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कलेक्टर शर्मा ने देह्दानियो के कार्य की सराहना करते हुए सभी के लिए अनुकरणीय बताया
बालोद / शौर्यपथ / जिले के 03 व्यक्तियों ने चिकित्सा के क्षेत्र में शोध कार्य के लिए मृत्यु उपरांत अपने देह को दान करने का निर्णय लिया है। जिसके लिए तीनों ने बुधवार 16 अगस्त को जिला चिकित्सालय बालोद से फॉर्म भरकर सभी प्रक्रिया पूरी की है। उल्लेखनीय है कि 16 अगस्त को अपने मृत्यु के पश्चात् देहदान करने वाले नगर पंचायत अर्जुंदा निवासी भरत लाल निर्मलकर, सांकरा निवासी थानसिंग देशमुख और प्रहलाद चंद्राकर से कलेक्टर कुलदीप शर्मा ने अपने कक्ष में भेंटकर उन्हें प्रमाण पत्र प्रदान किया। श्री शर्मा ने जिले के इन तीनों विभूतियों के कार्यों को अतुलनीय बताते हुए उनके इस कार्य को मानवता के सेवा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने उनके कार्यों की भूरी-भूरी सराहना करते हुए सभी के लिए पे्ररणादायी बताया। श्री शर्मा ने कहा कि इन तीनों लोगों का देहदान चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में नए अनुसंधान के लिए अत्यंत मददगार साबित होगा।
देहदान करने वाले थानसिंह देशमुख ने बताया कि वह कृषि विभाग में कृषि विकास अधिकारी भूमि संरक्षण के पद पर थे। विभाग से सेवानिवृत्त हुए 03 वर्ष हो गए है। उन्होंने देहदान के संबंध में लिए गए निर्णय के संबंध में बताया कि मृत्यु उपरांत शरीर को जला या दफना दिया जाता है जिससे शरीर अंत में राख या मिट्टी में मिल जाता है। लेकिन यदि मृत्यु उपरांत शरीर को दान में दे दिया जाए तो जरूरत मंद लोगों को शरीर के अंग काम आएगा साथ ही चिकित्सा के क्षेत्र में गंभीर बीमारियों के ईलाज के लिए नए अनुसंधान में भी निर्णायक साबित होगा। इसी प्रकार देहदान करने वाले भरत लाल निर्मलकर ने बताया कि पैरालिसिस से पीड़ित मरीज की मेडिकल क्षेत्र में अभी तक ईलाज संभव नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि मैंने उन लोगों को भी देखा है जिनके पास पैसा तो होता है लेकिन पैरालिसिस होने के कारण इस पैसे का उपभोग भी नही कर पाते ना ही उनका ईलाज हो पाता है। पैरालिसिस की समस्या से निजात दिलाने और चिकित्सा के क्षेत्र में और अधिक शोध करने हेतु मैनें शरीर को दान में देने का निर्णय लिया है।
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