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दुर्ग / शौर्यपथ / भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय ने देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा वैश्विक महामारी कोरोना के संकटकाल में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश में विकास को गति प्रदान करने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने कहा कि देशवासियों के लिए यह 20 लाख करोड़ रुपये का विशेष आर्थिक पैकेज देश की जीडीपी के लगभग 10% के बराबर है मैं इस अभूतपूर्व व ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत करती हूं एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का कोटि कोटि अभिनंदन करती हूँ।
सांसद सरोज पाण्डेय ने कहा कि सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास के मूलमंत्र के साथ कार्य करते हुए मोदी सरकार ने हमेशा देशवासियों के हित में निर्णय लिया है और यह 20 लाख करोड़ रुपये का विशेष आर्थिक पैकेज इस बात का परिचायक है। मोदी सरकार की इस घोषणा से देश के सभी वर्ग, गांव, गरीब, किसान, व्यापारी, मध्यम वर्गीय को बड़ी राहत मिलेगी और इसके साथ ही देश का हर वर्ग सशक्त व आत्मनिर्भर बनेगा।
आज देश की वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी व वित्त राज्य मंत्री श्री अनुराग ठाकुर जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के देश को आत्मनिर्भर बनाने के स्वप्न को मूर्त रूप देने के लिए महती कार्ययोजना का एलान किया है। इस कार्ययोजना के तहत देश के सबसे महत्वपूर्ण सेक्टर एम.एस.एम.ई. को सबसे ज्यादा राहत दी गयी है क्योंकि इस सेक्टर में देश के 10 करोड़ से ज्यादा लोग कार्यरत हैं। इस सेक्टर को दी जाने वाली बड़ी राहतों में 3 लाख करोड़ रुपए का कोलेटरल फ्री ऑटोमैटिक लोन का प्रावधान है, जिसमे किसी को अपनी ओर से किसी तरह की गारेंटी देने की जरूरत नही है। इससे इस सेक्टर में नगदी की कमी खत्म होगी तथा उन्हें पुनः कार्य शुरू करने में सहुलियत होगी जिससे इस पर निर्भर लोगो को रोजगार मिलेगा।
इसके साथ ही 20 हजार करोड़ रुपए का सुबॉर्डिनेट लोन दिया जाएगा। इससे 2 लाख से ज्यादा यूनिट को लाभ मिलेगा। एम.एस.एम.ई फण्ड ऑफ फंड्स के जरिए 50 हजार करोड़ रुपए का इक्विटी इंफ्यूजन जो एमएसएमई अच्छा कर रहे है ओर वो बिज़नेस का विस्तार करना चाहते है, लेकिन सुविधा नहीं मिल पा रही है, उनके लिए फण्ड ऑफ फंड्स के जरिये फंडिंग मिलेगी। अब एमएसएमई के हित मे इसकी परिभाषा बदल दी गयी है और यह बदलाव मैन्युफैक्चरिंग व सर्विस दोनों इंडस्ट्रीज पर लागू होंगे, 01 करोड़ रुपए तक निवेश करके 5 करोड़ तक का व्यापार करने वाली इंडस्ट्री सुक्ष्म, 10 करोड़ रुपए तक निवेश और 50 करोड़ तक व्यापार करने वाली इंडस्ट्री लघु, जबकि 20 करोड़ तक का निवेश और 100 करोड़ तक का व्यापार करने वाली इंडस्ट्री मध्यम कहलाएगी। 200 करोड़ रुपए तक की सरकारी खरीद में अब ग्लोबल टेंडर नहीं होगा तथा देश के उत्पादकों से ही यह खरीदी की जाएगी। इससे लोकल के लिए वोकल के मंत्र को मजबुती मिलेगी।
सभी एमएसएमई को ई-मार्केट लिंकेज किया जाएगा जिससे उनके उत्पादों के प्रचार प्रसार में उन्हें सहायता मिलेगी। निर्माण क्षेत्र को नई मजबूती प्रदान करने तथा क्षेत्र में लगे मजदूरों का रोजगार सुनिश्चित करने के लिए सभी सरकारी कॉन्ट्रेक्टरों को बिना शर्त 06 महीने का सरकार एक्सटेंशन देगी। इसके आगे राहत देते हुए कंपनियों की पीएफ में हिस्सेदारी को 12% की जगह 10% तक कर सकेंगे जिससे कंपनियों के पास लिक्विडिटी बढ़ेगी। साथ ही टीडीएस रेट में 25% की कमी की गई है जिससे आम लोगो को लगभग 50 हजार करोड़ रुपए का लाभ होगा तथा यह पैसा सीधे उनके हाथ में जा सकेगा। इससे उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी।
यह तो सिर्फ पहला कदम है देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान को आगे बढ़ाने के लिए। आने वाले दिनों में सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में और भी राहत प्रदान किया जाएगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश संकटकाल को भी अवसर बनाकर विश्व के सिरमौर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है!
नई दिल्ली/ शौर्यपथ / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन झेल रहे देश की आर्थिक हालत सुधारने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया है. इसी को आर्थिक पैकेज को लेकर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण आज शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगी. वह इस पैकेज के बारे में विस्तार से बताएंगी.
मंगलवार की रात 8 बजे देश के नाम संबोधन देने आए पीएम मोदी ने कहा कि इस पैकेज का इस्तेमाल देश के हर वर्ग किसान, मजदूर, लघु उद्योगों और कामगारों की मदद के लिए मदद किया जाएगा. पीएम मोदी ने यह भी कहा कि कोरोना वायरस की वजह से देश की आर्थिक गतिविधियों को ज्यादा नहीं रोका जा सकता है. अब हमें दो गज की दूरी और तमाम दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए इसके साथ ही रहना सीखना होगा.
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से जंग अभी लंबी चलने वाली है. फिलहाल पीएम मोदी के 20 लाख करोड़ के पैकेज के ऐलान के बाद लोगों के मन में चार सवाल हैं जिसे वे जानना चाहते हैं.
आपके हिस्से में कितने
अगर भारत की आबादी 133 करोड़ (1,33,00,00,000 - 133 के बाद सात शून्य) मानी जाए, तो इस हिसाब से हर एक के हिस्से में 15,037.60 रुपये आएंगे. अगर आबादी 130 करोड़ (1,30,00,00,000 - 13 के बाद आठ शून्य) मानी जाए, तो इस हिसाब से हर एक के हिस्से में 15,384.60 रुपये आएंगे. हालांकि यह एक बात साफ कर दें कि यह आर्थिक प्रति व्यक्ति के हिसाब से नहीं बांटा जाएगा, ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.
देश की कुल जीडीपी का कितना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस महामारी के कारण लडख़ड़ाई अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूती देने के लिये 20 लाख करोड़ रुपये के जिस प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा मंगलवार को की वह दुनिया में विभिन्न देशों द्वारा अब तक घोषित बड़े आर्थिक पैकेजों में से एक है. प्रधानमंत्री ने बताया कि 20 लाख करोड़ रुपये का यह पैकेज देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 10 प्रतिशत के बराबर होगा. इस लिहाज से यह कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे देशों द्वारा घोषित बड़े पैकेजों में सुमार हो गया है.
क्या होता है जीडीपी
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) एक निश्चित समय में देश के अंदर बनने वाली सभी तैयार वस्तुओं और सेवाओं की कीमत या मौद्रिक मूल्य को जीडीपी कहा जाता है. जीडीपी में निजी और सार्वजनिक उपभोग, निवेश, सरकारी खर्च, निजी आविष्कार, भुगतान-निर्माण लागत और व्यापार का विदेशी संतुलन शामिल है. जीडीपी एक तरह की आर्थिक सेहत के स्थिति जानने का पैमाना होता है.
शौर्यपथ / स्वास्थ्य / धूम्रपान आपको कोरोना संक्रमण से नहीं बचाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऐसी सभी रिपोर्ट को खारिज कर दिया है जिसमें दावा किया गया था कि धूम्रपान करने या निकोटिन का प्रयोग करने वालों को संक्रमण का खतरा कम है। वैज्ञानिकों के लंबे रिसर्च के बाद डब्ल्यूएचओ ने साफ किया है कि कोरोना वायरस और धूम्रपान दोनों फेफड़ों पर सीधा हमला करते हैं। इससे सांस संबंधी बीमारियां होती हैं और खतरा काफी बढ़ जाता है।
धूम्रपान से फेफड़े कमजोर होते हैं और वायरस से लडऩे की उनकी क्षमता खत्म होने लगती है। ऐसे में कोरोना का संक्रमण उनकी जान भी ले सकता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, हृदय रोग, सांस की बीमारी, मधुमेह और कैंसर में भी धूम्रपान काफी खतरनाक हो सकता है। इसलिए सभी लोगों को धूम्रपान से बचना चाहिए।
धूम्रपान छोडऩे के फ ायदे-
-डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, धूम्रपान छोडऩे के 20 मिनट के अंदर उच्च रक्चाप में गिरावट आती है
-12 घंटे के बाद खून में कार्बन मोनोआक्साइड के जहरीले कणों का स्तर सामान्य हो जाता है
-दो से 12 हफ्तों के भीतर फेफड़ों के कार्य करने की क्षमता में काफी तेजी से इजाफा होता है
-एक से नौ महीने में खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या कम हो जाती है
फेफ ड़ों में जादुई क्षमता-
फेफड़ों में जादुई क्षमता होती है जो धूम्रपान से हुए कुछ नुकसान को खुद-ब-खुद ठीक कर देती है। जो लोग धूम्रपान छोड़ चुके हैं उनकी 40 फीसदी कोशिकाएं उन लोगों की तरह हो जाती हैं जिन्होंने धूम्रपान नहीं किया है।
पहले क्या थे दावे-
1.पेरिस में हुए एक अध्ययन में कहा गया था कि धूम्रपान में पाया जाने वाला पदार्थ संभवत: निकोटिन लोगों को कोराना के संक्रमण से बचा सकता है।
2.इटली के एक रिसर्च में कहा गया है कि इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि धूम्रपान करने वालों को संक्रमण का खतरा अन्य लोगों से पांच गुना कम होता है।
शौर्यपथ / सत्य वह नहीं है जो असत्य है। सत्य स्वयं में एक अनुभव है जो मन की कंदराओं से निकल कर आपको वास्तविकता से जोड़ता है। सत्य की संपूर्ण विलक्षण अनुभूति जिसे हुई है वह भी अभिव्यक्ति के स्तर पर स्वयं को अकिंचन ही समझता है कि किन शब्दों में उसे बताया या समझाया जाए। > संवेदना के धरातल पर सत्य निर्मल है, निर्विकार है। सत्य से साक्षात्कार करने के लिए स्वयं का शब्द, वाक्य, अलंकार और अभिव्यंजना से सराबोर होना जरूरी नहीं है बल्कि जरूरी है सहजता से उसे मन के भीतर ही कहीं पा लेना। युवा पत्रकार प्रवीण तिवारी ने अपनी नवीनतम पुस्तक 'सत्य की खोज' में अत्यंत सरल, स्पष्ट, सटीक और संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली रूप में इस विषय की कुशल पड़ताल की है।
प्रवीण तिवारी पेशे से पत्रकार हैं लेकिन पिछले कुछ दिनों में उन्होंने अपनी एक नई पहचान स्थापित की है और वह है आध्यात्मिकता के स्तर पर पहुंचा पैनी पैठ का एक युवा चिंतक। इस छवि के अनुरूप ही उनकी इस पुस्तक ने साहित्य संसार में वैचारिक दस्तक दी है। प्रवीण ने -सत्य क्या है, सत्य की खोज की आवश्यकता, अभ्यास, बाधाएं, अस्त्र, खोज और गीता, सत्य की कुंजी, सत्य के साथ अनुभव और अंत में सत्य की प्राप्ति जैसे सरलतम बिंदुओं के माध्यम से पड़ाव दर पड़ाव अपनी अभिव्यक्ति को विस्तार दिया है। लेखक ने सत्य की खोज के बहाने समाज में एक सरल व्यक्तित्व के निर्माण, रक्षण और निरंतर उसके विकास और उससे भी आगे निखार पर जोर दिया है। मन की मलीनता से लेकर व्यवहार के स्तर पर व्यक्त होने वाली जटिलताओं को लेखक ने सूक्ष्मता से परखा और महसूस किया है। व्यवहारगत कमियों और खामियों को भी इस खूबी से वर्णित किया है कि वह हम अपने आप में पाते हैं पर उसके प्रति नकारात्मक भाव नहीं लाते हुए उससे मुक्ति पाने का मार्ग तलाशते हैं। लेखक ने क्लैप-बाय-क्लैप अपने पन्नों को पलटने के लिए बाध्य किया है। हर पूर्व चैप्टर में वह अगले के लिए जिज्ञासा उत्पन्न करते हैं और सबसे महत्वपूर्ण की उन जिज्ञासाओं की संतुष्टि भी पाठक को अगले पन्ने पर मिलती है। अगर लेखक प्रश्न उठाता है तो हर संभावित उत्तरों की सूची भी उसकी मंजूषा में है।
लेखक की सोच जितनी स्पष्ट है लेखन भी उतना ही सरल है। 'सत्य की खोज' जैसे विषय पर लिखी यह पुस्तक किसी साधारण से पाठक को असाधारण रूप से चैतन्य करने की क्षमता रखती है। जीवन के प्रति नितांत नया और तेजस्वी दृष्टिकोण देती यह पुस्तक हर उस पाठक को पढ़नी चाहिए जो व्यर्थ के आडंबरों में उलझा है। वैचारिक मंथन के स्थान पर जो वैचारिक प्रलाप को प्राथमिकता देता है।
पुस्तक की सबसे खास बात यह है कि इसमें उपदेश नहीं है, उदाहरण है। कथनी नहीं है, करनी है। प्रपंच नहीं है, प्रयास है। भव्य अलंकरण नहीं है, सरल आचरण है। एक जगह लेखक लिखता है - सत्य की खोज में निकलने वालों की सबसे बड़ी बाधा असत्य से प्रियता है। इस प्रियता से मुक्ति ही संपूर्ण पुस्तक का मूल है। भावों की मधुरता और भाषा की प्रवाहमयता से पूरी पुस्तक एक सांस में पढ़ जाने की ताकत रखती है। यकीनन सरलता से गंभीर चिंतन करती यह पुस्तक आकर्षित करती है। लेखक : प्रवीण तिवारी
शौर्यपथ लेख
१. जीवन का सत्य- हम जन्म क्यों लेते हैं ? – प्रस्तावना
प्रायः हमसे यह प्रश्न पूछा जाता है, ‘जीवन का सत्य क्या है ?’ अथवा ‘जीवन का उद्देश्य क्या है ?’ अथवा ‘हम जन्म क्यों लेते हैं ?’ जीवन के उद्देश्य के संदर्भ में अधिकतर हमारी अपनी योजना होती है; किंतु आध्यात्मिक दृष्टि से सामान्यतः जन्म के दो कारण हैं । ये दो कारण हमारे जीवन के उद्देश्य को मूलरूप से परिभाषित करते हैं । ये दो कारण हैं :
विभिन्न लोगों के साथ अपना लेन-देन पूरा करने के (चुकाने के) लिए ।
आध्यात्मिक प्रगति कर ईश्वर से एकरूप होने का अंतिम ध्येय साध्य करने के लिए, जिससे कि जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिले ।
२. जीवन का सत्य – अपना लेन-देन चुकाना (पूर्ण करना)
अनेक जन्मों में हुए हमारे कर्म एवं क्रियाआें के परिणामस्वरूप हमारे खाते में भारी मात्रा में लेन-देन इकट्ठा होता है । ये लेन-देन हमारे कर्मों के स्वरूप के अनुसार अच्छे अथवा बुरे होते हैं । सर्वसाधारण नियमानुसार वर्तमान युग में हमारा ६५% जीवन प्रारब्धानुसार (जो कि हमारे नियंत्रण में नहीं है) और ३५% जीवन हमारे क्रियमाण कर्म अनुसार (इच्छानुसार नियंत्रित) होता है । हमारे जीवन की सर्व महत्वपूर्ण घटनाएं अधिकतर प्राब्धानुसार ही होती हैं, यही जीवन का सत्य है । इन घटनाआें में जन्म, परिवार (कुल), विवाह, संतान, गंभीर व्याधियां तथा मृत्यु का समय आदि अंतर्भूत हैं । जो सुख और दुःख हम अपने परिजनों को तथा परिचितों को देते हैं अथवा उनसे पाते हैं; वे हमारे पिछले लेन-देन के कारण होता है । ये लेन-देन निर्धारित करते हैं कि जीवन में हमारे सम्बंधों का स्वरूप, तथा उनका आरंभ और अंत कैसे होगा ।
वर्तमान जन्म में हमारा जो प्रारब्ध है, वह वास्तव में हमारे संचित का मात्र एक अंश है; जो अनेक जन्मों से हमारे खाते में जमा हुआ है ।
हमारे जीवन में यद्यपि पूर्व निर्धारित इस लेन-देन और प्रारब्ध को हम पूरा करते भी हैं; तथापि जीवन के अंत में अपने क्रियमाण (ऐच्छिक) कर्मों द्वारा उसे बढाते भी हैं । जीवन के अंत में यह हमारे समस्त लेन-देन में संचित के रूप में जोडा जाता है । परिणामस्वरूप इस नए लेन-देन को चुकाने के लिए हमें पुनः जन्म लेना पडता है और हम जन्म-मृत्यु के चक्र में फंस जाते हैं ।
संदर्भ : जन्म-मृत्यु के चक्र में हम कैसे फंस जाते हैं, इसका विवरण ‘जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति (मोक्ष)’ इस लेखमें प्रस्तुत है ।
३. जीवन का सत्य- आध्यात्मिक प्रगति
किसी भी साधना पथ पर आध्यात्मिक विकास का चरम है परमेश्वर में विलीन होना । इसका अर्थ है, हममें तथा हमारे सर्व ओर विद्यमान ईश्वर को अनुभव करना, जो हमारी पंचज्ञानेंद्रियों, मन तथा बुद्धि के परे है । यह १००% आध्यात्मिक स्तर पर संभव होता है । वर्तमान युग में अधिकतर लोगों का आध्यात्मिक स्तर २०-२५% है और उन्हें आध्यात्मिक विकास हेतु साधना करने में कोई रूचि नहीं रहती । उनका अधिकाधिक तादात्म्य अपनी पंच ज्ञानेंद्रियों, मन और बुद्धि से रहता है । इसका प्रभाव हमारे जीवन में व्यक्त होता है, उदाहरणार्थ, जब हम अपने सौंदर्य पर अधिक ध्यान देते हैं अथवा हमें अपनी बुद्धि अथवा सफलता का अहंकार होता है ।
साधना द्वारा हमारा जब समष्टि आध्यात्मिक स्तर ६०% अथवा व्यष्टि आध्यात्मिक स्तर ७०% हो जाता है, तब हम जन्म-मृत्यु के चक्रसे मुक्त हो जाते हैं । इसके उपरांत हम अपने शेष लेन-देन को महर्लोक और आगे के उच्च सूक्ष्म लोकों में चुका सकते हैं (पूर्ण कर सकते हैं) । ६०% (समष्टि) अथवा ७०% (व्यष्टि) आध्यात्मिक स्तर के आगे पहुंचे कुछ जीव मानवता का आध्यात्मिक मार्गदर्शन करने के लिए पृथ्वी पर जन्म लेने में रूचि रखते हैं ।
अध्यात्म के छः मूलभूत सिद्धांतों के अनुसार साधना करने पर ही आध्यात्मिक विकास संभव है । जो आध्यात्मिक मार्ग इन छः मूलभूत सिद्धांतों का अवलंब नहीं करते, उनके अनुसार साधना करने वालों का विकास बाधित हो जाता है ।
४. हमारे जीवन के लक्ष्यों के संदर्भ में जीवन का सत्य क्या है ?
हममें से अधिकतर लोगों के जीवन के कुछ लक्ष्य होते हैं, उदाहरणार्थ डॉक्टर बनना, धनवान बनना और प्रतिष्ठा कमाना अथवा किसी विशिष्ट क्षेत्र में अपने राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करना । लक्ष्य जो भी हो, अधिकांश लोगों के लिए वह प्राय: एवं प्रमुखत: सांसारिक ही होता है । हमारी संपूर्ण शिक्षा प्रणाली इस प्रकार से विकसित की गई है कि हम इन सांसारिक लक्ष्यों का अनुसरण कर सकें । अभिभावक होने के नाते हम भी अपने बच्चों के सामने ये सांसारिक लक्ष्य रखकर उन्हें शिक्षित करते हैं, तथा ऐसे व्यवसायों के लिए प्रोत्साहित करते हैं जिनसे उन्हें हमसे अधिक आर्थिक लाभ मिले ।
किसी के मन में यह प्रश्न उभर सकता है कि इन सांसारिक लक्ष्यों का, जीवन के आध्यात्मिक ध्येय एवं पृथ्वी पर जन्म लेने के कारणों के साथ सामंजस्य कैसे हो सकता है ? उत्तर बहुत ही सरल है । हम सांसारिक लक्ष्यों के पीछे इसलिए भागते रहते हैं कि हमें संतोष एवं आनंद (सुख) प्राप्त हो । सामन्यतः अप्राप्य ऐसे सर्वोच्च और चिरंतन सुख की अभिलाषा ही हमारे प्रत्येक कृत्य की अंगभूत प्रेरणा होती है । किंतु वास्तव में सांसारिक लक्ष्यों की पूर्ति होने पर भी प्राप्त सुख और संतोष अल्पकाल के लिए ही टिकता है । हम कोई अन्य सुख पाने का स्वप्न देखने लगते हैं ।
‘परम और चिरस्थायी सुख’ की प्राप्ति केवल साधना द्वारा ही संभव है, जो छः मूल सिद्धांतों पर आधारित है । सर्वोच्च श्रेणी के सुखको आनंद कहते हैं, जो ईश्वर का गुणधर्म है । जब हम ईश्वर से एकरूप हो जाते हैं तब हमें भी उस चिरस्थायी आनंद की अनुभूति होती है । इसका अर्थ यह नहीं है कि हम अपने दैनिक जीवन में जो कुछ कर रहे हैं, वह छोडकर केवल साधना पर ही ध्यान केंद्रित करें । अपितु इसका आशय यह है कि सांसारिक जीवन के साथ साधना के संयोजन से परम और चिरस्थायी सुख की प्राप्ति संभव है। यही जीवन का सत्य है। साधना के लाभ का विस्तृत विवेचन ‘चिरस्थायी सुख के लिए आध्यात्मिक शोध‘ के स्तंभ में दिया है ।
संक्षेप में हमारे जीवन के लक्ष्य, आध्यात्मिक प्रगति के आशय से जितने अनुरूप होंगे, उतना ही हमारा जीवन अधिक समृद्ध होगा और उतना ही हमें कष्ट अल्प होगा। यही जीवन का सत्य है। निम्नलिखित उदाहरण से यह स्पष्ट होगा कि आध्यात्मिक विकास एवं परिपक्वता के फलस्वरूप, जीवन के प्रति हमारा दृष्टिकोण कैसे परिवर्तित होता है ।
५. सांसारिक जीवन और आध्यात्मिक उद्देश्य के बीच सामंजस्य के उदाहरण
एस.एस.आर.एफ. में हमारे साथ ऐसे कई स्वयंसेवक हैं, जो यथाक्षमता अपना समय तथा कुशलता ईश्वर की सेवा में अर्पित कर रहे हैं । उदाहरणार्थ,
हमारे एक सदस्य सूचना प्रौद्योगिकी (आइ.टी) के परामर्शदाता हैं और वे अपने अवकाश में हमारे जालस्थल के तकनीकी कार्य संभालते हैं ।
संपादकीय विभाग की एक सदस्या मनोरोग-चिकित्सक हैं और वे अपलोड की जानेवाली जानकारी चिकित्सकीय तथा आध्यात्मिक दृष्टि से जांचने में सहायता करती हैं ।
एस.एस.आर.एफ. की एक अन्य सदस्या अपने व्यवसाय के लिए विविध देशों में यात्रा करती हैं । वे अपने अवकाश में उस देश के समविचारी संगठनों को एस.एस.आर.एफ. के जालस्थल की जानकारी देती हैं ।
एक गृहिणी आध्यात्मिक कार्यक्रमों में आनेवालों के लिए खाद्यपदार्थ बनाने में सहायता करती हैं ।
अपनी दिनचर्या का अध्यात्मीकरण करने से एस.एस.आर.एफ. के सदस्यों के जीवन में भारी सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं । आनंद में वृद्धि होना और दुःख की मात्रा अल्प होना, ये महत्वपूर्ण परिवर्तन हैं । जीवन के किसी दुःखभरे प्रसंग में अथवा दर्दनाक स्थिति में वे अनुभव करते हैं, मानो किसी ने उनके आस-पास सुरक्षा कवच बना दिया है ।
६. जीवन का सत्य – बार-बार जन्म लेने में अनुचित क्या है ?
कभी-कभी लोग सोचते हैं कि बार-बार जन्म लेने में अनुचित क्या है ? जैसे ही हम वर्तमान कलियुग में (संघर्ष के युग में) आगे बढेंगे, वैसे जीवन समस्याआें तथा दुःखों से घिर जाएगा । आध्यात्मिक शोध द्वारा यह पता चला है कि विश्वभर में औसतन ३०% समय मनुष्य खुश रहता है तथा ४०% समय वह दुखी ही रहता है । शेष ३०% समय मनुष्य उदासीन रहता है । इस दशा में उसे सुख-दुख का अनुभव नहीं होता । उदा. जब कोई व्यक्ति रास्ते पर चल रहा होता है अथवा कोई व्यावहारिक कार्य कर रहा होता है तब उसके मन में सुखदायक अथवा दुखदायक विचार नहीं होते, वह केवल कार्य करता है ।
इसका प्राथमिक कारण है कि अधिकतर व्यक्तियों का आध्यात्मिक स्तर अल्प होता है । इसीलिए अनेकों बार हमारे निर्णय एवं आचरण से अन्यों को कष्ट होता है । साथ ही, वातावरण में रज-तम फैलाता है । फलस्वरूप नकारात्मक कर्म और लेन-देन का हिसाब बढता है । इसीलिए अधिकतर मनुष्यों के लिए वर्तमान जन्म की अपेक्षा आगे के जन्म दुखदायी होते हैं ।
यद्यपि विश्व ने आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति की है, तथापि सुख (जो हमारे जीवन का मुख्य ध्येय है) के संदर्भ में, हम पिछली पीढियों की अपेक्षा निर्धन हैं ।यही जीवन का सत्य है ।
हम सब सुख चाहते हैं; परंतु प्रत्येक का अनुभव है कि जीवन में दुख आते ही हैं । ऐसे में अगले जन्म में और भविष्य के जीवन में सर्वोच्च तथा चिरंतन सुख प्राप्त होने की निश्चिति नहीं है । जीवन का सत्य है, केवल आध्यात्मिक उन्नति और ईश्वर से एकरूपता ही हमें निरंतर और स्थायी सुख दे सकते हैं।
दुर्ग / शौर्यपथ / देश वर्तमान में कोरोना संकट से जूझ रहा है और इस लॉक डाउन में ऐसे लाखो परिवार है जिनके पास रोजगार के साधन नहीं है . केंद्र सहित प्रदेश सरकार की पूरी कोशिश रही है कि कोई भी भूखा ना रहे . सरकार के साथ विपत्ति की इस घडी में कई स्वयं सेवी संस्थाए भी आगे रही और खुल कर गरीब वर्ग की धन से राशन से मदद की . लॉक डाउन की घडी में दान करने वाले और सहयोग करने वालो की पहचान हुई वही कालाबाजारी करने वाले व्यापारियों को भी जनता ने देखा .
लॉक डाउन के समय अति आवश्यक वस्तुओ की दुकानों को खुलने की अनुमति मिली जिसमे राशन की दूकान का अहम् योगदान था किन्तु शहर के ऐसे कई राशन व्यापारी है जो इस लॉक डाउन में संकट की घडी में भी अपनी नैतिकता को दरकिनार करते हुए कीमत से ज्यादा सामन का विक्रय कर जेब भरने में लगे हुए थे . देश सहित प्रदेश में भी लॉक डाउन था . लॉक डाउन के 42 दिनों में भी आम जनता को किसी वस्तु की कमी नहीं हुई हर वस्तु की आपूर्ति हुई चाहे वो राशन हो चाहे , शराब हो , चाहे पान गुटखा , सिगरेट- बीडी सभी का विक्रय निरंतर जारी था नशे की सामग्री की खुलकर चोरी छिपे विक्रय का खेल चलता रहा और व्यापारियों द्वारा दुगनी तिगुनी कीमत भी वसूली गयी वही राशन में क्वालिटी की बात कह कर राशन को भी ऊँचे दामो में कई व्यापारियों ने बेचा हर सामान पर गिरी हुई मानसिकता के कई व्यापारियों ने आम जनता को खूब लुटा . विपत्ति के 42 दिन ( लॉक डाउन ) का दिन भी जैसे तैसे बीत गया और जनता ने राहत की साँस ली जब जिला प्रशासन द्वारा सभी दुकानों को ( कुछ दुकानों को छोड़कर ) खोलने की अनुमति दे दी .
वर्तमान में ज़रूरत की लगभग सभी दुकाने तो खुल गयी है किन्तु आज भी नशे की सामग्री ( सिगरेट , बीडी , गुटखा , जर्दा युक्त पौच आदि ) प्रिंट रेट से भी ज्यादा कीमत पर बिक रही किन्तु नशे के लोभी मौन है और कालाबाजारी को बढ़ावा दे रहे है . नशे तक की बात है तो मामला दबा हुआ है किन्तु अचानक एक ऐसी अफवाह फैली जिसके कारण आम जनता में हाहाकार मच गया .
अफवाह फैली नमक कि कमी की . कहा से ये अफवाह फैली इसकी जाँच के लिए और संबंधितो पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री ने आदेश दे दिए वही जिला प्रशासन द्वारा भी त्वरित कार्यवाही करते हुए ऐसे कई दुकानदारों पर कड़ी कार्यवाही की गयी जिन्होंने अफवाह का फायदा उठाते हुए नमक जैसी अति आवश्यक खाद्य वास्तु को ज्यादा कीमत में बेचना शुरू किया . शासन की कार्यवाही निरंतर जारी रहेगी .
होना चाहिए निलंबन ..
अफवाह हो या हकीकत किन्तु ज्यादा कीमत पर नमक बेचने वाले व्यापारियों की मानसिकता का पता चल गया जिस समय देश संकट से गुजर रहा है उस समय व्यापारियों अपने निम्न स्तरीय सोंच का परिचय देते हुए आम जनता को लुटने लगे क्या ऐसे व्यापारियों को बाज़ार में व्यापार करने की अनुमति देनी चाहिए क्या ऐसे व्यापारियों को सिर्फ चाँद रूपये की जुर्माना राशि वसूल कर खुला छोड़ देना चाहिए जो संकट के समय लालची प्रवृत्ति अपना कर आम जनता को लुटने लगे क्या ऐसे व्यापारियों पर सख्त से सख्त कार्यवाही कर ऐसी मिसाल नहीं पेश होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी अफवाह का ये लालची व्यापारी फायदा ना उठा सके ?
अधिक दर पर नमक विक्रय के संबंध में की गई कार्रवाई
26 प्रतिष्ठानों की जांच, 84 हजार रुपये का अर्थदंड
दुर्ग / शौर्यपथ / जिले में नमक की कृत्रिम कमी के संबंध में हो रही अफवाहों के तारतम्य में प्राप्त हो रही शिकायतों पर खाद्य विभाग, नगरीय निकाय, एवं नाप तौल विभाग के मैदानी अमलों द्वारा दिनांक 12.05.2020 को 26 प्रतिष्ठानों की जांच की गई, जिसमें अधिक कीमत में नमक विक्रय करते पाये जाने के फलस्वरूप साहू किराना एवं जनरल स्टोर, वार्ड क्रं. 04 कुम्हारी को 25000/-रू, सुमन पटेल चंद्रशेखर आजाद नगर भिलाई 5000/-रू., माही किराना स्टोर्स मडौदा 5000/-रू., एजाक अहमद गौतम नगर 2000/-रू., हरीश किराना स्टोर्स पाटन 7000/-रू., किसान बंधु किराना स्टोर पाटन 4000/- रू., बालाजी किराना स्टोर्स जुनवानी 5000/-रू., खान किराना स्टोर कोडिया 5000/-, प्रवीण किराना स्टोर नगर पंचायत धमधा 8000/-रू., भाले किराना स्टोर 5000/-, सखाराम किराना 3000/- रू. एवं गुलाब किराना स्टोर्स जेवरा सिरसा से 10000/- रू. कुल- 84000 रू. नगद अर्थदंड आरोपित किया गया जिसकी वसूली निकायों द्वारा की गई इन दुकान संचालकों को भविष्य में अधिक दर पर खाद्य सामग्री न विक्रय किये जाने की चेतावनी दी गई, निर्धारित दर से अधिक दर पर विक्रय करते पाये जाने पर दुकान की अनुज्ञप्ति निरस्त करने की कार्यवाही भी की जावेगी। खाद्य नियंत्रक ने बताया कि यह जांच सतत राजस्व विभाग, खाद्य विभाग, नगरीय निकाय एवं नाप तौल विभाग के द्वारा नियमित जारी रहेगी।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज राजधानी रायपुर के श्री नारायणा अस्पताल पहुंचकर वहां इलाज के लिए भर्ती पूर्व मुख्यमंत्री श्री अजीत जोगी के स्वास्थ्य के सम्बन्ध में डॉक्टरों से जानकारी ली।
मुख्यमंत्री बघेल ने अजीत जोगी की धर्मपत्नी डॉ. श्रीमती रेणु जोगी और उनके पुत्र अमित जोगी से भी मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने अजीत जोगी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की । मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों से अजीत जोगी को इलाज की बेहतर से बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने को कहा।
मुख्यमंत्री ने मीडिया प्रतिनिधियों से बात करते हुए कहा कि जब अजीत जोगी की तबीयत बिगड़ी थी उस दिन भी मैंने उनके पुत्र अमित जोगी से दूरभाष पर बात कर स्वास्थ्य के संबंध में जानकारी ली थी। आज मैं अजीत जोगी को देखने अस्पताल आया था। उनके परिवार के लोगों से बात हुई है। डॉक्टरों से भी मैंने जानकारी ली। अजीत जोगी हमेशा मौत को मात देकर खतरे से बाहर निकले हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि वे उन्हें शक्ति दे और वे जल्द स्वस्थ्य हों।
- कलेक्टर अंकित आनंद भी स्टेशन पर मौजूद रहे, स्वास्थ्य टीम ने परीक्षण किया,
बसों से किया गया घर रवाना - लिंगमपल्ली,
हैदराबाद से आ रही ट्रेन में दुर्ग के 14, बेमेतरा के 75 और बालोद के 34 ग्रामीण आए
दुर्ग / शौर्यपथ / पहली श्रमिक एक्सप्रेस हैदराबाद के लिंगमपल्ली से निकलकर सुबह दस बजे दुर्ग स्टेशन पर पहुंची। ट्रेन से तेलंगाना में निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों की घर वापसी हो सकी। स्टेशन पर पूरी तरह से सोशल डिस्टेंसिंग का और सैनिटाइजेशन का ध्यान रखा गया था। स्वास्थ्य विभाग की चार टीमें स्टेशन में लगाई गई थीं। सभी यात्री एसिम्पमैटिक पाए गए। स्टेशन में सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने के लिए रेलवे पुलिस के साथ ही स्थानीय पुलिस और प्रशासन के लोग थे। इस मौके पर कलेक्टर श्री अंकित आनंद ने स्वयं मौजूद रहकर व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। ट्रेन से बेमेतरा से 75, बालोद से 34 और दुर्ग से 14 ग्रामीण पहुंचे। इन सभी को बस में गृह ग्राम भेज दिया गया।
पूरी प्रक्रिया में एसओपी (स्टैंडर्ड आपरेटिव प्रोसिजर) का पालन किया गया। श्रमिकों को नाश्ते कराकर गंतव्य स्थल के लिए रवाना किया गया। इस संबंध में जानकारी देते हुए सहायक श्रमायुक्त श्री रमेश प्रधान ने बताया कि हैदराबाद में रह रहे इन श्रमिकों से जिला प्रशासन सतत संपर्क में था। यह सभी निर्माण कार्य में लगे हुए थे। दुर्ग जिले में पहुंचने वाले सभी श्रमिक भिलाई 3 और पाटन ब्लाक के हैं। श्रमिकों ने बताया कि घर पहुंचकर बहुत अच्छा लग रहा है। लाकडाउन में फंस जाने के बाद यहां आने को लेकर चिंता थी।
जिला प्रशासन के अधिकारी हमसे निरंतर संपर्क में थे और हमें भरोसा देते रहे थे कि जब भी ट्रेन आरंभ होगी, वे हमें यहां से निकालकर सुरक्षित अपने गांव तक पहुंचा देंगे। हमें यहां भोजन भी उपलब्ध करा दिया गया है और बसें भी हमारी खड़ी हैं। अब हम 14 दिन अपने गांव के क्वारंटीन सेंटर में रहेंगे। अपने घर आने का सुख सबसे बड़ा सुख है। हमारे साथ छोटे-छोटे बच्चे भी थे जिनको लेकर भी हमें चिंता थी। उल्लेखनीय है कि आने वाले दिनों में भी इसी तरह विभिन्न रूट्स से श्रमिकों को लाए जाने की व्यवस्था की जा रही है। उल्लेखनीय है कि सड़क मार्ग से आ रहे श्रमिकों को सहायता पहुंचाने श्रमिक सहायता केंद्रों की स्थापना की गई है। इन केंद्रों में पहुंचने वाले श्रमिकों को सूखा नाश्ता कराया जा रहा है तथा राह के लिए सूखा नाश्ता पैक कर भी दिया जा रहा है। जो मजदूर साधन विहीन हैं उन्हें घर पहुंचाने की व्यवस्था भी की जा रही है।
भिलाई / शौर्यपथ / नगर पालिक निगम रिसाली के आयुक्त प्रकाश कुमार सर्वे के निर्देश पर रिसाली निगम के 90 नियमित अधिकारियों एवं कर्मचारियों का माह अप्रैल का 2370885/- रूपये का वेतन भुगतान करने का निर्देश लेखा शाखा को प्राप्त होते ही सोमवार को ही वेतन आहरण हेतु बैंक को भेजा गया, जहां मंगलवार को रिसाली निगम कर्मी वेतन प्राप्त करना शुरू कर दिया। स्वयं की संस्था से वेतन भुगतान की खबर लगते ही अधिकारियों एवं कर्मचारियों में खुशी व्याप्त है। अब प्रति माह कर्मचारियों का वेतन भुगतान रिसाली निगम ही करेगी।
बता दें की नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग नया रायपुर की अधिसूचना क्र.1-168/2019/18 छ.ग. नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा (7) सहपठित धारा 405 में प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए प्रदेश के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू के पहल पर एवं राज्य शासन के निर्देश पर 26.12.2019 को छ.ग. के राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशन उपरांत 04 अप्रैल 2020 को रिसाली क्षेत्र के 13 वार्डों को मिलाकर पृथक नगर पालिक निगम रिसाली के रूप में स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में आ गया। अपनी सीमित संसाधनों एवं श्रमिक बस्तियों की आबादी होने तथा कोरोना वायरस के अटैक से रिसाली निगम में स्वयं की अर्जित आय का स्त्रोत लगभग बंद हो चुका था। भिलाई निगम से पृथक होने के बाद यहां के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को वेतन भुगतान हेतु भिलाई निगम पर आश्रित रहना पड़ रहा था।
कोविड 19 कोरोना वायरस के नियंत्रण एवं रोकथाम हेतु निगम के क्षेत्र के नागरिकों की सुरक्षा हेतु ल?ाई लड़ रहे अपने कर्मचारियों की पीढ़ा एवं मनोदशा को समझते हुए निगम प्रशासन शुरू से ही प्रयासरत थे की रिसाली निगम अपने आत्म निर्भरता के बल बूते अपने कर्मचारियों का वेतन भुगतान की ओर अग्रसर हो। उक्त हेतु निगम आयुक्त श्री सर्वे ने बहूत ही सूझ-बूझ के साथ प्रदेश के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू तक अपनी बात रखी। गृह मंत्री चाह भी रहे थे कि उनके स्वयं के प्रयासों से बनी निगम रिसाली का सर्वांगीय विकास हो तथा उनके निर्वाचन क्षेत्र के नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं एवं ज्वलंत समस्याओं को तत्वरित निराकरण हो। तत्संबंध में गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने संवेदनशीलता का परिचय देते हुए राज्य शासन से रिसाली निगम को 7.00 करो? की राशि दिलाई। छ0ग0 स्वातशाषी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष गोपाल सिन्हा सहित सभी पदाधिकारियों ने कर्मचारियों के वेतन भुगतान किये जाने पर प्रदेश के गृह मंत्री तामध्वज साहू के प्रयासों की सराहना करते हुए निगम रिसाली के आयुक्त प्रकाश कुमार सर्वे एवं जोन आयुक्त रमाकांत साहू के प्रति आभार व्यक्त किये है।