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कोंडागांव / शौर्यपथ /
देश के 112 आकांक्षी जिलों में शामिल कोण्डागांव एक जनजातीय बहुल जिला है। जहां 80 फिसदी से अधिक आबादी गांवों में निवास करती है। जहां जनजातीय गांवों में सभी रोगों एवं व्याधियों के उपचार के लिए ग्रामीणों द्वारा झाडफ़ूक एवं परम्परागत चिकित्सा पद्धतियों के द्वारा उपचार किया जाता है। ऐसे में इन क्षेत्रों में मोतियाबिंद जैसी नेत्र व्याधियों को सामान्य वृद्धावस्था की समस्या मानकर अनदेखा कर दिया जाता है। ऐसे में अपने आंखों की रौशनी को जाता देखकर भी व्यक्ति इसके संबंध में कुछ नहीं कर पाता और धीरे-धीरे उसे कुछ भी दिखना बंद हो जाता है। इस स्थिति को देखकर राज्य शासन के निर्देश पर जिले में सीएमएचओ डॉ0 टीआर कुंवर के मार्गदर्शन में अंधत्व निवारण कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
इस संबंध में सहायक नोडल अंधत्व निवारण एवं नेत्र सहायक अधिकारी अनिल बैध ने बताया कि अंधत्व निवारण कार्यक्रम के समक्ष आधुनिक संसाधनों एवं विशेषज्ञों की कमी एक बड़ी बाधा थी। ऐसे में कलेक्टर के द्वारा डीएमएफ फण्ड से नेत्र चिकित्सा के आधुनिक उपकरणों एवं ऑपरेशन थियेटर के निर्माण जिले के लोगों के उपचार हेतु कराया गया। इसके पश्चात् नेत्र सर्जन डॉ0 कल्पना मीणा की नियुक्ति के पश्चात् अंधत्व निवारण कार्यक्रम को नई उड़ान मिल गई। पहले जहां 2017 में केवल 210, 2018 में 40, 2019 में 482 एवं 2020 में 41 ही मोतियाबिंद के ऑपरेशन हुए थे। वहीं 2021-22 में यह आंकड़ा सीधे 1144 पहुंच गया। अंधत्व निवारण कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए एवं जिले के प्रत्येक व्यक्ति की नेत्र जांच कर नेत्र विकारों एवं मोतियाबिंद से लोगों को निजात दिलाने के लिए मितानिन एवं स्वास्थ्य संयोजकों द्वारा सभी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में शिविर लगाकर सहायक नेत्र अधिकारियों द्वारा नेत्र रोगियों की पहचान कर उन्हें जिला अस्पताल में भेजा जाता है। जहां नेत्र सर्जन डॉ0 कल्पना मीणा द्वारा प्रत्येक मरीज की जांच कर उनका उपचार किया जाता है।
इस संबंध में डॉ0 कल्पना मीणा ने बताया कि जिले में लोगों के बीच फैली भ्रांतियों जैसे ठण्ड में नेत्र ऑपरेशन के बेहतर होने, ऑपरेशन से देवताओं के नाराज होने आदि कारणों से लोग ऑपरेशन से बचते थे। ऐसे में लोगों को जागरूक कर ऑपरेशन हेतु जिला अस्पताल तक लाना पहली चुनौती हुआ करती है। जिले में इन भ्रांतियों के कारण कई लोग जन्मजात मोतियाबिंद से पीडि़त होने के बावजूद भी ऑपरेशन कराने से डरते थे। जागरूकता अभियान के साथ आधुनिक उपकरणों के जिला अस्पताल में लग जाने एवं सहयोगी विशेषज्ञों की उपलब्धता से अब मरीजों के उपचार की गति में वृद्धि हुई है। इसी का परिणाम है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में अप्रैल से मार्च के मध्य कुल 1333 सर्जरी हो पायी है। जिनमें 1144 प्रकरण मोतियाबिंद के थे। इसके लिए मैं अपने सभी ऑपरेशन में सहायक स्टॉफ का भी धन्यवाद करती हूं। जिनका मुझे पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ है।
ओडि़सा के भी 100 से अधिक लोगों की हुई सर्जरी
इस संबंध में अंधत्व निवारण नोडल डॉ0 हरेन्द्र बघेल ने बताया कि जिले में नेत्र ऑपरेशन के आधुनिक उपकरण एवं विशेषज्ञ सर्जन के आने से मोतियाबिंद के मरीजों के उपचार में तेजी से वृद्धि हुई है। जहां वर्ष 2017 से 2020 तक जिला अस्पताल में कुल 773 मरीजों के मोतियाबिंद का उपचार हुआ था। वहीं वर्ष 2020-21 में कोरोना महामारी के कारण नेत्र ऑपरेशन रूक से गये थे। वहीं कोरोना महामारी के प्रसार के कम होते ही वर्ष 2021-22 में नेत्र चिकित्सा की रफ्तार बढ़ा दी गई है। जिससे एक वर्ष में 7934 ओपीडी एवं 1333 सर्जरी निस्पादित की गई है। जिसमें 1144 मोतियाबिंद तथा 189 अन्य ऑपरेशन किये गये हैं। जो कि शायद इस वर्ष राज्य में किसी नेत्र सर्जन द्वारा व्यक्तिगत रूप से किये गये ऑपरेशनों में सर्वाधिक होगा। इस वर्ष जिसमें छोटे नाबालिक बच्चों, जन्मजात मोतियाबिंद से पीडि़तों, गंभीर बीमारियों से पीडि़त मरीजों से लेकर अत्यंत वृद्ध व्यक्तियों को भी उपचारित किया गया है। जिला अस्पताल में नेत्र चिकित्सा की उत्तम व्यवस्था को देखते हुए न सिर्फ आस-पास के जिलों अपितु पड़ोसी राज्य ओडि़सा के सीमावर्ती जिलों से भी मरीज गंभीर रोगों उपचार हेतु जिला अस्पताल आ रहे हैं। अब तक ओडि़सा से आये 454 लोगों की स्वास्थ्य जांच एवं 100 से अधिक लोगों की सर्जरी की गई है।
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