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राजनांदगांव / शौर्यपथ / शिक्षा का अधिकार कानून का जिले में बूरा हाल है। जिलें में वर्ष 2011 से प्रायवेट स्कूलों में आरटीई के अंतर्गत गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा हेतु प्रवेश दिलाया जा रहा है लेकिन प्रति वर्ष बड़ी संख्या में गरीब बच्चे स्कूल छोड़ रहे है लेकिन इसकी कोई जानकारी आरटीई नोडल अधिकारी आदित्य खरे को नही है। सूचना का अधिकार से प्राप्त जानकारी में यह जानकारी प्राप्त हुआ है कि आरटीई नोडल अधिकारी आदित्य खरे को यह भी नही मालूम है कि कोरोना काल में कितने स्कूल बंद हुए और इन बंद हुए प्रायवेट स्कलों में प्रवेशित आरटीई के गरीब बच्चों को किन-किन स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है। जानकार बताते है कि जिले में अब तक लगभग चार हजार आरटीई के बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया, जिसकी मॉनिटियर्रिंग स्थानीय प्रशासन यानि आरटीई नोडल अधिकारी को करना था लेकिन विभाग में इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नही है। हैरत की बात यह कि आरटीई बच्चों की जानकारी डीईओ कार्यालय में उपलब्ध नही है लेकिन विधान सभा में आरटीई नोडल अधिकारी आदित्य खरे ने बताया है कि कोरोना काल में जितने भी प्रायवेट स्कूल बंद हुए उनमें अध्ययनरत् आरटीई के बच्चों को अंयन्त्र स्कूलों में प्रवेश दिलाया जा चूका है, कोई भी बच्चा शिक्षा और स्कूल से वंचित नही है। छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 9 में यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि प्रायवेट स्कूलों में अनिवार्य प्रवेश से लेकर शिक्षा पूर्ण कराने तक की बाध्यता स्थानीय प्रशासन यानि आरटीई नोडल अधिकारी की है लेकिन आदित्य खरे ने अपने पदीय कर्तव्य की प्रति घोर लापरवाही बरत रहे है जिसके कारण सैकड़ों बच्चे आज शिक्षा और स्कूल से वंचित है और हमने इस दोषी नोडल अधिकारी की निलंबन की मांग की है।
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