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0 सभी स्वास्थ्य केंद्रों में चलाया सुरक्षित मातृत्व अभियान
0 उच्च जोखिम गर्भधारण का चिन्हांकन कर लगातार किया जा रहा है फॉलो अप
कबीरधाम/शौर्यपथ /
शिशु व मातृ मृत्युदर घटाने के उद्देश्य से जिले में सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया जा रहा है। कोरोना संक्रमणकाल के पश्चात काल जिले में न केवल इस अभियान को पुन: सुचारू किया गया बल्कि बेहतर सेवाएं देते हुए एक दिन में 1,000 से अधिक गर्भवतियों की जांच व उपचार भी किया गया है।
गर्भवतियों को उनके ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में स्त्री रोग विशेषज्ञों की सेवा देते हुए हर माह नियमित फॉलो अप कराने तथा गर्भावस्था में संपूर्ण जांच व उपचार का लाभ देने के लिए सरकार द्वारा प्रत्येक माह की 9 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया जाता है।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुजॉय मुखर्जी ने बताया: जिले में अधिक से अधिक लाभार्थियों को पीएमएसएम अभियान का लाभ दिलाने के लिए निजी स्त्री रोग विशेषज्ञों से बात कर उनकी सेवा के लिए राजी किया गया। इसके परिणामस्वरूप जिले के 10 स्वास्थ्य केंद्रों में पीएमएसएम अभियान चलाया गया, जिसमें विशेषज्ञ चिकित्सकों ने अपनी सेवाएं दी और 1,284 गर्भवतियों की स्वास्थ्य जांच कर उन्हें गर्भावस्था में आवश्यक देख-रेख व खान-पान के विषय में आवश्यक सलाह दी गई। इसी तरह 217 उच्च जोखिम गर्भाधारण का चिन्हांकन किया गया व 268 लाभार्थियों को सोनोग्राफी की सलाह दी गई। इनका नि:शुल्क सोनोग्राफी जिला अस्पताल व चिन्हांकित निजी अस्पतालों में करवाया जाता है। वहीं जिले में माहवारी सर्विलेंस कराकर प्रसव की अवस्था का जल्द से जल्द पता लगाकर गर्भवतियों का पंजीयन किया जा रहा है। इसके पश्चात मितानिन, एएनएम व जमीनी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से लगातार मॉनिटरिंग भी की जा रही है।
उच्च जोखिम प्रसव की ऐसे होती है पहचान
उच्च रक्तचाप, एचबी लेबल 6 ग्राम या इससे कम होना, गंभीर बीमारी होना, आकस्मिक गर्भपात की समस्या झेल चुकी महिलाओं का फिर से गर्भधारण करना, शरीर में सूजन या अन्य इसी तरह के लक्षण होने की स्थिति में उच्च जोखिम का पता लगाया जाता है, जिसके आधार पर प्रसव की पद्धति का अनुमान लगाकर प्रसव तिथि से कुछ दिन पहले ही सीजेरियन के लिए भर्ती कराया जाता है, ताकि जच्चा-बच्चा को सुरक्षित किया जा सके।
एक गर्भवती को तत्काल दी गई स्वास्थ्य सेवा
प्रधानमत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत सभी स्वास्थ्य केंद्रों में जांच व उपचार कार्य सुचारू रूप से किया गया तथा इसी बीच 9 माह की एक गर्भवती की पोड़ी स्वास्थ्य केंद्र में जांच की गई। यहां सेवारत महिला डॉक्टर ने जांच की तो पाया कि बच्चे की धड़कन सुनाई नहीं दे रही थी। इस स्थिति में गर्भवती को तत्काल एंबुलेंस-108 बुलाकर जिला अस्पताल भेजा गया, जहां उसे महिला चिकित्सकों की देख-रेख में भर्ती किया गया है।
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