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दुर्ग / शौर्यपथ / जिला कलेक्टर सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे ने लगातार हो रही बारिश को देखते हुये निगम आयुक्त इंद्रजीत बर्मन व स्वास्थ्य अधिकारी के साथ नीचली बस्तियों का भ्रमण कर वहाॅ की स्थिति का जायजा लिया। उन्होनें निगम के बाढ़ नियंत्रण कक्ष की जानकारी ली तथा वहाॅ सभी रेस्क्यू दल के सदस्यों को अलर्ट रहने निर्देश दिये।
विदित हो कि तीन, चार दिनों से लगातार हो रही बारिश के चलते पूरा शहर पानी-पानी हो गया है। निगम के बाढ़ नियंत्रण कक्ष में अब तक किसी भी प्रकार से जलभराव की स्थिति की सूचना प्राप्त नहीं हुई है। आयुक्त श्री बर्मन के मार्गदर्शन में बाढ़ नियंत्रण कक्ष में अधिकारियों, कर्मचारियों की ड्यूटी लगायी गयी है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग का अमला शहर के अनेक वार्डो में जलभराव वाले स्थानों पर मिट्टी मलमा व झाड़ियों का काट कर पानी निकासी की व्यवस्था की है।
लगातार हो रही बारिश को देखते हुये जिला कलेक्टर भूरे शाम 6.00 बजे शहर के अनेक इलाकों का भ्रमण करते हुये शंकर नगर में शंकर नाला की स्थिति का जायजा लिया। दुर्गा चैक के आगे शितला मंदिर के पास व आगे की तीन गलियों में शंकर नाला का पानी भर गया है। चूंकि बारिश का पानी धीरे-धीरे गिरने के कारण नाला में पानी का बहाव तेजी से हो रहा है और पानी उतर रहा है। जिला कलेक्टर ने आयुक्त को निर्देशित करते हुये कहा अपने रेस्क्यू दल के सदस्यों को अलर्ट रहने कहें। साथ ही बाढ़ नियंत्रण दल के प्रभारी व अधिकारी शंकर नाला में जलभराव की स्थिति पर नजर रखें। किसी भी प्रकार से पानी का भराव होने की स्थिति में प्रभावितों के लिए पहले से व्यवस्था करने निर्देश दिये। उन्होनें कहा बाढ़ पर निगरानी रखें और आवश्यक होने पर प्रभावितों को राहत पहुॅचाया जाए।
दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग जिले सहित प्रदेश में कोरोना संक्रमित मिलने का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है . आज जिला न्यायालय दुर्ग में ५ कोरोना संक्रमित मिलने के कारण दुर्ग जिला न्यायालय को अगले तीन दिनों के लिए सील कर दिया गया है . २८ अगस्त से ३० अगस्त तक सील किये जाने के कारण अब दुर्ग न्यायालय में सिर्फ रिमांड कोर्ट रूम ही खुले रहेंगे .
दुर्ग न्यायालय परिसर में पार्किंग स्थल पर अधिवक्ताओ के लिए अस्थाई बनाए गए शेड को भी इन तीन दिनों के लिए सील कर दिया गया है . अधिवक्ता संघ दुर्ग ने जानकारी दी है कि आज दिनांक २८ अगस्त को लगने वाली बेल एप्लीकेशन की अगली सुनवाई १ सितम्बर होगी ततः रिमांड कौर्ट में जाने वाले अधिवक्ताओ को सोशल डिस्टेंस का पालन करना होगा .
भिलाई। शौर्यपथ । भिलाई में बैठकर महाराष्ट्र में सट्टे के कारोबार का आपरेट करने वाले पांच लोगों को स्मृति नगर से स्मृति नगर पुलिस ने गिरफ्तार किया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार स्मृति नगर के एक मकान में नए-नए लोगों का आना-जाना लगा रहता है। पुलिस को यहां सट्?टे का कारोबार संचालित होने की जानकारी मिली थी। बुधवार की सुबह टीम ने मकान में दबिश दी। यहां से आरोपी शहबाज खान , योगेश तीरथ, समीउद्दीन, ललित, नरेश खेताम नाम के युवकों को पकड़ा। आरोपियों ने बताया कि चोरी-छुपे ऑनलाइन वेबसाइट के जरिए सट्टे का नेटवर्क चला रहे थे। पुलिस ने मकान से लैपटॉप, मोबाइल वगैरह बरामद की है। इन लोगों ने लॉकडाउन और अनलॉक के माहौल के बीच सट्टे बाजों ने ऑनलाइन अपने अवैध कारोबार की जड़ें मजबूत कर लीं थी। इन लोगों ने न केवल भिलाई में ही बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में सट्टे का धंधा फैला रखा था, बल्कि नागपुर शहर के जरिए महाराष्ट्र के लोग को भी जोड़कर लाखों रुपए के दांव लगाया करते थे। पुलिस ने भिलाई के स्मृति नगर इलाके से 5 युवकों को इस केस में पकड़ा है।
दुर्ग । शौर्यपथ । नगर पालिक निगम दुर्ग द्वारा शहर में विकास कार्य प्रारंभ करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। इसके अंतर्गत ठगड़ाबांध पार में बसे लोगों को बोरसी स्थित प्रधानमंत्री आवास में विस्थापित कर ठगड़ाबांध का सौंदर्यीकरण कार्य को शुरु किया जाना है। ठगड़बांध में गहरीकरण कर यहाॅ बच्चों के लिए प्ले मैदान, गाड्रन, मल्टीपरपस हाल, वाॅटर व्यू, मैरिज पैलेस बोटिंग, और आईसलैण्ड विकसित किया जाना प्रस्तावित है। इसके लिए आज निगम आयुक्त इंद्रजीत बर्मन द्वारा विभागीय अधिकारियों की बैठक लेकर चर्चा किये एवं आवश्यक निर्देश दिये। बैठक में एडीएम खेमलाल वर्मा, तहसीलदार पार्वती पटेल, निगम अधिकारी जगदीश केशरवानी, ए0आर0 रहंगडाले, गिरीश दीवान व अन्य उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि शहर में होने वाले विकास कार्य कोरोना काल के कारण थम सा गया गया था । जिसे पुनः प्रारंभ कर नगर पालिक निगम दुर्ग ने प्रक्रिया तेज कर दी है। इस संबंध में आज आयुक्त बर्मन द्वारा जिला प्रशासन के एसडीएम और तहसीलदार तथा निगम अधिकारियों के साथ बैठक कर विकास कार्य की शुरुआत पर चर्चा की। उन्होनंे ठगड़बांध सौदर्यीकरण कार्य के तहत् बांध से पानी खाली कराना, बांध पार में बसे लोगों को बोरसी प्रधानमंत्री आवास में शिफ्ट कराया जाना है। उन्होनें बताये ठगड़बांध पार के लोगों को बोरसी में प्रधानमंत्री आवास आबंटित किया गया है । उन्हें 15 सितंबर तक ठगड़ाबांध क्षेत्र को खाली करने आवास मंें सूचना नोटिस दिया जा चुका है। उन्होनें कहा 16 सितंबर से ठगड़ाबांध के अतिक्रमण को हटाकर विकास कार्य प्रारंभ किया जावेगा । उन्होनें अधिकारियों से कहा ठगड़बांध के जिन लोगों ने भी अब तक आवास के लिए आवेदन नहीं दिये हैं वे 15 सितंबर के पूर्व अपना आवेदन देकर आवास आबंटन प्राप्त कर लेवें। इस संबंध में आयुक्त के निर्देशानुसार आम सूचना सभी शासकीय विभाग और कार्यालयों में सूचना नोटिस चस्पा कर दिया गया है।
*- शास्त्री अस्पताल, सुपेला के औचक निरीक्षण पर पहुंचे कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे, सफाई व्यवस्था की बदहाली पर जताई सख्त नाराजगी*
दुर्ग । शौर्यपथ । कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे आज औचक निरीक्षण के लिए सुपेला स्थित शास्त्री अस्पताल पहुंचे। यहां उन्होंने साफ-सफाई और अस्पताल की व्यवस्था से सख्त नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि दुर्ग जिले का यह सबसे महत्वपूर्ण अस्पताल है लेकिन प्रबंधन द्वारा साफसफाई पर एकदम लचर रवैया अख्तियार किया गया है। टायलेट गंदे हैं। कई जगहों पर पान के पीक से दीवारें रंगी हैं। यह बिल्कुल ही लापरवाह व्यवस्था है। एक सप्ताह के भीतर साफ-सफाई की व्यवस्था मुकम्मल करें, अगले हफ्ते इसी समय पुनः आउंगा। सफाई की ऐसी स्थित कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कलेक्टर के दौरे के दौरान नगर निगम कमिश्नर श्री ऋतुराज रघुवंशी, सिविल सर्जन डा. बालकिशोर सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। कलेक्टर ने अस्पताल प्रबंधन को कहा कि अस्पताल की बेहतरी के लिए डीएमएफ द्वारा सहयोग प्रदाय किया गया है। समय-समय पर हमेशा इस बाबत समीक्षा की जाती है कि अस्पताल की बेहतरी के लिए हम किस तरह से सहयोग कर सकते हैं लेकिन इसके बावजूद भी अस्पताल में प्रभावी व्यवस्था का नजर नहीं आना प्रबंधन की लापरवाही दिखा रहा है। यह व्यवस्था ठीक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि साफ-सफाई के लिए यदि मौजूदा व्यवस्था सक्षम नहीं हो पा रही है तो इसकी वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने कल ही जीवनदीप समिति की बैठक आहूत करने के बारे में कहा। कलेक्टर ने कहा कि डीएमएफ के माध्यम से अधोसंरचना मद में पर्याप्त फंड उपलब्ध कराया गया है। अस्पताल में आधारिक संरचना अच्छी है इसका प्रभावी लाभ मरीजों को मिलना चाहिए। अस्पताल के बेहतर संचालन के लिए और मरीजों को सुविधाएं मुहैया कराने में जीवनदीप समिति की प्रभावी भूमिका हो सकती है इसकी राशि का प्रयोग करें। कलेक्टर ने सुपेला अस्पताल में काम कर रहे चिकित्सकों तथा स्टाफ की विस्तृत जानकारी भी ली। उन्होंने प्रभारी अधिकारी से यहां कार्यरत लोगों की पदस्थापना अवधि के संबंध में आज ही शाम को जानकारी देने के लिए कहा। *कोविड को लेकर हो प्रभावी रिस्पांस-* कलेक्टर ने फीवर क्लीनिक, लैंब, मार्च्यूरी भी देखा। उन्होंने कहा कि फीवर क्लीनिक के संबंध में जो निर्देश पूर्व की बैठकों में दिये गए हैं। उनका प्रभावी रूप से पालन होना चाहिए। कोविड को लेकर जो प्रोटोकाल बताये गए हैं उनके मुताबिक ही काम हो। शवों को परिजनों को सौंपने के मामले में किसी तरह का विलंब नहीं हो। उन्होंने कहा कि कोविड से जुड़े हुए किसी भी तरह के कार्य में किसी तरह का विलंब नहीं होना चाहिए। शास्त्री अस्पताल में काफी संख्या में मरीज आते हैं इसके मुताबिक प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित करना प्रबंधन की जिम्मेदारी है। *कबाड़ को लेकर जताई नाराजगी-* कलेक्टर ने अस्पताल परिसर में कबाड़ के यत्रतत्र रखे जाने को लेकर भी गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि प्रबंधन को यह सब देखना चाहिए। अस्पताल परिसर में सफाई सबसे अहम होती है। मरीजों की बेडशीट उनको दी जाने वाली अन्य सुविधाओं पर प्रबंधन प्रभावी रूप से निगरानी रखे।
दुर्ग /शौर्यपथ/ धान की फसल जिले की मुख्य खरीफ फसल है। वर्तमान में कृषि क्षेत्र में आयी गति को दृष्टिगत रखते हुए कीट प्रबंधन इसका मुख्य हिस्सा है। धान की फसल को बचाने एवं कीट प्रबंधन के संबंध में कृषि विभाग द्वारा रोग प्रबंधन और निदान के उपाय जारी किये गए है। धान की फसल में कीट और रोग प्रबंधन एक आवश्यक कार्य होता है किसानों को अपने द्वारा लगाई गई फसल का लगातार निरीक्षण करते रहना चाहिए। साथ ही कीट एवं रोग प्रबंधन के उपाय समय समय पर करते रहना चाहिए। किसान समन्वित कीट एवं रोग प्रबंधन कर पौधों की संरक्षण कर अधिकतम उत्पादन प्राप्त कर सकते है। इसके लिए नियमित रूप से फसल का अवलोकन करते रहना चाहिए। जिससे की कीट एवं रोग का प्रारंभिक अवस्था में प्रबंधन व नियंत्रण किया जा सके। भूरा माहो एवं बंकी के नियंत्रण हेतु 24 घंटे के लिए पानी की निकासी करने से कीट नियंत्रण में सहायता मिलती है। खेत के बीच में अलग-अलग जगह ‘टी‘ आकर की खूटियां लगानी चाहिए, जिस पर पक्षी बैठकर हानिकारक कीटों को खा सके। धान की फसल पर रस्सी को दोनों किनारों से पकड़ कर घूमाना चाहिए जिस पर पक्षी बैठकर हानिकारक कीटों को खा सके। कीटों की निगरानी व नियंत्रण हेतु प्रकाश प्रपंच, फेरोमान प्रपंच तथा पीले चिपचिपे प्रपंच करना चाहिए। अनुसंशित मात्रा में रसायनिक खाद उपयोग करना चाहिए। अत्याधिक व अनावश्यक नत्रजन के उपयोग से रसचूचक कीट के आक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। फसलों पर पाए जाने वाले लक्षण के आधार पर कीट एवं रोग प्रबंधन करनी चाहिए। *कीट /रोग, लक्षण के आधार पर रसायनिक दवा की मात्रा -* *कीट*-तना छेदक (5 प्रतिशत प्रभावित कंसा) *लक्षण* -इस कीट की सुंडी अंडों से निकालकर मध्य कलकाओं की पत्ती में छेद कर अंदर घुस जाती है तथा तने को नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे बालियां नहीं निकलती है। बाली अवस्था में प्रकोप होने पर बालियां सूखकर सफेद हो जाती हैं तथा दाने नहीं बनते हैं। *प्रति एकड़ दवा की मात्रा*-करटॉप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी, 8 किलोग्राम, करटॉप हाइड्रोक्लोराइड 50 एसपी, 200 ग्राम, ट्राईजोफास 25, 400-500 मिली, फ्लूबेनडियामाइड 30-35, एस.सी 70 ग्राम का उपयोग करना चाहिए। *कीट / रोग का नाम* - पत्ती लपेटक (चितरी) (2 प्रभावित पत्ती हील) *लक्षण*- इस कीट की सुंडियां पहले मुलायम पत्तियों को खाती है तथा अपनी लार द्वारा रेशमी धागा बनाकर पत्तियों को किनारे से मोड़ देती है यह प्रकोप को सितंबर माह में अधिक देखा जा सकता है। *प्रति एकड़ रासनायिक दवा की* मात्रा-फोसालोंन, ट्राईजोफास, लेम्ब्डा साईंलोथ्रिरीन 20 ई.सी, 400 मिली करटॉप हाइड्रोक्लोराइड 50 प्रतिशत एसपी, 200 ग्राम ,फ्लूबेनडियामाईड 32-35 प्रतिशत एससी 70 ग्राम का उपयोग करना चाहिए। *कीट /रोग का नाम* - भूरा माहो कीट (5-10 कीट प्रति पौधा) *लक्षण*- इस कीट के प्रौढ भूरे रंग के होते हैं ये पत्तियां एवं कल्लों के मध्य रस चूसकर हानि पहुंचाते हैं। अधिक प्रकोप होने पर फसल में अलग-अलग पैच में पौधे काले होकर सूखने लगते हैं जिसे हापर बर्न भी कहते हैं। *प्रति एकड़ रासनायिक दवा की मात्रा*- इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल, 80-100 मिली बिफेनथ्रिन, 10 प्रतिशत ई.सी. 100 मिली फेनोब्यूकार्न, 50 ई.सी. 400-500 मिली ब्यूप्रोफेजिन 25 प्रतिशत डब्लुपी 120-200 मिली का उपयोग करना चाहिए। *कीट /रोग का नाम* - ब्लास्ट रोग (5-10 प्रतिशत ग्रसित पत्ती) *लक्षण*- पत्तियों पर आंख के आकार के जंग युक्त भुरे धब्बे इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। *प्रति एकड़ रासनायिक दवा की मात्रा*- ट्राईसाईक्लोजोल 75 प्रतिशत डब्लूपी 120 ग्राम कीटाजीन 250 मिली हेकजोकोनजोल 5 प्रतिशत ई.सी 500 ग्राम का उपयोग करना चाहिए। *कीट /रोग का नाम* - शीथ ब्लास्ट 10 प्रतिशत ग्रसित कंसा *लक्षण-* पौधे के आवरण पर अंडाकार स्लेट धब्बा पैदा होता है एवं भूरे रंग के रोगी स्थान बनते हैं। बाद में में ये तनों को चारों और घेर लेते हैं। *प्रति एकड़ रासनायिक दवा की मात्रा*- कार्बेडाजिम 50 प्रतिशत डब्लू पी 500 ग्राम, हेक्जकेनाजोल 5 प्रतिशत ईसी 1 लीटर 500 मिली का उपयोग करना चाहिए। *कीट / रोग का नाम*- जीवाणु जनित पर्ण झुलसा रोग *लक्षण*- पत्तियों पर पीली या पुआल के रंग का लहरदार धारियाँ बनती है तथा सिरे से शरू होकर नीचे की ओर बढ़ती है और पत्तियां सूख जाती है। *प्रति एकड़ रासनायिक दवा की मात्रा*-स्ट्रेटोंमाईसीन सल्फेट 90 प्रतिशत और टेट्रासाईक्लीन हाइड्रोक्लोरोड 10 प्रतिशत 15 ग्राम का उपयोग करना चाहिए।
*- नाबार्ड के अधिकारियों के साथ जिला प्रशासन की बैठक में बनाई गई रणनीति* *- एफपीओ के प्रमोशन के लिए क्रेडिट गारंटी मिलेगी, इसके माध्यम से एफपीओ खर्च कर पाएगा, इसका उद्देश्य सीमांत और छोटे किसानों को सामूहिकता की ताकत देना ताकि आधुनिक तकनीक और बड़े बाजार तक अपनी पकड़ बना सकें*
दुर्ग । शौर्यपथ । देश भर में सीमांत और छोटे किसानों को जोड़कर एफपीओ बनाने के लिए प्रेरित करने की दिशा में पहल की जा रही है। दुर्ग जिले में इस संबंध में कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे की अध्यक्षता में जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ नाबार्ड के अधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में किसानों की कंपनी की संभावनाओं के संबंध में विस्तृत चर्चा की गई। कलेक्टर डाॅ. भुरे ने कहा कि हार्टिकल्चर और मत्स्यपालन में जिले में बड़ी संभावनाएं हैं। उद्यानिकी में केला, पपीता और ड्रैगन फ्रूट जैसी फसल किसान बड़ी मात्रा में लेते हैं। अगर किसानों को एफपीओ के माध्यम से संगठित किया जाए तो उन्हें एफपीओ को मिलने वाली सरकारी मदद मिल सकती है ताकि वे अपनी खेती को भी बेहतर तरीके से कर सकें और अपने उत्पादों के लिए भी बेहतर बाजार तय कर सकें। बैठक में नाबार्ड के प्रबंधक श्री बारा ने विस्तार से इस संबंध में जानकारी दी। बैठक में जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक, डीडीए श्री अश्विनी बंजारा, डीडी वेटरनरी श्री एमके चावला सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। *हार्टिकल्चर और मत्स्यपालन पर दें विशेष ध्यान-* कलेक्टर ने कहा कि हार्टिकल्चर से जुड़े किसान यदि कंपनी के माध्यम से जुड़ जाते हैं तो उनके लिए काफी अच्छी संभावनाएं बनेंगी। इस तरह के उत्पाद के एक जगह मिल जाने से इनकी प्रोसेसिंग से जुड़ी कंपनियां बल्क में खरीदी कर सकेंगी। चूंकि सरकार द्वारा एफपीओ को स्थापित करने में बड़ा सहयोग दिया जाएगा अतः किसानों के लिए भी यह अच्छा अवसर रहेगा। इस दिशा में काम करें। उन्होंने कहा कि मत्स्यपालन में जिले में बड़ी संभावनाएं हैं जहां कहीं भी वाटर बाडी है वहां इस तरह का काम होना चाहिए। साथ ही एफपीओ में जोड़ने की कोशिश होनी चाहिए। *क्या फायदा होगा एफपीओ से-* कोई सीमांत किसान यदि खेती करता है तो कुछ सीमाएं हैं जिसकी वजह से उसे पूरा लाभ नहीं मिल पाता। इसके लिए उसे कल्टीवेटर चाहिए, कंबाइन हार्वेस्टर चाहिए, टिलर चाहिए। उद्यानिकी फसलों के लिए उसे स्प्रिंकलर सेट की जरूरत पड़ेगी। अकेले इसका खर्च वहन करना कठिन होता है। अब मान लीजिए कि वो किसी फार्मर प्रोड्यूसिंग कंपनी का हिस्सा बन जाता है तो यह कंपनी उसे तकनीकी साधन मुहैया कराएगी। चूंकि इसके लिए शासन द्वारा कंपनी को क्रेडिट गारंटी मिलती है अतएव कंपनी स्वयं अपने खर्च से यह तकनीकी साधन क्रय कर सकती है। दूसरा बड़ा सहयोग किसान को यह मिलेगा कि कंपनी उसके लाजिस्टिक का कुछ खर्च भी वहन कर सकती है क्योंकि कंपनी द्वारा बहुत से किसानों के उत्पाद को बल्क मात्रा में मार्केट में पहुंचाया जा रहा है। तीसरा बड़ा सहयोग बाजार को लेकर मिल पाएगा। कंपनी बाजार का चिन्हांकन करेगी तथा अधिक मात्रा में सप्लाई होने की वजह से किसान को अच्छा रेट भी मिल पाएगा जो चिल्हर की वजह से नहीं मिल पाता है।
दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग निगम क्षेत्र में इन दिनों कई वार्ड ऐसे है जहा पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है और सत्ता पक्ष पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर आरोप लगा रही है वही विपक्ष द्वारा सत्ता पक्ष कांग्रेस पर अनुभवहीनता का आरोप लगा कर मामले को राजनीती रंग देने की कोशिश कर रही है . जबकि इन सबके बीच में जिम्मेदार अधिकारी मौज में है , अमृत मिशन के अधिकारी मौन है और हो भी क्यों ना क्योकि असली जिम्मेदार अधिकारी सत्ता और विपक्ष की राजनीती में अपनी नाकामी छुपाने में सफल हो रहे है .
किसी भी जनप्रतिनिधि का कार्य ये नहीं होता कि विभाग के संसाधनों को दुरुस्त करे आपत्ति पर आपातकाल व्यवस्था करे , शहर की व्यवस्थाओ का जमीनी स्तर पर निरिक्षण करे . जनप्रतिनिधि जब आम जनता को कोई परेशानी होती है तो उस बात को संज्ञान में लेकर विभागीय अधिकारियो को अवगत कराये और व्यवस्था को सुचारू रूप से निर्वहन करने के लिए निर्देश दे किन्तु दुर्ग निगम के जल विभाग के अधिकारी हो या अमृत मिशन के अधिकारी जिनकी लापरवाही का नतीजा अज पुरे दुर्ग की जनता भुगत रही है और जनप्रतिनिधि एक दुसरे पर आरोप लगा रहे है जबकि इस अव्यवस्था की सारी जिम्मेदारी विभागीय अधिकारियो के ऊपर है किन्तु राजनितिक वर पलटवार का पूरा मजा अधिकारियो द्वारा उठाया जा रहा है और अव्यवस्था के असली जिम्मेदार विभागीय अधिकारी इस राजनीतिक समीकरण का पूरा लाभ उठाकर अपनी नाकामी छुपाने में सफल भी हो रहे है .
वैसे निगम के हर कार्य में वर्तमान में शहर के विधायक की मंशा और अनुशंषा ही कार्य कर रही है किन्तु जिस तरह वर्तमान में शहर के विधायक द्वारा कई बार निगम की कार्य पद्दति पर सवाल भी खड़े किये किन्तु इसे जनप्रतिनिधि के निर्देशों की अवहेलना कहे या अधिकारियो द्वारा वर्तमान के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों के निर्देश को हलके में लेने की प्रक्रिया क्योकि जिस तरह सत्ता में रहने के बाद भी जनप्रतिनिधि अपनी ही सरकार पर आरोप लगा रहे है कार्य में लापरवाही की उससे यही प्रतीत होता है कि निगम के अधिकारियों को न तो शहर की आम जनता की सुविधाओ का ख्याल है और ना ही किसी प्रशासनिक दबाव से फर्क पड़ रहा है .
भिलाई नगर / शौर्यपथ / वार्ड-28 छावनी स्थित दर्री तालाब की रौनक फिर लौटेगी। इस दिशा में नगर पालिक निगम प्रशासन कार्य कर रही है और दर्री तालाब में साफ पानी भरने और उनके किनारे को हरियाली को बढ़ाने के लिए चारो तरफ रिटेनिंग वाॅल का निर्माण कराया जा रहा है। इन कार्यों के पूरा होते ही क्षेत्र के रहवासियों को निस्तारी के लिए पहले की तरह तालाब में साफ पानी मिलेगा। तालाब में पाथवे और रिटेनिंग वाॅल पर बनाई जाने वाली बस्तर कलाकृतियां लोगों के लिए मनोरंजन का केन्द्र साबित होगी।
40 लाख की लागत निर्माणाधीन हैं कार्य
महापौर व भिलाई नगर विधायक देवेन्द्र यादव के निर्देशानुसार निगम प्रशासन ने दर्री तालाब के सौंदर्यीकरण के साथ महिलाओं की सुविधाओं का विशेष ख्याल रखा गया है। अधोसंरचना मद से प्रस्तावित 40 लाख रूपए की लागत से निर्माणाधीन विकास कार्य में महिलाओं के लिए निर्मला घाट और चेंजिंग रूम बनाया जाएगा। तालाब में मवेशियों के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए चारो तरफ कांक्रीट से बाउंडीवाल बनाई गई है। हरियाली को बढ़ावा देने के लिए किनारे से लोहे की रेलिंग से ट्रू वाॅल बनाया जा रहा है। जहां पर फूल पौधे के साथ फलदार और पत्तीदार पौधे रोपे जाएंगे। कारपेट ग्रास लगाया जाएगा। तटबंध (पार) पर पेवर ब्लाॅक लगाने के साथ चैनलिंग फेसिंग किया गया है। प्रकाश व्यवस्था के लिए चारो तरफ ट्यूबलर पोल लगाई गई हैै।
ऐसे रखा जाएगा पानी को स्वच्छ तालाब का पानी स्वच्छ रहे इसके लिए निगम प्रशासन ने तालाब के बाजू में अलग से एक पैठू (छोटा तालाब) बनाई है। जहां पशुपालक अपने मवेशियों को नहला सकेंगे। वहीं तालाब में बारिश के पानी को भरने के लिए इन लेट और तालाब का पानी गंदा होने की स्थिति में निकासी के लिए आउट लेट नाली बनाई गई है। इस तरह की व्यवस्था से जल संरक्षण के साथ क्षेत्र में हरियाली को बढ़ावा दिया जाएगा।
मुुफ्त में हो गया गहरीकरण
आयुक्त रघुवंशी के निर्देशानुसार सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है। जोन-4 के आयुक्त अमिताभ शर्मा ने बताया कि निगम प्रशासन ने तालाब के गहरीकरण पर राशि खर्च नहीं किया है। पीपीपी माॅडल पर तालाब की सफाई और गहरीकरण कराया गया। सौंदर्यीकरण का लगभग 65 फीसद कार्य पूर्ण हो चुका है।
Feb 09, 2021 Rate: 4.00
