मामले पर क्या कदम उठाएंगे? आम जनता और अभिभावकों की निगाहें इस समय मंत्री की ओर टिकी हुई हैं।

गुणवत्तापूर्ण विकास कार्य, अवैध निर्माण पर रोक और मूलभूत सुविधाओं को प्राथमिकता देने के निर्देश

भिलाई। वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन ने शनिवार को नगर पालिक निगम भिलाई के सभागार में निगम अधिकारियों की समीक्षा बैठक ली। इस बैठक में निगम के जोन आयुक्त, कार्यपालन अभियंता, सहायक अभियंता, स्वास्थ्य अधिकारी, राजस्व अधिकारी एवं अन्य अधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। बैठक का मुख्य उद्देश्य शहर में चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा करना और नागरिकों की समस्याओं के समाधान हेतु ठोस कार्ययोजना बनाना था।

विकास कार्य समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण हों

बैठक के दौरान विधायक ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि शहर में चल रहे सड़क, नाली, पेयजल और रोशनी से संबंधित सभी कार्य गुणवत्तापूर्ण तरीके से और निर्धारित समय सीमा में पूरे किए जाएं। उन्होंने कहा कि भिलाई एक औद्योगिक और शैक्षणिक नगरी है, जहां प्रतिदिन हजारों लोग आते हैं। ऐसे में यहां की आधारभूत सुविधाओं का मजबूत और टिकाऊ होना बेहद जरूरी है।

जर्जर आवास योजनाओं पर विशेष ध्यान

विधायक सेन ने निगम को निर्देश दिया कि निगम क्षेत्र में बने वाम्बे, अटल आवास, रैशन आवास और आईएचएसडीपी आवास की स्थिति दयनीय है। इन आवासों की मरम्मत एवं पुनर्निर्माण को प्राथमिकता पर लिया जाए, ताकि इन मकानों में रहने वाले गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को राहत मिल सके।

अवैध कब्जे और धार्मिक निर्माण पर सख्ती

श्री सेन ने निगम अधिकारियों से कहा कि निगम की भूमि पर कोई भी अवैध निर्माण या धार्मिक ढांचा (मंदिर, मस्जिद, चर्च आदि) न बनने पाए। सुपेला संडे मार्केट सहित कई क्षेत्रों में निगम की भूमि पर अवैध कब्जा और निर्माण सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जाए और निगम की जमीन को मुक्त कराया जाए।

राजस्व वृद्धि और भवन अनुज्ञा

बैठक में विधायक ने निगम की आर्थिक स्थिति सुधारने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संपत्ति कर और जल कर वसूली में तेजी लाई जाए। साथ ही भवन अनुज्ञा प्रक्रिया को सुगम बनाकर अधिक से अधिक राजस्व अर्जित किया जाए।
उन्होंने चेतावनी दी कि भवन अनुज्ञा प्रमाण पत्र के बिना निर्माण करने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और ऐसे मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।

ठेकेदारों को कड़ी चेतावनी

विधायक ने निगम अधिकारियों से कहा कि ठेकेदारों की मनमानी और लापरवाही अब नहीं चलेगी। यदि कोई ठेकेदार गुणवत्ताहीन कार्य करता है या समय पर काम पूरा नहीं करता है, तो उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे ठेकेदारों की वजह से आम जनता को असुविधा होती है, जिसे किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

पर्यावरण और स्वच्छता पर जोर

विधायक सेन ने कहा कि शहर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य रूप से लागू किया जाए, ताकि जल संरक्षण हो सके।
साथ ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को आदर्श स्वरूप में विकसित करने का निर्देश दिया, जिससे शहर के नालों का गंदा पानी बिना फिल्टर हुए नदी में न जाए।
उन्होंने निगम क्षेत्र के उद्यानों, झूलों और फिसलपट्टी जैसे बच्चों के खेल उपकरणों के रखरखाव पर भी विशेष जोर दिया।

बीएसपी से समन्वय

बैठक में विधायक ने जानकारी दी कि उन्होंने भिलाई इस्पात संयंत्र (BSP) के निदेशक चितरंजन महापात्रा से चर्चा की है। बीएसपी प्रबंधन ने आश्वासन दिया है कि टाउनशिप क्षेत्र में निगम के साथ मिलकर विकास कार्यों में सहयोग किया जाएगा।

निगम आयुक्त का आश्वासन

निगम आयुक्त राजीव कुमार पाण्डेय ने बैठक में बताया कि आकाशगंगा सब्जी मंडी में अवैध दुकानों को हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। आने वाले समय में निगम क्षेत्र के अन्य हिस्सों में भी ऐसी कार्यवाही जारी रहेगी।

नागरिकों के लिए राहत और भरोसा

विधायक ने कहा कि निगम प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह जनता की समस्याओं को गंभीरता से लेकर उनका निराकरण करे। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सड़क, नाली, बिजली, पानी, सफाई जैसी बुनियादी समस्याओं पर तुरंत कार्यवाही हो, ताकि जनता को राहत मिल सके।

बैठक में निगम अधिकारियों ने विधायक को आश्वासन दिया कि दिए गए सभी निर्देशों का पालन प्राथमिकता से किया जाएगा और शहर के विकास कार्यों को और गति दी जाएगी।

रायपुर पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल, निष्पक्ष जांच की मांग तेज

   रायपुर / शौर्यपथ / राजधानी रायपुर में पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। कबीर नगर थाना क्षेत्र के निवासी राजकुमार मिश्रा, जो पेशे से कैटरिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, ने आरोप लगाया है कि पुलिस अधिकारी नारायण सेन ने उन्हें बिना किसी अपराध और बिना शिकायत के ही जबरन गिरफ्तार कर लिया। इस घटना ने न केवल नागरिक अधिकारों पर प्रश्नचिह्न खड़ा किया है बल्कि पुलिस की जवाबदेही पर भी बहस छेड़ दी है।

शिकायत का विवरण

राजकुमार मिश्रा ने उच्च अधिकारियों को लिखित शिकायत सौंपी है। उनके अनुसार,17 अगस्त 2025 को कुछ लोगों के इशारे पर उन्हें थाने बुलाया गया।थाने में उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया और उनकी तबीयत खराब होने के बावजूद जबरन मेडिकल परीक्षण के लिए ले जाया गया। डॉक्टर ने बीपी अधिक होने की वजह से परीक्षण से इनकार किया, इसके बावजूद पुलिस ने उन्हें थाने में बैठाकर घंटों परेशान किया।बाद में उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जमानत पर रिहाई मिली।
  शिकायतकर्ता का कहना है कि वे नशा नहीं करते और उनका सामाजिक एवं व्यावसायिक जीवन पूरी तरह साफ-सुथरा है। इसके बावजूद पुलिस ने किसी प्रभावशाली व्यक्ति के दबाव में झूठा मामला दर्ज कर उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की।
मानसिक और सामाजिक आघात
  राजकुमार मिश्रा ने कहा कि इस पूरे प्रकरण ने उन्हें मानसिक रूप से आहत किया है। समाज में उनकी छवि खराब हुई है, जिससे व्यवसाय पर भी असर पड़ने की आशंका है। उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच और संबंधित पुलिसकर्मी पर कार्रवाई की मांग की है।

प्रशासनिक और कानूनी पहलू
  मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति निर्दोष होते हुए भी इस तरह पुलिस की मनमानी का शिकार होता है तो यह न केवल संविधान प्रदत्त व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन है बल्कि पुलिस की जवाबदेही पर भी गंभीर प्रश्न उठाता है।
 कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, इस मामले में यदि शिकायतकर्ता के आरोप सही पाए जाते हैं तो पुलिसकर्मी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ-साथ फौजदारी अपराध के तहत भी कार्रवाई संभव है।

पुलिस प्रशासन की प्रतिक्रिया
  इस मामले में पुलिस प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

निष्कर्ष : यह घटना एक बार फिर उस मूलभूत सवाल को सामने लाती है कि –"क्या आम नागरिक अपने अधिकारों के संरक्षण को लेकर पुलिस पर भरोसा कर सकते हैं, और क्या मनमानी के खिलाफ उन्हें न्याय मिल पाएगा?"

संपादकीय लेख / शौर्यपथ /

दुर्ग की राजनीति में हाल के घटनाक्रम यह साफ संकेत देते हैं कि कांग्रेस यदि आत्ममंथन नहीं करती तो भविष्य और संकटपूर्ण हो सकता है। एक ओर विधायक गजेंद्र यादव का तेजी से उभार और कैबिनेट मंत्री के रूप में उनकी सक्रिय भूमिका है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस उसी पुराने परिवारवाद के बोझ तले संघर्ष करती दिख रही है। यही प्रवृत्ति कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी बन चुकी है।

लगातार हार और कार्यकर्ताओं का मोहभंग
पिछले विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए चेतावनी की घंटी थे। लगातार सात चुनाव में मैदान में उतरे पुराने चेहरे पर जनता ने विश्वास खो दिया। इस बार तो हार का अंतर चौंकाने वाला रहा — लगभग 50 हज़ार वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी अरुण गोरा की पराजय।
ऐसे नतीजे यह साबित करते हैं कि जनता अब परिवारवाद से ऊब चुकी है। वहीं कार्यकर्ताओं में भी लंबे समय से उत्साह की कमी साफ झलकने लगी है।

गजेंद्र यादव : सत्ता पक्ष में मजबूत चेहरा
दुर्ग से विधायक गजेंद्र यादव का कैबिनेट मंत्री बनना स्थानीय राजनीति की पूरी तस्वीर बदल चुका है। वे लगातार सक्रिय रूप से जनता से जुड़े हैं और शासन प्रशासन में उनकी पकड़ मज़बूत दिखाई देती है।
आज की स्थिति यह है कि दुर्ग की राजनीति में वे सबसे प्रभावशाली नेता बनकर उभरे हैं। ऐसे में परिवारवाद से बंधी कांग्रेस उनके सामने कहीं टिकती नहीं दिख रही।

संगठन की असली ज़रूरत : नया नेतृत्व, नई सोच
अगर कांग्रेस को दुर्ग में फिर से मजबूत होना है तो सबसे पहले उसे परिवारवाद की बेड़ियों से मुक्त होना होगा। ज़रूरत ऐसे नेतृत्व की है जो—

कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चल सके,

संगठन को बूथ स्तर तक मज़बूत कर सके,

और जनता के बीच यह संदेश दे सके कि कांग्रेस अब “किसी परिवार की पार्टी” नहीं, बल्कि “जनता और कार्यकर्ताओं की पार्टी” है।

केंद्र और प्रदेश के लिए चुनौतीपूर्ण सवाल
अब सवाल कांग्रेस के केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व पर है। क्या वे फिर से कमजोर होते संगठन को उसी परिवार के हवाले करेंगे जिसने चुनाव दर चुनाव पार्टी को हार की ओर धकेला है?
या फिर वे जमीनी नेतृत्व को आगे बढ़ाने का साहस दिखाएंगे? यही फैसला आने वाले समय में कांग्रेस का भविष्य तय करेगा।

निष्कर्ष : आत्ममंथन की घड़ी
आज जब गजेंद्र यादव सत्ता पक्ष में मज़बूती से खड़े हैं, तब कांग्रेस संगठन दुर्ग में लगभग निष्क्रिय दिखाई देता है। यह कांग्रेस के लिए आत्ममंथन की सबसे गहरी घड़ी है।
यदि पार्टी परिवारवाद से बाहर निकलकर नई सोच और नया नेतृत्व देती है तो संगठन फिर से कार्यकर्ताओं और जनता का विश्वास जीत सकता है। अन्यथा, कांग्रेस दुर्ग की राजनीति में मात्र इतिहास का हिस्सा बनकर रह जाएगी।

?️ (यह लेख राजनीती से जुड़े व्यक्तियों से चर्चा के आधार पर एवं वर्तमान में कांग्रेस की दुर्ग में राजनैतिक स्थिति व कार्यकर्ताओ की मंशा पर आधारित है , समाचार पत्र की नीति से इनका संबन्ध अनिवार्य नहीं है।)

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